माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था अपने शब्दों में लिखिए? - maatee vaalee ke paas apane achchhe ya bure bhaagy ke baare mein jyaada sochane ka samay kyon nahin tha apane shabdon mein likhie?

माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

पूरे टिहरी शहर को सिर्फ़ वही माटी देती आ रही थी। उसका घर शहर से दूर था जिस कारण वह प्रात:काल निकल जाती थी। वहाँ पूरा दिन माटीखान से माटी खोदती व शहर में विभिन्न स्थानों में फैले घरों तक माटी को पहुँचाती थी। माटी ढोते-ढोते उसे रात हो जाती थी। इसी कारण उसके पास समय नहीं था कि अपने अच्छे या बुरे भाग्य के विषय में सोच पाती अर्थात् उसके पास समय की कमी थी जो उसे सोचने का भी वक्त नहीं देती थी।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 A)

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अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

वहाँ पूरा दिन माटीखान से माटी खोदती व शहर में विभिन्न स्थानों में फैले घरों तक माटी को पहुँचाती थी। माटी ढोते-ढोते उसे रात हो जाती थी। इसी कारण उसके पास समय नहीं था कि अपने अच्छे या बुरे भाग्य के विषय में सोच पाती अर्थात् उसके पास समय की कमी थी जो उसे सोचने का भी वक्त नहीं देती थी।

माटी वाली कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?

'माटी वाली' कहानी के उद्देश्य: विस्थापन की समस्या को उजागर करना। पुनर्वास के दुःख को लोगों तक पहुँचाना। आर्थिक तंगी के प्रति जागरुकता पैदा करना।

माटी वाली का पति क्या करता था?

माटी वाली बुढ़िया का पति बीमार एवं असक्त था। वह बिस्तर पर लेटा रहता थामाटी वाली शहर से आते ही सबसे पहले अपने पति के भोजन की व्यवस्था कर उसकी सेवा में जुट जाती थी। उसकी पतिपरायणता अनुकरणीय थी।

माटी वाली अपने बुढे का अंतिम संस्कार क्यों नहीं कर सकी?

Answer: माटी वाली का घर (झोपडी) बाढ़ के कारण नष्ट हो चूका था । वह बेचारी सरकारी कार्यालाय के चक्कर काटती रही की कही उसे कुछ पैसे मिल जाए जिससे अपने पति का विधिपूर्वक अंतिम संस्कार कर सके परंतु सरकारी कार्यालय के लापरवाह होने के चलते वह अंतिम संस्कार करने में असक्षम थी ।।