किसके पास विलक्षण शक्ति वाले बन्दर थे ? - kisake paas vilakshan shakti vaale bandar the ?

किसके पास विलक्षण शक्ति वाले बंदर थे ?

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asked Sep 19, 2020 in General Knowledge by anonymous

A). सुग्रीव के पास \nB). बाली के पास \nC). हनुमान के पास \nD). रावण के पास

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किसके पास विलक्षण शक्ति वाले बन्दर थे ? - kisake paas vilakshan shakti vaale bandar the ?

1. राम जब कुटिया की ओर भागे जा रहे थे तब उन्होंने किसकी पगडंडी देखी?

राम जब कुटिया की ओर भागे जा रहे थे तब उन्होंने लक्ष्मण कि पगडंडी देखी|

2. राम क्यों क्रोधित हुए?

लक्ष्मण कुटिया में सीता को अकेले छोड़कर आए थे, इसलिए राम क्रोधित हुए|

3. राम के क्रोधित होने पर लक्ष्मण ने क्या कहा?

राम के क्रोधित होने पर लक्ष्मण ने कहा कि देवी सीता ने मुझे विवश कर दिया| उनके कटु वचन मैं सहन नहीं कर सका। कटाक्ष और उलाहना नहीं सुन सका। मैं जानता था कि आप सकुशल होंगे। लेकिन उनकी बाते सुनकर मुझे कुटिया छोड़कर आना पड़ा|

5. राम ने जब लक्ष्मण को अयोध्या लौट जाने को कहा तब लक्ष्मण ने क्या कहा?

लक्ष्मण ने कहा कि आप आदर्श पुरुष हैं। आपको धैर्य रखना चाहिए। इस तरह दुःख से कातर नहीं होना चाहिए। हम मिलकर सीता की खोज करेंगे। वे जहाँ भी होंगी, हम उन्हें ढूँढ़ निकालेंगे।

6. राम ने झुंड में आए हुए हिरणों से जब सीता के बारे में पूछा तब उन्होंने क्या किया?

राम ने झुंड में आए हुए हिरणों से जब सीता के बारे में पूछा तब हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण दिशा की ओर भाग गए। राम संकेत समझ गए और सीता को खोजने दक्षिण दिशा में चल पड़े थे |

8. जटायु किस हाल में धरती पर पड़ा था?

जटायु लहूलुहान था उसके पंख भी कटे हुए थे और वह अपनी अंतिम साँसें गिन रहा था|

9. जटायु ने राम को सीता के बारे में क्या बताया?

जटायु ने बताया हे राजकुमार सीता को रावण उठा ले गया है| मेरे पंख भी उसने ही काटे| सीता का विलाप सुनकर मैंने रावण को चुनौती दी| उसका रथ तोड़ दिया| सारथी और घोड़ों को मार डाला। स्वयं रावण को घायल कर दिया। पर मैं सीता को नहीं बचा सका। रावण उन्हें लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर उड़ गया|

10. जटायु ने मरने से पहले कौन सी महत्वपूर्ण सूचना सीता के बारे में राम को दिया?

जटायु ने मरने से पहले रावण का नाम बताया था और दिशा बताई जिधर सीता को लेकर वह गया था |

11. एक दिन यात्रा के दौरान राम और लक्ष्मण पर किसने आक्रमण किया?

एक दिन यात्रा के दौरान राम और लक्ष्मण पर विशालयकाय राक्षस कबंध ने आक्रमण किया|

12. कबंध देखने में कैसा था?

कबंध देखने में डरवाना था| मोटे माँसपिंड जैसा था और उसकी गर्दन भी नहीं थी। एक आँख थी। दाँत बाहर निकले हुए। जीभ साँप की तरह लंबी और लपलपाती हुई थी |

13. राम और लक्ष्मण को देखते ही कबंध ने क्या किया?

राम और लक्ष्मण को देखते ही कबंध प्रसन्न हो गया| उसने दोनों हाथ फैलाए और एक-एक हाथ से दोनों भाइयों को पकड़कर हवा में उठा लिया।

14. राम और लक्ष्मण ने कबंध के साथ क्या किया?

राम और लक्ष्मण ने कबंध के हाथ काट दिए| उसके हाथ धरती पर गिर पड़े| कबंध उनकी शक्ति और बुद्धि को देखकर आश्चर्यचकित रह गया|

15. कबंध कि अंतिम इच्छा क्या थी ?

कबंध कि अंतिम इच्छा थी कि राम उसका अंतिम संस्कार करें|

16. कबंध ने राम और लक्ष्मण को मदद के लिए किसके पास जाने को कहा?

कबंध ने राम और लक्ष्मण को पंपा सरोवर के निकट ऋष्यमूक पर्वत पर वानरराज सुग्रीव के पास जाने को कहा था|

18. कबंध ने आगे बढ़ने से पूर्व उन्हें किससे मिलने को कहा?

कबंध ने आगे बढ़ने से पूर्व उन्हें शबरी से मिलने को कहा जो मतंग ऋषि कि शिष्य थी |

20. राम को देखते ही शबरी ने क्या किया?

राम को देखते ही शबरी कि आँखें तृप्त हो गईं| वह उनके आवभगत में लग गई और उन्हें खाने के लिए मीठे फल दिए|

21. सीता को खोजने के लिए शबरी ने राम को क्या करने को कहा?

शबरी ने राम को सुग्रीव से दोस्ती करने को कहा था और बताया उनके पास विलक्षण शक्ति वाले बंदर हैं जो सीता को खोजने में उनकी मदद करेंगे|

सीता की खोज Notes

भगवान राम को 14 वर्ष का जब वनवास हुआ तो वनवास के दौरान उन्होंने देश के सभी वन में रहने वाले लोगों को संगठित करने और शिक्षित करने का कार्य किया। भगवान राम की सेना में आदिवासी, भील, वानर, भालू, गिद्ध सभी थे। उल्लेखनीय है कि ओरांव आदिवासी से संबद्ध लोगों द्वारा बोली जाने वाली कुरुख भाषा में 'टिग्गा' एक गोत्र है जिसका अर्थ वानर होता है। कंवार आदिवासियों में एक गोत्र है जिसे हनुमान कहा जाता है। इसी प्रकार, गिद्ध कई अनुसूचित जनजातियों में एक गोत्र है।


प्राचीन काल की जातियां : बहुत प्राचीनकाल में लोग हिमालय के आसपास ही रहते थे। वेद और महाभारत पढ़ने पर हमें पता चलता है कि आदिकाल में प्रमुख रूप से ये जातियां थीं- देव, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, भल्ल, वसु, अप्सराएं, पिशाच, सिद्ध, मरुदगण, किन्नर, चारण, भाट, किरात, रीछ, नाग, विद्‍याधर, मानव, वानर आदि।

मानवों से अलग थे वानर : वानर का शाब्दिक अर्थ होता है 'वन में रहने वाला नर।' लेकिन मानव से अलग। क्योंकि वन में ऐसे भी नर रहते थे जिनको पूछ निकली हुई थी। शोधकर्ता कहते हैं कि आज से 9 लाख वर्ष पूर्व एक ऐसी विलक्षण वानर जाति भारतवर्ष में विद्यमान थी, जो आज से 15 से 12 हजार वर्ष पूर्व लुप्त होने लगी थी और अंतत: लुप्त हो गई। इस जाति का नाम कपि था। हनुमान का जन्म कपि नामक वानर जाति में हुआ था।

वर्तमान में कहां हैं वानर : दरअसल, आज से 9 लाख वर्ष पूर्व मानवों की एक ऐसी जाति थी, जो मुख और पूंछ से वानर समान नजर आती थी, लेकिन उस जाति की बुद्धिमत्ता और शक्ति मानवों से कहीं ज्यादा थी। अब वह जाति भारत में तो दुर्भाग्यवश विनष्ट हो गई, परंतु बाली द्वीप में अब भी पुच्छधारी जंगली मनुष्यों का अस्तित्व विद्यमान है जिनकी पूछ प्राय: 6 इंच के लगभग अवशिष्ट रह गई है। ये सभी पुरातत्ववेत्ता अनुसंधायक एकमत से स्वीकार करते हैं कि पुराकालीन बहुत से प्राणियों की नस्ल अब सर्वथा समाप्त हो चुकी है।

क्या सचमुच वानर थे हनुमानजी : रामायणादि ग्रंथों में लिखे हनुमानजी और उनके सजातीय बांधव सुग्रीव अंगदादि के नाम के साथ 'वानर, कपि, शाखामृग, प्लवंगम' आदि विशेषण पढ़कर उनके बंदर प्रजाति का होने का उदाहरण देते हैं। वे यह भी कहते हैं कि उनकी पुच्छ, लांगूल, बाल्धी और लाम से लंकादहन का प्रत्यक्ष चमत्कार इसका प्रमाण है। यह भी कि उनकी सभी जगह सपुच्छ प्रतिमाएं देखकर उनके पशु या बंदर जैसा होना सिद्ध होता है। रामायण में वाल्मीकिजी ने जहां उन्हें विशिष्ट पंडित, राजनीति में धुरंधर और वीर-शिरोमणि प्रकट किया है, वहीं उनको लोमश ओर पुच्छधारी भी शतश: प्रमाणों में व्यक्त किया है।

हनुमानजी जब मानव नहीं थे तो फिर वे मानवों की किसी भी जाति से संबंध नहीं रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान में उनकी जाति के लोग लुप्त हो गए हैं। अब जहां तक सवाल आदिवासी शब्द का है तो यह समझना जरूर है कि आदिवासी मानव भी होते हैं और वानर भी। आदि का अर्थ प्रारंभिक मानव या वानरों के समूह।

वानर साम्राज्य : भारत में वानरों के साम्राज्य की राजधानी किष्किंधा थी। सुग्रीव और बालि इस सम्राज्य के राजा थे। यहां पंपासरोवर नामक एक स्थान है जिसका रामायण में जिक्र मिलता है। 'पंपासरोवर' अथवा 'पंपासर' होस्पेट तालुका, मैसूर का एक पौराणिक स्थान है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में, पंपासरोवर स्थित है। हनुमानजी की माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी है, जो वानर जाति के थे। केसरीजी को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे कपि क्षेत्र के राजा थे।

सेंट्रल अमेरिका के मोस्कुइटीए (Mosquitia) में शोधकर्ता चार्ल्स लिन्द्बेर्ग ने एक ऐसी जगह की खोज की है जिसका नाम उन्होंने ला स्यूदाद ब्लैंका (La Ciudad Blanca) दिया है जिसका स्पेनिश में मतलब व्हाइट सिटी (The White City) होता है, जहां के स्थानीय लोग बंदरों की मूर्तियों की पूजा करते हैं। चार्ल्स का मानना है कि यह वही खो चुकी जगह है जहां कभी हनुमान का साम्राज्य हुआ करता था।

एक अमेरिकन एडवेंचरर ने लिम्बर्ग की खोज के आधार पर गुम हो चुके ‘Lost City Of Monkey God’ की तलाश में निकले। 1940 में उन्हें इसमें सफलता भी मिली पर उसके बारे में मीडिया को बताने से एक दिन पहले ही एक कार दुर्घटना में उनकी मौत हो गई और यह राज एक राज ही बनकर रह गया।

आदिम जातियों पर शोध :

पृथ्वी पर आदिम दौर में चार मानव प्रजातियों का अस्तित्व था। तब तक आधुनिक इंसान का पता नहीं चला था। यूरोप में मिले इन अवशेषों को निएंडरथल कहते हैं, जबकि एशिया में रह रहे आदिम इंसानों को डेनिसोवांस कहते थे। एक प्रजाति इंडोनेशिया में मिले आदिम इंसानों की भी है, जिसे हॉबिट कहते हैं। इनके अलावा एक रहस्यमय चौथा समूह भी था, जो यूरोप और एशिया में रहते थे। यह समूह डेनिसोवांस का संकर समूह माना जाता था। अब चीन में नए जीवाश्म मिलने से शोध की दिशा बदल गई है।

इस जीवाश्म का पता पहली बार 1976 में शूजियाओ के गुफाओं में मिला। इसमें कुछ खोपड़ियों के टुकड़े और चार लोगों के नौ दांतों के जीवाश्म मिले थे। इसका पूरा विवरण अमेरिकी फिज़िकल एंथ्रापोलॉजी जर्नल में छपा है। यह विचित्र किस्म का जीवाश्म है, जो अब तक मालूम मानव प्रजाति के जीवाश्म से मेल नहीं खाता। मुमकिन है कि ये जीवाश्म किन्हीं दो मालूम प्रजातियों के बीच रूपांतरण काल का हो सकता है। हालांकि इतना साफ है कि ये जीवाश्म किसी आधुनिक मानव प्रजाति के दांतों से मेल नहीं खाते। मगर कुछ गुण निश्चित ही आदिम प्रजाति के इंसानों से मिलते हैं। कुछ अंश निएंडरथल से मेल खाते हैं। इसके डीएनए की जांच से पता चला कि निएंडरथल और आधुनिक मानवों से अलग हैं लेकिन इसमें दोनों की खूबियां शामिल हैं। इस बात का सबूत है कि प्राचीनकाल में दो भिन्न-भिन्न प्रजातियों के मेल से विचित्र किस्म के जीव-जंतुओं और मानवों का जन्म हुआ होगा।