Show कैसे होता है डिप्रेशन? सेरेटोनिन, डोपामाइन का भी है रोल
सवाल: उदासी और डिप्रेशन में क्या फर्क है? हर शख्स दिन में कई बार या हर दूसरे दिन किसी न किसी बात को लेकर कुछ वक्त के लिए उदास हो सकता है। इसका यह कतई मतलब नहीं कि वह डिप्रेशन में है। यह उदासी आती है और फिर कुछ समय बाद चली भी जाती है। अगर यह उदासी हर दिन में लगातार 10-15 घंटों से ज्यादा बनी रहे और यह क्रम कम से कम 14-15 दिनों तक चले। हंसना मुश्किल हो जाए या फिर कोई बनावटी हंसी हंसे तो वह डिप्रेशन का मरीज हो सकता है। उदासी भी डिप्रेशन का एक कारण है। ये हैं डिप्रेशन की कैटिगरी सवाल: क्या डिप्रेशन को कैटिगरी में भी बांट सकते हैं और डॉक्टर की जरूरत कब पड़ती है? लक्षण और इसकी गंभीरता के आधार पर डिप्रेशन को 3 कैटिगरी में बांट सकते हैं: 1. माइल्ड डिप्रेशन: इसे डिप्रेशन की शुरुआत कह सकते हैं। डॉक्टर की जरूरत यहीं से पड़ती है। कई बार हम इस स्थिति को हल्के में ले लेते हैं। इसमें अमूमन दवा शुरू करने की जरूरत नहीं पड़ती। हर दिन का रुटीन प्रभावित होने लगे। उदासी हावी होने की कोशिश करे, पर पूरी तरह न हो पाए। नींद खराब हो, लेकिन कुछ घंटे फिर भी सो पाएं। भूख का कम या ज्यादा लगने लगे। अपनी पसंद की चीजों से मन हटने लगे। सिर दर्द की शिकायत भी शुरू हो जाए। खुदकुशी का ख्याल मन में आने लगे। बहुत जल्दी चिढ़न होने लगे। सेक्स की इच्छा काफी कम हो जाए। नशे की तरफ झुकाव हो जाए। नोट: ये सभी चीजें लगातार 14 दिनों तक चलें तो काउंसलर से संपर्क करें। क्या करें:
2. मॉडरेट डिप्रेशन इसे माइल्ड डिप्रेशन से आगे की स्टेज कह सकते हैं। लेकिन इसमें लक्षण गंभीर होने लगते हैं। ऐसे में डॉक्टर के पास जाना बहुत जरूरी हो जाता है। हर दिन का काम पूरी तरह डिस्टर्ब हो जाए। वह बात तो करे, लेकिन अपने ऑफिशल काम करने में सक्षम न हो।
- किसी सायकायट्रिस्ट से मिलें। अमूमन दवा दी जाती है। कई बार ये दवाएं 3 से 5 महीनों तक ही दी जाती हैं। डॉक्टर जो भी दवा दें, उन्हें लें। - अगर अपना रुटीन दुरुस्त करने की स्थिति में हों तो जरूर करें। इसमें दवा और काउंसलिंग दोनों की जरूरत हो सकती है। 3. सीवियर डिप्रेशन
ध्यान दें कि सभी डिप्रेशन की कैटिगरी में, सभी डिप्रेशन के मरीजों में सारे लक्षण मौजूद होना जरूरी नहीं है। हां, इनमें से ज्यादातर लक्षण हो सकते हैं। क्या करें:
डिप्रेशन का असर शरीर के दूसरे अंगों पर
ये डिसॉर्डर भी करते हैं परेशान Seasonal Affective Disorder (SAD): इस तरह का डिप्रेशन सीजन यानी मौसम के साथ होता है। आमतौर पर सर्दियों में होता है और बसंत व गर्मी आने तक खत्म भी हो जाता है। अमूमन यह डिप्रेशन माइल्ड होता है। लेकिन किसी मामले में स्थिति गंभीर हो जाए तो साइकॉलजिस्ट या सायकायट्रिस्ट की मदद ले सकते हैं। Premenstrual Dysphoric Disorder (PMDD): यह महिलाओं में होता है। इसके लक्षण पीरियड्स आने से पहले सप्ताह में दिखते हैं और पीरियड्स शुरू होने के बाद कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। जो महिलाएं पीएमडीडी
का अनुभव करती हैं, वे अक्सर पूरी क्षमता से काम नहीं कर पातीं। इसमें भी अमूमन वही लक्षण दिखते हैं तो डिप्रेशन में दिखते हैं। चिड़चिड़ापन, गुस्सा, घबराहट, उदासी रहती है। कुछ महिलाओं के मन में खुदकुशी तक का विचार आ जाता है। आयुर्वेद मेंडिप्रेशन के लिए उपाय
दवा से लेकर काउंसलिंग तक सवाल: क्या डिप्रेशन के सभी मरीजों को दवा, काउंसलिंग और मेडिटेशन की जरूरत होती है? इसके लिए हमें यह समझना होगा कि डिप्रेशन की वजह क्या है? डिप्रेशन शरीर की भीतरी और बाहरी, दोनों गड़बड़ियों की वजह से हो सकता है। Endogenous Depression: जब डिप्रेशन की परेशानी शरीर के भीतरी कारण की वजह से जैसे: न्यूरोट्रांसमीटर (सेरेटोनिन, डोपामाइन) आदि की कमी हो तो इलाज में दवा की जरूरत पड़ती है। यह दवा कितने दिनों तक खानी है, यह काफी हद तक उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। Exogenous depression: जब डिप्रेशन की वजह बाहरी कारण, जैसे कोई नजदीकी मर जाता है, जॉब या बिजनेस में भारी नुकसान हुआ हो तो कई बार काउंसलिंग से ही काम चल जाता है। इसमें मेडिटेशन भी काम करता है। कई लोग हवा-पानी बदलने की बात करते हैं यानी कहीं घुमाकर लाने या घूम आने के लिए कहते हैं। लेकिन कुछ लोगों को दवा भी लेनी पड़ सकती है। आज का एक्सपर्ट पैनल सवाल: बहुत सारे लोग सलाह देते हैं कि डिप्रेशन की दवाओं से बचना चाहिए, उनसे दिमागी हालत खराब हो जाती है या दवाओं पर निर्भरता हमेशा के लिए बन जाती है। सही क्या है? इसमें दवा को दिमाग खराब करने के लिए नहीं, उसे ठीक करने के लिए दी जाती है। यह बीमारी भी दूसरी शारीरिक बीमारियों जैसे: डायबीटीज या हाइपरटेंशन जैसी ही है। इसलिए दवाएं भी उसी तरह दी जाती हैं। यह सोच पहले बन गई थी कि एक बार अगर दिमाग के लिए दवाएं शुरू कर देते हैं तो हमेशा ही लेनी पड़ती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसमें दवा कब शुरू होगी और कब तक चलेगी, यह भी ठीक किसी शुगर या बीपी के मरीज की तरह तय होता है। अगर डिप्रेशन कम है तो चार-पांच महीने में दवा बंद कर देते हैं। अगर परेशानी बड़ी है तो यह साल-डेढ़ भी चल सकती हैं। कुछ लोगों में ऐसा देखा जाता है कि डिप्रेशन दोबारा आ जाता है। ऐसे लोगों को दोबारा दवा शुरू करनी पड़ती है। सवाल: क्या डिप्रेशन को कम करने में खानपान भी मददगार हो सकता है?
खुश रहने वाले अमूमन डिप्रेशन में कम होते हैं, लेकिन यह गारंटी नहीं होती। अगर यह खुशी ऊपरी है, बनावटी है तो खुश दिखने वाले भी डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। ऐसे लोगों से कुछ देर बात करने पर ही पता चल जाता है कि वे डिप्रेशन का शिकार हैं क्योंकि चेहरे पर खुशी जरूर दिखे, लेकिन बातों से नेगेटिविटी, उदासी झलकती है। साथ ही, उनकी रातों की नींद खराब होगी। वे प्रफेशनल काम भी ठीक से नहीं कर पाते हैं। सवाल: किसी को डिप्रेशन है, इसका पता उसे खुद चल सकता है या कोई दूसरा ही बता सकता है? सवाल: क्या बच्चे भी डिप्रेशन में जा सकते हैं, लक्षण क्या हैं?
60 साल यानी रिटायरमेंट के बाद डिप्रेशन की परेशानी ज्यादा देखी जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है। उन्हें समाज और परिवार में हर दिन उन्हें अपनी ज़िंदगी में इतने समझौते करने पड़ते हैं कि कई बार तन्हाई घेर लेती है। सवाल: क्या हर टेंशन डिप्रेशन में बदल सकती है? सवाल : अगर कोई डिप्रेशन का मरीज है और हिंसक हो जाए तो क्या करना चाहिए? सवाल: क्या ज्यादा नशा
करने वालों को डिप्रेशन होने का चांस ज्यादा होता है? एक्सपर्ट पैनल
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बहुत ज्यादा किसी बारे में सोचने से मन की पॉजिटिव एनर्जी खत्म हो जाती है. उसकी जगह नेगेटिव एनर्जी ले लेती है. यह धीरे-धीरे मानसिक रूप से व्यक्ति को बीमार कर देता है. इस कारण वह डिप्रेशन का शिकार (Depression Problem) हो जाता है.
डिप्रेशन में क्या क्या दिक्कत होती है?हर शख्स दिन में कई बार या हर दूसरे दिन किसी न किसी बात को लेकर कुछ वक्त के लिए उदास हो सकता है। इसका यह कतई मतलब नहीं कि वह डिप्रेशन में है। यह उदासी आती है और फिर कुछ समय बाद चली भी जाती है। अगर यह उदासी हर दिन में लगातार 10-15 घंटों से ज्यादा बनी रहे और यह क्रम कम से कम 14-15 दिनों तक चले।
डिप्रेशन में आदमी को क्या होता है?डिप्रेशन क्या होता है? (What is Depression in Hindi)
डिप्रेशन उस व्यक्ति को होता है जो हमेशा तनाव में रहता है। प्राय: व्यक्ति जिस चीज के प्रति डरता है या जिस स्थिति पर उसका नियंत्रण नहीं रहता वह तनाव महसूस करने लगता है, जिस कारण उसके ऊपर एक दबाव बनने लगता है।
डिप्रेशन कितने दिन में ठीक हो जाता है?जवाब- पहली बार अवसाद हुआ है तो दो माह में ठीक हो जाता है, लेकिन दवा लगभग नौ माह चलती है। इस बीच दवा छोडऩी नहीं चाहिए। दोबारा होगा तो दवा लंबी चल सकती है।
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