मेष राशि में कौन सा ग्रह नीच का होता है? - mesh raashi mein kaun sa grah neech ka hota hai?

अक्षर तालिका : अ, चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो।

राशि विशेषता : नेतृत्व, बुद्धि, पराक्रम और बल।


मेष (Aries) का स्थान मस्तक में होता है। इसके कारक ग्रह मंगल, सूर्य और गुरु माने गए हैं। अग्नि तत्व प्रधान मेष राशि का स्वामी मंगल है और इस राशि का पूर्व दिशा पर स्वामित्व है। भाग चर है और मेष लग्न की बाधक राशि कुंभ तथा बाधक ग्रह शनि है। लेकिन लाल किताब अनुसार शत्रु और मित्र ग्रहों का निर्णय कुंडली अनुसार ही होता है।

लाल किताब के अनुसार पहले भाव अर्थात् खाने में मेष राशि मानी गई है। मेष के मंगल का पक्का घर तीसरा और आठवाँ माना गया है। लाल किताब अनुसार मंगल नेक और मंगल बद होता है अर्थात् अच्छा और बुरा। कुंडली अनुसार मंगल के खराब या अच्छा होने की कई स्थितियाँ हैं। यदि आप मेष राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब अनुसार सलाह दी जा रही है।

मंगल बद : बद का अर्थ खराब या अशुभ। मंगल अशुभ होता है- माँस खाने से, भाइयों से झगड़ने से और क्रोध करने से। दूसरा यदि कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब अन्य ज्योतिष विद्या अनुसार मंगलिक दोष माना जाता है, लेकिन यहाँ मंगल का संबंध रक्त से माना गया है। रक्त या स्वभाव खराब है तो मंगल खराब की निशानी समझे।

मेष राशि के जातक का मंगल बद है तो मंगल से संबंधित बीमारियों में पेट के रोग, हैजा, पित्त, भगंदर, फोड़ा, नासूर और आमाशय से संबंधित समस्याएँ होने लगती हैं। मानसिक रोगों में अति क्रोध, विक्षिपता, चिढ़चिढ़ापन, तनाव, अनिंद्रा आदि।

सावधानी व उपाय : किसी से मुफ्त में कुछ लेंगे तो बरकत जाती रहेगी। भाई और पिता से झगड़ा न करें। अपने बच्चों को जन्मदिवस पर नमकीन वस्तुएँ बाँटें। मेहमानों को मिठाई जरूर खिलाएँ। विधवाओं की निस्वार्थ मदद करें। हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करें और उनसे आशीर्वाद लेते रहें। कभी-कभी गुलाबी या लाल चादर पर सोएँ। आँत और दाँत साफ रखें।

हनुमानजी की भक्ति करें। मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सुरमा आँखों में डालना चाहिए। गुड़ खाना चाहिए। भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए। क्रोध न करें।

भचक्र में 12 राशियां है. ये 12 राशि अपने गुण, विशेषताओं, प्रकृ्ति और स्वभाव के अनुसार व्यक्ति को प्रभावित करती है. व्यक्ति का स्वभाव और व्यक्ति की प्रकृ्र्ति उसकी जन्म राशि और लग्न राशि दोनों के अनुसार होता है. व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटनाएं, उसकी कुण्डली में बन रहे योग, दशा और गोचर के अनुसार प्राप्त होता है. आईये मेष राशि से परिचय करते है. 

मेष राशि का स्वामी कौन है.। Who is the Lord of the Aries sign

मेष राशि का स्वामी मंगल है.

मेष राशि का चिन्ह क्या है.। What is the Symbol of the Aries sign

मेष राशि का चिन्ह भेडा है. 

मेष राशि के लिए कौन से ग्रह शुभ फल देते है.। Which Auspicious planets give a good result for the Aries sign

मेष राशि के लिए सूर्य, मंगल व गुरु सदैव शुभ फल देने वाले ग्रह है.

मेष राशि के लिए कौन से ग्रह अशुभ फल देते है.। Which planets give bad results for the Aries sign

मेष राशि के लिए शुक्र, बुध व शनि अशुभ फल देते है.

मेष राशि के लिए कौन से ग्रह सम फल देते है.। Which planets give neutral results for the Aries sign

कोई ग्रह मेष राशि के लिए सम फल देने वाला नहीं होता है. 

मेष राशि के लिए कौन सा ग्रह मारक ग्रह होता है.। Which  are the Marak planets for the Aries sign 

मेष राशि के लिए शुक्र ग्रह द्वितीयेश और सप्तमेश होने के कारण मारक होता है.

मेष राशि के लिए बाधक स्थान कौन सा होता है.। Which is the Badhak Bhava for the Aries sign 

मेष राशि के लिए एकादश भाव बाधक स्थान होता है.

मेष राशि के लिए बाधकाधिपति ग्रह कौन सा होता है. | Which planet is Badhkesh for the Aries sign

इस राशि के लिए शनि एकादश भाव के स्वामी होकर बाधकेश होते है. 

मेष राशि में कौन सा ग्रह उच्च का होता है, और कितने अंश पर वह उच्च का होता है. | Which planet is exalted for the Aries sign  

सूर्य मेष राशि में 10 अंश पर उच्च के होते है. 

मेष राशि के कौन सा ग्रह नीच का होता है. | Which Planet of the Aries sign is placed in debilitated position

मेष राशि में शनि 20 अंश पर होने पर नीच राशि अंशों पर होते है.

मेष राशि का भाग्यशाली इत्र कौन सा है. | Which fragrance is auspicious for the Aries sign 

ड्रैगन ब्लड इत्र मेष राशि के लिए शुभ इत्र है.| Dragon blood  fragrance is auspicious for the Aries sign

मेष राशि के लिए कौन से दिन भाग्यशाली होते है. | Which are the lucky days for the Aries Sign.

मेष राशि के लिए मंगलवार, शनिवार, शुक्रवार दिन शुभ होते है.

मेष राशि के लिए कौन से रत्न शुभ है.| Which are the lucky stones for the Aries sign

मेष राशि के लिए मूंगा, माणिक, मोती, और रक्तमणि शुभ रत्न सिद्ध होते है. 

मेष राशि के लिए कौन से रंग भाग्यशाली सिद्ध होते है. | What are the lucky colours for the Aries people  

मेष राशि के लिए लाल, पीला, तांबा रंग शुभ होते है. तथा काला रंग धारण करने से बचना चाहिए.

मेष राशि के व्यक्तियों को किस दिन का व्रत विशेष रुप से करना चाहिए. | On which day should

ज्योतिषशास्त्र में 9 ग्रह बताए गए हैं। मनुष्यों की तरह ग्रहों के बीच भी मित्रता, शत्रुता और समभाव रहता है। जैसे मनुष्य किसी स्थान पर जाकर अति प्रसन्न हो जाता हैं कहीं जाकर उदार उसी प्रकार ग्रहों की भी विशेष स्थिति होती है। इसी अनुसार ग्रहों की उच्च और नीच स्थिति का वर्णन ज्योतिषशास्त्र में किया गया है। इस समय शुक्र तमाम राशियों में भ्रमण करके राशिचक्र की अंतिम राशि मीन में पहुंचे हैं। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि मीन राशि के स्वामी गुरु के साथ शुक्र का शत्रु भाव है लेकिन गुरु की राशि मीन में पहुंचकर शुक्र उच्च राशि के हो जाते हैं।

कोई भी ग्रह जब उच्च के होते हैं तो उनके शुभ फलों को देने की क्षमता बढ़ जाती है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार मनुष्य को उच्च और नीच अवस्था में ग्रह अपना शुभाशुभ फल देते हैं। आइए जानें ग्रहों की उच्च नीच दशा क्या होती है और कैसे ग्रह उच्च और नीच के हो जाते हैं।

ग्रहों की उच्च अवस्था और उच्च राशि

  • सूर्य मेष राशि में उच्च के होते हैं। जब मेष राशि में सूर्य अश्विनी नक्षत्र में 10 डिग्री पर होते हैं तो यह परम उच्च कहलाते हैं।
  • चंद्रमा वृष राशि में उच्च के होते हैं। कृतिका नक्षत्र में जब चंद्रमा 3 डिग्री पर आते हैं तब यह परम उच्च के फल देने लगते हैं।
  • मंगल मकर राशि में उच्च के होते हैं। यहां मंगल धनिष्ठा नक्षत्र में 28 डिग्री पर आने पर पूर्ण उच्च के हो जाते हैं।
  • बुध कन्या राशि में उच्च के होते हैं। अपनी राशि कन्या में बुध जब हस्त नक्षत्र में 15 डिग्री पर होते हैं तो परम उच्च कहलाते हैं।
  • गुरु कर्क राशि में उच्च के होते हैं। चंद्रमा की राशि कर्क में पुष्य नक्षत्र में 5 डिग्री पर आने से गुरु परम उच्च हो जाते हैं।
  • शुक्र मीन राशि में उच्च के होते हैं। रेवती नक्षत्र में जब यहां शुक्र 27 डिग्री पर होते हैं तो यह परम उच्च के हो जाते हैं।
  • शनि तुला राशि में उच्च के होते हैं। तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में 20 डिग्री पर आने पर शनि महाराज उच्च स्थिति में आ जाते हैं।

नोट : राहु और केतु छाया ग्रह हैं और इनको उच्च नीच में नहीं गिना जाता है। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि राहु जब वृष में और मिथुन में होते हैं तो उच्च के होकर शुभ फल देते हैं। जबकि केतु वृश्चिक और धनु में उच्च के फल प्रदान करते हैं।

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ग्रहों की नीच अवस्था और नीच राशि
ग्रहों की नीच अवस्था को समझने का सबसे सरल तरीका यह है कि जिस राशि जो ग्रह उच्च के होते हैं उससे ठीक सातवीं राशि में वह ग्रह नीच के हो जाते हैं। ऐसी अवस्था में वह ग्रह कमजोर हो जाते हैं और शुभ फल नहीं दे पाते हैं।

  • सूर्य तुला राशि में नीच के होते हैं। तुला राशि में 10 डिग्री पर सूर्य परम नीच हो जाते हैं।
  • चंद्रमा वृश्चिक राशि में नीच के होते हैं। वृश्चिक में 3 डिग्री पर यह परम नीच हो जाते हैं।
  • मंगल कर्क राशि में नीच के होते हैं। यहां 28 डिग्री पर आने पर मंगल का परम नीच कहलाते हैं।
  • बुध मीन राशि में नीच के होते हैं। मीन राशि में 15 डिग्री पर बुध पूर्ण नीच हो जाते हैं।
  • गुरु मकर राशि में नीच के होते हैं। मकर राशि में 5 डिग्री पर जब गुरु आते हैं तो यह परम नीच हो जाते हैं।
  • शुक्र कन्या राशि में नीच हो जाते हैं। यहां 27 डिग्री पर आ जाने पर शुक्र परम नीच कहलाते हैं।
  • शनि मेष राशि में आकर नीच हो जाते हैं। यहां 20 डिग्री पर मौजूद शनि परम नीच हो जाते हैं।

नोट : राहु वृश्चिक और धनु में आने पर नीच के माने जाते हैं जबकि केतु वृष और मिथुन में नीच कहलाते हैं।

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पं. राकेश झा

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मेष राशि पर कौन सा ग्रह खराब है?

मेष लग्न की बाधक राशि कुंभ तथा बाधक ग्रह शनि है।

मेष राशि का शत्रु कौन सा ग्रह है?

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मेष राशि के ऊपर कौन सा ग्रह भारी चल रहा है?

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मेष राशि की कमजोरियां क्या है?

मेष राशि का जातक स्वयं को अधिक विज्ञ समझता है, पर धर्म एवं व्यक्तिगत क्षमताओं के प्रति शंकालु रहता है। अपने गुप्त भेदों के प्रकट हो जाने का डर उसे हर समय सताता रहता है। इन्हें क्रोध शीघ्र ही आ जाता है तथा अपमान सहन नहीं कर सकते हैं। घर में किसी एक व्यक्ति से खटपट अवश्य चला करती है।