उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कौन है? - uttar pradesh pradooshan niyantran bord ke adhyaksh kaun hai?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वरिष्ठ नौकरशाहों के पद और विभागों में बदलाव किया है। एसपी सिंह परिहार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह मध्य प्रदेश कैडर के 1986 बैच के आइएएस अधिकारी हैं।

इसके अलावा बिपिन बिहारी मल्लिक को गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बनाया गया है। वह बीके प्रसाद का स्थान लेंगे जो 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मल्लिक महाराष्ट्र कैडर के 1986 बैच के आइएएस अधिकारी हैं।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय में संयुक्त सचिव बलविंदर सिंह भुल्लर को पदोन्नति देकर मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बनाया गया। वह उत्तर प्रदेश कैडर के 1986 बैच आइएएस अधिकारी हैं।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) अनिल कुमार काचि को वित्तीय सेवा विभाग में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया गया है।

उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा को पदोन्नति देकर अतिरिक्त सचिव स्तर का पद दिया गया। गजेंद्र भुजबल को उर्वरक विभाग में अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार बनाया गया। वह 1981 बैच के आइईएस अधिकारी हैं। इंदर जीत सिंह को नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया गया।

1986 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के आइएएस अधिकारी सुरेश कुमार को पदोन्नति देकर रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बनाया गया। जबकि वीणा इश को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) में बतौर सदस्य (प्रशासन) नियुक्त किया गया।

नेशनल डिफेंस कॉलेज के सीनियर डायरेक्टिंग स्टाफ अभय त्रिपाठी के पद को संयुक्त सचिव से पदोन्नत कर अतिरिक्त सचिव के स्तर का बनाया गया।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक वैधानिक संगठन है जिसे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अधिकार क्षेत्र में पर्यावरण कानूनों और नियमों को लागू करने के लिए सौंपा गया है एवं जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत गठित किया गया था।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने 28 क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से पूरे राज्य में टी0सी0-12 वी0, विभूति खंड, गोमती नगर, लखनऊ (भारत) में अपने प्रधान कार्यालय के माध्यम से कार्य करता है।

कर्तव्य

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 उपकर अधिनियम 1977, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत प्रदत्त कर्तव्यों का पालन करते हुए किए जा रहे प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैंः-

  • जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत प्रदत्त कर्तव्यों का अनुपालन।
  • पर्यावरण के दृष्टिकोण से साइट की पर्याप्तता सहित पर्यावरण प्रदूषण की दृष्टि से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना।
  • जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25/26 के प्रावधानों के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं सहमति पत्र जारी करना।
  • वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा-21 के प्रावधानों के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं सहमति पत्र जारी करना।
  • औद्योगिक और नगरपालिका के प्रदूषण स्रोतों की पहचान और मूल्यांकन और उनका नियंत्रण।
  • परिवेशी वायु गुणवत्ता का आकलन।
  • सतही जल की गुणवत्ता का आकलन।
  • जन जागरूकता कार्यक्रम।
  • बहिःस्राव और उत्सर्जन मानकों की अधिसूचना।
  • प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों का विकास।
  • अधिनियमों का अनुपालन न करने वाले उद्योग/व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना।
  • खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 1989 के तहत प्राधिकार जारी करना।
  • खतरनाक रसायनों के निर्माण, भंडारण और आयात नियम, 1989 के तहत पृथक भंडारण, ऑनसाइट संकट प्रबंधन योजनाओं आदि की पहचान।
  • बायोमेडिकल वेस्ट नियम, 2016 का कार्यान्वयन।

संपर्क सूत्र

कार्यालय: उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आवास विकास परिषद कॉलोनी, सेक्टर-10, स्कीम सं0 – 3, झुंसी, प्रयागराज

उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री और भाजपा प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर एमएलसी पद का नामांकन भरने के बाद ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष पद न छोड़ने के तमाम सवालों पर लगाम लगा दिया. उन्होंने कहा कि मंत्री बनने से पहले ही उन्होंने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री और भाजपा प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर गुरुवार को एमएलसी पद का नामांकन भरने विधान भवन पहुंचे. नामांकन के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान जेपीएस राठौर ने कहा कि लाभ का पद होने की वजह से मंत्री बनने से पहले ही उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा सभी जगह भाजपा का पूर्ण बहुमत है. इससे निश्चित ही हम बड़े फैसले करने में सक्षम होंगे.

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने भाजपा एमएलसी प्रत्याशी जेपीएस राठौर ने कहा कि आज बहुत खुशी का दिन है और हमारी कोशिश रहेगी कि हम जनकल्याण के काम लगातार करते रहें. जिससे प्रदेश में सबसे अंतिम व्यक्ति को भी इस बात का अहसास हो कि भाजपा सरकार जनकल्याण में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद सभी जगह बीजेपी का पूर्ण बहुमत है. यह पहला मौका है जब सभी जगह भाजपा को एकाधिकार प्राप्त हो रहा है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मंत्री जेपीएस राठौर

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जेपीएस राठौर ने कहा कि इस मौके का फायदा हम जनकल्याण के लिए उठाएंगे. जनता को अधिक से अधिक लाभ की योजनाएं देने के लिए इस बहुमत का इस्तेमाल होगा. निश्चित तौर पर यह बहुत खुशी का मौका है. बता दें कि एमएलसी चुनाव में जेपीएस राठौर उन मंत्रियों में शामिल हैं जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. इससे पहले जेपीएस राठौर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष थे. इसको लेकर सवाल उठाया जा रहा था कि मंत्री होने के बावजूद उन्होंने यह पद नहीं छोड़ा है. इस सवाल पर जेपीएस राठौर ने कहा कि ऐसा नहीं है. जब वो मंत्री बने थे, तभी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट को देखते हुए उन्होंने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष का पद से इस्तीफा दे दिया था.

वर्तमान में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन कौन है?

अध्यक्ष श्री तन्मय कुमार, भा.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?

इसके अलावा, सीपीसीबी को वायु प्रदूषण और नियंत्रण अधिनियम, 1981 के तहत शक्तियों और कार्यों के साथ सौंपा गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल अपने अध्यक्ष के नेतृत्व में है; यह अध्यक्षता, केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त की गई थी। यह पूरा मंडल केंद्र सरकार के अधीन आता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना कब की गई थी?

भारत के केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अन्तर्गत सितम्बर, 1974 में किया गया था।

प्रदूषण मंत्री कौन है?

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस मौके पर तीन महत्वूपर्ण बिंदुओं को रेखांकित किया, जिनका आज हमारा देश सामना कर रहा है - जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण और संवहनीयता तथा चीजों के हमारी आर्थिक पहुंच में होने के बीच संपर्क।