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'कुछ खास तो नहीं हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों हुआ? Question 'कुछ खास तो नहीं-हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों हुआ?Solution जंगल से सैर करके लौटी हुई अपनी एक प्रिय मित्र से जब हेलेन ने पूछा - ''आपने क्या-क्या देखा''। तब उनके मित्र ने यह जवाब--'' कुछ खास तो नहीं'' -- कहा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); जिस प्रकृति के स्पर्श मात्र से उनका मन आनन्दित हो उठता है, उस सुन्दर और आकर्षक प्रकृति के दर्शन करके भी किसी को उसमें अगर कोई खास बात नज़र नहीं आती है, तो यह बहुत दुःख की बात है। इसलिए यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य हुआ।खास तो नहीं हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?जिस प्रकृति के स्पर्श मात्र से उनका मन आनन्दित हो उठता है, उस सुन्दर और आकर्षक प्रकृति के दर्शन करके भी किसी को उसमें अगर कोई खास बात नज़र नहीं आती है, तो यह बहुत दुःख की बात है। इसलिए यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य हुआ। Q.
अपनी सहेली के जवाब कुछ खास नहीं को सुनकर लेखिका को आश्चर्य क्यों होता है?लेखिका ने जानना चाहा कि उसने जंगल में क्या देखा परन्तु उसने बताया कि कुछ खास नहीं । लेखिका को ऐसे उत्तर सुनने की आदत हो गई थी। इसलिए उन्हें अपनी सहेली के जवाब पर आश्चर्य नहीं हुआ। लेखिका को लगता था कि कोई इतना घूमकर भी विशेष चीजें कैसे नहीं देख सकता जबकि वो दृष्टिहीन होते भी सब कुछ देख लेती है।
कुछ खास तो नहीं हेलेन की मित्र के यह कहने पर भीलेखिका को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ?Solution. प्रकृति में चारों ओर देखने और समझने की बहुत सी चीजें हैं, फिर भी उनकी मित्र कह रही है कि मैंने कुछ खास नहीं देखा। लेखिका का मानना है कि वे कुछ भी देखना ही नहीं चाहती। वे उन चीजों की चाह ज़रूर करती हैं जो उनके आस-पास नहीं है।
मित्र का जवाब सुनकर हेलेन केलर को क्या नहीं हुआ *?वह हमेशा उस चीज़ की आस लगाए रहता है जो उसके पास नहीं है । यह कितने दुख की बात है कि दृष्टि के आशीर्वाद को लोग एक साधारण - सी चीज़ समझते हैं, जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है। हेलेन केलर (1880-1968, अमेरिका) एक ऐसा नाम है जो घोर अंधकार के बीच भी रोशनी देता रहा।
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