माता पिता के प्रति बच्चे अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? - maata pita ke prati bachche apane prem ko kaise abhivyakt karate hain?

विषयसूची

  • 1 बच्चे माता − पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?
  • 2 माता पिता को कष्ट देने से क्या होता है?
  • 3 माता पिता के साथ कैसे रहना चाहिए?
  • 4 बेटी का कर्तव्य क्या है?
  • 5 आप अपने घर के कौन कौन से कार्यों में सहायता करते हैं?
  • 6 आप घर के किन किन कामों में मदद करते हैं और कैसे कोई पांच?
  • 7 माता पिता अपने बच्चों के लिए क्या क्या करते हैं?
  • 8 एक अच्छी बेटी कैसे बने?

बच्चे माता − पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

Solution

  • वे अपने माता−पिता से हट द्वारा अपनी माँगे मनवाते हैं और मिल जाने पर उनको विभिन्न तरह से प्यार करते हैं।
  • माता−पिता के साथ नाना−प्रकार के खेल खेलकर।
  • माता−पिता को अपने रोज़मर्रा के खेल और बातों को बताकर।
  • माता−पिता की गोद में बैठकर या पीठ पर सवार होकर।
  • माता−पिता के साथ रहकर उनसे अपना प्यार व्यक्त करते हैं।

माता पिता को कष्ट देने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंजो व्यक्ति माता पिता को उदास किया, निराश किया, अपमान किया, अवहेलना किया, मारा पीटा, गाली-गलौज किया उसका साक्षात् इंद्र भी आकर भला नहीं कर सकते। ऐसा करने वाला नरक का भागी होता है।

5 आप अपने घर माता पिता का क्या सहयोग करते है?

इसे सुनेंरोकेंहम अपने माता-पिता के अनेक काम में मदद करते हैं जैसे कि भोजन पकाने में, घर की साफ सफाई करवाने में, बर्तन धोने में, कपड़ा धोने में,और अनेक प्रकार के कार्य जो संभव हो पाते हैं अपने माता-पिता के लिए करते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि माता पिता ही श्रेष्ठा होता है अतः हमें अपने माता पिता की खूब सेवा करनी चाहिए।

माता पिता के साथ कैसे रहना चाहिए?

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  • अनुशासन बच्चे हों या बड़े, जीवन में अनुशासन जरूरी है।
  • घर के कामों में मदद करना अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों को पूरा ध्यान पढ़ाई में हो, इसके लिए वह उन से किसी तरह का कोई काम भी करने को नहीं कहते।
  • घड़ी देखना
  • गलत और सही की पहचान

बेटी का कर्तव्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक बेटी के क्या कर्तव्य होते हैं? माता पिता की निस्वार्थ भाव से सेवा। उनकी भावनाओं की कद्र करना । कोई भी ऐसा कार्य नही करना जिससे कि माता पिता की इज्जत पे किसी प्रकार की आंच नही आये ।

पुत्र का कर्तव्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस चक्कर में तुमने अपने बेटे की पढ़ाई व अन्य संस्कारों के विकास पर ध्यान नहीं दिया। पिता का पुत्र के प्रति प्रथम कर्तव्य यही है कि वह उसे पहली पंक्ति में बैठने योग्य बना दे। बाकी तो सब कुछ वह अपनी योग्यता के बलबूते हासिल कर लेगा।

आप अपने घर के कौन कौन से कार्यों में सहायता करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअपने घर में मौजूद कमरों को साफ बनाए रखकर और उनके हाथ में मौजूद काम को लेने के मौके ढूंढकर, अपने पैरेंट्स की मदद करें। फिर चाहे आप अभी एक बच्चे ही क्यों न हों, आपके लिए भी ऐसे कई काम होते हैं, जिन्हें करके, आप अपने पैरेंट्स की मदद कर सकते हैं और अपने घर को साफ और स्वागत योग्य बना सकते हैं।

आप घर के किन किन कामों में मदद करते हैं और कैसे कोई पांच?

घर के कामो में मदद करने के लिए अपने परिवार को कैसे प्राप्त करें ।

  • मदद मांगने में संकोच न करे ।
  • चाल और रणनीतिया समझाए ।
  • कार्यों के लिए मोल भाव करने के लिए तैयार रहें ।
  • समजदारी से सफाई ।
  • सफाई और स्टैकिंग को सरल बनाएं ।
  • काम के हिस्से बाट लीजिये ।
  • आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता दें ।
  • उनके खुद के छोटे काम ।

पिता का क्या कर्तव्य है?

इसे सुनेंरोकेंपिता के कर्तव्य है की बच्चे के पैदा होने के दिने से ही उसका ध्यान रखे। जब वो मुस्कुरा रहा हो सिर्फ तभी नहीं , जब वो रो रहा हो तभी उसके साथ रहे। उसकी ज़रूरतों का ख्याल रखे। उसे सही गलत का फ़र्क़ समझाए ।

माता पिता अपने बच्चों के लिए क्या क्या करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमाता-पिता का नियंत्रण बच्चे के विकास के विभिन्न समयों में उचित हो सकता है – और विशेष रूप से माता-पिता अपने बच्चों को कार्यकारी कामकाज और आत्म-नियमन कौशल के विकास में मार्गदर्शन करते हैं।

एक अच्छी बेटी कैसे बने?

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  1. 2.1 1. अपने माता-पिता का सम्मान करें
  2. 2.2 2. अपने माता-पिता से बहस न करें
  3. 2.3 3. अपने माता-पिता को आहत न करें
  4. 2.4 4. अपने माता-पिता को खुश रखे
  5. 2.5 5. अपने जीवन में आगे बढ़ें
  6. 2.6 6. अपने माता-पिता की सलाह लें
  7. 2.7 7. अपना चरित्र साफ रखें
  8. 2.8 8. लोगों का आदर करें

माता पिता के कर्तव्य कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकें* बच्चे अपने माता पिता के व्यवहार को ही अनुसरण करते हैं इसलिए जरूरी है कि आप अच्छे व्यवहार करें। सबका सम्मान करें, ताकि वो भी लोगों का सम्मान कर सके। *जिस घर में माता पिता एक दूसरे से प्यार और सम्मान करते हैं उनके बच्चों को बहुत अच्छी परिवरिश मिलती हैं। *जरूरत पड़े तो बच्चों से प्यार के साथ सख्ती से भी पेश आयें।

प्रश्न 1-9. माता का अँचल शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।

उत्तर : लेखक ने इस कहानी का नाम माँ का आँचल उपयुक्त रखा है। इस कहानी में माँ के आँचल की सार्थकता को समझाने का प्रयास किया गया है। भोलानाथ को माता व पिता दोनों से बहुत प्रेम मिला है। उसका दिन पिता की छत्रछाया में ही शुरू होता है। पिता उसकी हर क्रीड़ा में सदैव साथ रहते हैं, विपदा होने पर उसकी रक्षा करते हैं। परन्तु जब वह साँप को देखकर डर जाता है तो वह पिता की छत्रछाया के स्थान पर माता की गोद में छिपकर ही प्रेम व शान्ति का अनुभव करता है। माता उसके भय से भयभीत है, उसके दु:ख से दुखी है, उसके आँसु से खिन्न है। वह अपने पुत्र की पीड़ा को देखकर अपनी सुधबुध खो देती है। वह बस इसी प्रयास में है कि वह अपने पुत्र की पीड़ा को समाप्त कर सके। माँ का यही प्रयास उसके बच्चे को आत्मीय सुख व प्रेम का अनुभव कराता है।
इसके लिए एक उपयुक्त शीषर्क और हो सकता था माँ की ममता क्योंकि कहानी में माँ का स्नेह ही प्रधान है।

प्रश्न 1-10. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

उत्तर : बच्चे माता−पिता के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति कई तरह से करते हैं: -
1. माता−पिता की गोद में बैठकर या पीठ पर सवार होकर।
2. माता−पिता के साथ विभिन्न प्रकार की बातें करके अपना प्यार व्यक्त करते हैं।
3. वे अपने माता−पिता से रो-धोकर या ज़िद करके कुछ माँगते हैं फिर बाद में अपना प्रेम अलग अलग तरीके से प्रकाशित करते हैं।
4. माता−पिता को कहानी सुनाने या कहीं घुमाने ले जाने की या अपने साथ खेलने को कहकर ।
5. माता−पिता को अपने दोस्तों के बारे में बताकर या किसी रिश्तेदार के बारे में पूछ्कर ।

प्रश्न 1-11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

उत्तर : यह कहानी उस समय की कहानी प्रस्तुत करती हैं जब बच्चों के पास खेलने के लिए अत्याधिक साधन नहीं होते थे। वे लोग अपने खेल प्रकृति से ही प्राप्त करते थे और उसी प्रकृति के साथ खेलते थे। उनके लिए मिट्टी, खेत, पानी, पेड़, मिट्टी के बर्तन आदि साधन थे।
परन्तु आज के बच्चों की दुनिया इन बच्चों से भिन्न है। आज के बच्चे टी.वी., कम्प्यूटर आदि में ही अपना समय व्यतीत करते हैं या फिर क्रिकेट, बेडमिन्टन, चाकॅलेट, पिज़ा आदि में ही अपना बचपन बिता देते हैं।