NaCl क्रिस्टल पीला क्यों होता है? - nachl kristal peela kyon hota hai?

विषयसूची

  • 1 NaCl किसका रासायनिक सूत्र है?
  • 2 NaCl क्रिस्टल पीला क्यों दिखाई देता है?
  • 3 NACL क्रिस्टल में na की उपसहसंयोजक संख्या कितनी है?
  • 4 एनएसईएल पीला क्यों दिखाई देता है?
  • 5 Is NaCl a good conductor of electricity?
  • 6 What is NaCl an example of?

सोडियम क्लोराइड
कैमस्पाइडर आई.डी 5044
गुण
आण्विक सूत्र NaCl
मोलर द्रव्यमान 58.44 g mol−1

NaCl क्रिस्टल पीला क्यों दिखाई देता है?

इसे सुनेंरोकेंरासायनिक दृष्टि से यह सोडियम क्लोराइड (NaCl) है जिसका क्रिस्टल पारदर्शक एवं घनाकार होता है। शुद्ध नमक रंगहीन होता है, किंतु लोहमय अपद्रव्यों के कारण इसका रंग पीला या लाल हो जाता है।

शक्कर का रासायनिक सूत्र क्या है?

C12H22O11
इक्षुशर्करा/सूत्र
इसे सुनेंरोकेंशक्कर का रासायनिक सूत्र C12H22O11 होता है। शर्करा या चीनी (Sugar) एक क्रिस्टलीय खाद्य पदार्थ है। इसमें मुख्यत: सुक्रोज, लैक्टोज एवं फ्रक्टोज उपस्थित होता है। मानव की स्वाद ग्रन्थियाँ मस्तिष्क को इसका स्वाद मीठा बताती हैं।

NACL क्रिस्टल में na की उपसहसंयोजक संख्या कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंहम कह सकते हैं कि उद्धरण और आयन समान पदों पर मौजूद हैं और संरचना में 6: 6 समन्वय हैं। सोडियम क्लोराइड की संरचना में आठ आयन एक इकाई कोशिका होते हैं, चार Na + आयन होते हैं और अन्य चार Cl आयन होते हैं।

एनएसईएल पीला क्यों दिखाई देता है?

इसे सुनेंरोकेंआसानी से उत्तेजित होने वाले F-केंद्र नामक इलेक्ट्रोनो की उपस्थिति के कारण NaCl क्रिस्टल का रंग हल्का पीला होता है।

What does the name NaCl mean?

Nacl meaning Sodium chloride; table salt.

Is NaCl a good conductor of electricity?

solid NaCl is an insulator but molten NaCl is a good conductor of electricity. Sodium Chloride has a crystalline structure in which the positive and negative ions are held by very strong electrostatic forces of attraction. Hence there are no free electrons to move because of which it is an insulator.

What is NaCl an example of?

An example is the reaction in which sodium (Na) combines with chlorine (Cl 2 ) to form sodium chloride, or table salt (NaCl). A reaction of sodium with chlorine to produce sodium chloride is an example of a combination reaction.

What is NaCl better known as?

Sodium chloride (NaCl), also known as salt, is an essential compound our body uses to: absorb and transport nutrients. maintain blood pressure. maintain the right balance of fluid. transmit nerve signals. contract and relax muscles.

Nacl meaning Sodium chloride; table salt.

solid NaCl is an insulator but molten NaCl is a good conductor of electricity. Sodium Chloride has a crystalline structure in which the positive and negative ions are held by very strong electrostatic forces of attraction. Hence there are no free electrons to move because of which it is an insulator.

An example is the reaction in which sodium (Na) combines with chlorine (Cl 2 ) to form sodium chloride, or table salt (NaCl). A reaction of sodium with chlorine to produce sodium chloride is an example of a combination reaction.

Sodium chloride (NaCl), also known as salt, is an essential compound our body uses to: absorb and transport nutrients. maintain blood pressure. maintain the right balance of fluid. transmit nerve signals. contract and relax muscles.

NaCl क्रिस्टल पीला क्यों होता है? - nachl kristal peela kyon hota hai?

नमक (Common Salt) से साधारणतया भोजन में प्रयुक्त होने वाले नमक का बोध होता है। रासायनिक दृष्टि से यह सोडियम क्लोराइड (NaCl) है जिसका क्रिस्टल पारदर्शक एवं घनाकार होता है। शुद्ध नमक रंगहीन होता है, किंतु लोहमय अपद्रव्यों के कारण इसका रंग पीला या लाल हो जाता है। समुद्र के खारापन के लिये उसमें मुख्यत: सोडियम क्लोराइड की उपस्थिति कारण होती है। भौमिकी में लवण को हैलाइट (Halite) कहते हैं।[1][2][3][4]

भौतिक गुण[संपादित करें]

शुद्ध नमक रंगहीन होता है, किंतु लोहमय अपद्रव्यों के कारण इसका रंग पीला या लाल हो जाता है। इसका द्रवणांक 804 डिग्री सें., आपेक्षिक घनत्व 2.16, अपवर्तनांक 10.542 तथा कठोरता 2.5 है। यह ठंडे जल में सुगमता से घुल जाता है और गरम जल में इसकी विलेयता कुछ बढ़ जाती है। हिम के साथ नमक को मिला देने से मिश्रण का ताप -21 डिग्री सें. तक गिर सकता है।

NaCl क्रिस्टल पीला क्यों होता है? - nachl kristal peela kyon hota hai?

प्राप्ति / स्रोत[संपादित करें]

नमक समुद्र, प्राकृतिक नमकीन जलस्रोतों एवं शैलीय लवणनिक्षेपों के रूप में प्राप्त होता है। विश्व के विभिन्न भागों में इन निक्षेपों के विशाल भंडार हैं। सभी युगों के स्तरों में ये प्राय: उपलब्ध हैं, किंतु अधिकतर कैंव्रियन युग से मेसोज़ोइक युग के स्तरों में उपलब्ध होते हैं। पंजाब (पाकिस्तान), ईरान, संयुक्त राज्य अमरीका, आनटेरिऔ (कनाडा), नौवा स्कॉशा, कोलोराडो, उटाह, जर्मनी, वॉल्गा क्षेत्र तथा डोनेट बेसिन (सोवियत संघ) में नमक के प्रमुख निक्षेप पाए जाते हैं। नमक की कई सौ फुट तथा कहीं-कहीं कई हजार फुट तक मोटी तहें पर्वतों के रूप में एवं धरातल के नीचे पाई जाती हैं। प्राकृतिक नमकीन स्रोत के अंतर्गत नमकीन जल की झीलें, कुएँ तथा स्रोत (spring) आते हैं। नमकीन जल की ये झीलें किसी समय महासागरों के ही भाग होती होंगी जिससे जल में नमक का अंश पर्याप्त बढ़ गया है। इस जल को वाष्पित कर सुगमता से नमक प्राप्त किया जाता है। समुद्र के जल में नमक प्रचुर मात्रा में विद्यमान है।

भारत में नमक के स्रोत[संपादित करें]

सन् 1947 के पूर्व भारत में नमक का प्रधान स्रोत लवणश्रेणी (Salt Range) थी। खैबर (पाकिस्तान) में नमक की विशाल खानें हैं। यहाँ नमक की तह की मोटाई 100 फुट से भी अधिक है। यह नमक इतना अधिक वर्णहीन एवं पारदर्शक है कि यदि नमक की 10 फुट मोटी दीवाल के एक ओर प्रकाशपुंज रखा जाए तो दूसरी ओर कोई भी व्यक्ति सरलता से पढ़ सकता है। इस नमक निक्षेप पर पर्याप्त लंबे समय से खननकार्य होता चला आ रहा है। यहाँ नमक के खाननकार्य के समय एक प्रकार की धूल (Salt dust) विपुल मात्रा में बनती है। यह लवणीय धूल इंपीरियल केमिकल इंडस्ट्रीज द्वारा संचित की जाती है जो इसका उपयोग क्षारीय संयत्र (Alkali plant) में करते हैं। इस क्षेत्र से नमक के उत्पादन की मात्रा भारत विभाजन के पूर्व 1,87,490 टन था। खैबर नमक की शुद्धता 90 प्रतिशत से भी अधिक है। इसके अतिरिक्त अनेक स्थान और भी हैं जहाँ नमक के समृद्ध स्तर प्राप्त हुए हैं। ऐसा ही एक स्थान वाछी तथा दूसरा कोहर है। यहाँ पर नमक के अतिरिक्त पोटासियम क्लोराइड भी कुछ अंशों में विद्यमान है। विभाजन के पश्चात् यह भाग पाकिस्तान में चला गया है। इस समय भारत का शैल्य नमक स्रोत केवल हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित नमक की खानें हैं। यहाँ पर दो स्थानों गुंमा तथा ध्रंग में नमक की खुदाई का कार्य बहुत समय से होता रहा है। सड़क के किनारे-किनारे जोगिंदर नगर से मंडी तक अनेक स्थानों पर लवण जल के झरने हैं। गुंमा में नमक का एक निक्षेप 150 फुट से अधिक मोटा है, किंतु इस नमक में 10-15 प्रतिशत तक बालू के रूप में सिलिका मिला हुआ है। अत: यह नमक पूर्ण रूप से मनुष्य के खाने के योग्य नहीं है। लंबे समय से यह नमक पशुओं को खिलाने के उपयोग में लाया जाता रहा है। गुंमा में लवण निक्षेपों से एक पूर्णत; शुद्ध एवं श्वेत प्रकार का नमक उत्पन्न करने की योजना भारत सरकार बना रही है। ध्रंग में भी लवण जल के अनेक विशाल झरने हैं, जहाँ नमक के विलयन को वाष्पित कर उच्च प्रकार का नमक प्राप्त किया जा सकता है।

भारत में नमक का द्वितीय स्रोत राजस्थान है। साँभर के समीप लगभग 90 वर्ग मील का एक बृहत् क्षेत्र है जो एक गर्त है। इस गर्त के निकटवर्ती क्षेत्रों का जल एकत्र हो जाता है और इस प्रकार नमकीन जल की एक झील बन जाती है। संभवत: इसका कारण निकटवर्ती क्षेत्रों की मिट्टी में नमक का विद्यमान होना ही है। यह लवण जल क्यारियों में एकत्र किया जाता है। यहाँ इसका धूप द्वारा वाष्पीकरण होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में प्रचंड धूप पड़ती है। नवंबर के महीने में ये क्यारियाँ लवणजल से भरी जाती हैं तथा अप्रैल, मई तक अवक्षिप्त नमक को एकत्र कर लिया जाता है और जो बिटर्न (Bittern) शेष रहता है उसे झील के एक भाग में संचित कर दिया जाता है। इस प्रकार से प्राप्त नमक उत्तम होता है। नमक का उत्पादन इस क्षेत्र में पर्याप्त होता है। अभी तक इस नमक के उद्भव (Origin) का स्पष्टीकरण नहीं हुआ है। कुछ विद्वानों का कहना है कि यह वायुजनित नमक है जो समुद्र से वायु के साथ आता है और वर्षा के साथ राजस्थान में गिर जाता है तथा इस विशाल झील में संचित हो जाता है। बिटर्न का बहुत समय तक कोई मूल्य ही नहीं समझा जाता था, किंतु लेखक ने अनुसंधान करके पता लगाया है कि इस बिटर्न में लगभग 62 प्रतिशत सामान्य लवण, 25 प्रतिशत सोडियम सल्फेट तथा 8 प्रतिशत सोडियम कार्बोनेट होता है। इस क्षेत्र में सोडियम सल्फेट तथा सोडियम क्लोराइड के लवणों का विपुल मात्रा में संग्रह हा सकता है। उपयुक्त साधनों से नमक से सोडियम सल्फेट तथा सोडियम कार्बोनेट का पृथक्करण संभव हो सकता है। साँभर झील क्षेत्र में एक लंबे समय से खननकार्य किया जा रहा है, किंतु अभी तक नमक के उत्पादन तथा मात्रा में कोई ह्रास नहीं हुआ है। अत: यह झील नमक का एक चिरस्थायी स्रोत समझी जा सकती है।

इसके अतिरिक्त राजस्थान में नमक के दो अन्य स्रोत विद्यमान हैं, प्रथम डिगाना झील तथा दूसरी डिडवाना झील। ये झीलें भी ठीक उसी प्रकार की हैं जैसी साँभर। इनमें से एक में सोडियम सल्फेट के बृहत् निक्षेप प्राप्त हुए हैं। झील के जल से पृथक होकर शुद्ध सोडियम सल्फेट का अवक्षेपण हो जाता है। कुछ वर्षों तक यह झील सोडियम सल्फेट का सस्ता स्रोत रही है।

नमक का तीसरा स्रोत समुद्र का खारा जल है। गुजरात प्रदेश के समुद्री तट के काठियावाड़ से दक्षिणी बंबई तक तथा मद्रास (चेन्नई) के तटवर्ती क्षेत्रों में तूतीकोरीन के सीप ज्वार के समय लवणजल का एकत्र कर नमक का उत्पादन किया जाता है। यह कार्य मानसून के पश्चात् प्रारंभ किया जाता है तथा मानसून आने से पहले ही समाप्त कर दिया जाता है। बड़ौदा से बंबई जानेवाली रेलवे लाइन पर दोनों ओर नमक के बड़े-बड़े ढेर दिखाई पड़ते हैं।

समुद्री जल से लवण बनाने की पश्चात् जो बिटर्न शेष रहता है उसमें मैग्नीशियम क्लोराइड बड़ी मात्रा में रहता है। लवण के कुछ कारखाने खराघोड़ा में इस आशय से स्थापित किए गए हैं कि इस बिटर्न से मैग्नीशियम क्लोराइड प्राप्त किया जाए जो विपुल मात्रा में सुगमता से मिल सकता है। इस स्रोत से नमक का उत्पादन बृहत् मात्रा में होता है और उत्पादन बहुत बढ़ाया जा सकता है। काठियावाड़ में ध्रांगध्रा, पोरबंदर तथा द्वारका के समीप क्षार के कारखाने प्रारंभ हो चुके हैं जो सॉल्वे (Salvay) की विधि द्वारा सोडियम कार्बोनेट का वाणिज्य स्तर पर उत्पादन करते हैं। चिल्का झील (उड़ीसा) भी लवणीय जल की झील है जो समुद्र से संबंधित है। यहाँ भी बृहत् स्तर पर नमक के उत्पादन का प्रयत्न किया जा रहा है।

बंगाल भी पर्याप्त मात्रा में नमक का उत्पादन करता है और यहाँ भी उत्पादन बढ़ाने का प्रयत्न किया जा रहा है, किंतु यहाँ नमक बनाने में एक बड़ी कठिनाई यह है कि यहाँ गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के गिरने से बंगाल की खाड़ी के जल में लवण का अंश पर्याप्त कम हो जाता है।

इन स्रोतों के अतिरिक्त कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ पर स्थलीय जल अत्यंत नमकीन होता है। प्राचीन समय में इस जल को वाष्पित कर नमक तैयार किया जाता था। राजस्थान में भरतपुर के समीप एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कुओं का जल नितांत लवणीय है। यह जलकुओं से चमड़े के पुरों द्वारा खींचा जाता है और वाष्पित कर नमक बनाने के काम आता है। वाणिज्य स्तर पर इस स्रोत से नमक प्राप्त करने की योजनाओं के विकास का पूर्ण प्रयत्न किया जा रहा है।

कुछ लघु स्रोत भी ऐसे हैं जिनसे नमक की प्राप्ति होती है, उदाहरणार्थ, बंबई के बुलडाना जिले की लूनर झील। यह 400 फुट गहरी है। वर्षा ऋतु में इसमें जल एकत्रित हो जाता है और वर्षा समाप्त होने पर शनै: शनै: वाष्पीकरण के पश्चात् यह झील नमक के अतिरिक्त सोडियम सल्फेट तथा सोडियम कार्बोनेट भी उत्पन्न करती है।

अभी हाल में ही हिमाचल प्रदेश में घ्रग नामक क्षेत्र में नमक के बड़े विशाल स्रोत मिले हैं जो बहुत लंबे समय तक नमक का उत्पादन करते रहेंगे। खाने के अतिरिक्त नमक के उपयोग बहुत बड़ी मात्रा में दाहक सोडा, क्लोरीन और सोडियम धातु के निर्माण तथा अन्य उद्योगों में होता है।

स्वास्थ्यपरक पहलू[संपादित करें]

आज दुनिया में नमक की दैनिक खुराक 10-12 ग्राम प्रतिव्यक्ति है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाव के अनुसार ये एक चाय के चम्मच यानि, 5-6 ग्राम होना चाहिए। हाल के साक्ष्य बताते हैं कि इसकी आहार मात्रा प्रति दिन 2-3 ग्राम ही होनी चाहिए।[5]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "EFSA provides advice on adverse effects of sodium". European Food Safety Authority. 22 June 2005. मूल से 4 August 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 June 2016.
  2. "WHO issues new guidance on dietary salt and potassium". WHO. 31 जनवरी 2013. मूल से 20 जुलाई 2016 को पुरालेखित.
  3. Delahaye, F. (2012). "Europe PMC". Presse Médicale. 41 (6 Pt 1): 644–649. PMID 22465720. डीओआइ:10.1016/j.lpm.2012.02.035. मूल से 7 June 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-06-07.
  4. Committee on the Consequences of Sodium Reduction in Populations; Food Nutrition, Board; Board on Population Health Public Health Practice; Institute Of, Medicine; Strom, B. L.; Yaktine, A. L.; Oria, M. (2013). Strom, Brian L.; Yaktine, Ann L.; Oria, Maria (संपा॰). Sodium intake in populations: assessment of evidence. Institute of Medicine of the National Academies. PMID 24851297. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-309-28295-6. डीओआइ:10.17226/18311. मूल से 19 अक्टूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्टूबर 2013.
  5. The Hindu, रविवार, 31 मई 2009, Magazine, Page 6 - A pinch will do, डॉ जी सेंगोत्तुवेलु

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • लवण(नमक) तथा ph नोट्स
  • बहुउपयोगी नमक

NaCl क्रिस्टल पीला क्यों दिखाई देता है?

Solution : सोडियम क्लोराइड का पीला रंग, उसके ऋणायनी स्थल पर उपस्थित अयुगलित इलेक्ट्रॉनों के कारण होता है। इन स्थलों को F-केंद्र कहते हैं। ये इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होने के लिए दृश्य प्रकाश से ऊर्जा का अवशोषण करते हैं जिससे क्रिस्टल पीला दिखाई देता है।

NaCl की क्रिस्टल संरचना क्या है?

(1) इनमें फलककेन्द्रित घनीय क्रिस्टल जालक होता है जिसमें Na' व Cl- आयन सभी दिशाओं में तीन अक्षा के समानान्तर एकान्तर क्रम में व्यवस्थित रहते हैं। (2) प्रत्येक क्लोराइड आयन छः सोडियम आयनों द्वारा घिरा रहता है। (3) NaCl की प्रत्येक इकाई कोशिका में 4 क्लोरीन व 4 सोडियम आयन व्यवस्थित हैं।

NaCl किसका रासायनिक सूत्र है?

NaCl