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कान में दर्द एक आम समस्या है. ये दर्द दोनों कान में हो सकता है लेकिन ये ज्यादातर एक कान में ही होता है. कान का दर्द थोड़ी देर या बहुत देर तक भी रह सकता है. ये दर्द हल्का और तेज भी हो सकता है. इयर इंफेक्शन के अलावा और भी कई वजहों से कान में दर्द होता है. आइए जानते हैं इनके बारे में.
कान दर्द के लक्षण- कभी-कभी कान में दर्द होने की वजह से ठीक से सुनाई नहीं देता है. कुछ लोगों के कान से तरल पदार्थ भी निकलता है. कान दर्द की वजह से बच्चों में रुक-रुक सुनाई देना, बुखार आना, सोने में दिक्कत, कान में खिंचाव, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द और भूख में कमी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.
कान दर्द के सामान्य कारण- चोट, संक्रमण, कान में जलन की वजह से कान में दर्द हो सकता है. जबड़े या दांत में दर्द की वजह से भी कान में दर्द होता है. इंफेक्शन की वजह से कान में अंदर की तरफ दर्द होता है.
इंफेक्शन स्विमिंग, हेडफोन लगाने, कॉटन या उंगली डालने पर कान में बाहरी तरफ इंफेक्शन हो सकता है. कान के अंदर की त्वचा छिल जाने और पानी चले जाने की वजह से कान में बैक्टीरिया भी हो सकते हैं.
रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की वजह से कान में बीच की तरफ इंफेक्शन हो सकता है. कान में जमे हुए तरल पदार्थ की वजह से भी बैक्टीरिया होने लगते हैं. लैबीरिंथाइटिस की वजह से कान में अंदर की तरफ सूजन होने लगती है.
कान दर्द के अन्य कारण- हवा का दबाव, कान का मैल, खराब गला, साइनस का इंफेक्शन, कान में शैम्पू या पानी चला जाना, रूई डालना, टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट सिंड्रोम, कान में छेद करवाने, दांतों में संक्रमण, कान में एक्जिमा होने की वजह से भी दर्द होता है.
घर पर कैसे करें इलाज- कान में मामूली दर्द का इलाज घर पर भी किया जा सकता है. कान की ठंडे कपड़े से सिकाई करें. कान को गीला होने से बचाएं. कान के दबाव से राहत पाने के लिए बिल्कुल सीधे बैठें, च्विंगम चबाने पर भी कान पर कम दबाव पड़ता है. नवजात शिशु के कान में दर्द हो तो उस दूध पिलाएं, इससे भी कान का दबाव कम होता है.
मेडिकल ट्रीटमेंट- अगर आपको कान में तेज दर्द के साथ बुखार है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. इसके लिए डॉक्टर आपको कुछ एंटीबायोटिक दवाएं और इयर ड्रॉप्स दे सकता है. कभी भी आराम मिलने के बाद दवा लेनी बंद ना करें. जब तक दवा का कोर्स पूरा नहीं होगा, इंफेक्शन पूरी तरह ठीक नहीं होगा.
इन बातों का रखें ध्यान- अगर आपको अक्सर कान में दर्द की शिकायत रहती है तो कुछ बातों का खास ख्याल रखें. जैसे कि सिगरेट ना पिएं, कान में किसी भी तरह का औजार ना डालें, नहाने या स्विमिंग के बाद कान को सुखाएं, धूल-धक्कड़ और एलर्जी वाली चीजों से बचें. देशभर में टीएमडी यानी टैंपोरोमैंडिबुलर ज्वॉइट डिस्ऑर्डर से ग्रस्त लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है. भारतीय आबादी का 52 प्रतिशत हिस्सा टीएमडी से थोड़ा या अधिक परेशान है और इनमें से 22 प्रतिशत मरीज दाएं और बाएं टीएमजे से प्रभावित हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, जबड़े में दर्द का कारण मानसिक तनाव भी हो सकता है. टीएमजे निचले जबड़े को खोपड़ी से जोड़ता है. हालांकि टीएमजे विकारों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें दांत एक सीध में न होना या दिमागी सदमा प्रमुख शामिल है, लेकिन इसकी एक वजह मानसिक तनाव भी हो सकता है. चेहरे में यही एकमात्र चलायमान जोड़ होता है. आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "टीएमजे एक बॉल एंड सॉकेट वाला जोड़ है, जो कई कारणों से खराब हो सकता है. तनाव के दौरान, लोग अक्सर अपने जबड़े को भींचते हैं या गुस्से में अपने दांत पीसने लगते हैं. इस वजह से, मांसपेशियां तनी हुई अवस्था में रहती हैं और जोड़ को आराम नहीं मिल पाता है. इससे जोड़ में सूजन, दर्द और शिथिलता हो सकती है." डॉ. अग्रवाल ने कहा, "ऐसा कोई व्यक्ति जब अपना मुंह खोलता है या कुछ चबाता है, तब टीएमजे विकार के कारण क्लिक की आवाज आती है. यदि इस आवाज के साथ दर्द न होता हो या मुंह खोलने में असुविधा न होती हो, तो इलाज आवश्यक नहीं है. टीएमजे रोग को कुछ घरेलू उपायों से और तनाव में कमी लाकर एवं विश्राम की तकनीक से काफी हद तक कम किया जा सकता है." उन्होंने कहा कि टीएमजे विकार के लक्षणों में जबड़े में दर्द, कान व गाल के पास खिंचवा, थकान, दांत दर्द, सिरदर्द और जंभाई लेते समय क्लिक की आवाज आना प्रमुख है. डॉ. अग्रवाल ने बताया, "कई अन्य स्थितियां हैं जो टीएमजे विकार जैसे लक्षण पैदा करती हैं. इसमें दांत दर्द, साइनस की समस्या, गठिया या मसूढ़े के रोग शामिल हैं. एक दंत चिकित्सक सावधानीपूर्वक रोगी से बातचीत करके और कुछ परीक्षणों के जरिए पता लगा सकता है कि इस तकलीफ की असली वजह क्या है. टीएमजे विकार का उपचार थोड़ी सावधानियां बरतते हुए और इंजेक्शन व सर्जरी आदि की मदद से संभव है." इन विकारों के लिए कुछ घरेलू उपचार: * ओवर-द-काउंटर दवाएं: नैप्रोक्सेन या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं से मांसपेशियों में दर्द और सूजन से राहत मिलती है. * आइस पैक: लगभग 10 मिनट के लिए चेहरे व कनपटी पर आइस पैक लगाने से मदद मिल सकती है. * नरम खाद्य पदार्थ खाएं: दही, उबले आलू, पनीर, सूप, अंडा करी, मछली, फल और सब्जियां, बींस अच्छे विकल्प हैं. * जबड़े को ज्यादा न चलाएं: न कुछ चबाएं न जम्हाई लें. ऐसी किसी भी गतिविधि से बचें, जिससे आपको अपना मुंह ज्यादा खोलना पड़े. * बैठने की अवस्था: गर्दन और चेहरे के दर्द को कम करने के लिए ठीक तरह से बैठें. * विश्राम करें: योग और ध्यान जैसी तकनीकों से तनाव कम होता है और आराम मिलता है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट लाइफस्टाइल की और खबरों के लिएक्लिक (इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।) यह भी पढ़ेंकान के नीचे जबड़े में दर्द क्यों होता है?जबड़े या दांत में दर्द की वजह से भी कान में दर्द होता है. इंफेक्शन की वजह से कान में अंदर की तरफ दर्द होता है. इंफेक्शन स्विमिंग, हेडफोन लगाने, कॉटन या उंगली डालने पर कान में बाहरी तरफ इंफेक्शन हो सकता है. कान के अंदर की त्वचा छिल जाने और पानी चले जाने की वजह से कान में बैक्टीरिया भी हो सकते हैं.
मुंह के जबड़े में क्यों दर्द हो रहा है?जबड़े के जोड़ की डिस्क में गठिया, जबड़े की गतिविधि में डिस्क खिसकना, मायोफेशियल सिंड्रोम (एक तरह दर्द विकार है जो कुछ मांसपेशियों के ट्रिगर बिंदुओं में दर्द का कारण बनता है), मुंह की ग्रंथियों का संक्रमण जिससे मुंह सूख जाता है या सूजन आ जाती है, जबड़े की गतिविधि को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों में किसी प्रकार की ...
कान में दर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं?बैरोट्रॉमा की समस्या, सिर पर गंभीर चोट, बहुत तेज आवाज, ओटाइटिस मीडिया, मध्य कान में संक्रमण जैसे कारण भी पर्दे को नुकसान पहुंचाते हैं। साइनस संक्रमण : यह संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया या फंगस से हो सकता है। साइनस में संक्रमण होने या अवरोध होने से कान में हवा का दबाव प्रभावित होता है, जिससे दर्द होने लगता है।
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