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Prabhat Vermaprimary teacher government of bihar कविता का संकलन क्या है?...आपका प्रश्न है कि कविता का संकलन क्या है कविता का संकलन किसी व्यक्ति विशेषऔर पढ़ें Shyam PraveenTeacher कविता का सार क्या होता है?...कोई भी कविता किसी खास उद्देश्य को लेकर लिखी जाती है वह कविता जिस भावऔर पढ़ें Tr. Sanwar ChoudharyRajasthan Subordinate Service / Blogger / motivational speaker कविता से क्या अभिप्राय है?...जिया पसंद है कविता से क्या अभिप्राय है कविता से अभिप्राय कविता से मनुष्यऔर पढ़ें MkmSenior Teacher(hindi) जो कविता रचिति हो उसे क्या कहते है? ...कवियत्री कहते हैं जो कविता रचने से कवित्री कहते हैं ओके थैंक्स धन्यवादऔर पढ़ें Gdy तुकांत और अतुकांत कविता क्या है?...तुकांत कविताएं हो ऐसी होती हैं जिनके प्रत्येक पंक्ति के जो अंतिम शब्द होते हैंऔर पढ़ें Hemant PriyadarshiWriter | Philospher| Teacher | कविता का सही अर्थ?...लिखी एक कविता का सही अर्थ है तो मैं यह बोलना चाहूंगा कि जब कोईऔर पढ़ें ShyamLife Coach | Freelance - Religion, Philosophy, Politics, Lifestyle.... एक कविता सुनाइए?...और पढ़ें डॉ साधना गुप्ताPh.d / net / Acupressure/ World Record Holder कविता में किस देश की ओर इशारा किया गया है?...कविता में किस देश की ओर इशारा किया गया है तो यहां किसी कविता काऔर पढ़ें Tr. Sanwar ChoudharyRajasthan Subordinate Service / Blogger / motivational speaker आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार “जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है, हृदय की इसी मुक्ति साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द-विधान करती आई है, उसे कविता कहते है।” मैथ्यू आर्नोल्ड के अनुसार- “कविता के मूल में जीवन की आलोचना है।” शैले के मतानुसर “कविता कल्पना की अभिव्यक्ति है।” उपर्युक्त परिभाषाएं हिन्दी कविता के स्वरूप को स्पष्ट करती है, उसमें छन्द व अलंकार पर बल नहीं दिया है, केवल एक बात पर बल दिया गया है, वह अभिव्यक्ति की हृदयस्पश्री प्रभावोत्पादकता पर जिससे यथाभाव की गूढ़तम अनुभूति हो सके। कविता का मुख्य लक्षण है। कविता के तत्वकविता के अर्थ एवं परिभाषा के बारे में जाने के पश्चात् यह अनिवार्य हो जाता है कि आप कविता के तत्त्वों के बारे में जानकारी ग्रहण करें। कविता भाव प्रधान के माध्यम से मनुष्य अपनी हृदयगत अनुभूतियों को व्यक्त करता है, कविता के द्वारा जिन विचार, भाव, नीति, रस की अभिव्यक्ति होती है, वह कविता का भाव तत्व कहलाता है। जिसे अनुभूति तत्व भी कहते हैें। कविता के माध्यम से अभिव्यक्त विचार एवं भावों की गूढ़तम अनुभूति तभी सम्भव है, जब कविता की भाषा-शैली उपयुक्त हो, भाव विशेष की अभिव्यक्ति के लिए छन्द-विशेष का चयन किया गया है। कविता में कल्पना का योग आवश्यक है। कल्पना के योगय से अलंकार योजना, प्रस्तुत-अप्रस्तुत, मूर्त-अमूर्त, जड़-चेतन के विधान से कविता शब्द योजना शब्द-शक्ति छन्द अलंकार प्रस्तुत-अप्रस्तुत मूर्त-अमूर्त जड़-चेतन कामिनी में चार चाँद लग जाते हैं। अत: यह सब कविता का कला तत्त्व कहलाता है, कला तत्त्व को अभिव्यक्ति तत्त्व भी कहते हैं। जिस कविता में भाव तत्त्व व कला तत्त्व का जितना अधिक, पर समुचित योग होता है, वह कविता उतनी ही अच्छी होती है। कविता के रसपाठ एवं बोध पाठ में अन्तरकविता के तत्वों के बारे में जानकारी हासिल करने के पश्चात् यह अनिवार्य हो जाता है कि हम कविता के रसपाठ एवं बोध पाठ के अन्तर को जाने। अर्थानुभूति, भावानुभूति, सौन्दर्यानुभूति, रसानुभूति परमानन्दानुभूति ये पांच सोपान कविता शिक्षण में पाये गए है। प्रथम दो सोपान अर्थानुभूति, भावानुभूति जिनका सम्बन्ध केवल बोध पाठ से है। अन्तिम तीन सोपान रसपाठ से जुड़े हैं। कविता में प्रयुक्त शब्दार्थ छन्द, अलंकार की व्याख्या, कविता का बोध पाठ है छात्रों में बोध-पाठ की योग्यता विकसित किए बिना हम रस-पाठ की ओर अग्रसर नहीं हो सकते। कविता की शिक्षण की विधियाँकविता पढ़ाने की अनेक विधियाँ प्रचलन में है। शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए छात्रों के मानसिक एवं बौद्धिक स्तरानुरूप किसी भी प्रणाली को अपना सकता है। यह प्रणाली है-
गीत प्रणालीसंगीत सभी को अच्छा लगता है। निर्झरों में कल-कल की ध्वनि से बहता जल, प्रकृति की सुरम्य एवं मनोरम, वादियों की गोद, मन्द-मन्द गति से चलने वाली समीर सभी को सहज आकर्षित करती है। बच्चे भी जन्म से गीत प्रिय होते हैं। अगर इन गीतों का प्रयोग शिक्षा में किया जाये तो शिक्षा सरल, सरस, सहज ग्राह्य, रूचिकर हो जाती है। शिक्षक कक्षा में गीत का सस्वर वाचन करता है तथा छात्र शिक्षक के वाचन के पीछे-पीछे उसे स्वर वाचन में लय, ताल गति-यति के साथ प्रस्तुत करते हैं। यह प्रणाली छोटी कक्षाओं के लिए बड़ी ही आकर्षक एवं उपयोगी है। शिशु खेल-खेल में गा-गाकर बहुत सारी उपयोगी बातें सीख जाते हैं। अत: यह विधि मनोवैज्ञानिक है। लेकिन गीत सरल एवं आकर्षक होना चाहिए- “मछली जल की रानी है, जीवन उस का पानी है। हाथ लगाओ डर जायेगी, बाहर निकालो मर जायेगी।” यह बालोचित तुकबन्दी ही बालक को सहज आकर्षित करती है। अभिनय प्रणालीइस प्रणाली में गीतों के साथ-साथ अभिनय भी किया जाता है। यह बालोचित गीत या तुकबन्दी अभिनय प्रधान होती है। जैसे- राहुल - “माँ कह एक कहानी यशोधरा - समझ लिया क्या बेटा तुने मुझको अपनी नानी।” इस गीत में राहुल एवं यशेधरा द्वारा कथित सामग्री का अभिनय प्रस्तुत करा-कर उसको छात्रों के प्रत्यक्ष रूप से दर्शाया जा सकता है। अत: छोटी कक्षाओं में यह प्रणाली उपयोगी है। पर गीत सरल, आसान एवं अभिनय योग्य हो, तभी यह विधि प्रयुक्त की जा सकती है। अर्थ कथन प्रणालीआजकल विद्यालयों में इस प्रणाली का अधिक प्रचलन है, इसी प्रणाली के सहारे शिक्षक कविता का स्वयं वाचन करते हुए, स्वयं उनका अर्थ बताते हुए चलता है। इस प्रणाली में छात्र केवल श्रोता है। यह प्रणाली अर्थ तो समझा देती है, लेकिन भावानुभूति एवं रसानुभूति नहीं करवा पाती। जोकि कविता शिक्षण का मुख्य उद्देश्य है। अत: यह प्रणाली मनोवैज्ञानिक नहीं है। व्याख्या प्रणालीइस प्रणाली में अध्यापक स्वयं या छात्रों से कविता का सस्वर वाचन करवा लेता है। परन्तु शब्दार्थ बताते हुए, प्रासंगित कथाओं की चर्चा करते हुए, छन्द अलंकार आदि की चर्चा करता है। इस प्रणाली के माध्यम से शिक्षक छात्रों व कवि के बीच रागात्मक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। यह प्रणाली उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए उपयोगी है, छोटी कक्षाओं के लिए नहीं। इस प्रणाली में छात्र निष्क्रिय है, शिक्षक ही सक्रिय है। अत: यह प्रणाली मनोविज्ञान की तुलना पर खरी नहीं उतरती। खण्डान्वय प्रणालीयह प्रणाली महाकाव्यों और लम्बी कविताओं के लिए उपयोगी है। क्योंकि इस विधि में सम्पूर्ण पाठ का खण्डान्वय कर लिया जाता है। इस प्रणाली में शिक्षक ही सक्रिय है। इस प्रणाली का दूसरा नाम प्रश्नोत्तर प्रणाली भी है, इसमें प्रश्नोत्तर के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है। परन्तु यह विधि मनोवैज्ञानिक नहीं है। व्यास प्रणालीयह प्रणाली व्याख्या प्रणाली का विस्तृत रूप है। कथावाचक (व्यास) जब कथा बाँचते हैं, जब भावों, विचारों, नीतियों को स्पष्ट करने के लिए मुख्य कथा के साथ-साथ कई (गौण कथा) अन्तर्कथाओं का विवरण प्रस्तुत करते हैं। अन्तर्कथाओं के उदाहरणों से, व्याख्याओं से कथा में नवजीवनी का संचार करते हैं। छात्रों के बौद्धिक स्तर, मानसिक स्तर अभिरूचि क्षमता को देखते हुए भी यह प्रणाली उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए उपयोगी है। तुलना प्रणाली इस विधि में शिक्षक पाठ्य-कविता की तुलना उसी भाव को व्यक्त करने वाली अन्य कविताओं के साथ करके पाठ्य-कविता के भावार्थों को स्पष्ट करने का प्रयास करता है। तुलना निम्न प्रकार से की जा सकती है- समीक्षा प्रणालीयह प्रणाली उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के छात्रों के लिए हितकारी है। उच्च श्रेणी तक पहुँचते-पहुँचते छात्रों का मानसिक एवं बौद्धिक विकास पर्याप्त रूप से हो चुका होता है साथ ही काव्य के तत्त्वों का ज्ञान भी वे ग्रहण कर चुके होते हैं। इस प्रणाली में काव्य के गुण-दोषों का विवेचना करके उनके यथार्थ को आँका जाता है। इस प्रणाली में शिक्षक केवल सहायक का ही कार्य करता है, वह पुस्तकों के नाम, संदर्भ-ग्रंथों के नाम एवं कुछ तथ्यों से छात्रों को परिचित करा देते हैं। इस प्रणाली में तीन तथ्यों की समीक्षा की जाती है- भाषा की समीक्षा, काव्यगत भावों की समीक्षा, कविता पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा। यह प्रणाली मनोवैज्ञानिक है, क्योंकि छात्र इसमें स्वयं सक्रिय है। रसास्वादन प्रणालीइस प्रणाली में शिक्षक का उद्देश्य छात्रों को कविता का अर्थ बलताना नहीं होता वरन् वह छात्रों को कविता का आनन्द लेने की क्षमता प्रदान करता है। शिक्षक कवि के परिचय, विशेष प्रसंग, प्रेरक स्थल, अति आवश्यक व्याख्या आदि की तरफ छात्रों का ध्यान आकृष्ट करते हुए छात्रों को रसानुभूति की प्रबल पे्ररणा देता है, वह छात्रों का कवि के साथ तादात्मय स्थापित करता है। यह विधि केवल बड़ी कक्षाओं में ही सम्भव है। कौन सी शिक्षण प्रणाली किस स्तर पर अपनाएवैसे तो हमने साथ-साथ प्रत्येक शिक्षण प्रणाली की उपयोगिता-अनुपयोगिता स्पष्ट कर दी है। प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में जहाँ बच्चों को बालोचित गीतों को रटाना होता है, वहां गीत एवं अभिनय प्रणाली दोनों का ही प्रयोग किया जाए। कक्षा चार से आठ तक अर्थ बोध एवं व्याख्या प्रणाली को अपनाये जाए। कक्षा नौ से बारह तक व्यास प्रणाली, प्रश्नोत्तर प्रणाली, तुलना प्रणाली, समीक्षा प्रणाली आदि छात्रों के मानसिक एवं बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखकर पढ़ाई जाए साथ-साथ कविता में निहित विचारों एवं भावों का बोध कराया जाये तो फिर क्रमश: रसानुभूति सौन्दर्यानुभूति परमानन्दानुभूति की ओर बढ़ाना चाहिए। यदि कविता शिक्षण द्वारा हम बच्चों की रूचि और अभिवृत्तियों को सामाजिक आदर्शोनुकूल विकसित कर सके तो, कविता शिक्षण सार्थक समझिए। कविता शिक्षण के सोपानप्यारे छात्रों अभी आप ने कविता की शिक्षण-विधियों के बारे में जाना, साथ ही जरूरी हो जाता है कि कविता शिक्षण के लिए कौन-कौन से सोपान है। साहित्य की विधाएँ गद्य व पद्य शिक्षण के लिए निम्न सोपानों को अपनाया जाता है। प्रस्तावना
उद्देश्य कथनप्रस्तावना के माध्यम से मूल विषय की तरफ आकर्षित करने के पश्चात् अध्यापक अपने उद्देश्य की घोषणा करता है। अत: अध्यापक को रूचि पूर्ण तरीके से उद्देश्य की घोषणा करनी चाहिए। प्रस्तुति:- कविता शिक्षण का अगला सोपान ‘प्रस्तुतीकरण’ है। इसके अन्तर्गत मूल शिक्षण-सामग्री पढ़ाई जाती है।
अर्थग्रहण एवं सौन्दर्य बोध परीक्षणशिक्षक को छोटे-छोटे प्रश्नोत्तर के माध्यम से यह पता लगा लेना चाहिए कि छात्रों ने कविता के अर्थ, भाव व सौन्दर्य को कहाँ तक ग्रहण किया है और वे कविता की व्याख्या करने में कहाँ तक समर्थ है। रचनात्मक कार्यकक्षा में काव्यात्मक वातावरण की अक्षुण्णता स्थिर व बनाये रखने के लिए अपने शिक्षण की समाप्ति पर अध्यापक बच्चों से कविता के मार्मिक स्थलों या कविता से सम्बन्धित भाव की अन्य कविताओं को कण्ठस्थ करने के लिए कह सकता है। कविता में अभिरूचि जागृत करनाप्यारे छात्रों, किसी कार्य करने के लिए, उसके अच्छे परिणाम के लिए रूचि का होना अनिवार्य है। अत: हमारे लिए यह आवश्यक हो जाता है कि बच्चों की काव्य में रूचि उत्पé करने के लिए हम किन-किन साधनों को अपना सकते हैं। कविता का मानव-मानव मन व हृदय पर सीधा प्रभाव पड़ता है, वह मानव-मन को झकृंत करती है, अपनी संगीतात्मकता के कारण निम्न साधनों से हम कविता में छात्रों की रूचि जागृत कर सकते हैं।
कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है?कविता शिक्षण का मुख्य उद्देश्य उसमें निहित रसानुभूति या सौन्दर्यानुभूति कराना होता है। कविता हृदय की वस्तु तथा अनुभूति की अभिव्यक्ति है। सौन्दर्यानुभूति करने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी पहले कविता का अर्थ समझे तत्पश्चात ही वह काव्य द्वारा परमानन्द की प्राप्ति कर सकता है।
कविता का मूल तत्व क्या है?कविता के प्रमुख तत्व हैंः रस, आनन्द, अनुभूति, रमणीयता इत्यादि संवेदना से जुड़े तत्व। काव्य के अव्यव से हमारा तात्पर्य उन तत्त्वों से है जिनसे मिलकर कविता बनती है, अथवा कविता पढ़ते समय जिन तत्त्वों पर मुख्य रूप से हमारा ध्यान आकर्षित होता है।
बिंदु क्या है कविता में?इसका अर्थ है, - "मूर्त रूप प्रदान करना"। काव्य में कार्य के मूर्तीकरण के लिए सटीक बिम्ब योजना होती है। काव्य में बिम्ब को वह शब्द चित्र माना जाता है जो कल्पना द्वारा ऐन्द्रिय अनुभवों के आधार पर निर्मित होता है।
कविता की मुख्य विशेषता क्या होती है?कविता की मुख्य विशेषता होती है, रसानुभूति की प्रबलता। कविता में मानव कवि अपने विचारों और मनोभावों को व्यक्त करता है, इसमें भावना एवं कल्पना की प्रधानता रहती है। कविता रस से भरी होती है और उसमें कवि की रस से भरी अनुभूति अभिव्यक्त रहती है। इसलिए कविता को पढ़ना या सुनना को रसानुभूति की प्रबलता होती है।
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