महामारी के विषम ज्वर का सुखिया पर क्या प्रभाव दिखाई दिया? - mahaamaaree ke visham jvar ka sukhiya par kya prabhaav dikhaee diya?

महामारी से सुखिया पर क्या प्रभाव पड़ा? इससे उसके पिता की दशा कैसी हो गई?

महामारी की चपेट में आने से सुखिया को बुखार हो आया। उसका शरीर तेज़ बुखार से तपने लगा। तेज बुखार के कारण वह बहुत बेचैन हो रही थी। इस बेचैनी में उसका उछलना-कूदना न जाने कहाँ खो गया। वह भयभीत हो गई और देवी के प्रसाद का एक फूल पाने में अपना कल्याण समझने लगी। उसके बोलने की शक्ति कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे उसके अंग शक्तिहीन हो गए। उसकी यह दशा देखकर सुखिया का पिता चिंतित हो उठा। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। सुखिया के पास चिंतातुर बैठे हुए उसे यह भी पता नहीं चल सका कि कब सूर्य उगा, कब दोपहर बीतकर शाम हो गई।

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 एक फूल की चाह.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है-

महामारी के विषम ज्वर का सुखिया पर क्या प्रभाव दिखाई दिया? - mahaamaaree ke visham jvar ka sukhiya par kya prabhaav dikhaee diya?

(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?
(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?
(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?
(ङ) इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(च) इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/बिंबों को छाँटकर लिखिए
उदाहरणः अंधकार की छाया
महामारी के विषम ज्वर का सुखिया पर क्या प्रभाव दिखाई दिया? - mahaamaaree ke visham jvar ka sukhiya par kya prabhaav dikhaee diya?

उत्तर
(i) नहीं खेलना रुकता उसका
नहीं ठहरती वह पल-भर ।
मेरा हृदय काँप उठता था।
बाहर गई निहार उसे।

(ii) ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर
मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;
स्वर्ण-कलश सरसिज विहसित थे
पाकर समुदित रवि-कर-जाल।

(iii) भूल गया उसका लेना झट
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा, बेटी को माँ के ये .
पुण्य-पुष्प दें जाकर मैं।

(iv) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर
छाती धधक उठी मेरी,
हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
हुई राख की थी ढेरी!
अंतिम बार गोद में बेटी,
तुझको ले न सका मैं हो!
एक फूल माँ का प्रसाद भी
तुझको दे न सका मैं हा!

(ख) एक बच्ची थी सुखिया। उसे महामारी ने चपेट में ले लिया था। एक दिन उसे तेज़ ज्वर ने जकड़ लिया। ज्वर की तीव्रता के कारण वह बेहोशी की हालत में चली गई। उसी अवस्था में वह अपने पिता से बोली, “मुझे माता के चरणों का एक फूल लाकर दे दो। यही उसकी अंतिम इच्छा थी।

(ग) सुखिया का पिता अछूत वर्ग का व्यक्ति था। मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर उसका जाना निषेध था। अछूतों के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता था। अछूत होकर भी सुखिया का पिता मंदिर में देवी का प्रसाद रूपी फूल लाने चला गया। लोगों के अनुसार उसने देवी माँ की पवित्रता नष्ट कर दी। एक प्रकार से यह देवी माँ का घोर अपमान था इसलिए न्यायालय ने देवी माँ का अपमान करने के आरोप में उसे सात दिन का कारावास दे दिया।

(घ) जेल से छूटने के बाद उसने अपनी बच्ची को घर में नहीं पाया। लोगों के बताने के अनुसार वह श्मशान भागते हुए गया पर वहाँ उसके सगे-संबंधी पहले ही उस मृतक सुखिया का दाह-संस्कार कर चुके थे। वहाँ सुखिया की चिता बुझी पड़ी थी। उसकी फूल-सी कोमल बच्ची राख की ढेरी के रूप में परिवर्तित हो चुकी थी।

(ङ) यह कविता छुआछूत की समस्या पर केंद्रित है। एक मरणासन्न अछूत कन्या के मन में यह चाह उठती है। कि कोई उसे देवी माता के चरणों में अर्पित किया हुआ एक फूल लाकर दे दे। बेटी की मनोकामना को पूरी करने के लिए पिता ने मंदिर में जाकर देवी की पूजा और आराधना की। जिससे उच्च वर्ग के लोगों को अपना और अपनी देवी का अपमान प्रतीत हुआ तथा इस अपराध में समाज के उच्चवर्गीय लोगों ने कन्या के पिता को सात दिन के लिए दंडित करके उसे अपनी पुत्री के अंतिम दर्शन करने से भी दूर रखा। समाज में फैली छुआछूत की भावना किस प्रकार लोगों के मन में भेदभाव जगाती है और निम्न वर्ग के प्रति अन्याय कराती है, किस तरह सुखिया के पिता को सामाजिक अन्याय का शिकार होना पड़ा, इन सबका वर्णन करते हुए कवि ने इस विषमता को मिटाने पर बल दिया है।
(च)

  • कितना बड़ा तिमिर आया
  • हुई राख की थी ढेरी
  • झुलसी-सी जाती थी आँखें
  • हाय! फूल-सी कोमल बच्ची
  • स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए-
(क) अविश्रांत बरसा करके भी आँखें तनिक नहीं रोतीं।
(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर छाती धधक उठी मेरी
(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी। अटल शांति-सी धारण कर
(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर किया अनर्थ बड़ा भारी
उत्तर
(क) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि निरंतर सात दिन तक अपनी पुत्री से दूर रहने के कारण सुखिया के पिता की आँखों से लगातार आँसुओं की धारा बहती रही, किंतु फिर भी उसकी आँखों के आँसू समाप्त नहीं हुए अर्थात् उसके मन की पीड़ा आँसुओं के रूप में निरंतर बहती रही।
अर्थ-सौंदर्यः कवि ने इस पंक्ति में निरंतर रोते रहने की दशा को अभिव्यक्त किया है। बादल लगातार बरसते रहने से एक दिन समाप्त हो जाते हैं, किंतु सुखिया के पिता के आँसू थे कि वे एक पल के लिए भी थमें नहीं थे।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि सात दिनों के बाद कारावास से छूटने के पश्चात् जब सुखिया का पिता वापस लौटा तो उसकी पुत्री की चिता जलकर बुझ भी चुकी थी अर्थात् उसकी मृत्यु हो जाने पर उनके संबंधियों ने सुखिया का अंतिम संस्कार कर दिया था। पुत्री की बुझी चिता को देखकर सुखिया के पिता के हृदय में दुख और वेदना की चिता धधकने लगी अर्थात् उनका मन बहुत दुखी हो गया।
अर्थ-सौंदर्यः कवि ने इस पंक्ति में बताया है कि एक चिता तो बुझ गई और दूसरी चिता धधकने लगी अर्थात् सुखिया की चिता तो जलकर बुझ गई, परंतु उसके पिता के हृदय में वेदना की चिता धधकने लगी, इसमें अर्थ की सुंदरता है। एक चिता का बुझना और दूसरी चिता का हृदय में धधकना।

(ग) प्रस्तुत पंक्ति का यह आशय है कि तीव्र ज्वर के कारण सुखिया चुपचाप निढाल होकर ऐसे बिस्तर पर लेटी हुई थी जैसे उसने मृत्यु से पहले की अटल शांति को धारण कर लिया हो।
अर्थ-सौंदर्यः अर्थ की सुंदरता यह है कि ज्वर ग्रस्त होने के कारण सुखिया की चंचलता समाप्त हो गई थी और वह शांत भाव से चुपचाप लेटी हुई थी जैसे उसने अटल शांति को धारण कर लिया हो।

(घ) प्रस्तुत पंक्ति का यह आशय है कि जब सुखिया का पिता अपनी बेटी की मनोकामना पूरी करने के लिए मंदिर से फूल लेने गया तब उच्च वर्ग के लोगों ने अछूत और पापी कहकर उसका घोर अपमान किया। उसका मंदिर में आना उन्हें अच्छा नहीं लगा और उन्होंने उसके इस प्रयास को अनर्थ बतलाया।
अर्थ-सौंदर्य प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ-सौंदर्य यह है कि जिस व्यक्ति ने कोई पाप नहीं किया और उसके मंदिर में आने के प्रयास को ही समाज के उच्चवर्गीय लोगों ने पाप और अनर्थ का नाम दिया।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘एक फूल की चाह’ एक कथात्मक कविता है। इसकी कहानी को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘बेटी’ पर आधारित निराला की रचना ‘सरोज-स्मृति’ पढ़िए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
तत्कालीन समाज में व्याप्त स्पृश्य और अस्पृश्य भावना में आज आए परिवर्तनों पर एक चर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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महामारी के भीषण ज्वर का सुखिया पर क्या प्रभाव दिखाई दिया?

महामारी की चपेट में आने से सुखिया को बुखार हो आया। उसका शरीर तेज़ बुखार से तपने लगा। तेज बुखार के कारण वह बहुत बेचैन हो रही थी। इस बेचैनी में उसका उछलना-कूदना न जाने कहाँ खो गया।

महामारी से सुखिया पर क्या प्रभाव पड़ा इससे उसके पिता की दशा कैसे हो गई एक फूल की चाह पाठ के आधार पर लिखिए?

वह भयभीत हो गई और देवी के प्रसाद का एक फूल पाने में अपना कल्याण समझने लगी। उसके बोलने की शक्ति कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे उसके अंग शक्तिहीन हो गए। उसकी यह दशा देखकर सुखिया का पिता चिंतित हो उठा।

क महामारी से ग्रस्त होने पर सुखिया की दशा कैसी हो गई थी उसकी अंतिम इच्छा क्या थी?

ज्वर की तीव्रता के कारण वह बेहोशी की हालत में चली गई। उसी अवस्था में वह अपने पिता से बोली, “मुझे माता के चरणों का एक फूल लाकर दे दो। यही उसकी अंतिम इच्छा थी। (ग) सुखिया का पिता अछूत वर्ग का व्यक्ति था।

बीमार होने पर सुखिया कैसे पड़ी रही?

आशय- सुखिया का पिता अपनी मरणासन्न पुत्री को देखकर सोच रहा था कि सुखिया, जो दिन भर खेलती-कूदती और यहाँ-वहाँ भटकती रहती थी, बीमारी के कारण शिथिल और लंबी शांति धारण कर लेटी पड़ी है। अर्थ सौंदर्य- तेज़ बुखार ने सुखिया को एकदम अशक्त बना दिया है।