पाठ का सारांश दो बैलों की कथा की गणना प्रेमचंद की श्रेष्ठ कहानियों में की जाती है. इस कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज और पशुओं के भावनात्मक संबंध का वर्णन किया है .जैसा कि पाठ के शीर्षक से पता चलता है इस कहानी में दो बैल हैं -हीरा और मोती .ये दोनों बैल सीधे-साधे भारतीयों के प्रतीक हैं. आजादी में बार-बार संघर्ष करते हैं और अंत में उसे किसी भी तरीके से प्राप्त कर लेते हैं .इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से यह कहानी आजादी के आंदोलन की भावना से जुड़ी हुई है. जानवरों में गधे को सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है .इसका कारण है उसका सीधापन और सहनशीलता, उसके यही गुण उसे ऋषि-मुनियों की श्रेणी में ला देते हैं. उसके लिए लाभ हानि, सुख-दुख सब कुछ बराबर हैं. सीधेपन और सहनशीलता के कारण भारतीयों को अफ़्रीका और अमेरिका में असभ्य और बुद्धिमान समझा जाता था . गधे से कुछ कम सीधा उसका भाई भी है जिसे बैल के नाम से जाना जाता है परंतु यह कभी-कभी अड़कर अपना असंतोष प्रकट कर देता है इस कारण इसका स्थान गधे से कुछ ऊपर है. झूरी काछी के दो बैल थे, जिनका नाम था- हीरा और मोती. पछाई जाति की दोनों बैल ऊंची डॉल वाले, देखने में सुंदर तथा काम में चौकस थे . दोनों में इतनी घनिष्ठता थी कि एक दूसरे के मन की बातों का अनुमान लगा लेते थे. वे साथ साथ रहते, खाते और विनोद के भाव में कभी-कभी सींग भी मिला लिया करते थे. वे एक दूसरे के कामकाज और भर को अपने कंधे पर लेने की कोशिश करते हैं. दिन भर काम के बाद शाम को एक दूसरे को सूंघकर दोनों एक साथ ही नांद में मुँह डालते और साथ ही उठाते थे इस प्रकार प्रेम पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे. संयोग से एक बार झूरी ने दोनों बैलों को अपनी ससुराल भेज दिया. बैलों ने समझा कि उन्हें बेच दिया गया है यह उन्हें अच्छा न लगा. उन्हें ले जाने में झूरी के साले गया को बहुत परेशानी हुई. गया उन्हें आगे से खींचता तो बैल पीछे को बल लगाते .गया के घर की नई जगह, नए लोग उन्हें अच्छे नहीं लग रहे थे. रात को जब सब सो गए तो दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा और जोर लगाकर मजबूत पगहे तोड़कर प्रातः काल तक वापस झूरी के पास आ गए. झूरी ने चरनी पर बैलों को देखा. दोनों के गले में गराँव , कीचड़ में सने पैर तथा आंखों में विद्रोह से भरा स्नेह देखकर झूरी उनके गले लग गया. गांव के लड़कों ने उनका स्वागत किया और अपने अपने घरों से रोटियां, गुड़ ,चोकर और भूसी लाकर दिया .बैलों के यूँ भाग कर चले आने से झूरी की पत्नी नाराज हुई. उसने बैलों को खली, चुनी-चोकर खिलाने से मना कर दिया .झूरी ने सूखे भूसे में नौकर से खली डालने के लिए कहा पर झूरी की पत्नी के डर से नौकर ऐसा न कर सका. दूसरे दिन झूरी का साला गया दोनों को ले जाने फिर आया . इस बार उसने दोनों को गाड़ी में जोता और किसी तरह अपने घर ले गया. उसने उन्हें मोटी-मोटी रस्सी में बांधा उन्हें खाने को सूखा भूसा डाल दिया . बैलों ने अपना ऐसा अपमान कभी नहीं देखा था क्योंकि झूरी ने अपने बैलों को खली-चुनी सब कुछ दिया था .गया ने अगले दिन उन्हें हल में जोता पर बैलों ने कदम नहीं बढ़ाए . वह हीरा की नाक पर डंडे बरसाने लगा यह देख मोती गुस्से में आग बबूला हो गया और हल लेकर भागा जिससे हल , रस्सी,जोत, जुआ सब टूट गए. दोनों के गले में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ न होतीं तो पकड़ में ही न आते . गया गाँव के दो आदमियों के साथ औरभागा आया. उनके हाथ में लाठियां थीं . मोती ने उनका मुकाबला करना चाहा पर हीरा ने उसे शांत कर दिया .दोनों आदमियों ने हीरा-मोती को पकड़ा और घर ले आए. रात के समय फिर उन्हें सूखा भूसा डालकर घर के लोग भोजन करने लगे उसी समय एक छोटी लड़की दो रोटी लेकर आई और दोनों के मुँह में एक एक रोटी देकर चली गई . यह प्रतिदिन का नियम बन गया दोनों दिनभर जोते जाते, डंडे खाते. शाम को थान पर बांध दिए जाते और रात को वह लड़की दो सुखी रोटी खिला जाती . बैल जान चुके थे कि यह भैरव की लड़की है जिसकी माँ मर चुकी है और सौतेली माँ उसे सताती है यह जानकर मोती ने हीरा से उस सौतेली मां को सींग से फेंक देने की बात कही पर लड़की का स्नेह उसे रोक देता था. एक दिन लड़की ने दोनों की रस्सियां खोल दीं पर बैल उसके स्नेह के कारण भाग नहीं रहे थे तभी लड़की ने शोर मचाया कि दोनों बैल भागे जा रहे हैं. हीरा-मोती आगे-आगे तथा गया पीछे-पीछे .वह गांव वालों को लेने के लिए वापस आया तब तक दोनों को भागने का मौका मिल गया. वे आगे-आगे भागते रहे पर वे रास्ता भटक गए. रास्ते में उन्हें नए-नए गांव तथा खेत मिलने लगे. भूख से व्याकुल दोनों ने एक खेत में जी भर मटर खाए फिर दोनों ने डकार लेकर सींग मिलाए. अचानक उनको सामने से एक बड़ा सा सांड आता दिखाई दिया . उससे भिड़ने पर मरना तो तय है यह सोचकर दोनों उससे बचना चाहते थे पर कोई रास्ता भी न था. दोनों ने भागने को कायरता समझ कर उस पर एक साथ चोट करने का निश्चय किया. उन्होंने तय किया कि एक पर झपटने पर दूसरा उसके पेट में सींग घुसेड़ देगा . सांड को दो-दो शत्रुओं से एक साथ लड़ने का अनुभव न था .जब उसने मोती पर हमला किया तो हीरा ने उसे रगेदा . सांड ने जब हीरा का अंत करने के लिए वार किया तो मोती ने उसके पेट में सींग घुसा दिए और जब मोती पर झपटा तो हीरा ने भी ऐसा ही किया. सांड बेदम होकर वहीं गिर पड़ा तब उन दोनों ने उसे छोड़ दिया. आगे बढ़ने पर दोनों मटर के खेत में भाग गए अभी दो-चार ग्रास ही खाए थे की खेत के रखवालों ने उन्हें देख लिया. मेढ़ पर खड़ा हीरा निकल गया पर मोती सींचे (गीले ) हुए खेत में था वह भाग न सका .हीरा भी लौट आया दोनों पकड़े गए और कांजी हाउस में बंद कर दिए गए. दोनों के जीवन में ऐसा पहली बार हुआ कि सारे दिन खाने को कुछ न मिला.इससे तो गया ही अच्छा था -उन्होंने सोचा .यहां कई भैंसें ,बकरियां और घोड़े थे पर चारा तो किसी के सामने न था .सारा दिन दोनों ने चारे का इंतजार किया पर कोई चारा लेकर न आया . उन्होंने दीवार की मिट्टी चाटना शुरू कर दी पर उससे क्या होता ? दोनों वहां से निकल भागने की योजना बनाने लगे .बाड़े की कच्ची दीवार में हीरा ने सींग मार कर कुछ मिट्टी गिरा दी .उसी समय बाड़े का चौकीदार हाजिरी लेने आया उसने हीरा को ऐसा करते देख उसे कई डंडे मारे और मोटी रस्सी से बांध दिया . इतना होने पर भी दोनों ने दीवार गिराना जारी रखा . दो घंटे के बाद आधी दीवार गिर गई .यह देख पहले घोड़ियां फिर बकरियां बाद में भैंसें कांजी हाउस से भाग गईं पर गधे अभी वहीं खड़े थे. वे डर के मारे भागना नहीं चाहते थे . आधी रात तक गधे वहीं खड़े रहे और मोती हीरा की रस्सियाँ तोड़ने में लगा रहा. सफल न होता देख मोती ने सींग मारकर गधों को भी वहां से भगा दिया और हीरा के पास सो गया अगले दिन मोती को खूब मार पड़ी और उसे भी मोटी रस्सी में बांध दिया गया . एक सप्ताह तक दोनों बिना चारे के वहीं पड़े रहे. वे बहुत कमजोर हो चुके थे एक दिन बाड़े के सामने डूग्गी बजने लगी और बाड़े के सामने पचास-साठ आदमी वहां एकत्र हो गए. दोनों को निकाला गया पर ऐसे मरियल बैलों का कोई खरीदार न था . अचानक एक दढ़ियल जिसकी आंखें लाल तथा मुद्रा कठोर थी आया और उनके कूल्हों में उंगली गोद कर देखने लगा . यह देखकर दोनों अंतर्ज्ञान से कांप उठे. नीलामी के बाद उसने दोनों बैलों को खरीद लिया. डर के मारे हीरा मोती उसके साथ गिरते पड़ते भागने लगे क्योंकि जरा सी चाल कम होते ही वह डंडा मार देता था राह में गाय-बैलों को हरे-हरे खेतों में चरता देखकर उन्हें अपने भाग्य पर रोना आ रहा था . सहसा हीरा मोती को वह रास्ता परिचित सा लगा. गया उसी रास्ते से उन्हें ले गया था .वही खेत ,बाग़ और गांव उन्हें मिलने लगे. उनकी थकान और दुर्बलता गायब हो उठी . उन्हें अपना खेत और कुआं पहचान में आ गया . अपना घर निकट देखकर दोनों तेजी से भागे और अपने थान पर जाकर ही रुके. उन्हें यूं आया देख झूरी ने बारी-बारी से उन्हें गले लगा लिया. अब तक दढ़ियल ने आकर उनकी रस्सियाँ पकड़ लीं . झूरी ने कहा यह तो मेरे बेल हैं इस पर दढ़ियल ने कहा तुम्हारे बैल कैसे? मैनें इन्हें मवेशी खाने से नीलाम किया है . यह कहकर वह जबरदस्ती उन्हें ले जाने की कोशिश करने लगा . उसी समय मोती ने सींग चलाया. दढ़ियल डर के मारे भागने लगा यह देख मोती दढ़ियल के पीछे भागने लगा और उसे गांव के बाहर खदेड़ दिया अंत में हारकर दढ़ियल चला गया. थोड़ी ही देर में झूरी ने नांदों में खली,चूनी ,चोकर और दाना भर दिया जिसे खाने में दोनों व्यस्त हो गए. गाँव में उत्साह छा गया मालकिन ने भी दोनों के माथे चूम लिए. do bailon ki katha class 9 shabdarthशब्दार्थ पहले दर्जे का बेवकूफ- महामूर्ख निरापद- सुरक्षित सहिष्णुता- सहनशीलता पदवी- उपाधि अनायास- अचानक वैशाख- गर्मी का महीना विषाद - दुख ,उदासी पराकाष्ठा- चरम सीमा, अंतिम सीमा अनादर- अपमान कदाचित- शायद कुसमय- बुरा समय, मुसीबत गम खा जाना- शांत रहना मिसाल -उदाहरण गण्य - गणनीय , सम्मानित बछिया के ताऊ- अत्यधिक मूर्ख अड़ियल- जिद्दी रीति- तरीका पछाई - पालतू पशुओं की एक नस्ल चौकस- चौकन्ना डील- कद मूक-भाषा - मौन भाषा विचार विनिमय- विचारों का आदान प्रदान गुप्त- छिपी वंचित- रहित या विमुख विग्रह- अलगाव घनिष्ठता- प्प्रगाढ़ता नाँद - पशुओं के चारा खाने का बड़ा सा बर्तन गोई - जोड़ी समर्थन करना- पुष्टि करना पगहिया - बैलों को बांधने की रस्सी कबूल- स्वीकार जालिम- निर्दयी बेगाने- पराए चरनी - चारा खाने की जगह गराँव - बैलों के गले में पहनाई जाने वाली फंदेदार रस्सी प्रेमालिंगन - प्रेम से बाहों में भर लेना मनोहर- मन को अच्छा लगने वाला अभूतपूर्व -जो पहले न हुआ हो अभिनंदन पत्र- सम्मान पत्र प्रतिवाद करना- विरोध में तर्क देना आक्षेप- आरोप कामचोर- काम से जी चुराने वाला मजूर- मजदूर ताकीद - चेतावनी टिटकार- बैलों को तेज चलाने के लिए मुंह से निकाली गई टिक-टिक की आवाज आहत- घायल कुशल -भला तेवर - क्रोध भरी दृष्टि टाल जाना- बच जाना मसलहत - उचित , हितकर वास -निवास आत्मीयता -अपनापन थान -पशुओं के बाँधने का स्थान बरकत- बढ़ाव या वृद्धि सहसा -अचानक परिचित मार्ग -जाना पहचाना रास्ता बेतहाशा -बिना सोचे समझे आहट लेना -किसी के आने के बारे में जानने की कोशिश करना भयंकर -डरावनी आरजू -विनती रगेदना - दौड़ाना, खदेड़ना जोखिम -खतरा संगठित- इकट्ठा, एकजुट तजुर्बा- अनुभव मल्लयुद्ध -कुश्ती आदी - अभ्यास जख्मी -घायल तिरस्कार -अपमान वैरी -दुश्मन ग्रास- कौर संगी - साथी कांजीहौस - जहां पशुओं को बंद करके रखा जाता है साबिका - वास्ता ,सरोकार तृप्ति -संतोष बूते - बल चिप्पड़ - टुकड़ा उजड्डपन - उद्दंडता देह - शरीर प्रतिद्वंद्वी- मुकाबला करने वाला सरपट -तेजी से हर्ज -परेशानी गर्व - अभिमान बंधु -भाई भोर - सवेरा ,तड़का तृण -तिनका ठठरी- हड्डी मृतक - मरा हुआ खरीदार- खरीदने वाला अंतर्ज्ञान - भीतरी ज्ञान टटोलना -उंगलियों से छूकर पता लगाना भीत - डरा हुआ नाहक -बेकार अश्रद्धा - अनादर चपल - चंचल पागुर करना (जुगाली करना ) -गाय बैल जैसे पशुओं द्वारा निगले हुए चारे को फिर से चबाने की क्रिया बधिक-वध करने वाला पुर चलाना -चमड़े के बड़े से थैले से पानी खींचना नगीच - निकट उन्मत्त -पागल नीलामी- बोली में सबसे ज्यादा मूल्य देकर खरीदना अख्तियार -अधिकार रपट- सूचना उछाह - उत्साह
DO BAILON KI KATHA पाठ में प्रयुक्त मुहावरे गम खाना- कष्ट को चुपचाप सहन कर लेना ईंट का जवाब पत्थर से देना -भरपूर या जोरदार जवाब देना बछिया का ताऊ होना- महामूर्ख होना दांतों पसीना आ जाना -बहुत अधिक परिश्रम करना कसर न उठा रखना -भरपूर कोशिश करना दिल भारी होना -बहुत दुखी होना मजा चखाना -बदला ले लेना आंखें न उठाना -देखने की कोशिश भी न करना आफत आना - मुसीबत आना बगलें झांकना -किसी बात से बचने का प्रयास करना ज्वाला दहक उठना - बहुत अधिक बढ़ जाना चेत उठना - सजग हो जाना खलबली मचना - अफरा-तफरी मचना मरम्मत होना -पिटाई होना मन फीका करना -निराशा हाथ लगना बोटी-बोटी कांपना -बहुत डरना गिरते पड़ते भागना -किसी तरह से जल्दी जल्दी भागना खबर लेना -धमकाना या मारना दो बैलों की कथा प्रश्न
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