ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम क्या है? - hraasamaan seemaant upayogita ka niyam kya hai?

ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम क्या है? - hraasamaan seemaant upayogita ka niyam kya hai?
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अर्थशास्त्र में, किसी वस्तु या सेवा के उपभोग में इकाई वृद्धि करने पर प्राप्त होने वाले लाभ को उस वस्तु या सेवा की सीमान्त उपयोगिता (marginal utility) कहते हैं। अर्थशास्त्री कभी-कभी ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता के नियम (law of diminishing marginal utility) की बात करते हैं जिसका अर्थ यह है कि किसी उत्पाद या सेवा के प्रथम अंश से जितना उपयोगिता प्राप्त होती है उतनी उपयोगिता उतने ही भाग से बाद में नहीं मिलती।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • ह्रासमान प्रतिफल (डिमिनिशिंग रिटर्न्स)

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम मानवीय आवश्यकताओं की विशेषता बताता है उनकी तीव्रता सीमित होती है। जैसे जैसे कोई उपभोक्ता किसी वस्तु का अधिकाधिक उपभोग करता है वैसे वैसे उस वस्तु में उपलब्ध सीमांत उपयोगिता गिरती चली जाती है।

दैनिक जीवन में हम यह अनुभव करते हैं कि यदि किसी वस्तु की आर्थिक इकाइयां उपभोक्ता के पास बढ़ती जाती हैं तो उस वस्तु के बाद आने वाली आर्थिक इकाइयों से मिलने वाली उपयोगिता कम होती जाती हैं अर्थात् पूर्ण संतुष्टि हो जाती है।

इस नियम को पहले 1854 मैं गोसेन ने बनाया था इस नियम को मार्शल ने नाम दिया तथा जेवनस ने इसे गोसेन का प्रथम नियम कहा गया।

गोसेन के अनुसार – “जब हम किसी वस्तु का लगातार उपभोग करते हैं तो उस संतुष्टि की मात्रा तब तक निरंतर घटती जाती हैं जब तक की पूर्ण संतुष्टि की प्राप्ति नहीं हो जाती।

उदाहरण के लिए जैसे हमें बहुत भूख लगी होती है हम रोटी खाते हैं हम शुरू में एक दो रोटी खाते हैं तो कुछ संतुष्टि मिलती है जैसे जैसे हम रोटी की मात्रा बढ़ाते जाते हैं हमारी भूख मिटती जाती है अर्थात् संतुष्टि की मात्रा घट जाती है जब तक पूर्ण संतुष्टि की प्राप्ति नहीं होती।

सीमांत उपयोगिता नियम की मान्यताएं-

1. वस्तु की सभी इकाइयां एक समान है अर्थात गुण एवं आकार में सभी इकाईयां एक जैसी है।

2. उपभोग प्रक्रिया के दौरान उपभोक्ता की रुचि आदत है फैशन स्वभाव तथा आय सामान रहनी चाहिए।

3. बिना किसी समय अंतराल के वस्तु का उपभोग निरंतर होना चाहिए।

4. वस्तु के मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

5. मुद्रा की सीमांत उपयोगिता स्थिर है।

6. उपभोक्ता का मानसिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

7. उपयोगिता की संख्यात्मक माप संभव है।

8. वस्तु का उपभोग उपयुक्त इकाइयों में होना चाहिए।

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की क्रियाशीलता के कारण-

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की क्रियाशीलता के दो कारण है।

(1) वस्तुएं एक दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती-

कोई भी वस्तु वास्तविक जगत में किसी वस्तु की पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती बल्कि निकट की स्थानापन्न होती हैं। इस कारण जब कोई उपभोक्ता एक वस्तु की अधिकाधिक इकाइयों का प्रयोग करता है तो उस वस्तु के लिए उस विशिष्ट आवश्यकताओं की तीव्रता कम हो जाती है लेकिन अगर इस वस्तु की इकाइयां दूसरी अन्य आवश्यकताओं की संतुष्टि में प्रयुक्त हो पाती तो उस वस्तु की सीमांत उपयोगिता कभी कम नहीं होती इस प्रकार यदि वस्तुएं एक दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न होती तो सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम कार्यशील ही नहीं होता।

(2) विशिष्ट आवश्यकताओं की संतुष्टि-

इस नियम की क्रियाशीलता का दूसरा कारण यह है कि यद्यपि किसी उपभोक्ता की सभी आवश्यकताओं को पूर्ण संतुष्ट नहीं किया जा सकता परंतु किसी एक विशिष्ट आवश्यकता को संतुष्ट किया जा सकता है। इस प्रकार उपभोगता जब किसी वस्तु की अधिकाधिक इकाइयों का उपयोग करता है तो उसकी आवश्यकताओं की तीव्रता कम होती जाती है और अंत में एक ऐसी अवस्था आती है जब वह उस वस्तु की कोई भी इकाई स्वीकार करने को तैयार नहीं होता। इस तरह उस वस्तु की सीमांत उपयोगिता उस उपभोक्ता के लिए शून्य हो जाती हैं।

नियम का स्पष्टीकरण Explauation of law –

दैनिक जीवन में देखा जाता है कि जब उपभोक्ता के पास किसी वस्तु की अधिक इकाइयां बढ़ती जाती है तो उस वस्तु की बाद में प्राप्त होने वाली इकाइयों से प्राप्त सीमांत उपयोगिता घटती जाती है इस नियम को निम्न प्रकार से तालिका एवं रेखा चित्र द्वारा स्पष्ट किया जा रहा है।
   

सेबों की संख्या  MU TU
          2             8            8
          3             6           14
          4             4           18
          5            2           20
          6             0           20
          7            -2          18

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि जैसे-जैसे सेबो की संख्या मात्रा का उपयोग किया जाता है वैसे वैसे सीमांत उपयोगिता घटती चली जाती है; तथा सेब की छठी इकाई पर सीमांत उपयोगिता शून्य हो  जाती हैं। यह उपभोक्ता का तृप्त बिंदु M(6,0) कहलाता है तत्पश्चात सेबो का अधिक मात्रा में उपभोग करने पर इन से प्राप्त सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है

ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम क्या है? - hraasamaan seemaant upayogita ka niyam kya hai?

प्रस्तुत रेखा चित्र में X अक्ष पर सेबों की संख्या Y अक्ष पर सीमांत उपयोगिता मापी जाती है। MU सीमांत उपयोगिता वक्र है जो गिरता हुआ है। यह वक्र यह दर्शाता है कि जैसे जैसे सेवों  का उपभोग बढ़ता जाता है वैसे वैसे उनमें प्राप्त सीमांत उपयोगिता घटती जाती हैं ।

ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम क्या है? - hraasamaan seemaant upayogita ka niyam kya hai?

हिंदी माध्यम वालों के लिए:

https://youtu.be/wkxQxRSvyis

अंग्रेजी मीडियम वालों के लिए:

ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम क्या है? - hraasamaan seemaant upayogita ka niyam kya hai?
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By: MK KAPOOR