मजदूर दिवस हम क्यों मनाते हैं? - majadoor divas ham kyon manaate hain?

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को मई दिवस के नाम से जाना जाता है, इसकी शुरुआत 1886 में शिकागो में उस समय शुरू हुई थी, जब मजदूर मांग कर रहे थे कि काम की अवधि आठ घंटे हो और सप्ताह में एक दिन की छुट्टी हो।

हड़ताल के दौरान एक व्यक्ति ने बम फोड़ दिया और प्रदर्शनस्थल पर अफरातफरी मच गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चलाई। गोलीबारी में कुछ मजदूरों की मौत हो गई, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए।> > इस मामले में एक ट्रायल चला, जांच के अंत में चार अराजकतावादियों को सरेआम फांसी दे दी गई। हेमार्केट घटना, दुनिया भर के लोगों को क्रोधित करने का कारण बनी। बाद के वर्षों में, हेमार्केट शहीदों की स्मृति को विभिन्न मई दिवस नौकरी संबंधी कार्रवाई और प्रदर्शनों के साथ याद किया गया।
इसके बाद 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की द्वितीय बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, तब से ही दुनिया के 80 देशों में मई दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।

भारत में 1923 से इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।

International Labour Day 2022: हर साल अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को मनाया जाता है. इसे कुछ लोग मई डे (May Day) के रूप में भी मनाते हैं. ये दिन मजदूरों की उपलब्धियां और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम करने का दिन है. कई ऐसे देश भी हैं, जहां पर इस दिन अवकाश रखा जाता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस दिन की शुरुआत कैसे और क्यों हुई थी. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अंतरष्ट्रीय मजदूर दिवस क्यों मनाते हैं. पढ़ते हैं आगे…Also Read - International Labour Day 2022: अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर भेजें ये शुभकामना भरे संदेश

कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत

इस दिन की शुरुआत 1 मई सन् 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन के कारण हुई थी. इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर शामिल थे, जिन्होंने काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की मांग की थी. इससे पहले इन मजदूरों से 15-15 घंटे काम करवाया जा रहा था. ऐसे में मजदूर अमेरिका की सड़कों पर उतर आए थे. इस आंदोलन के दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली भी चलाई, जिसके कारण कुछ मजदूरों की मौत हो गई वहीं 100 से ज्यादा मजदूर इस आंदोलन के चलते घायल भी हुए. 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन ने जब दूसरी बैठक की तो उस बैठक में एक प्रस्ताव पारित करने के साथ-साथ 1 मई का दिन अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा, इस बात की भी घोषणा की. वहीं यह भी कहा गया कि इस दिन सभी मजदूर, कामगारों और श्रमिकों की छुट्टी रहेगी. इससे अलग दुनिया के देशों में मजदूर 8 घंटे ही काम करेंगे. Also Read - Special Train For Migrant Workers: प्रवासी मजदूरों के लिए चली स्पेशल ट्रेन, स्टेशन पर बजी तालियां, आंखों में आंसू, देखें PHOTOS

अगर भारत की बात की जाए तो हमारे देश में लेबर डे की शुरुआत 1923 में चेन्नई में हुई थी. इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मद्रास में की थी. इस दिन पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के रूप में उपयोग में लाया गया था.

डीएनए हिंदी: हर साल पूरी दुनिया में 1 मई को मजदूर दिवस (Labour Day) मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1886 में अमेरिका से हुई, लेकिन धीरे-धीरे यह दुनिया के कई देशों में मनाया जाने लगा. यहां मजदूर दिवस का मतलब सिर्फ़ मजदूरों से नहीं बल्कि हम उस शख्स से है, जो नौकरी करता है. मजदूर दिवस का महत्व पूरी दुनिया के लिए खास है, क्योंकि इस दिन से ही कुछ ऐसे बदलाव हुए जिन्होंने पूरी दुनिया के नौकरीपेशा लोगों के जीवन को आसान बनाया. आइए इस दिन के महत्व और इतिहास को विस्तार से जानते हैं.

बात साल 1886 की है. 1 मई के दिन ही अमेरिका में मजूदर आंदोलन की शुरुआत हुई. अमेरिका के मजदूर और कामगार सड़क पर उतर आए और अपने हक के लिए आवाज बुदंल करने लगे. दरअसल, उस समय मजदूरों से 15-15 घंटे काम लिया जाता था और हालात बहुत बुरे थे. इसी से परेशान होकर मजदूरों ने अपनी लड़ाई लड़ने का फैसला लिया और सड़क पर उतर गए.

गोलीबारी में गई कई मजदूरों की जान
प्रदर्शनकारी मजदूरों पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी. इस गोलीबारी में कई मजदूरों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. इस घटना के तीन साल बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन हुआ. इसी में फैसला लिया गया कि हर मजदूर एक दिन में केवल 8 घंटे ही काम लिया जाएगा. इसी सम्मेलन में यह फैसला भी लिया गया कि 1 मई को हर साल मजदूर दिवस मनाया जाएगा. इसके अलावा, 1 मई को छुट्टी देने का फैसला भी लिया गया. सबसे पहले अमेरिका में 8 घंटे काम करने के नियम के बाद कई देशों में इस नियम को लागू किया गया. 

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भारत में भी शुरू हुआ मजदूर दिवस

अमेरिका में मजदूर दिवस शुरू होने के 34 साल बाद, 1 मई 1923 को भारत में भी मजदूर दिवस की शुरुआत हुई. भारत में पहली बार मजदूर दिवस चेन्नई में शुरू हुआ. लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में यह फैसला लिया गया. इस बैठक को कोई सारे संगठनों और सोशल पार्टी ने समर्थन दिया. आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे वामपंथी मजदूरों पर हो रहे अत्याचारों और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.

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मजदूर दिवस का मकसद यह है कि मजूदरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान किया जाए और हक की लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान गंवाने वाले लोगों के योगदान को याद किया जाए. इसके साथ ही हमेशा मजदूरों के हक और अधिकारों की आवाज को हमेशा बुलंद किया जाए. यही वजह है कि बहुत सारे संगठनों में कर्मचारियों को इस दिन छुट्टी भी दी जाती है.

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मजदूर दिवस का मतलब क्या है?

मजदूर दिवस का मकसद यह है कि मजूदरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान किया जाए और हक की लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान गंवाने वाले लोगों के योगदान को याद किया जाए. इसके साथ ही हमेशा मजदूरों के हक और अधिकारों की आवाज को हमेशा बुलंद किया जाए.

मजदूर दिवस कब मनाया गया और क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरूआत १ मई १८८६ से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से अधिक न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के समय शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम किस ने फेंका किसी का कोई पता नहीं।

1 मई को कौन सा दिवस मनाते हैं?

हर साल 1 मई को देश-दुनिया में मजदूर दिवस मनाया जाता है। मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल एक मई का दिन इनको समर्पित होता है। जिसे लेबर डे, श्रमिक दिवस, मजदूर दिवस, मई डे के नाम से जाना जाता है।