सातुड़ी तीज की पूजा कैसे की जाती है? - saatudee teej kee pooja kaise kee jaatee hai?

सातुड़ी तीज की पूजा Satudi Teej Ki Pooja भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को की जाती है जिसे कजली तीज Kajli teej , भादवा तीज  Bhadva Teej  या बड़ी तीज Badi teej भी कहते है। इस दिन सातु बनाया जाता है तथा नीमड़ी माता की पूजा की जाती है। आइये जानें इनका सम्पूर्ण तरीका –

तीज के त्यौहार और व्रत मनाने का अवसर पंद्रह दिन के अंतराल से तीन बार आता है। जिसमे सावनी तीज , सातुड़ी तीज व हरतालिका तीज मनाई जाती है। यहाँ सातुड़ी तीज – भादवा तीज Bhadva Teej की पूजा विधि बताई गई है।

सातुड़ी कजली तीज 2022 date

14 अगस्त रविवार 

तीज के व्रत या पूजा से एक दिन पहले सिर धोकर हाथो व पैरों पर मेहंदी लगाना शुभ होता है।

सातुड़ी तीज पूजन की सामग्री

Satudi Teej Poojan ka saman

  • एक छोटा सातू का लडडू
  • नीमड़ी
  • दीपक
  • केला
  • अमरुद या सेब
  • ककड़ी
  • दूध मिश्रित जल
  • कच्चा दूध
  • नींबू
  • मोती की लड़ / नथ के मोती
  • पूजा की थाली
  • जल कलश

सातुड़ी तीज पूजन की तैयारी – Teej Poojan Preparation

सातुड़ी तीज की पूजा कैसे की जाती है? - saatudee teej kee pooja kaise kee jaatee hai?

मिटटी व गोबर से दीवार के सहारे एक छोटा -सा तालाब बनाकर (घी , गुड़ से पाल बांध कर ) नीम वृक्ष की टहनी को रोप देते है। तालाब में कच्चा दूध मिश्रित जल भर देते है और किनारे पर एक दिया जला कर रख देते है।

नीबू  , ककड़ी , केला , सेब ,  सातु , रोली , मौली , अक्षत आदि थाली में रख लें । एक छोटे लोटे में कच्चा दूध  लें।

सातुड़ी तीज की पूजा विधी –  Satudi Teej Poojan

इस दिन पूरे दिन सिर्फ पानी पीकर उपवास किया जाता है और सुबह सूर्य उदय से पहले धमोली की जाती है इसमें सुबह मिठाई ,फल आदि का नाश्ता किया जाता है बिल्कुल उसी तरह जैसे करवा चौथ में सरगी की जाती है।

सुबह नहा धोकर महिलाये सोलह बार झूला झूलती है , उसके बाद ही पानी पीती है। सांयकाल के बाद औरते सोलह श्रृंगार करके नीमड़ी माता की पूजा करती हैं। पूजा इस प्रकार करें –

~  सबसे पहले नीमड़ी माता को जल के छींटे दें ।

~  रोली के छींटे दे व चावल चढ़ायें ।

~  नीमड़ी माता के पीछे  दीवार पर मेहंदी , रोली व काजल की तेरह -तेरह बिंदिया अपनी अँगुली से लगायें । मेहंदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली ( Ring Finger ) से लगानी चाहिए और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली ( Index Finger ) से लगानी चाहिए।

~  नीमड़ी माता को मोली चढ़ायें ।

~  मेहंदी, काजल और वस्त्र (ओढनी ) चढ़ायें ।

~  दीवार पर लगाई बिंदियों पर भी मेहंदी की सहायता से लच्छा चिपका दें ।

~  नीमड़ी को कोई फल , सातु और दक्षिणा चढ़ायें ।

~  पूजा के कलश पर रोली से टीकी करें और लच्छा बांधें ।

~  किनारे रखे दीपक के प्रकाश में नींबू , ककड़ी , मोती की लड़ , नीम की डाली , नाक की नथ , साड़ी का पल्ला, दीपक की लो , सातु का लडडू आदि वस्तुओ का प्रतिबिम्ब देखते हैं और दिखाई देने पर इस प्रकार बोलना चाहिए –

तलाई में नींबू दीखे , दीखे जैसा ही टूटे ”

इसी तरह बाकि सभी वस्तुओ के लिए एक -एक करके बोलना चाहिए।

~  इस तरह पूजन करने के बाद सातुड़ी तीज माता की कहानी सुननी चाहिए

तीज माता की कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें  –

सातुड़ी कजली तीज की कहानी

नीमड़ी माता की कहानी सुननी चाहिए , कहानी के लिए क्लिक करें –

नीमड़ी माता की कहानी

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~  रात को चंद्र उदय होने पर चाँद को अर्क (अर्ध्य ) दिया जाता है।

चाँद को अर्क (अरग ) देने की विधि

Chand ko arak

~  चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली , मोली , अक्षत चढायें। फिर चाँद को जिमाए ( चाँद को भोग अर्पित करें ) व चांदी की अँगूठी और आखे ( गेंहू ) हाथ में लेकर जल से अर्क (अरग ) देना चाहिए।

अर्क देते समय थोड़ा -थोड़ा जल चाँद की मुख की और करके गिराते है। चार बार एक ही जगह खड़े हुए घुमते है। ये परिक्रमा होती है। अर्ध्य देते समय बोलते हैं  :

सोने की सांकली , मोतियों का हार।

चाँद ने अरग देता , जीवो वीर भरतार 

~   सत्तू के पिंडे पर टीका करे व  भाई / पति , पुत्र के तिलक निकालें ।

~  पिंडा पति / पुत्र से चाँदी के सिक्के से बड़ा करवाये ( पिंडा तोड़ना ) इस क्रिया को पिंडा पासना  Pinda Pasna कहते है। पति पिंडे में से सात छोटे टुकड़े करते है आपके खाने के लिए । पति बाहर हो तो सास या ननद पिंडा पासना कर सकती है।

~ सातु पर ब्लाउज़ ,रूपये रखकर बयानानिकाल कर सासुजी के पैर लग कर सासु जी को देना चाहिए। सास न हो तो ननद को या ब्राह्मणी को दे सकते है।

~ आंकड़े के पत्ते पर सातु  खाये और अंत में आंकड़े के पत्ते के दोने में सात बार कच्चा दूध लेकर पिए इसी तरह सात बार पानी पियें। दूध  पीकर इस प्रकार बोलें —

दूध से धायी , सुहाग से कोनी धायी

इसी प्रकार पानी पीकर बोलते है —

पानी से धायी , सुहाग से कोनी धायी 

सुहाग से कोनी धायी का अर्थ है पति का साथ हमेशा चाहिए , उससे जी नहीं भरता।

~  बाद में दोने के चार टुकड़े करके चारों दिशाओं में फेंक देना चाहिए ।

सातुड़ी तीज पूजा के टिप्स

Badi teej pooja tips

~ यह व्रत सिर्फ पानी पीकर किया जाता है।

~ चाँद उदय होते नहीं दिख पाए तो चाँद निकलने का समय टालकर ( लगभग 11 :30 PM ) आसमान की ओर अर्क देकर व्रत खोल सकते है । कुछ लोग चाँद नही दिखने पर सुबह सूरज को अर्क देकर व्रत खोलते है।

~  गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती है।

~ यदि पूजा के दिन माहवारी ( MC , पीरियड ) हो जाये तब भी व्रत किया जाता है लेकिन अपनी पूजा किसी और से करवानी चाहिए।

~ उद्यापन के बाद सम्पूर्ण उपवास संभव नहीं हो तो फलाहार किया जा सकता है। चाय दूध भी ले सकते है।

~ यदि परिवार या समाज के रीति रिवाज इस विधि से अलग हो तो उन्हें अपना सकते है।

इस तरह तीज माता की पूजा सम्पन्न होती है।

तीज माता की जय !!!

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सातुड़ी तीज पर कैसे करें पूजन :.
सुबह नहा धोकर महिलाएं सोलह बार झूला झूलती हैं, उसके बाद ही पानी पीती है।.
सायंकाल के बाद महिलाएं सोलह श्रृंगार कर तीज माता अथवा नीमड़ी माता की पूजा करती हैं।.
सबसे पहले तीज माता को जल के छींटे दें। ... .
नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली व काजल की तेरह-तेरह बिंदिया अपनी अंगुली से लगाएं।.

सातुड़ी तीज को क्या कहते हैं?

सातुड़ी तीज को कजली तीज और बड़ी तीज भी कहते है। सातुड़ी तीज की पूजा करते है। सातुड़ी तीज की कथा, नीमड़ी माता की कथा, गणेश जी की कथा और लपसी तपसी की रोचक कहानी सुनते हैं। इस पर्व पर सत्तु के बने विशेष व्यंजनों का आदान प्रदान होता है।

सातुड़ी तीज क्यों मनाई जाती है?

काजली तीज भाद्रपद की कृष्ण तीज को में मनाई जाती है। इसे सातुड़ी या बड़ी तीज भी कहा जाता है इस दिन कन्याएं व सुहागिनें व्रत रखकर संध्या को नीमड़ी की पूजा करती हैं। कन्याएं सुन्दर,सुशील वर तथा सुहागिनें पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। वे तीज माता की कथा सुनती हैं।

सातुड़ी तीज 2022 की कब है?

कजरी तीज शुभ मुहूर्त (Kajri Teej 2022 Shubh Muhurat) कजरी तीज का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाएगा. तृतीया तिथि 13 अगस्त की रात 12 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 14 अगस्त की रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा.