मौर्य वंश का इतिहास : अाज के इस टापिक मे हम यह Clear करेगे की प्रतियोगी परीक्षाओ मे इस टापिक से किस प्रकार से प्रश्न पूछे जाते है। और कहॉ कहॉ के प्रश्नो से Paper Maurya Vansh Question उठाए जाते है। ध्यान पूर्वक उपलब्ध जानकारी को पढे तथा नीचे दिए गए Notes को डाउनलोड करे जिससे आगामी परीक्षाओ मे उचित अंक अर्जित किया जा सके। Show Maurya Vansh मौर्य वंशमौर्य राजवंश प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने 137 वर्ष भारत में राज किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री आचार्य चाणक्य को दिया जाता है, जिन्होंने नंदवंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों से शुरू हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (अब का पटना) थी। मोर्य साम्राज्य 52 लाख वर्गकिलोमीटर तक फैला था।
मौर्य वंश की स्थापना325 ईसापूर्व में उत्तर पश्चिमी भारत (आज के पाकिस्तान का लगभग सम्पूर्ण इलाका) सिकन्दर के क्षत्रपों का शासन था। जब सिकन्दर पंजाब पर चढ़ाई कर रहा था तो एक ब्राह्मण जिसका नाम चाणक्य था (कौटिल्य नाम से भी जाना गया तथा वास्तविक नाम विष्णुगुप्त) मगध को साम्राज्य विस्तार के लिए प्रोत्साहित करने आया। उस समय मगध अच्छा खासा शक्तिशाली था तथा उसके पड़ोसी राज्यों की आंखों का काँटा। पर तत्कालीन मगध के सम्राट घनानन्द ने उसको ठुकरा दिया। उसने कहा कि तुम एक पंडित हो और अपनी चोटी का ही ध्यान रखो “युद्ध करना राजा का काम है तुम पंडित हो सिर्फ पंडिताई करो” तभी से चाणक्य ने प्रतिज्ञा लिया की धनानंद को सबक सिखा के रहेगा।
इसके बाद भारत भर में जासूसों (गुप्तचर) का एक जाल सा बिछा दिया गया जिससे राजा के खिलाफ गद्दारी इत्यादि की गुप्त सूचना एकत्र करने में किया जाता था – यह भारत में शायद अभूतपूर्व था। एक बार ऐसा हो जाने के बाद उसने चन्द्रगुप्त को यूनानी क्षत्रपों को मार भगाने के लिए तैयार किया। इस कार्य में उसे गुप्तचरों के विस्तृत जाल से मदद मिली। मगध के आक्रमण में चाणक्य ने मगध में गृहयुद्ध को उकसाया। उसके गुप्तचरों ने नन्द के अधिकारियों को रिश्वत देकर उन्हे अपने पक्ष में कर लिया। इसके बाद नन्द शासक ने अपना पद छोड़ दिया और चाणक्य को विजयश्री प्राप्त हुई। नन्द को निर्वासित जीवन जीना पड़ा जिसके बाद उसका क्या हुआ ये अज्ञात है। चन्द्रगुप्त मौर्य ने जनता का विश्वास भी जीता और इसके साथ उसको सत्ता का अधिकार भी मिला। मौर्य वंश का पतनअशोक के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले। इस वंश का अंतिम राजा बृहद्रथ मौर्य था। 185 ई.पू. में उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उसकी हत्या कर डाली और शुंग वंश नाम का एक नया राजवंश आरंभ हुआ। मौर्य वंश की सैन्य व्यवस्थाभारत में सर्वप्रथम मौर्य वंश के शासनकाल में ही राष्ट्रीय राजनीतिक एकता स्थापित हुइ थी। मौर्य प्रशासन में सत्ता का सुदृढ़ केन्द्रीयकरण था परन्तु राजा निरंकुश नहीं होता था। मौर्य काल में गणतन्त्र का ह्रास हुआ और राजतन्त्रात्मक व्यवस्था सुदृढ़ हुई। कौटिल्य ने राज्य सप्तांक सिद्धान्त निर्दिष्ट किया था, जिनके आधार पर मौर्य प्रशासन और उसकी गृह तथा विदेश नीति संचालित होती थी – राजा, अमात्य जनपद, दुर्ग, कोष, सेना और, मित्र।
सैन्य व्यवस्था छः समितियों में विभक्त सैन्य विभाग द्वारा निर्दिष्ट थी। प्रत्येक समिति में पाँच सैन्य विशेषज्ञ होते थे। पैदल सेना, अश्व सेना, गज सेना, रथ सेना तथा नौ सेना की व्यवस्था थी। सैनिक प्रबन्ध का सर्वोच्च अधिकारी अन्तपाल कहलाता था। यह सीमान्त क्षेत्रों का भी व्यवस्थापक होता था। मेगस्थनीज के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना 6 लाख पैदल, 50 हजार अश्वारोही, 9 हजार हाथी तथा 8 सौ रथों से सुसज्जित अजेय सैनिक थे। मौर्य वंश की प्रशासनमौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) थी। इसके अतिरिक्त साम्राज्य को प्रशासन के लिए चार और प्रांतों में बांटा गया था। पूर्वी भाग की राजधानी तौसाली थी तो दक्षिणी भाग की सुवर्णगिरि। इसी प्रकार उत्तरी तथा पश्चिमी भाग की राजधानी क्रमशः तक्षशिला तथा उज्जैन (उज्जयिनी) थी। इसके अतिरिक्त समापा, इशिला तथा कौशाम्बी भी महत्वपूर्ण नगर थे। राज्य के प्रांतपालों कुमार होते थे जो स्थानीय प्रांतों के शासक थे। कुमार की मदद के लिए हर प्रांत में एक मंत्रीपरिषद तथा महामात्य होते थे। प्रांत आगे जिलों में बंटे होते थे। प्रत्येक जिला गाँव के समूहों में बंटा होता था। प्रदेशिकजिला प्रशासन का प्रधान होता था। रज्जुक जमीन को मापने का काम करता था। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव थी जिसका प्रधान ग्रामिक कहलाता था।
मोर्य शासक कौन कौन थेक्र.सं.शासकशासन काल1चन्द्रगुप्त मौर्य322 ईसा पूर्व- 298 ईसा पूर्व2बिन्दुसार298 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व3अशोक273 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व4दशरथ मौर्य232 ईसा पूर्व- 224 ईसा पूर्व5सम्प्रति224 ईसा पूर्व- 215 ईसा पूर्व6शालिसुक215 ईसा पूर्व- 202 ईसा पूर्व7देववर्मन202 ईसा पूर्व -195 ईसा पूर्व8शतधन्वन मौर्य195 ईसा पूर्व 187 ईसा पूर्व9बृहद्रथ मौर्य187 ईसा पूर्व- 185 ईसा पूर्वमौर्य शासकों का इतिहासचंद्रगुप्त मौर्य10 हजार महीना कमाए Click Here चंद्रगुप्त मौर्य (राज: 323-298 ईसा पूर्व) प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य के पहले संस्थापक थे। वे ऐसे शासक थे जिन्होंने पुरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफल रहे। उनका साम्राज्य पूर्व में बंगाल से अफगानिस्तान और बलोचिस्तान तक और पश्चिम के पकिस्तान से हिमालय और कश्मीर के उत्तरी भाग में फैला हुआ था। और साथ ही दक्षिण में प्लैटॉ तक विस्तृत था। भारतीय इतिहास में चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल को सबसे विशाल शासन माना जाता है।बिन्दुसारचन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य के अगले शासक हुवे। इतिहास में प्रसिद्ध शासक सम्राट अशोक बिन्दुसार के ही पुत्र थे। उन्होंने लगभग 25 सालो तक शासन किया। सम्राट अशोकसम्राट अशोक भारत के महान शक्तिशाली समृद्ध सम्राटो में से एक थे। वे मौर्य साम्रज्य के शासक बिन्दुसार के पुत्र थे। उन्होंने लगभग 41 सालो तक शासन किया। अशोक मौर्य जो साधारणतः अशोका और अशोका – एक महान के नाम से जाने जाते है।
दशरथ मौर्यसम्राट अशोका के पोते दशरथ मौर्य उस साम्राज्य के 5 वे शासक थे। दशरथ शाही शिलालेख जारी करने के लिए मौर्य राजवंश के अंतिम शासक थे- इस प्रकार अंतिम मौर्य सम्राट को शिलालेख के सूत्रों से जाना जाता है। उन्होंने लगभग 8 सालो तक शासन किया। दशरथ 224 ईसा पूर्व में मृत्यु हो गयी और उसके बाद उनके चचेरे भाई संप्रति ने इसका उत्तराधिकारी बना लिया। सम्प्रतिसम्प्रति मौर्य वंश के एक सम्राट थे। वह अशोका के अंधे पुत्र कुणाल के पुत्र थे, और अपने चचेरे भाई दशरथ के बाद मौर्य साम्राज्य के सम्राट के रूप में सफल हुए थे। उन्होंने 9 वर्ष तक शासन किया । शालिसुकशालीशूका मौर्य भारतीय मौर्या वंश का शासक था। उन्होंने 215-202 ईसा पूर्व से लगभग 13 सालों तक शासन किया। वह सम्प्रति मौर्य के उत्तराधिकारी थे। देववर्मनदेववर्मन 202-195 ईसा पूर्व शासन करने वाला मौर्य साम्राज्य का सम्राट थे। पुराणों के अनुसार, वह शालिशुक मौर्य के उत्तराधिकारी थे और उन्होंने सात साल तक राज्य किया। शतधन्वन् मौर्यशतधन्वन् मौर्य मौर्य साम्राज्य के देववर्मन मौर्य के उत्तराधिकारी थे और वे आठ वर्षों तक राज्य करते रहे। अपने समय के दौरान, आक्रमणों के कारण उन्होंने अपने साम्राज्य के कुछ प्रदेशों को खो दिया। बृहद्रथ मौर्यबृहधृत मौर्य मौर्य साम्राज्य के अंतिम शासक थे। 187-185 ईसा पूर्व तक उन्होनें शासन किया। उन्हें उनकें ही एक मंत्री पुष्यमित्र शुंग ने मार दिया था। जिसने शंग साम्राज्य स्थापित किया। मौर्य वंश के प्रथम शासक कौन था?चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विस्तार किया। उसने कई छोटे-छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। 316 ईसा पूर्व तक मौर्यवंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था।
मौर्य वंश के अंतिम शासक कौन था?शतधन्वन का पुत्र बृहद्रथ मौर्य साम्राज्य का अन्तिम शासक था। उसका शासन १८७ ईसापूर्व से १८० ईसापूर्व तक था।
मौर्य वंश का शासक कौन था?मोर्य शासक कौन कौन थे. मौर्य वंश का तीसरा शासक कौन था?अशोक तीसरा और मौर्य शासकों में सबसे महान था। अशोक को अशोकवर्धन कहा जाता है । कुणाल सम्राट अशोक और रानी पद्मावती के बेटे और अशोक के लिए मान्य उत्तराधिकारी थे।
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