नेपाली में पति को क्या कहते हैं? - nepaalee mein pati ko kya kahate hain?

भारत के लिए जान देने वाला यह नेपाली परिवार 'अग्निपथ' पर क्या कह रहा है

  • रजनीश कुमार
  • बीबीसी संवाददाता, नेपाल के बुटवल से

26 अगस्त 2022

नेपाली में पति को क्या कहते हैं? - nepaalee mein pati ko kya kahate hain?

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सुमित्रा केसी- पूर्ण बहादुर केसी की पत्नी

84 साल की सुमित्रा केसी अपने पति की 22 साल की उम्र की तस्वीर ऐसे निहार रही हैं, जैसे ख़ुद भी उसी उम्र में पहुँच गई हों.

दरअसल, सुमित्रा केसी अपने पति पूर्ण बहादुर केसी को याद करती हैं, तो बरबस उसी उम्र में चली जाती हैं. तस्वीर देखते हुए सुमित्रा बिल्कुल ख़ामोश हैं लेकिन उनके चेहरे की झुर्रियां और आँखे कितना कुछ कहती दिख रही हैं.

सुमित्रा को शादी के बाद अपने पति की सोहबत महज़ साढ़े तीन साल मिली. इन चंद सालों की सोहबत की ढेर सारी यादें हैं और सुमित्रा ने इन यादों को इस उम्र में भी संभालकर रखा है.

नेपाल के बुटवल से सुमित्रा देहरादून की गलियों, मंदिरों और नदियों के बारे में ऐसे बताती हैं, जैसे वहाँ साढ़े तीन साल नहीं बल्कि अब भी वहीं रहती हैं.

भारतीय सेना में शामिल

सुमित्रा के पति पूर्ण बहादुर केसी 1960 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और उनकी पहली पोस्टिंग देहरादून में हुई थी. पूर्ण बहादुर केसी ने 12 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के साथ जंग में भारत के लिए अपनी जान दे दी थी. तब उनकी उम्र महज़ 28 साल थी.

सुमित्रा बताती हैं, ''हम अपने बच्चों के साथ नेपाल के गुलमी में थे. पति के युद्ध में मारे जाने की ख़बर 16 दिन बाद चिट्ठी से आई. तब फ़ोन नहीं होता था. मेरे श्रीमान का शव तक नहीं मिला. उनके बचे सामान आए थे. उनका साथ बहुत कम दिनों के लिए रहा मगर मेरे दिल में अब भी बसे हैं.''

सुमित्रा हर दिन पूजा करती हैं. उनके कमरे में किसी ईश्वर की तस्वीर नहीं है. पूर्ण बहादुर केसी की वही 22 साल की उम्र वाली तस्वीर के सामने सुमित्रा हर दिन दीप जलाती हैं. सुमित्रा कई बार इस तस्वीर को ऐसे देखती रहीं, जैसे वह भीतर से कह रही हों- किसके कंधे पर सिर रखकर रोऊं?

सुमित्रा से पूछा कि वह अपने पति को कैसे याद करती हैं? सुमित्रा ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन बाँधने से भी न बँधती अपनी मुट्ठी को सीने पर मारते हुए कहा- ''सब कुछ यहाँ जज्ब है. कुछ भी मिटा नहीं है.''

जब पूर्ण बहादुर केसी की 1971 में मौत हुई तब उनके बेटे कुल बहादुर केसी छह महीने के थे. उनके मन में पिता की कोई भी याद नहीं है.

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पूर्ण बहादुर केसी

कुल बहादुर अपनी माँ की त्रासदी के साथ बड़े हुए. उन्होंने अपनी माँ की सिसकियों और एकांत को क़रीब से महसूस किया है. सुमित्रा ने तय कर लिया था कि उनके घर से अब कोई भारतीय सेना में नहीं जाएगा.

कुल बहादुर केसी ने भी माँ से यही वादा किया था. 1986 में कुल बहादुर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में पढ़ने गए. पढ़ाई के दौरान ही बनारस में सेना में भर्तियाँ निकलीं और कुल बहादुर भी भारतीय सेना में भर्ती हो गए. तब उनकी माँ सुमित्रा साथ में ही थीं. वह ग़ुस्से में बनारस से नेपाल आ गईं.

कुल बहादुर केसी कहते हैं, ''मुझे भरोसा था कि माँ को मना लूंगा. लेकिन उनका ग़ुस्सा भी जायज़ था.''

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"पति पहले से फौज में रहते तो शादी न करती"

अपने बेटे कुल बहादुर के साथ सुमित्रा भारत के कई शहरों में रहीं. इसी दौरान पाकिस्तान के साथ करगिल में फिर से जंग छिड़ गई. नायब सुबेदार कुल बहादुर केसी की भी करगिल में तैनाती हुई. पूरा परिवार एक बार फिर से 1971 वाली आशंकाओं से घिर गया.

कुल बहादुर केसी के कई दोस्तों की जान गई. करगिल युद्ध में कुल बहादुर सलामत रहे.'' 2010 में वह भारतीय सेना से रिटायर हो गए.

करगिल युद्ध और 1971 में अपने पिता की मौत को याद करते हुए कुल बहादुर बातचीत के दौरान कई बार रो पड़े. 84 साल की उनकी माँ सुमित्रा भी अपने रोते हुए बेटे को देख भावुक हो गईं. चंद्रा केसी की जब कुल बहादुर केसी से शादी हुई थी तब वह शिक्षक थे. चंद्रा कहती हैं कि अगर पहले से ही कुल बहादुर केसी फौज में होते तो वह शादी नहीं करतीं.

कुल बहादुर केसी की बेटी सुषमा केसी से पूछा कि एक सैनिक की बेटी होना कितना मुश्किल होता है? इस सवाल के जवाब में वह कहती हैं, ''मुश्किल नहीं बल्कि गर्व होता है.''

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कुल बहादुर केसी जिस बुटवल शहर में रहते हैं, वहीं नेपाल पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के ग्राउंड में 25 अगस्त से सात सितंबर तक अग्निपथ स्कीम के तहत नेपाली गोरखाओं के लिए भर्ती रैली होने वाली थी.

लेकिन नेपाल सरकार ने अग्निपथ स्कीम को स्वीकार नहीं किया और भर्ती रैली स्थगित करनी पड़ी. नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़गा ने काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से कहा कि नेपाल अग्निपथ के मौजूदा स्वरूप से सहमत नहीं है, इसलिए भर्ती रैली फ़िलहाल नहीं हो पाएगी.

नेपाल में भर्ती से जुड़े सवाल पर भारत ने क्या कहा

वहीं गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में नेपाली गोरखाओं की भारतीय सेना में भर्ती से जुड़े सवाल पर कहा, ''नेपाली गोरखाओं की भारतीय सेना में भर्ती लंबे समय से होती रही है और यह अग्निपथ के तहत भी जारी रहेगी.''

कुल बहादुर केसी भारत के अग्निपथ के फ़ैसले से नाराज़ हैं. वह कहते हैं कि यह योजना नेपाली गोरखाओं की शहादत के ख़िलाफ़ है.

कुल बहादुर केसी कहते हैं, ''मुझे लगता है कि भारत सरकार अब गोरखा रेजिमेंट में नेपाली गोरखाओं को और कम करना चाह रही है. संभव है कि भारत धीरे-धीरे नेपाली गोरखाओं को लेना बंद कर दे. पहले गोरखा रेजिमेंट में 100 फ़ीसदी नेपाली गोरखा होते थे लेकिन अब 40 फ़ीसदी ही हैं. 60 फ़ीसदी भारत के होते हैं.''

कुल बहादुर केसी कहते हैं, ''अग्निपथ योजना हमारे त्याग, बलिदान और कड़ी मेहनत के ख़िलाफ़ है. पहले पूर्व सैनिक अपने बच्चों को भारतीय सेना में भेजते थे लेकिन अब चार साल के लिए कौन भेजेगा. अग्निपथ योजना हमारी प्रतिबद्धता को कमज़ोर करेगी. जो नेपाली गोरखा नौजवान भारतीय सेना में जाने की तैयारी कर रहे थे, वे काफ़ी निराश हैं. भारत भले अपने नागरिकों के लिए जो करना है करे लेकिन नेपाली गोरखाओं के साथ ऐसे करेगी तो इससे भारत के साथ हमारे गहरे संबंध और प्रतिबद्धता पर उलटा असर पड़ेगा.''

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"अग्निपथ स्कीम शहीद के विधवाओं का सम्मान नहीं"

कुल बहादुर केसी नेपाल में संयुक्त भूतपूर्ण सैनिक कल्याणकारी महासंघ के महासचिव हैं. इस संगठन के ज़रिए वह भारत की सेना में रहे पूर्व सैनिकों से जुड़े हैं. कुल बहादुर कहते हैं कि भारतीय सेना से रिटायर हुए नेपाली गोरखाओं में ग़ुस्सा और नाराज़गी दोनों हैं.

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कुल बहादुर केसी और उनकी पत्नी चंद्रा कैसी

कुल बहादुर केसी कहते हैं, ''नेपाली गोरखाओं ने मोर्चे पर डटकर भारत के दुश्मनों का मुक़ाबला किया है. यहाँ हज़ारों की संख्या में ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने भारत के लिए अपने पतियों को खोया है. अग्निपथ स्कीम शहीद के विधवाओं का सम्मान नहीं है.''

कुल बहादुर केसी के पड़ोस में ही भारतीय सेना में रहे नायक अमृत मल्ल का घर है. अमृत मल्ल करगिल युद्ध में 20 जुलाई, 2000 को जम्मू-कश्मीर के नौगाम में पाकिस्तानी चरमपंथियों से लड़ते हुए मारे गए थे.

उन्होंने 13 हज़ार फुट की ऊंचाई पर अपनी जान की फ़िक्र किए बिना अपने कई साथियों की जान बचाई थी. अपने साथियों की जान बचाने की लड़ाई में ही उन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी. इसी बहादुरी के लिए राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने अमृत मल्ल को शौर्य चक्र से नवाज़ा था.

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अमृत मल्ल की पत्नी सीता मल्ल, सुमण मल्ल

अमृत मल्ल की पत्नी सीता मल्ल भी अग्निपथ से नाराज़ हैं. वह कहती हैं कि अग्निपथ नेपाली गोरखाओं के समर्पण और त्याग अपमान है. अमृत मल्ल की बेटी सुमण मल्ल कहती हैं भारत को सोचना चाहिए कि नेपाली गोरखाओं के त्याग से बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता है.

अमृत मल्ला के बेटे जीवन मल्ल भी 2018 में भारतीय सेना में भर्ती हो गए. जीवन की प्रेमिका बुटवल में अमृत मल्ल के घर पर ही रहती हैं. सुमण ने अपने भाई की प्रेमिका को चिढ़ाते हुए कहा कि इसने रन मैरिज किया है. जीवन मल्ल की प्रेमिका हँसते हुए कहती हैं- कम से कम मेरा बॉयफ्रेंड तो अग्निपथ में नहीं है.

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