खेल के मैदान में क्या क्या चीज होती है? - khel ke maidaan mein kya kya cheej hotee hai?

गांवों में संसाधनों का है घोर अभाव, उत्साह के बाद भी निखर नहीं पाते खिलाड़ी

मुख्यमंत्री खेल विकास योजना के तहत प्रखंडस्तर पर स्टेडियम का हो रहा है निर्माण

ग्राफिक्स

02 स्टेडियम बनकर हो गया है तैयार

01 स्टेडियम की मिली है स्वीकृति

इंट्रो

गांवों के खिलाड़ी संसाधनों की कमी के कारण अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। फुटबॉल हो या वॉलीबाल, हॉकी हो या क्रिकेट उन्हें अभ्यास करने की न तो सुविधा है न ही उन्हें प्रशासनिक सहयोग मिल पाता है। जब खेलों का आयोजन करना होता है तो उन्हें आपस में चंदा एकत्र करना पड़ता है। खेल का उद्घाटन करने के लिए भी अफसरों की बात तो दूर जनप्रतिनिधि भी कभी-कभी ही पहुंचते हैं। जहां बड़ा आयोजन होता है और भीड़ ज्यादा जुटती है वहां जनप्रतिनिधि पहुंच जाते हैं। मदद की बात मंच तक ही सीमित रहती है। हालांकि जनप्रतिनिधि मद से शहर के जगजीवन स्टेडियम का विकास हुआ है।

भभुआ। नगर संवाददाता

कैमूर जिले के गांवों में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लेकिन, खेल मैदान व संसाधनों की कमी से यहां की प्रतिभाएं कुंठित हो रही हैं। बहुत ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके अंदर उम्दा प्रदर्शन करने का दमखम दिखाई देता है। लेकिन, आर्थाभाव व संसाधनों के अभाव में उनका प्रदर्शन गांव के खेतों तक ही सिमट कर रह जाता है। खिलाड़ियों का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या खेल मैदान की है। खेल मैदान नहीं रहने के कारण वे अभ्यास नहीं कर पाते है।

खिलाड़ियों का कहना है कि अभ्यास की कमी के कारण उन्हें प्रतियोगिताओं में मात खानी पड़ती है। शहर में भी बहुत बेहतर व्यवस्था देखने को नहीं मिलती है। भभुआ में खेल मैदान के नाम पर जगजीवन स्टेडियम बना है। लेकिन, काफी दिनों तक उसकी सतह नीची होने के कारण पानी लग जाता था। उसे दूर करने के लिए जिला प्रशासन ने मिट्टी तो भरवाई, लेकिन अभी भी पानी का जमाव जगह-जगह रहता ही है।

मैदान में जब सीनियर खिलाड़ी खेलते हैं तब जूनियर खिलाड़ियों को परेशानी होती है। उन्हें मैदान से हट जाना पड़ता है। खेल पदाधिकारी ओम प्रकाश ने बताया कि जिले के प्रखंडों में खिलाड़ियों को खेलने के लिए स्टेडियम का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें दो प्रखंडों में स्टेडियम बन गया है तथा एक स्टेडियम बनाने का कार्य प्रगति पर है।

एसवीपी कॉलेज में जीम की है व्यवस्था

सरदार वल्लभ भाई पटेल कॉलेज में खेल के नाम पर जीम की व्यवस्था की गई है, जिसमें कॉलेज के छात्रों के साथ-साथ शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी भी अपनी सेहत सुधारने के लिए अभ्यास करते हैं। लेकिन, कॉलेज में अन्य खेलों के न तो खिलाड़ी दिखते हैं न खेल का आयोजन होता है। हाई स्कूलों में भी जीम का प्रबंध है। लेकिन, छात्र-छात्राओं को अभ्यास करने का मौका नहीं मिल पाता है।

गांवों में अभ्यास की नहीं है सुविधा

गांवों के खिलाड़ियों को खेल मैदान नहीं होने के कारण अभ्यास करने में परेशानी होती है। उन्हें आसपास के खेल मैदान में जाकर खेलना पड़ता है। कुछ गांवों में स्कूलों का मैदान तो है लेकिन बाउंड्री बन जाने व विद्यालय बंद होने के बाद गेट में ताला लग जाता है, जिससे वह वहां खेलने नहीं पहुंच पाते हैं। खेत खाली रहने पर ग्रामीण खिलाड़ी उसी में अभ्यास करते हैं।

खेतों में अभ्यास करते हैं खिलाड़ी

गांव व शहर के आसपास के खिलाड़ी मैदान के अभाव में खेतों में अभ्यास करते हैं। जब खेत खाली हो जाते हैं तब गंवई खिलाड़ी उसे मैदान का आकार स्वयं देते हैं और जब तक खेतों में किसान बुआई नहीं करते है तब तक उसमें फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबाल आदि खेल खेलते हैं।

जिलास्तर पर होता है खेलों का आयोजन

कला संस्कृति एवं युवा विभाग के तत्वावधान में वर्ष में एक या दो बार जिलास्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसमें गांव से लेकर स्कूल तक के बच्चे आकर अपनी प्रतिभा प्रदर्शन करते हैं। इन खेलों में जिलास्तर पर चयनित होने के बाद उन्हें राज्य स्तर की प्रतियोगिता में खेलने का मौका मिलता है। इन खेलों के आयोजन में प्रशासन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है और चयनित खिलाड़ियों को सम्मानित कर उन्हें मेडल व प्रमाण पत्र प्रदान करता है।

15 अगस्त व 26 जनवरी पर भी होते हैं खेल

राष्ट्रीय पर्वों जैसे स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के अवसर पर भी खेलों का आयोजन किया जाता है। इसमें जिला प्रशासन रुचि लेता है और विभिन्न टीमों व फैंसी मैच का आयोजन कराता है। इसमें फुटबॉल, क्रिकेट आदि का अधिकांश आयोजन कराया जाता है। इन खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कृत भी किया जाता है और विजेता को शील्ड व उपविजेता को कप देकर सम्मानिकत जाता है।

शिक्षा विभाग भी कराता है खेलकूद प्रतियोगिता

शिक्षा विभाग भी विभागीय निर्देश पर खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन कराता है। शिक्षा विभाग की ओर से होने वाली प्रतियोगिताएं स्कूल स्तर से लेकर राज्य स्तर तक होती हैं। स्कूल से चयनित खिलाड़ी प्रखंड की प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और प्रखंड स्तर पर चुने खिलाड़ियों को जिलास्तर पर खेलने का मौका मिलता है। जो खिलाड़ी जिला स्तर पर चयनित होते हैं उन्हें स्टेट लेबल पर खेलने के लिए शिक्षा विभाग भेजता है। डीईओ सूयनारायण बताते हैं कि कई साल से कैमूर के बच्चे स्टेट लेबल पर चयनित होकर नेशनल खेलने के लिए गए हैं।

रणजी ट्रॉफी खेल क्रिकेट के क्षेत्र में नजीर बना दिलीप

कैमूर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। भभुआ प्रखंड के कमता गांव के श्रीनाथ सिंह का बेटा दिलीप क्रिकेट के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन करते हुए रणजी ट्रॉफी खेलकर जिले के खिलाड़ियों के लिए नजीर बन गया है। राज्यस्तरीय खेलों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के कारण दिलीप को बिहार की टीम में शामिल किया गया है। बिहार की ओर से वह पांडिचेरी, कोलकाता, सिक्किम व नागालैंड में खेलकर बिहार का झंडा बुलंद किया है। कैमूर से दिलीप व सत्यम को राज्यस्तर पर खेलने के लिए चुना गया है। दिलीप जिलास्तरीय क्रिकेट के अलावा अंडर 16, अंडर 23 क्रिकेट में राज्य स्तर पर खेलकर कैमूर का नाम रौशन किया है।

बाइट

मुख्यमंत्री खेल विकास योजना के तहत सभी प्रखंडों में आउट डोर खेल मैदान बनाने की स्वीकृति मिल गई है। कुदरा व मोहनियां में खेल मैदान का निर्माण हो चुका है। रामगढ़ में निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। अन्य प्रखंडों में भूमि की तलाश है।

ओम प्रकाश, खेल पदाधिकारी कैमूर

फोटो- ओम प्रकाश

जिले में खिलाड़ियों को क्रिकेट सीखाने के लिए कैमूर क्रिकेट एकेडमी नि:शुल्क चलाई जाती है। आठ साल के बच्चों का नामांकन लिया जाता है। सवा लाख खर्च कर दो क्रिकेट पीच जगजीवन स्टेडियम में बनवाया गया है। खिलाड़ियों की भरपूर मदद की जाती है।

राकेश कुमार, सचिव, जिला क्रिकेट एसोसिएशन

फोटो- राकेश कुमार

खेल के मैदान में कौन कौन सी चीजें होती है?

अनुक्रम.
1.1 गेंद.
1.2 फ्लाइंग डिस्क.
1.3 गोल पोस्ट.
1.4 नेट.
1.5 रैकेट.
1.6 छड़ें और निपटना.
1.7 लाठी, बल्ला और क्लब.
1.8 विकेट और बेस.

खेल मैदान का क्या महत्व है?

खेल का मैदान काफी लंबा चौड़ा होता है जो दिखने में बहुत ही अच्छा प्रतीत होता है कई लोग यहां पर खेलो के कई तरह के प्रशिक्षण भी देते हैं इस प्रशिक्षण में खेल की प्रैक्टिस करने वाले बच्चे और नौजवान अक्सर आते रहते हैं इन खेल के मैदानों में कई तरह के खेलों को खेलने की तैयारी के लिए कई तरह की व्यवस्था भी होती है जिससे बच्चों ...

एक अच्छे खेल मैदान की क्या विशेषताएं होती है?

खुले खेल के मैदान इंद्रियों (चेतना) को उत्‍प्रेरित करने के लिए प्राकृतिक सामग्रियों के व्‍यापक प्रकार मुहैया कराते हैं। पानी के खेल के लिए पैडलिंग पूल बहुत अच्छे होते हैं; आपके बच्चे को पानी को उछालना और उसमें पैर मारने में आनंद मिलेगा, ढेर, स्कूपिंग और डालने के लिए विभिन्न आकारों और आकारों के कप और कंटेनर शामिल करें।

खेल के मैदान कैसे होने चाहिए?

एक अच्छे खेल के मैदान में ऐसी सतहें होनी चाहिए जो प्रभावों को अवशोषित कर सकें और आपके बच्चे पर चलना, दौड़ना और कूदना आसान बना दें। लकड़ी के चिप्स, रेत, कटा हुआ रबर और गीली घास जैसी सतहों की तलाश करें। घास और गंदगी प्रभाव को अवशोषित करने वाली लग सकती है, लेकिन डामर या कंक्रीट की तरह ही असुरक्षित हो सकती है।