लेखक सेकीं ड क्लास के डडब्बे में यात्रा क्यों कर रहा था? - lekhak sekeen da klaas ke dadabbe mein yaatra kyon kar raha tha?

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  • प्रश्न 1,नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के तरीके से क्या उदरपूर्ति संभव है? यदि नहीं, तो इस तरीके को अपनाने में व्यक्ति को किस प्रवृत्ति का आभास होता है?       2016
  • प्रश्न 2.नवाब साहब द्वारा सेकंड क्लास में यात्रा करने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? अपने अनुमान से लिखिए।
  • प्रश्न 3.‘लखनवी अंदाज' पाठ में नवाब साहब की एक सनक का वर्णन किया गया है। क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का वर्णन कीजिए।       2014
  • प्रश्न 4.नवाब साहब ने गर्व से गुलाबी आँखों द्वारा लेखक की तरफ क्यों देखा?          2012
  • प्रश्न 5.नवाब साहब का कैसा भाव-परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों? ‘लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर लिखिए।
  • प्रश्न 6.‘लखनवी अंदाज' पाठ में नवाब साहब के माध्यम से नवाबी परंपरा पर व्यंग्य है। स्पष्ट कीजिए।
  • प्रश्न 7.नवाब साहब द्वारा खीरे की तैयारी करने का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।
  • प्रश्न 8.'लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब के विषय में पढ़कर आपके मन में कैसे व्यक्ति का चित्र उभरता है?
  • प्रश्न 9.‘लखनवी अंदाज़' पाठ के लेखक को नवाब साहब में खानदानी तहज़ीब, नफासत और नज़ाकत के क्या सबूत दिखाई दिए? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
  • प्रश्न 10.'लखनवी अंदाज़' पाठ में नवाब साहब के क्रियाकलाप से हमें उनकी जिस जीवन-शैली का परिचय प्राप्त होता है, क्या आज की बदलती परिस्थितियों में उसका निर्वाह सम्भव है? तर्कसहित उत्तर दीजिए।
  • प्रश्न 11.‘लखनवी अंदाज़' पाठ में खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। किसी प्रिय खाद्य पदार्थ का रसास्वादन करने के लिए आप जो तैयारी करते हैं, उसका चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
  • प्रश्न 12.‘लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब ने अकेले सफर काटने के लिए खीरा ख़रीदा था। आप अकेले सफ़र का वक्त कैसे काटते हैं?
  • नवाब साहब द्वारा सेकण्ड क्लास में यात्रा करने के क्या क्या कारण हो सकते हैं अपने अनुमान से लिखिए?
  • नवाब साहब दोनों सेकंड क्लास के डिब्बे में यात्रा क्यों कर रहे थे?
  • लेखक सेकीं ड क्लास के डडब्बे में यात्रा क्यों कर रहा था?
  • सेकंड क्लास के डब्बे के बारे में लिखा का क्या अनुमान था?

प्रश्न 1,नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के तरीके से क्या उदरपूर्ति संभव है? यदि नहीं, तो इस तरीके को अपनाने में व्यक्ति को किस प्रवृत्ति का आभास होता है?       2016

नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के तरीके से उदरपूर्ति संभव नहीं है। नवाब साहब द्वारा खीरे को मानसिक या मनोवैज्ञानिक स्तर पर सेवन किया गया, शारीरिक या भौतिक स्तर पर नहीं । उदरपूर्ति तब तक संभव नहीं है, जब तक भौतिक खाद्य पदार्थ का यथार्थ में सेवन न किया जाए और वह व्यक्ति के उदर में न पहुँचे। नवाब साहब वास्तव में यह दिखलाना चाहते थे कि वे इतने बड़े खानदानी रईस हैं कि खीरे जैसी तुच्छ खाद्य-वस्तु उनके उदर में जाने लायक नहीं है। वे तो केवल उसका सुगंध ही लेना चाहते हैं। वे अपनी रईसी का झूठा प्रदर्शन करके यह जताना चाहते थे कि उनका पेट तो केवल सुगंध मात्र से ही भर जाता है। उन्होंने तो लेखक के सामने डकार लेकर इस बात का प्रमाण देने की भी कोशिश की। इन सबसे उनके अहंकारी स्वभाव तथा प्रदर्शन या दिखावापन की भावना का पता चलता है।

प्रश्न 2.नवाब साहब द्वारा सेकंड क्लास में यात्रा करने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? अपने अनुमान से लिखिए।

नवाब साहब द्वारा सेकण्ड क्लास में यात्रा करने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:-

(i) संभवतः नवाब साहब अब केवल कहने एवं दिखाने के लिए नवाब हों। यथार्थ में उनकी आर्थिक स्थिति वास्तविक नवाबों जैसी न रही हो। आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं रहने के बावजूद अपनी झूठी शान में या दिखावा करने के लिए उन्हें सेकण्ड क्लास में यात्रा करनी पड़ रही हो।

(ii) संभवतः वे भीड़ से राहत पाने के लिए सच में मानसिक शांति एवं एकांत चाहते हों। चूंकि फर्स्ट क्लास अधिक महंगा पड़ता होगा, इसलिए वे सेकण्ड क्लास में यात्रा कर रहे हों।

(iii) लोगों की भीड़ से बचना और अधिक महंगा टिकट न खरीद पाना-इन दोनों के बीच का मार्ग है, सेकण्ड क्लास में यात्रा करना। संभवतः यही कारण रहा हो।

प्रश्न 3.‘लखनवी अंदाज' पाठ में नवाब साहब की एक सनक का वर्णन किया गया है। क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का वर्णन कीजिए।       2014

'लखनवी अंदाज' पाठ में खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। सनक का सकारात्मक रुप भी हो सकता है। सनक को पूर्ण आत्मविश्वास के साथ किसी काम को करने की लगन या धुन के साथ जोड़ा जा सकता है। इतिहास में ऐसी सनकों के अनगिनत उदाहरण मिलते हैं, जैसे- स्वामी विवेकानंद को ज्ञान प्राप्त करने की सनक, महात्मा बुद्ध को जीवन का सत्य खोजने की सनक, चाणक्य को नंद वंश का समूल विनाश करने की सनक, भगतसिंह को देश पर मर-मिटने की सनक, महात्मा गाँधी को देश आज़ाद कराने की सनक आदि ये ऐसे उदाहरण हैं जो उनके सकारात्मक पक्ष को पुष्ट करते हैं।

प्रश्न 4.नवाब साहब ने गर्व से गुलाबी आँखों द्वारा लेखक की तरफ क्यों देखा?          2012

नवाब साहब ने खीरे की फांकों पर नमक-मिर्च छिड़का, सूँघा और फिर एक-एक कर सभी फांकों को खिड़की से बाहर फेंक दिया। इसके पश्चात् गर्व से गुलाबी आँखों द्वारा लेखक की तरफ़ देखा। वह अपनी इस प्रक्रिया के द्वारा लेखक को अपना खानदानी रईसीपन दर्शाना चाहते थे। वे यह भी बताना चाहते थे कि नवाब लोग खीरे जैसी साधारण वस्तु को इसी तरह से खाते हैं। जबकि इन सबके मूल में उनका दिखावे से परिपूर्ण व्यवहार ही सामने आया।

प्रश्न 5.नवाब साहब का कैसा भाव-परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों? ‘लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर लिखिए।

लेखक जब सेंकड क्लास के डिब्बे में चढ़े, तो उन्होंने एक बर्थ पर नवाबी अंदाज़ में एक सफेदपोश सज्जन को पालथी मारे बैठे देखा। उनके आगे दो चिकने खीरे रखे हुए थे। लेखक का सहसा डिब्बे में प्रवेश कर जाना नवाब साहब को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने लेखक के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। लेखक ने भी उनका परिचय प्राप्त करने का प्रयास नहीं किया। क्योंकि उन्हें यह लगा कि नवाब साहब शायद अकेले ही सफर करना चाहते थे और न ही यह चाहते थे कि कोई उन्हें सेंकड क्लास में सफर करते देखे। ऐसी स्थिति में उन्हें खीरा खाने में भी संकोच का अनुभव हो रहा होगा। अचानक नवाब साहब ने लेखक को खीरे का शौक फरमाने को कहा। लेखक को नवाब साहब का यह सहसा भाव परिवर्तन अच्छा नहीं लगा क्योंकि वे शायद अपना नवाबी सभ्य व्यवहार दर्शाना चाहते थे। जबकि वास्तविकता में उनका यह व्यवहार नवाबी संस्कृति का दिखावटीपन ओढ़े हुए था।

प्रश्न 6.‘लखनवी अंदाज' पाठ में नवाब साहब के माध्यम से नवाबी परंपरा पर व्यंग्य है। स्पष्ट कीजिए।

‘लखनवी अंदाज' पाठ में लेखक ने नवाब साहब के माध्यम से नवाबी परंपरा की झूठी आन-बान पर व्यंग्य किया है जो वास्तविकता से बेखबर एक बनावटी जीवन शैली के आदी है। आज के समय में भी नवाब साहब के रूप में ऐसी परजीवी संस्कृति को देखा जा सकता है। नवाब साहब का खीरे को मात्र सूंघकर पेट भर जाना, उसे बिना खाए खिड़की से फेंक देना- उनकी बनावटी रईसी को दर्शाता है। उनका सेकंड क्लास में यात्रा करना इस बात को प्रमाणित करता है कि नवाब साहब की नवाबी ठसक तो नहीं रही, परंतु फिर भी वे अपने हाव-भाव और क्रिया-कलापों से झूठी शान दिखाते हैं, जिसका कोई महत्त्व नहीं है।

प्रश्न 7.नवाब साहब द्वारा खीरे की तैयारी करने का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।

नवाब साहब बर्थ पर बहुत ही सुविधा से पालथी मार कर बैठे थे। उनके सामने दो ताजे-चिकने खीरे तौलिए पर रखे थे। उन्होंने खीरों के नीचे रखे तौलिये को झाड़कर सामने बिछाया। सीट के नीचे से लोटा उठाकर दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ लिया। जेब से चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत एहतियात से छीलकर फाँकों को करीने से तौलिए पर सजाते गए। इसके पश्चात् नवाब साहब ने बहुत ही करीने से खीरे की फाँकों पर जीरा मिला नमक और लाल मिर्च की सुर्खी बुरक दी। इस प्रक्रिया में उनका मुख खीरे के रसास्वादन की कल्पना से प्लावित हो रहा था।

प्रश्न 8.'लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब के विषय में पढ़कर आपके मन में कैसे व्यक्ति का चित्र उभरता है?

‘लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब के विषय में पढ़कर एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरकर सामने आता है जो पतनशील सामंतीवर्ग का प्रतिनिधि है। वास्तविकता से बेख़बर, बनावटी जीवन जीने का आदी है। नफासत, नज़ाकत और प्रदर्शन-प्रिय है। नवाब साहब वास्तव में पतनशील सांमती वर्ग के जीते-जागते उदाहरण हैं। नवाब साहब खीरा खाने के लिए यत्नपूर्वक तैयारी करते हैं। खीरा काटकर उस पर नमक मिर्च लगाते हैं, किंतु बिना खाए ही केवल सूंघकर रसास्वादन कर खिड़की से बाहर फेंक देते है। वास्तव में इसके द्वारा वे अपनी नवाबी रईसी का गर्व अनुभव करते हैं और साथ ही इसका प्रदर्शन भी करते हैं। नवाब साहब का व्यक्तित्व एक ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व है जो बनावटी जीवन शैली का अभ्यस्त है।

प्रश्न 9.‘लखनवी अंदाज़' पाठ के लेखक को नवाब साहब में खानदानी तहज़ीब, नफासत और नज़ाकत के क्या सबूत दिखाई दिए? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

नवाब सदा से एक विशेष प्रकार की नफासत, नज़ाकत और खानदानी तहज़ीब के लिए प्रसिद्ध हैं। ‘लखनवी अंदाज' पाठ में भी नवाब साहब की खानदानी तहज़ीब, नफासत और नज़ाकत का उदाहरण मिलता है। नवाब साहब की खानदानी तहज़ीब उस समय नज़र आती है जब वह बहुत ही अदब के साथ लेखक को संबोधित करते हुए कहते हैं- ‘आदाब-अर्ज़, जनाब, खीरे का शौक फ़रमाएँगे।' यहाँ उनकी विनम्रतापूर्वक आग्रह की प्रवृत्ति भी नज़र आती है। नवाब साहब खीरा खाने के लिए बहुत की यत्नपूर्वक तैयारी करते हैं। खीरों को धोना, पोंछना, एहतियात से छीलकर फाँकें करीने से तौलिए पर सजाना- उनकी नफ़ासत का बेहतरीन उदाहरण है। खीरों को बिना खाए सूंघकर रसास्वादन कर खिड़की से बाहर फेंकना और फिर लेट जाना- इस प्रक्रिया में उनकी नवाबी नज़ाकत दिखाई देती है।

प्रश्न 10.'लखनवी अंदाज़' पाठ में नवाब साहब के क्रियाकलाप से हमें उनकी जिस जीवन-शैली का परिचय प्राप्त होता है, क्या आज की बदलती परिस्थितियों में उसका निर्वाह सम्भव है? तर्कसहित उत्तर दीजिए।

‘लखनवी अंदाज़' पाठ में नवाब साहब के क्रियाकलापों से हमें उनकी वास्तविकता से बेखबर बनावटी जीवन-शैली का परिचय प्राप्त होता है। नवाब साहब द्वारा अकेले में खीरा खाने का प्रबंध करना और लेखक के आ जाने पर उन खीरों को सूंघकर खिड़की से बाहर फेंककर अपनी नवाबी रईसी का गर्व अनुभव करना इसी दिखावे का प्रतीक है। आज की बदलती परिस्थितियों में ये दिखावटी और बनावटी जीवन शैली में जीवन का निर्वाह संभव नहीं क्योंकि बनावटी और दिखावटी जीवन प्रगति और प्रेरणा का आधार नहीं हो सकता। ऐसे में जीवन में न आनंद हैं, न वास्तविकता और न ही जीवंतता। सरल सहज गतिशील जीवन ही आज के समय की माँग है। आज के भौतिकतावादी जीवन में रिश्तों में मधुरता बनाए रखने के लिए इस आडंबरयुक्त जीवन शैली से उन्मुक्त होना अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 11.‘लखनवी अंदाज़' पाठ में खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। किसी प्रिय खाद्य पदार्थ का रसास्वादन करने के लिए आप जो तैयारी करते हैं, उसका चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।

किसी भी प्रिय खाद्य पदार्थ का रसास्वादन करने से पहले उसे अच्छी तरह से धोया जाता है और साफ़ कपड़े से पोंछा जाता है। साफ-सुथरी प्लेट में काटकर उसकी फाँकें रखते हैं तथा आवश्यकतानुसार उस पर नींबू निचोड़कर काला नमक लगाते हैं। नमकीन रायता, नारियल व पुदीने की चटनी को अलग-अलग कटोरी में रखते हैं। अनार के दाने, सफेद चने व अदरक खाद्य पदार्थ को सजाते हैं। उसके पश्चात् उसके स्वाद का आनंद लेते हैं।

प्रश्न 12.‘लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब ने अकेले सफर काटने के लिए खीरा ख़रीदा था। आप अकेले सफ़र का वक्त कैसे काटते हैं?

‘लखनवी अंदाज' के पाठ के नवाब साहब ने अकेले सफ़र काटने के लिए खीरा ख़रीदा था। मैं अकेले सफ़र काटने के लिए खाद्य पदार्थ अपने घर से लेकर आता हूँ और भूख लगने पर उनका सेवन करता हूँ। इसके अतिरिक्त किसी प्रिय लेखक की पुस्तक पढ़ता हूँ तथा मनपंसद संगीत भी सुनता हूँ। मोबाइल या लेपटॉप पर अपनी मनपसंद फ़िल्म भी देखता हूँ।

नवाब साहब द्वारा सेकण्ड क्लास में यात्रा करने के क्या क्या कारण हो सकते हैं अपने अनुमान से लिखिए?

नवाब साहब क्योंकि नवाब साहब थे, भले ही वह वर्तमान में नवाब नहीं हो लेकिन उनमें नवाबी ठसक बाकी थी। इसलिए वह दिखावे करने के लिए सेकंड क्लास में यात्रा कर रहे हों। नवाब साहब को शायद भीड़ से राहत पाना हो और वह मानसिक शांति में सुकून से यात्रा करना चाहते हों, इसलिए उन्होंने सेकंड क्लास की यात्रा की हो

नवाब साहब दोनों सेकंड क्लास के डिब्बे में यात्रा क्यों कर रहे थे?

यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे। अब उन खीरों को लेखक के सामने खाने में संकोच आ रहा था। सेकंड क्लास में यात्रा करना और खीरे खाना उनके लिए असुविधा और संकोच का कारण बन रहा था।

लेखक सेकीं ड क्लास के डडब्बे में यात्रा क्यों कर रहा था?

उत्तर : लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में इसलिये यात्रा कर रहा था क्योंकि उसे यात्रा के दौरान एकांत चाहिए था। सेकंड क्लास का किराया अधिक होने के कारण वहां पर भीड़ कम होती थी।

सेकंड क्लास के डब्बे के बारे में लिखा का क्या अनुमान था?

सेकंड क्लास के एक छोटे डिब्बे को खाली समझकर, ज़रा दौड़कर उसमें चढ़ गए। अनुमान के प्रतिकूल डिब्बा निर्जन नहीं था

लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में यात्रा क्यों कर रहे थे?

लेखक को नई कहानी के सोच-विचार के लिए एकांत चाहिए था। साथ में प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। एकांत की इच्छा के कारण लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा।

लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?

Answer. Answer: लेखक के अनुसार नवाब साहब ने सेकंड क्लास की टिकट इसलिए खरीदी क्योंकि क्योंकि वे आराम से सुकून से यात्रा करना चाहती थे और सेकंड क्लास की टिकट महँगी होती थी इस कारण उसमें भी कम होती थी। इसलिए सेकंड क्लास की टिकट खरीदें।

लेखक ट्रेन के किस डिब्बे में चढ़े और क्यों?

लेखक ट्रेन के सेकंड क्लास के एक खाली डिब्बे में चढ़ा। ट्रेन में बहुत भीड़ थी और लेखक ने भीड़ से बचने के लिए सेकंड क्लास का टिकट लिया ताकि आराम से सफर कर सके। ट्रेन आने पर जब ट्रेन मे सवार होने की अफरा-तफरी मच गयी तो लेखक एक खाली डिब्बा देखकर उसमें चढ़ गया।

लेखक ने नवाब साहब को सेकंड क्लास के डि ब्बे में बठै े देखकर क्या सोचा?

उत्तरः (1) लेखक ने जैसे ही ट्रेन के सेकंड क्लास के डिब्बे में प्रवेश किया, वहाँ उसने बर्थ पर पालथी मारकर बैठे हुए एक नवाब साहब को देखा। लेखक को देखते ही उनकी आँखों में असंतोष का भाव आ गया। (2) नवाब साहब बिना बातचीत किए कुछ देर तक गाड़ी की खिड़की से बाहर देखते रहे।