30 मई कौन सा दिन मनाया? - 30 maee kaun sa din manaaya?

News Nation Bureau | Edited By : Akanksha Tiwari | Updated on: 30 May 2019, 06:52:09 AM

30 मई कौन सा दिन मनाया? - 30 maee kaun sa din manaaya?

नई दिल्ली:  

इतिहास से अच्छा शिक्षक कोई दूसरा हो नहीं सकता. इतिहास सिर्फ अपने में घटनाओं को नहीं समेटे होता है बल्कि इन घटनाओं से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं. इसी कड़ी में जानेंगे आज 30 मई को देश-दुनिया में क्या हुआ था, कौन सी बड़ी घटनाएं घटी थीं जिसने इतिहास के पन्नों पर अपना प्रभाव छोड़ा. जानेंगे, आज के दिन जन्में खास व्यक्तियों के बारे में और बात करेंगे उनकी जो दुनिया से इस दिन विदा होकर चले गए.

30 मई की महत्वपूर्ण घटनाएं

1646: स्पेन और नीदरलैंड ने युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किये.
1826: “उदन्त मार्तण्ड” पहली हिन्दी समाचार पत्र की शुरुआत हुई इसलिए 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस भी मनाया जाता है.
1867: उत्तर प्रदेश के देवबंद में दार-उल-उलूम की स्थापना हुई.
1896: अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में पहली आॅटोमोबाइल दुर्घटना हुई.
1919: रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जालियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ‘सर’ की उपाधि वापस की.

उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं का रिजल्ट (UK Board 10th, 12th Result) यहां क्लिक कर करें चेक- CLICK HERE

1922: वॉशिंगटन डीसी लिंकन स्मारक समर्पित किया गया.
1949: पूर्वी जर्मन संविधान को माना गया.
1966: अमेरिकी विमानों ने उत्तरी वियतनाम पर बमबारी की.
1975: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का गठन हुआ.
1981: बांग्लादेश के राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या हुई.
1987: गोवा देश का 25वां पूर्ण राज्य बना.
1996: 6 वर्षीय बालक गेधुन चोकी नाइया को नया पंचेन लामा चुना गया.
2012: विश्वनाथन आनंदपाँचवीं बार विश्व शतरंज चैंपियन बने.
2015: स्टार बल्लेबाज एलिस्टेयर कुक इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने.

यह भी पढ़ें- लड़कों की इन खूबियों से जल्दी फ्रेंडली होती हैं लड़कियां, क्या आप में है ये खूबी

1606: सिक्खों के पाँचवें गुरु गुरु अर्जन देव का निधन हुआ.
1991: ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन’ के पुरोधा एवं मानवता के पुजारी और राष्ट्रवाद के अग्रदूत उमाशंकर दीक्षित का निधन हुआ.
1778: महान फ्रांसीसी दार्शनिक और लेखक वॉल्तेयर का निधन हुआ.
2000: आधुनिक हिन्दी साहित्य में सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि रामविलास शर्मा का निधन हुआ.
2013: बंगाली फ़िल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक, लेखक और अभिनेता ऋतुपर्णो घोष का निधन हुआ.
1955: एन. एम. जोशी का निधन हुआ बो भारत में ‘ट्रेड यूनियन आंदोलन’ के जन्मदाता थे.

First Published : 30 May 2019, 06:52:09 AM

For all the Latest Education News, School News, Download News Nation Android and iOS Mobile Apps.

हिंदी भाषा में 'उदन्त मार्तण्ड' के नाम से पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 में निकाला गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक और संपादक भी वे खुद थे। इस तरह हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता की जगत में विशेष सम्मान है।

जुगल किशोर शुक्ल वकील भी थे और कानपुर के रहने वाले थे। लेकिन उस समय औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में उन्होंने कलकत्ता को अपनी कर्मस्थली बनाया। परतंत्र भारत में हिंदुस्तानियों के हक की बात करना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका था। इसी के लिए उन्होंने कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन, कोलूटोला से साप्ताहिक 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन शुरू किया। यह साप्ताहिक अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था।

परतंत्र भारत की राजधानी कलकत्ता में अंग्रजी शासकों की भाषा अंग्रेजी के बाद बांग्ला और उर्दू का प्रभाव था। इसलिए उस समय अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी में कई समाचार पत्र निकलते थे। हिंदी भाषा का एक भी समाचार पत्र मौजूद नहीं था। हां, यह जरूर है कि 1818-19 में कलकत्ता स्कूल बुक के बांग्ला समाचार पत्र ‘समाचार दर्पण’ में कुछ हिस्से हिंदी में भी होते थे।

हालांकि 'उदन्त मार्तण्ड' एक साहसिक प्रयोग था, लेकिन पैसों के अभाव में यह एक साल भी नहीं प्रकाशित हो पाया। इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां छपी। हिंदी भाषी पाठकों की कमी की वजह से उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल सके। दूसरी बात की हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण उन्हें समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था। डाक दरें बहुत ज्यादा होने की वजह से इसे हिंदी भाषी राज्यों में भेजना भी आर्थिक रूप से महंगा सौदा हो गया था।

पंडित जुगल किशोर ने सरकार ने बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें जिससे हिंदी भाषी प्रदेशों में पाठकों तक समाचार पत्र भेजा जा सके, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। अलबत्ता, किसी भी सरकारी विभाग ने 'उदन्त मार्तण्ड' की एक भी प्रति खरीदने पर भी रजामंदी नहीं दी।

पैसों की तंगी की वजह से 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और आखिरकार 4 दिसम्बर 1826 को इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया। आज का दौर बिलकुल बदल चुका है। पत्रकारिता में बहुत ज्यादा आर्थिक निवेश हुआ है और इसे उद्योग का दर्जा हासिल हो चुका है। हिंदी के पाठकों की संख्या बढ़ी है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है।

30 मई को कौन सा डे मनाया जाता है?

Hindi Journalism Day Today 30 May, Aaj ka Itihas: हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है. आज ही के दिन साल 1826 में हिंदी भाषा का पहला अखबार कोलकाता से सप्ताहिक पत्रिका के रूप में शुरू हुआ था. कानपुर में जन्मे और पेशे से वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल इसके संपादक थे. इस अखबार का नाम था 'उदन्त मार्तण्ड '.

भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत कब हुई?

हिंदी के प्रथम समाचार पत्र का प्रकाशन 30 मई, सन् 1826 में कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था. इस अखबार के संपादक जुगलकिशोर शुक्‍ल या कुछ अभिलेखों में इनका नाम युगल किसोर शुक्ल भी मिलता है, थे. उन्हों2ने ही सन् 1826 ई.

उदंत मार्तंड का प्रकाशन कब हुआ था?

उदन्त मार्तण्ड (शाब्दिक अर्थ : 'समाचार सूर्य' या '(बिना दाँत का) बाल सूर्य' ) हिंदी का प्रथम समाचार पत्र था। इसका प्रकाशन ३०मई, १८२६ ई. में कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था। कलकता के कोलू टोला नामक मोहल्ले की ३७ नंबर आमड़तल्ला गली से जुगलकिशोर सुकुल ने सन् १८२६ ई.

हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में पंडित युगल किशोर शुक्ल का नाम क्यों महत्वपूर्ण है बताइए?

लगभग दो शताब्दी पूर्व ब्रिटिश कालीन भारत में जब तत्कालीन हिन्दुस्तान में दूर दूर तक मात्र अंग्रेजी, फ़ारसी, उर्दू एवं बांग्ला भाषा में अखबार छपते थे, तब देश की राजधानी “कलकत्ता” में “कानपुर” के रहने वाले वकील पण्डित जुगल किशोर शुक्ल जी ने अंग्रेजों की नाक के नीचे हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की आधारशिला रखी, जिसपर आज आप ...