जटाशंकरी का पौधा कैसा होता है - jataashankaree ka paudha kaisa hota hai

कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए औषधीय पौधों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। 'एनबीटी जड़ी-बूटी' अभियान में ऐसे औषधीय पौधों की पूरी जानकारी मिलेगी, ताकि आप इनका आसानी से इस्तेमाल कर सकें और अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें। इसके तहत आज गिलोय से जुड़ी हर जानकारी।गिलोय, एक औषधीय पौधा है जो इन दिनों कोरोना की वजह से ज्यादा चर्चा में है और लोग इसका इस्तेमाल भी अभी खूब कर रहे हैं। इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करने और लिवर से जुड़ी बीमारियों में काफी असरदार गिलोय के बारे में हर घर में बातें हो रही है। जब से कोरोना का संक्रमण फैला है और इससे बचाव के लिए काढ़ा भी लाभकारी बताया गया है, तब से गिलोय का सेवन लगभग हर कोई कर रहा है। न केवल आयूष मंत्रालय बल्कि पीएम मोदी तक ने काढ़ा पीने की अपील की है और गिलोय का काढ़ा में इस्तेमाल भी खूब हो रहा है। इसलिए आज हम आपको इस मेडिसिनल प्लांट से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। आप अपने किचन गार्डन और बालकनी के गमले में इसे लगा सकते हैं और रोजगार की इच्छा रखते हैं तो इसकी खेती भी कर सकते हैं।

क्या है गिलोय: गिलोय का वनस्पतिक नाम टीनोस्पोरा कार्डियोफेलिया है, जिसे आयुर्वेद में गिलोय के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे अमृता कहा जाता है, क्योंकि यह कभी नहीं मरता है। गिलोय भारतीय मूल की बहुवर्षीय बेल है। इसके बीज काली मिर्च की तरह होते हैं। इसे मई और जून में बीज या कटिंग के रूप में बोया जा सकता है। मॉनसून के वक्त यह तेजी से बढ़ता है। इसे बहुत धूप की जरूरत भी नहीं होती। कई प्रदेशों में इसकी खेती होती है, लेकिन राजधानी में फिलहाल लोग व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए ही इसकी बेल लगा रहे हैं।

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गिलोय का इस्तेमाल: कोविड-19 से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय का इस्तेमाल हो रहा है। लोग पाउडर, जूस और काढ़े के रूप में इसका सेवन कर रहे हैं। इसके पत्ते और तना दोनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे घर के गमलों, किचन गार्डन, टेरेस गार्डन और बगीचे में आसानी से लगाया जा सकता है। इन सभी जगहों पर गिलोय की बेल आसानी से फैल सकती है। इसका तना ऊंचा चढ़ता है और यह हवा से नमी लेता है। इसका लगाने के लिए बीज या इसके तने का इस्तेमाल होता है। फसल के तौर इसे तैयार होने में करीब दस महीने लगते हैं। एक हेक्टेयर में इसकी खेती कर 60 से 70 हजार का मुनाफा हो सकता है।

जटाशंकरी का पौधा कैसा होता है - jataashankaree ka paudha kaisa hota hai


गुणों की खान है गिलोय
  • गिलोय की खासियत के कारण इसके कई नाम हैं। मसलन, अमृता, गुड़ची, गुणबेल।
  • यह एंटी बैक्टीरियल, एंटी एलर्जिक, एंटी डायबिटिक और दर्द निवारक होता है।
  • इसके तने को जूस, पाउडर, टैबलट, काढ़े या अमृतारिष्ट के रूप में लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • जिन लोगों की इम्युनिटी कम हो, उन्हें गिलोय का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  • यह ऑटो इम्युन डिसॉर्डर, बुखार, हाथ पैर की जलन, शरीर दर्द, डायबिटीज, लाइफ स्टाइल डिसॉर्डर और पेशाब से जुड़ी समस्याएं दूर करने में आम आती है।
  • गिलोय का रोजाना इस्तेमाल बीमारियों से दूर रखता है। कोई बीमारी हो भी जाए तो इलाज के दौरान भी इसका सेवन ज्यादा प्रभावकारी होता है।

फाइबर और प्रोटीन भी
गिलोय में 15.8% फाइबर होता है। इसके साथ 4.2 से 11.2 फीसदी तक प्रोटीन, 60 फीसदी कार्बोहाइड्रेट और 3 फीसदी से कम फैट मिलता है। इसके अलावा पोटैशियम, आयन और कैल्शियम भी होते हैं।

कैसे करें इस्तेमाल

  • आयुर्वेद के मुताबिक, गिलोय के तने का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए 5 से 6 इंच लंबा और अंगूठे के बराबर मोटा तना लें। पानी मिलाकर इसे कूटें और रस निकाल लें। इस रस को रोजाना 10 से 20 मिली इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • काढ़े के तौर पर इस्तेमाल के लिए तने को चार गुना पानी लेकर उबाल लें। काढ़ा आधा या चौथाई रह जाए तो उसे छान कर पी लें।
  • पाउडर के तौर पर इस्तेमाल के लिए गिलोय के तना छांव में सुखा लें। फिर कूट लें। इसके बाद मिक्सर में पाउडर बना लें और कपड़े से छान लें।
  • बाजार में गिलोय की गोलियां भी मिलती हैं। वैद्य या चिकित्सक की सलाह पर इनका सेवन कर सकता है।
  • बाजार में अमृतारिष्ट भी आता है। इसे भोजन के बाद आधा कप पानी के साथ ले सकते हैं। इसके अलावा अमृतादि गुग्गुल का भी फॉर्म्युलेशन मिलता है।

लागत 15 से 20 हजार
गिलोय को अमूमन फलों के बाग में उगाया जाता है। खेतों में उगाने पर लागत थोड़ी बढ़ जाती है। सहफसली के तौर पर एक हेक्येटर में 15 से 20 हजार और खेत में 30 से 40 हजार की लागत लगती है। एक हेक्टेयर खेत में करीब 2500 कटिंग की जरूरत पड़ती है। इसकी कटिंग तीन-तीन मीटर की दूरी पर लगानी चाहिए और गोबर की खाद या बर्मी कंपोस्ट का ही इस्तेमाल करना चाहिए। मई-जून में कटिंग लगाने के बाद फरवरी और मार्च तक इसके तने इस्तेमाल के लायक हो जाते हैं। एक हेक्टेयर से 8 से 10 क्विंटल तना मिलता है। इसकी कीमत 23 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम होती है। दिल्ली की नर्सरी में आमतौर पर गिलाय उगता है। दिल्ली सरकार की नसर्री से गिलोय निशुल्क लिया जा सकता है जबकि आमतौर पर गिलोय की बेल गमले में लगाने के लिए आमतौर पर 30 से 50 रुपये में मिल जाती है। कोरोना काल में खुदरा मार्केट में यह कहीं कहीं 100 रुपये तक में भी बिक रहा है। इसकी मांग लगभग दोगुनी हो चुकी है।

बीज बोएं तो 2 से 3 इंच का फासला रखें
गिलोय के बीज एक घंटा पानी में भिगो दें। थाली जैसे किसी बर्तन में, मिट्टी, खाद और मौरंग के मिश्रण की 2 से 3 इंच मोटी परत लगाएं। इसमें बीज बोएं और 2 से 3 इंच का फासला रखें। फिर हल्के पानी का छिड़काव कर दें। पौधे निकल आएं तो दूसरे गमले में लगा दें।

कटिंग वही रोपें, जिसमें गांठ हो
कटिंग रोपने के लिए पेंसिल के बराबर मोटे तने का इस्तेमाल करें, जिसमें गांठें हो। एक तने की लंबाई एक बालिश तक लें। ऊपर से तिरछा और नीचे से गोल रखें। कटिंग के गोल वाले हिस्से को जमीन, गमले या थैली में दबा दें। गांठ से नए कल्ले निकल आएंगे।

सत्व से भी अच्छी कमाई
बाजार में गिलोय सत्व की भी खूब डिमांड है। ऐसे में यह भी कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है। सत्व निकालने के लिए 20 किलो गिलोय का तना इकट्ठा करें। इसके छोटे-छोटे टुकड़े करें। एक बार पानी में साफ कर दोबारा इसका पानी छान लें। छाने गए पानी को रात भर छोड़ दें। नीचे स्टार्च जमा हो जाएगा। अगले दिन ऊपर का पानी हटा दें। फिर नीचे जमा सत्व को सुखा लें। लगभग पांच किलो गिलोय में 100 ग्राम सत्व निकलता है। बाजार में इसकी कीमत करीब 8000 रुपये किलो तक है।

एक्सपर्ट पैनल

  • डॉ. ए के सिंह, साइंटिस्ट इंचार्ज, कमला नेहरू रिज, बायोडायवर्सिटी पार्क
  • डॉ. जमील अहमद, डिप्टी डायरेक्टर, बागवानी विभाग, डीडीए
  • डॉ. सुमित डूकिया, असिस्टेंट प्रफेसर, गुरु गोबिंद सिंह आईपी यूनिवर्सिटी
  • डॉ. ममता रावत, सीनियर साइंटिस्ट एंड फाउंडर, द ग्रीन सॉल्यूशन

पौधे लगाएं हमें बताएं
अगर आपने भी अपने लॉन, गार्डन, गमलों या छत पर औषधीय पौधे लगाएं हैं तो पौधे के साथ अपनी सेल्फी पर भेजें। सब्जेक्ट में लिखे plant । हम ये फोटो एनबीटी दिल्ली के ट्विटर हैंडल @NBTDilli और फेसबुक पेज पर शेयर करेंगे।

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जटाशंकरी का पौधा क्या काम आता है?

पेड़-पौधे हमारे जीवन को सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो पेड़-पौधों से अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है. जिसका प्रभाव ग्रहों पर भी पड़ता है.

धन देने वाला पौधा कौन सा है?

मनी प्लांट- घर में धन-सृमद्धि के प्रतीक के रूप में मनी प्लांट का पौधा सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. यह पौधा जितनी तेजी से बढ़ता है, घर में उनती ही तेजी से धन आता है. घर में मनी प्लांट लगाते समय ख्याल रखें कि इसे आग्नेय दिशा यानी दक्षिण पूर्व दिशा में ही लगाएं.

गृहलक्ष्मी का पौधा कौन सा होता है?

गृहलक्ष्मी Web Stories वास्तु में बांस के पेड़ को लेकर ऐसी मान्यताएं हैं कि इस पेड़ को घर में लगाने से घर में सुख समृद्धि और तरक्की होती है। इससे घर में मौजूद नकारात्मक उर्जा भी समाप्त होती है। बांस का पौधा घर में लगाना अच्छा माना जाता है।

सबसे शुभ पौधा कौन सा होता है?

शास्त्रों के अनुसार, केले का पौधा घर के वास्तु के लिए अच्छा है क्योंकि इसे भगवान विष्णु का प्रतीक कहा जाता है। गुरुवार को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है; और लोग अक्सर इस दिन भगवान विष्णु के साथ केले के पौधे की पूजा करते हैं। इसलिए, यह वास्तु के अनुसार घर के लिए सबसे शुभ पौधों में से एक है।