लघु कथा लेखन क्या होता है? - laghu katha lekhan kya hota hai?

हिंदी साहित्य में वैसे तो अनगिनत लेखन विधाएं हैं। सभी तरह की लेखन विधाओं में आकर्षक कृतियाँ लिखी गयी हैं। आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए ऐसी ही एक लेखन विधा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेकर आये हैं जिसका नाम है “लघु कथा लेखन”। लघु कथा लेखन को लेखन की बाकी विधाओं से थोड़ा कठिन और जटिल माना जाता है क्योंकि सामान्यतः इसमें आपको कम शब्दों में ही अपनी पूरी बात कहनी होती है जिसकी वजह से विचारों की स्वतंत्रता में कहीं ना कहीं कमी आ जाती है।

स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के हिंदी के पाठ्यक्रम में लघु कथा लेखन एक प्रमुख इकाई के रूप में आता है। इसलिए आज की इस पोस्ट में हम लघु कथा लेखन के बारे में संपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। इसलिए पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

सामान्य अर्थ में कहा जाए तो लघु कथा लेखन का शाब्दिक अर्थ होता है छोटी कहानी लिखना। लघु का सामान्य अर्थ होता है छोटा और कथा का मतलब होता है कहानी। यानी आप एक ऐसी कहानी लिखते हैं जो आकार में छोटी हो लेकिन अपनी मूल भावना को बरकरार रखते हुए लेखक को अपनी बात स्वतन्त्रता से कहने की आजादी भी देता है।

लघु कथा लेखन मुख्यतः तब किया जाता है जब आप एक बहुत बड़े परिपेक्ष्य से केवल एक किस्सा लेकर उस को विस्तार से वर्णन करें। लघु कथा लेखन में उपन्यास की तरह लंबे चौड़े कथानक नहीं होते हैं बल्कि एक छोटी सी घटना को ही सुंदर तरीके से लिखने की कोशिश की जाती है।

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लघु कथा का अर्थ क्या है? (Laghu Katha Lekhan Meaning in Hindi) :

लघु कथा हमारे जीवन के किसी एक क्षण या घटना विशेष को ही दर्शाती है। लघु कथाएं सामान्यतया सोचने पर मजबूर कर देने वाली और बहुत ही संक्षिप्त होती हैं। जिनमें कथानक, पात्र और घटनाएं, पात्रों के बीच में होने वाले संवादों की संख्या बहुत ही कम होती है।

लघु कथा में कहानी के वर्णन का विस्तार ज़्यादा नहीं होता है और इसी वजह से लघु कथाएं पढ़ने में बहुत ही आकर्षक लगती हैं। लघुकथा लिखते समय शब्दों की सीमा अधिकतम 250 रखी जानी चाहिए जिससे कि एक आदर्श और रोचक लघु कथा का निर्माण किया जा सके। प्रश्न पत्र में अक्सर एक छोटी लघुकथा का निर्माण करने के लिए कहा जाता है या दी हुई लघुकथा का उचित शीर्षक देने के लिए भी कहा जाता है।

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लघु कथा कैसे लिखें? (How to Write Laghu Katha Lekhan in Hindi) :

  • लघु कथा लिखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है जिनका ध्यान रखकर और जिन्हें सीख कर हर कोई लघु कथा यानी छोटी कहानी लिखने में पारंगत हो सकते है। लघु कथा लिखने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है जिनमें से मुख्य है कथानक, उद्देश्य, भाषा, शैली, शिल्प और शीर्षक।
  • लघु कथा लिखते समय आपको सबसे पहले यह तय करना है कि आप कौन से वाकिये या कौनसी घटना को लेकर लघुकथा की रचना करने जा रहे हैं। हिंदी साहित्य में कई सारे लेखक लघुकथा की रचनाओं के लिए बौद्ध कथाओं और जातक कथाओं का आश्रय लेते हैं क्योंकि वह आकर में बहुत ही छोटी होने के साथ ही अपनी बात सटीकता से पढ़ने वाले तक पहुंचाने में बहुत ही सक्षम होती हैं।
  • लघु कथाऐं वास्तव में ही बहुत छोटी होती है इसलिए बेमतलब की बातों का समावेश ना करके केवल उन्हीं बातों को लिखना चाहिए जो कहानी को छोटा बनाए रखें साथ ही साथ पढ़ने में आनंद भी आए।
  • लघुकथा लिखने वाले को एक बात बहुत अच्छे से समझ लेना चाहिए कि उपन्यास, कहानी और लघु कथा तीनों ही लेखन के अलग-अलग क्षेत्र है। जिस तरीके से कहानी को उपन्यास का छोटा स्वरूप नहीं कहा जा सकता है उसी तरीके से लघु कथा को भी कहानी का छोटा स्वरूप नहीं कहा जाना चाहिए।

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लघुकथा लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • लिखना शुरू करने से पहले आप यह तय कर लें कि आप कौन सी घटना के ऊपर कहानी लिखने जा रहे हैं? आपके पास शब्दों की सीमा कम है लेकिन अपनी बात आकर्षक रूप से कहने की स्वतंत्रता भी।
  • लघु कथा पढ़ने वाला बहुत ही तीव्र गति से कहानी के अंत तक पहुंचता है इसलिए लिखने से पहले आपको ही तय करना होगा कि आप कहानी का सारांश क्या रखना चाहते हैं।
  • आपकी लघुकथा का शीर्षक आप की कहानी को स्पष्ट रूप से बताने वाला होना चाहिए जिससे कि शीर्षक पढ़कर नीचे लिखी गई कहानी के बारे में एक संक्षिप्त विवरण मिल जाए।
  • अपनी कहानी को बढ़ा चढ़ाकर लिखने की बजाए केवल मुख्य बिंदुओं पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें।
  • कहानी का कथानक स्पष्ट और संक्षिप्त रखने की कोशिश करें। कथानक का मतलब होता है कि आप की कहानी जिस घटना के ऊपर लिखी जा रही है उसका उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। अगर आप बारिश के ऊपर कहानी लिख रहे हैं तो आपकी कहानी में ध्यान रखें कि सर्दी या गर्मी के मौसम के बारे में वर्णन या तो बिल्कुल कम हो या ना के बराबर हो। अगर आप दिवाली पर लिख रहे हैं तो आपका कथानक सिर्फ दिवाली और दिवाली से जुड़ी हुई चीजों के ऊपर ही निर्भर होना चाहिए। कहने का अर्थ यह है कि अपना कथानक स्पष्ट रखे जिसकी वजह से उसकी आकर्षकता और भी बढ़ जाएगी।

लघु कथा लेखन उपसंहार (What is Laghu Katha Lekhan in Hindi) :

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हिंदी साहित्य में भाषा की बाकी लेखन विधियों की तरह ही लघु कथा लेखन भी एक बहुत ही व्यापक और कलात्मक शैली है। इसके नियमों को अच्छी तरह समझ कर और निरंतर प्रयत्न करते रहने से आप अवश्य ही लघुकथा लेखन में पारंगत हो जाएंगे क्योंकि कम शब्दों में पूरी बात कहना अपने आप में ही एक कला है और जो इस कला में पारंगत हो जाता है वह अपनी बात बहुत ही सुंदर तरीके से दूसरों को भी समझा पाने में भी सक्षम होता है। हमें आशा है कि हमारी यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही मददगार साबित हुई होगी।

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लघु कथा लेखन क्या है?

सामान्य अर्थ में कहा जाए तो लघु कथा लेखन का शाब्दिक अर्थ होता है छोटी कहानी लिखना। लघु का सामान्य अर्थ होता है छोटा और कथा का मतलब होता है कहानी। यानी आप एक ऐसी कहानी लिखते हैं जो आकार में छोटी हो लेकिन अपनी मूल भावना को बरकरार रखते हुए लेखक को अपनी बात स्वतन्त्रता से कहने की आजादी भी देता है।

लघुकथा लेखन के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या होता है?

किसी प्रसंग को न बहुत अधिक संक्षिप्त लिखना चाहिए, न अनावश्यक रूप से बहुत अधिक बढ़ाना चाहिए। (iii) कहानी का आरम्भ आकर्षक होना चाहिए ताकि कहानी पढ़ने वाले का मन उसे पढ़ने में लगा रहे। (iv) कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लम्बे वाक्य नहीं होनी चाहिए।

कहानी लेखन कैसे लिखते हैं?

कहानी लिखते समय किन बातों का ध्यान रखें.
कहानी का आरंभ आकर्षक होना चाहिए।.
कहानी की भाषा सरल, सरस और मुहावरेदार होनी चाहिए।.
कहानी की घटनाएँ ठीक क्रम से लिखी जानी चाहिए।.
कहानी के वाक्य छोटे तथा क्रमबद्ध होने चाहिए।.
कहानी का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए।.
कहानी शिक्षाप्रद होनी चाहिए।.

हिंदी की प्रथम लघुकथा कौन सी है?

हिंदी की पहली लघुकथा (कथा-कहानी) हाँ, बहुमत की बात करें तो अधिकतर का मत है कि माधवराव सप्रे की 'टोकरी भर मिट्टी' जोकि 'छत्तीसगढ़ मित्र' पत्रिका में 1901 में प्रकाशित हुई थी, पहली लघुकथा कही जा सकती है।