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अगर कोई महिला गर्भधारण नहीं कर पा रही है तो डॉक्टर उसे गर्भ ठहरने की दवा देते हैं जो महिला के गर्भधारण में मददगार होते हैं। हम इसे फर्टिलिटी ड्रग्स (fertility drugs) के नाम से भी जानते हैं। अलग-अलग परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग दवाइयां हैं जो महिला को गर्भधारण में मदद कर सकती हैं। आमतौर पर डॉक्टर प्राकृतिक रूप से प्रेग्नेंट होने की सलाह देते हैं लेकिन, अगर महिला 12 महीनों तक बिना किसी प्रोटेक्शन के संभोग करने के बाद भी गर्भवती नहीं होती है तो डॉक्टर फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (fertility treatment) की सलाह देते हैं। वहीं, अगर महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक है तो 6 महीने के प्रयास के बाद भी डॉक्टर फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं। गर्भ ठहरने की दवा या फर्टिलिटी ड्रग के कई प्रकार होते हैं, जिनके काम अलग-अलग होते हैं। इसलिए, डॉक्टर पहले जांच करते हैं और समस्या के अनुसार किसी भी महिला को एक विशेष प्रकार के फर्टिलिटी ड्रग का सेवन करने को कहते हैं। वास्तव में, इन दवाओं के साथ जुड़े कई प्रतिकूल प्रभाव होते है।इसलिए, इसे अपनी मर्जी से लेना बेबुनियाद है। आइये गर्भ ठहरने की अंग्रेजी दवा से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब जानते हैं। गर्भधारण के लिए दवा कैसे काम करती है?How do fertility drugs for women work in hindiGarbh Dharan ke liye dava kaise kaam karti hai in hindiमहिलाओं के लिए कई अलग-अलग प्रकार के फर्टिलिटी ड्रग्स बाजार में उपलब्ध हैं। अधिकतर गर्भ रोकने की दवाएं महिलाओ के ओवुलेशन को नियमित कर गर्भ धारण करने में मदद करती हैं जिनमें से ज्यादातर दवाएं महिला के ओवुलेशन (ovulation) से जुड़ी समस्याओं को दूर कर ओवरी (ovary) को कई स्वस्थ अंडे का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करती हैं। दरअसल, फर्टिलिटी ड्रग्स ऐसे हॉर्मोन को उत्तेजित करते हैं जो महिलाओं में ओवुलेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं और इस तरह से फर्टिलिटी ड्रग्स गर्भ ठहराने में मददगार होते हैं। कई महिलाओं में अंडे का निर्माण सही समय पर नहीं होता है, जिससे उनकी ओवुलेशन पीरियड के निश्चित समय का पता नहीं चलता है। ऐसे में फर्टिलिटी ड्रग्स ओवुलेशन पीरियड को रेगुलेट करने के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं। जैसे आईवीएफ (IVF) और आईयूआई (IUI) ट्रीटमेंट के दौरान एक से अधिक अंडे के उत्पादन के लिए डॉक्टर फर्टिलिटी ड्रग्स लेने को कहते हैं। गर्भधारण करने के लिए दवा कब दी जाती है?When are fertility drugs for women prescribed in hindiGarbh Dharan karne ke liye dawa kab di jati hai in hindiअगर महिला नीचे दिए गए स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित है तब ऐसी स्थिति में डॉक्टर गर्भधारण करने के लिए कुछ ख़ास प्रकार के फर्टिलिटी ड्रग्स का सेवन करने की सलाह देते हैं।
अगर इन सभी स्थितियों में कोई महिला सामान्य रूप से गर्भ धारण नहीं कर पा रही है तो तब फर्टिलिटी एक्सपर्ट से इलाज के पहले चरण के रूप में फर्टिलिटी ड्रग्स लेने की सलाह देते हैं। ओवुलेशन के लिए दी जाने वाली प्रजनन दवाइयांOvulation ke liye di jane vali prajnan davaiyan in hindiOvarian stimulation fertility drugs in hindiकई महिलाएं गर्भधारण इसलिए नहीं कर पाती हैं क्योंकि, उनकी ओवरी या तो सही समय पर अंडे का उत्पादन नहीं करती है या फिर अंडे का स्वास्थ्य अच्छा नहीं होता है। ओवुलेशन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां इस्तेमाल की जाती है। ओव्यूलेशन-इंडक्शन एजेंटों का उपयोग आमतौर पर बांझपन से ग्रस्त महिलाओं के उपचार में किया जाता है। आइये उनके बारे में जानते हैं। ओवुलेशन के लिए दी जाने वाली प्रजनन दवाइयाँ निम्न हैं : - 1. मेटफॉर्मिन - ग्लूकोफेज (Metformin - glucophage) ऐसी महिलाएं जिनकी उम्र 35 से अधिक है और वे पॉलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (polysistic ovarian syndrome) से पीड़ित हो, उनमें इन्सुलिन प्रतिरोध पाया जा सकता है। इन्सुलिन प्रतिरोध के चलते ओवुलेशन में समस्या उत्पन्न होती है। ऐसी स्थिति में यह दवा महिलाओं में इन्सुलिन प्रतिरोध को कम करती है और ओवुलेशन साइकिल को दुरुस्त करती है। गर्भ ठहरने के लिए यह दवाई ख़ास रूप से उन महिलाओं को दी जाती हैं जो पीसीओडी (PCOD) से ग्रस्त हैं और जिनका बीएमआई (BMI) सामान्य होता है। ये दवाई क्लोमोफिन (clomiphene) के साथ दी जाती हैं। पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं में मेटफॉर्मिन का उपचार, नियमित मासिक धर्म चक्र स्थापित करने में मदद करता है। 2. डोपामाइन एगोनिस्ट (Dopamine agonists) प्रोलैक्टिन एक ऐसा हॉर्मोन है जो महिलाओं के स्तन विकास और स्तन में दूध के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है। जब इसकी मात्रा बढ़ने लगती है तो महिलाओं को ओवुलेशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ‘डोपामाइन एगोनिस्ट’ प्रोलैक्टिन का उत्पादन कम करती है और ओवुलेशन की समस्याओं को दूर करती है। यदि आईवीएफ (IVF) जैसे प्रजनन तकनीक के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाए तो डोपामाइन एगोनिस्ट ओवेरियन हाइपर-स्टिमुलेशन सिंड्रोम (Ovarian hyper-stimulation syndrome- ओएचएसएस) के खतरे को भी कर सकती हैं। 3. क्लोमीफीन या क्लोमिड (Clomiphene or clomid) ऐसी महिलाएं जो गर्भवती होना चाहती हैं लेकिन, ओवरी में अंडे का उत्पादन नहीं होता है। ऐसे में डॉक्टर क्लोमीफीन या क्लोमिड लेने को कहते हैं। क्लोमीफीन का उपयोग मासिक चक्र की अनुपस्थित या अनियमित मासिक धर्म चक्र (ओव्यूलेशन इंडक्शन) के इलाज के लिए किया जाता है। ज्यादातर डॉक्टर बांझपन के इलाज में इसी दवा का उपयोग करते हैं। एक सामान्य मासिक धर्म चक्र के दौरान केवल एक अंडा अंडाशय से बाहर निकलता है। क्लोमीफीन के उपयोग से अक्सर अंडाशय में दो या तीन अंडे प्रति चक्र उत्पन्न होते हैं, जिससे प्रेग्नेंट होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। कई प्रजनन केंद्रों में, क्लोमीफीन ओवुलेशन इंडक्शन के लिए पहली पसंद की दवा माना है। 4. लेट्रोज़ोल या फेमारा (Letrozole or femara) क्लोमीफीन की तरह लेट्रोजोल भी ओवुलेशन में मदद करता है। यह उन महिलाओं के लिए ज्यादा असरदार होता है जो मोटापे की समस्या से ग्रस्त हैं या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित हैं। अन्य दवा के मुकाबले, लेट्रोज़ोल के उपयोग से ओव्यूलेशन का दर बेहतर बनता है। यह प्राकृतिक गर्भाधान (Natural conception) की संभावना को बढ़ाता है और एंडोमेट्रियम की मोटाई (endometrial thickness) में सुधार करता है। 5. गोनाडोट्रोपिन (Gonadotropins) फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन को गोनाडोट्रोपिन कहा जाता है। जब कोई दूसरे उपचार जैसे क्लोमीफीन (clomifene) और लेट्रोजोल (letrozole) काम नहीं करते हैं तब डॉक्टर गोनाडोट्रोपिन की मदद से इलाज करते हैं। इसे इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है। गोनाडोट्रोपिन एफएसएच (FSH) हार्मोन के जैसा होता है, जिस कारण से ये ओवेरियन फॉलिकल की ग्रोथ में मदद करता है और अंडे के रिलीज़ कर फर्टिलाइजेशन और प्रेगनेंसी बढाता है। महिलाओं में गर्भधारण करने के लिए दी जाने वाली नेचुरल दवाइयांmahilao me garbh dharan karne ke liye di jane wali natural dawa in hindiNatural medicines given for pregnancy in women in hindiहमारी आजकल की लाइफस्टाइल ने आसानी से और नेचुरल तरीकों से गर्भधारण करना कुछ ज्यादा ही चुनौतीपूर्ण बन गया है। इनफर्टिलिटी (infertility)/बांझपन एक आम समस्या है और इसका इलाज करना कठिन है। जहाँ कुछ मेडिकल प्रक्रिया और तकनीक जोड़ों को बच्चा पैदा करने में मदद कर सकती हैं वहीं ज्यादातर जोड़े पारंपरिक तरीके से गर्भधारण करना पसंद करते हैं। आइये जानते है कुछ नेचुरल दवाइयों के बारेमे जो महिलाओं को प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में मदद करती है। मायो-इनोसिटोल (Myo-inositol) यह एक प्राकृतिक पदार्थ, जो प्रजनन कार्य को बेहतर बनाने के लिए ओवरी के स्वास्थ्य में सुधार और हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है। साथ ही मायो-इनोसिटोल मासिक धर्म को नियमित करता है पीसीओडी और संबंधित लक्षणों को दूर करने में मदद करता है।[1] गर्भावस्था में होने वाले मधुमेह की रिस्क को कम करता है। इस तरह मायो-इनोसिटोल नैचुरली प्रेगनेंसी कंसीव करने में मददगार है। कोएंजाइम क्यू10 (Coenzyme Q10) कोएंजाइम क्यू10 बढ़ती उम्र की महिलाओं में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और नेचुरल तरीके से गर्भधारण करने में मदद करता है। कोएंजाइम क्यू10 एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर को उन रसायनों (फ्री रेडिकल) से होने वाले नुकसान से बचाता है जिसकी वजह से महिलाओं में बांझपन की समस्या निर्माण होती है। महिलाओं के अंडे और भ्रूण की गुणवत्ता में सुधार करता है, साथ ही अंडे को ऑक्सीडेटिव डैमेज और स्ट्रेस से बचाव करता है। [2] एन ए सी (N-Acetyl Cysteine) एनएसी या एन-एसिटाइल-एल-सिस्टीन एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। एनएसी शरीर की सूजन कम करने के साथ सेल्स और टिश्यू को डैमेज होने से बचाता है। महिलाओं की एग क्वालिटी में सुधार करता है। ओवुलेशन साइकिल को उत्तेजित करता है। एनएसी पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में फर्टिलिटी क्षमता बेहतर बनाता है साथ ही मासिक धर्म को नियमित करता है। अश्वगंधा (Ashwagandha) अश्वगंधा को आयुर्वेद में सबसे उपयोगी जड़ी बूटियों में से एक के रूप में जाना जाता है। अश्वगंधा प्रजनन हार्मोन को संतुलित करने में मदद करती है। साथ ही इनफर्टिलिटी का सामना कर रही महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य और प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। अश्वगंधा इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है साथ ही मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में मदद करता है। इनके साथ ही इनो-सिटोल, विटामिन-डी, विटामिन ई, ज़िंक, क्रोमियम और मैग्नीशियम जैसे तत्व महिलाओंकी प्रजनन क्षमता बढ़ाने में फायदेमंद होते है। यह सभी तत्व आपको “बैलेंस सप्लीमेंट” में मिलेंगे, "बैलेंस" में मौजूद मायो-इनोसिटोल के साथ 10 और अन्य पोषक तत्व जो बांझपन का इलाज करने के साथ महिलाओं में अंडे के स्वास्थ्य में सुधार करता है, पीरियड्स को नियमित कर ओव्यूलेशन में मदद करता है, साथ ही हार्मोनल असंतुलन और वजन को नियंत्रित करता है। “बैलेंस सप्लीमेंट” के लिए यहाँ क्लिक करे - पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बूस्ट करने के लिए दी जाने वाली नेचुरल दवाइयांpurusho ki prajnan shamta ko boost karne ke liye di jane wali natural dawaiya in hindiNatural medicines to boost men's fertility in hindiआमतौर पर हम जब भी प्रजनन क्षमता की बात करते हैं तो वो महिलाओं के संदर्भ में ही होती है, लेकिन बच्चा होना या ना होना ये दोनों महिला और पुरुष पर निर्भर होता है। पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और क्वालिटी पे प्रजनन क्षमता निर्भर होती है, इनको बढ़ाने और स्वस्थ रखने के लिए कई नेचुरल तत्व और दवाइयां उपलब्ध है। आइये जानते है कुछ नेचुरल दवाइयों के बारेमे जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बूस्ट करने के लिए मदद करती है। पनाक्स जिनसेंग रूट एक्सट्रैक्ट (Panax Ginseng Root Extract) यह एक पूर्वी एशियाई हर्ब है, जिसका उपयोग पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। जिनसेंग यौन प्रदर्शन को बढ़ाता है, न्यूरो और हार्मोनल सिस्टम को संशोधित करके पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार करता है, शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता को बढ़ाता है, और सीमेन क्वालिटी में सुधार करता है। [3] पुरुषों की इम्यून सिस्टम को बेहतर कर स्तंभन दोष को दूर करता है। अकरकरा एक्सट्रेक्ट (Akarkara Extract) यह एक औषधीय जड़ी बूटी है। ये जड़ी-बूटी पौरूष बढ़ाने और पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए जानी जाती है। अकरकरा एक्सट्रेक्ट पुरुष की कामेच्छा में वृद्धि और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में सुधार कर शुक्राणुजनन को बढ़ाता है। अश्वगंधा एक्सट्रेक्ट (Ashwagandha Extract) एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो प्रजनन क्षमता को भी बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। अश्वगंधा शरीर में मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ावा देकर मांसपेशियों की ताकत में सुधार करता है और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाता है। यह सीमेन वोल्यूम में वृद्धि कर, शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता को बेहतर बनाता है। वेलवेट बीन एक्सट्रेक्ट (Velvet Beans Extract) यह लेग्यूम औषधीय गुणों से समृद्ध है, जो पुरुषों में बांझपन का भी इलाज करता है। आयुर्वेद में, वेलवेट बीन एक्सट्रेक्ट आमतौर पर एक कामोद्दीपक के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। यह सीमेन की क्वालिटी व स्पर्म मोटिलिटी के लिए सहायता कर टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि करता है। पुरुषों में तनाव को कम करने भी सहायक है। [4] इन सभी तत्वों के साथ मेथी के अर्क, गोखरू एक्सट्रेक्ट, सफ़ेद मूसली रुट एक्सट्रेक्ट, शतावर एक्सट्रेक्ट, ब्लैक पेपर एक्सट्रेक्ट, और अन्य कई विटामिन्स है जो नैचुरली पुरुष प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते है। यह सभी तत्व "वाइटैलिटी फॉर मेन" सप्लीमेंट में आपको मिलेंगे। “वाइटैलिटी फॉर मेन” पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार के साथ टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन के स्तर को बढ़ाता है, शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता में सुधार करता है, ऊर्जा, सहनशक्ति और इच्छा में वृद्धि करता है। "वाइटैलिटी फॉर मेन” के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ लिंक पे क्लिक करे- इसलिए अगर आप भी गर्भधारण की योजना बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपको उस समय से तीन महीने पहले से कुछ डाइट और सप्लीमेंट में बदलाव करने की कोशिश करनी चाहिए। इससे अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता में काफी सुधार होता है। इसके अलावा, एक पौष्टिक आहार और सप्लीमेंट लेने से गर्भाधान की गुणवत्ता और क्षमता काफी प्रभावित हो सकती है। यह सभी पोषक तत्व महिला साथी को “बैलेंस सप्लीमेंट” में और पुरुष साथी को "वाइटैलिटी फॉर मेन" आसानी से मिल जायेंगे जो प्राकृतिक गर्भाधान की संभावना को बढ़ाएगा। कृत्रिम गर्भाधान के समय पर दी जाने वाली प्रजनन दवाइयांKritrim garbhadhan ke samay par di jane vali prajnan dawaiyan in hindiFertility drugs for women given during artificial insemination in hindiअगर आप सामान्य तौर पर गर्भधारण नहीं कर पा रहे है और डॉक्टर आपको आर्ट (ART) तकनीक जैसे आईयूआई/आईवीएफ (IUI/ IVF) की मदद से गर्भधारण की सलाह दे रहे हैं तो इस स्थिति में आपके ओवुलेशन को सुचारु रूप से चलाने के लिए डॉक्टर आपको नियमित उपचार के साथ प्रजनन दवाइयों को लेने की सलाह देते हैं। ऐसे बहुत से कारण है जिसकी वजह से आईयूआई को बांझपन के उपचार में उपयोग किया जाता है। जब इसको कंट्रोल ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन (controlled ovarian hyperstimulation - COH) के साथ संयुक्त रूप से उपयोग किया जाता है तब इसके उपयोग से गर्भावस्था दर अच्छी मानी जाती है। हालांकि प्राकृतिक या क्लोमीफीन सिट्रट (clomiphene citrate -CC) चक्र के साथ इसका लाभ स्पष्ट तरह से दिखता है। [5] कृत्रिम गर्भाधान की इस प्रक्रिया में डॉक्टर महिला के ओवुलेशन के दौरान पहले से तैयार किया हुआ पुरुष का स्पर्म महिला के अंडे में योनि के रास्ते से डालते हैं। गर्भधारण होने में कोई परेशानी न आए और संभावना बढ़ जाए इसके लिए डॉक्टर महिला को फर्टिलिटी ड्रग्स देते हैं जो ओवुलेशन को नियमित करते हैं। ओवुलेशन के समय पर ही पुरुष के शुक्राणु महिला के योनि में डाले जाते हैं जिसके कारण फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है। आईयूआई उपचार डॉक्टर तब करते हैं जब पुरुष के स्पर्म में कई तरह की समस्याएं होती हैं। इसके अलावा अगर महिला संभोग कर पाने में सक्षम नहीं हैं या महिला एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis) से पीड़ित है तब भी आईयूआई उपचार ही किया जाता है।
महिला को अधिक अंडा उत्पादन करने के लिए क्लोमीफीन या लेट्रोज़ोल दिया जाता है। इससे अंडे का उत्पादन और आईयूआई का सक्सेस रेट भी बढ़ जाता है।
कई डॉक्टर महिलाओं को ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotropin - hcg) हॉर्मोन देते हैं। इससे ओवुलेशन के चांसेस बढ़ जाते हैं।
यह हार्मोन गर्भावस्था को बनाए रखने में मदद करता है। इस हॉर्मोन को महिला के योनि द्वार के जरिये डाला जाता है। ये आपातकालीन गर्भपात को रोकने में सक्षम होता है। आईवीएफ में डॉक्टर महिला के अंडाशय से एक या दो अंडे निकालते हैं और उन्हें लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज करते हैं। जब भ्रूण (embryo) का निर्माण हो जाता है तब भ्रूण को गर्भाशय में रख दिया जाता है। आईवीएफ के सक्सेस रेट को बढ़ाने के लिए डॉक्टर निम्न दवाइयों की सलाह दे सकते हैं : -
आईवीएफ में महिला के अंडो को शरीर से निकालकर निषेचन की प्रक्रिया लैब में की जाती है। इस कारण डॉक्टर आपके ओवोलुशन को समयानुसार लाने के लिए ओवुलेशन सप्रेशन मेडिसीन का उपयोग करते हैं। ये दवाइयां एक से चार सप्ताह के लिए दी जा सकती हैं। ओवुलेशन को तय समय पर लाने के लिए या प्राकृतिक ओवुलेशन को रोकने के लिए डॉक्टर गोनैडोट्रोपिन एंटागनिस्ट हार्मोन इंजेक्शन (gonadotropin antagonist hormones) की सलाह देते हैं।
आईवीएफ के दौरान माहवारी के 9वें से 11वें दिन तक आप डॉक्टर द्वारा बताये गए गोनाडोट्रोपिन इंजेक्शन लेने होते हैं। गोनाडोट्रोपिन इंजेक्शन फॉलिकल के विकास को बढ़ाता और अधिक अंडों को रिलीज के लिए मैच्योर करता है। जब फॉलिकल एक निश्चित आकार के हो जाते हैं, तो प्रजनन विशेषज्ञ ओवुलेशन को शुरू करने का इंजेक्शन देते हैं। आईयूआई की तरह आईवीएफ में भी ओवुलेशन के मौके बढ़ाने के लिए डॉक्टर महिलाओं को एचसीजी (hcg) इंजेक्शन देते हैं। एचसीजी हार्मोन इंजेक्शन के 24 से 36 घंटे के भीतर ओवरी से अंडे रिलीज़ होते हैं। फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स इन अंडो को निकालकर आईवीएफ की आगे की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। इसके अलावा गर्भावस्था को बनाए रखने में मदद के लिए महिला को प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन दिया जाता है। निष्कर्षConclusionin hindiNishkarshऊपर बताए गए सभी फर्टिलिटी ड्रग्स डॉक्टर के सलाह के बाद ही लेना चाहिए। जब तक डॉक्टर इनफर्टिलिटी के कारण का पता नहीं लगा लेते तब तक वे किसी भी दवा का सेवन करने की सलाह नहीं देते हैं। अगर आप अपने मन से किसी भी दवा का सेवन करती हैं तो इससे आपको कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हम आपको सलाह देते हैं किसी भी दवा के सेवन से पहले डॉक्टर से जरूर मिलें। क्या यह लेख सहायक था? हां कहने के लिए दिल पर क्लिक करें आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 09 Sep 2020 जल्दी गर्भ ठहरने के लिए क्या करना चाहिए?जल्द गर्भधारण या प्रेग्नंत होने के 11 तरीके. गर्भधारण सही उम्र में करे गर्भधारण के लिए डाक्टर सही उम्र 18 से 28 साल के बीच बताते हैं। ... . पहली प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट न करें ... . पहली प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट न करें ... . माहवारी का चक्र नियमित करें ... . ऑवुलेशन पीरियड पर नजर रखें ... . वजन पर कंट्रोल करें ... . सेहतमंद आहार ... . कंसेप्शनमून. जल्दी प्रेग्नेंट होने के लिए कौन सी दवा खाएं?लौंग के गुण
लौंग से ओवुलेशन में सुधार आता है और महिलाओं को इनफर्टिलिटी से निजात मिलती है। लौंग से फर्टिलिटी बढ़ती है और इसमें फोलिक एसिड और जिंक जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही फर्टिलिटी को सुधारने का काम करते हैं। इससे महिलाओं को नैचुरली प्रेगनेंट होने में मदद मिलती है।
प्रेग्नेंट होने के लिए कौन सी गोली अच्छी है?मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड ऐसी दवा है जो आपके शरीर को इंसुलिन हॉर्मोन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। इसे मधुमेह (डायबिटीज) के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है, मगर इसे पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से ग्रस्त महिलाओं में डिंबोत्सर्जन से जुड़ी समस्याओं के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
जल्दी गर्भ कैसे ठहरता है?जल्दी प्रेग्नेंसी के लिए ओवुलेशन पीरियड का ध्यान रखें। इसका कारण यही है कि अंडाशय से निकलने के बाद लगभग 24 से 36 घंटे तक अंडा जीवित रहता है। अगर इस दौरान संभोग किया जाए तो प्रेग्नेंसी की संभावना बहुत बढ़ जाती है। महिला के अंडाशय से अगर दो अंडे बाहर आते हैं तो जुड़वां बच्चे होने की संभावना होती है।
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