प्रश्न 8-5: लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी? Show उत्तर 8-5: प्रश्न 8-6: बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की स्रभ्रांत महिला की याद क्यों आई ? उत्तर 8-6: प्रश्न 8-7: बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे ? उत्तर 8-7: प्रश्न 8-8: पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला ? उत्तर 8-8: लड़के की मृत्यु के दिन ही बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल दी *?उपरोक्त गद्यांश से, लड़के की मृत्यु के दूसरे दिन, बुढिया खरबूजे बेचने इसलिए चली गई क्योंकि उसके पास जो कुछ था भगवाना की मृत्यु के बाद दान-दक्षिणा में खत्म हो चुका था। बच्चे भूख के मारे बिलबिला रहे थे। बहू बीमार थी। मजबूरी के कारण बुढ़िया को खरबूजे बेचने के लिए लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन जाना पड़ा था।
अपने लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या किया?लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए? लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने वह सब उपाय किए जो उसकी सामर्थ्य में थे। साँप का विष उतारने के लिए झाड फेंक करने वाले ओझा को बुला लाई ओझा ने झाड़-फेंक की। नागदेवता की पूजा की गई और घर का आटा और अनाज दान-दक्षिणा के रूप में दे दिया गया।
बुढ़िया के रोने का क्या कारण था?लेखक के पास उस बुढ़िया के रोने का कारण जान सकने का कोई उपाय नहीं था। लेखक की पोशाक उसके इस कष्ट को जान सकने में अड़चन पैदा कर रही थी क्योंकि फुटपाथ पर उस बुढ़िया के साथ बैठकर लेखक उससे उसके दु:ख का कारण नहीं पूछ सकता था। इससे उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती, उसे झुकना पड़ता।
लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा कैसे लगाएं?उत्तर : बुढ़िया के दुख का अंदाजा लगाने के लिए लेखक अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुखी संभ्रांत महिला के बारे में सोचने लगा। वह माता अपने पुत्र की मृत्यु के बाद अढा़ई मास तक पलंग से खड़ी न हो सकी थी तथा वह १५- १५ मिनट में अपने पुत्र के वियोग में बेहोश हो जाती थी। उसकी आंखों से आंसू बहते रहते थे।
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