Mp में विधानसभा सीट कितनी है - mp mein vidhaanasabha seet kitanee hai

भोपाल: एमपी निकाय चुनाव (madhya pradesh urban body election result effect) के नतीजों ने बीजेपी और कांग्रेस को बड़ा संदेश दे दिया है। बीजेपी ने चार नगर निगमों को इस बार खो दिया है। इनमें सबसे अहम ग्वालियर और जबलपुर है जो सरकार और संगठन को सोचने पर मजबूर कर दिया है। वहीं, कांग्रेस बीजेपी के बड़े गढ़ में सेंधमारी कर 2023 की तैयारी में जुट गई है। चुनाव नतीजों कांग्रेस को बड़ा मैसेज यह दिया है कि उसके तीनों विधायक मेयर का चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस को तीन सीट दिलाने वाले तीनों मेयर साधारण कार्यकर्ता हैं। जानकार कहते हैं कि निकाय चुनाव के नतीजों का सीधा असर 2023 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। आइए आपको बताते हैं कि निकाय चुनाव के नतीजों का कितना असर किन सीटों पर दिखेगा।
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं। सत्ता पर काबिज होने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है। वहीं, कांग्रेस ने इस चुनाव में 114 सीटें हासिल की थीं, जिसके बाद निर्दलीय विधायकों की मदद से सत्ता पर काबिज हो गई थी। 2018 में सत्ता से सात कदम दूर रही बीजेपी को जबलपुर, भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में कई सीटिंग सीटों को गंवानी पड़ी थी। इस बार के निकाय चुनाव में बीजेपी ने दो बड़े नगर निगम जबलपुर और ग्वालियर को गवां दिया है।

चंबल में दिखेगा असर
ग्वालियर में 58 साल बाद निकाय चुनाव में बीजेपी ने मेयर का पद गवां दिया है। इसके संकेत 2018 के विधानसभा चुनाव में ही देखने को मिल गए थे, जब ग्वालियर जिले के आधे से अधिक सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था। चंबल इलाके में ग्वालियर सियासत की राजधानी है। बीजेपी के पास इस इलाके में दिग्गज नेताओं की फौज है। केंद्र से राज्य तक चंबल के दिग्गजों की टोली है। इसके बावजूद ग्वालियर नगर निगम चुनाव बीजेपी हार गई है। ग्वालियर जिले में छह विधानसभा सीट हैं। इनमें दो पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस है। शहर की तीन सीटों में से दो पर कांग्रेस है। एक पर बीजेपी के प्रद्युमन सिंह तोमर हैं, जो कांग्रेस से ही आए हैं।

अब कांग्रेस ने ग्वालियर नगर निगम पर भी कब्जा कर लिया है। कांग्रेस के लिए ग्वालियर में यह अच्छा संकेत हैं तो बीजेपी के लिए संभलने की चेतावनी है। एक साल बाद ही यहां विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में निकाय चुनाव के नतीजों का असर साफ तौर पर देखने को मिलेगा।

सागर में कांग्रेस की राह आसान नहीं

सागर जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा था। आठ में से छह सीटों पर जीत हासिल की है। निकाय चुनाव में मेयर पद पर कब्जा बरकरार रखा है। ऐसे में साफ है कि कांग्रेस के लिए के लिए आने वाले दिनों में यहां की राह आसान नहीं होगी।

सिंगरौली में बीजेपी और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
सिंगरौली जिले के तीनों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। इसके साथ ही नगर निगम पर भी बीजेपी का ही कब्जा था। इस बार के निकाय चुनाव में जनता ने खेला कर दिया है। सिंगरौली शहर की जनता ने आप की रानी अग्रवाल को वोट किया है। बीजेपी और कांग्रेस को यहां मुंह की खानी पड़ी है।

महाकौशल में बढ़ रही बीजेपी की चिंता
2018 के विधानसभा चुनाव में भी महाकौशल इलाके में कांग्रेस ने दमदार प्रदर्शन किया था। जबलपुर की आठ विधानसभा सीटों में से चार पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं, मेयर पद पर भी बीजेपी का कब्जा था। इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने जबलपुर नगर निगम पर कब्जा जमा लिया है। इसके साथ ही महाकौशल इलाके में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस बात का अंदाजा शायद बीजेपी को भी है, इसलिए बीते कुछ दिनों से इस इलाके पर ज्यादा जोर दिया है। अभी वाली स्थिति रही तो 2023 की राहें आसान नहीं होंगी।

कमलनाथ का गढ़ में बढ़ा दबादबा

छिंदवाड़ा को कमलनाथ का गढ़ कहा जाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका यहां लगा था। छिंदवाड़ा के सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इसके साथ ही लोकसभा सीट भी कांग्रेस के पास है। इस बार कांग्रेस ने छिंदवाड़ा नगर निगम पर भी कब्जा कर लिया है। अब बीजेपी की राहें छिंदवाड़ा में आसान नहीं है।

भोपाल में जलवा बरकरार

दरअसल, भोपाल में साथ विधानसभा सीटें हैं। 2018 में इनमें से कुछ सीटें बीजेपी को गंवानी पड़ी थी। अभी तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा और चार पर बीजेपी है। इस बार मेयर चुनाव में बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव पर भी इन नतीजों का सीधा असर देखने को मिलेगा।

खंडवा में खिला रहा कमल

शिव की नगरी खंडवा में एक बार फिर से बीजेपी का जलवा देखने को मिला है। खंडवा नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा है। 2018 के चुनाव में भी यहां पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली थी।

इंदौर में जबरदस्त जीत मिली
इंदौर निकाय चुनाव में इस बार बीजेपी को बंपर जीत मिली है। मेयर उम्मीदवार पुष्यमित्र भार्गव को एक लाख से अधिक वोटों से जीत मिली है। इंदौर जिले में नौ विधानसभा सीटे हैं। इनमें से तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। निकाय चुनाव में मिली जीत से बीजेपी काफी उत्साहित है।

गौरतलब है कि एमपी में अभी जिन निकायों के नतीजे आए हैं। उन सभी में करीब 100 से अधिक सीटें हैं। मेयर पद पर कांग्रेस तीन सीटें जीतने में सफल रही है लेकिन नगर पालिका चुनावों में ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाई है। ऐसे में इसका सीधा असर 2023 के विधानसभा चुनावों में देखने को मिलेगा।

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एक राज्य में कितने विधायक होते हैं?

(भारतीय संविधान का अनुच्छेद १५ (12 ). विधान सभा में 500 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं और 60 से कम नहीं होते हैं। सबसे बड़ी राज्य, उत्तर प्रदेश, की विधानसभा में 404 सदस्य हैं

भारत में विधानसभा सीट कितनी है 2022?

वर्ष 1967 के पश्चात् विधान सभा की कुल सदस्‍य संख्‍या 426 हो गई।

भारत में विधानसभा सीटों की संख्या कितनी है?

इस प्रकार विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 71 हो गयी।

वर्तमान में मध्यप्रदेश के विधानसभा उपाध्यक्ष कौन है 2022?

श्री श्‍याम सुंदर 'श्‍याम' इस विधान सभा के उपाध्‍यक्ष रहे।