परागण एवं इसके प्रकार
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8837 Views 0 परागण एवं इसके प्रकार (Pollination and its types) पादपों में युग्मक स्थानान्तरण (gamete transfer) यह प्रक्रिया परागण द्वारा होती है।
स्वपरागण (Self Pollenation)इस प्रकार के परागण में परागकण उसी पादप के पुष्प पर पहुँचते है। स्वयुग्मन (Autogamy)जब पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वतिकाग्र तक पहुचते है तो यह स्वयुग्मन कहलाता है। सजात पुष्पी परागण (Geitonogamy)जब पुष्प के परागकण उसी पादप के अन्य पुष्प के वतिकाग्र तक जाते है तो उसे सजात पुष्पी परागण कहते है।
स्वपरागण के लाभ ( Advantages of Self Pollenation)
स्वपरागण से हानियाँ ( Disadvantages of Self Pollenation)
परपरागण (Cross pollonation)जब परागकण परागकोष से दुसरे पादप के पुष्प के वतिकाग्र (stigma) पर पहुचते है, तो उसे परपरागण कहते है। इसे xenogamy भी कहते है।
पर परागण से लाभ (Advantages of Cross Pollenation)
परपरागण से हानियाँ ( Disadvantages of Cross Pollenation)
परपरागण के प्रकार (Types of Cross pollonation)पर-परागण माध्यम के आधार पर निम्न प्रकार का होता है – कीवर्ड परागण एवं इसके प्रकार (pollination and its types in Hindi) परागण एवं इसके प्रकार (pollination and its types Hindi) वायु परागण (anemophily)[Greek Anemos-wind , philein-to love] जल द्वारा परागण (hydrophily)(GK-hydro-water ,philein-to love) अधिजल परागण (Hypohydrophily)जल की सतह के नीचे परागण होता है। अधोजल परागण (Epitlydrophilly)जल की सतह के नीचे वेलिसनेरिया में जल परागण (hydrophily in vallisneria)वेलिसनेरिया स्वच्छ जलीय एकलिंगी पादप है। इसमे नर पुष्प बंद अवस्था में अवमुक्त होकर पानी की सतह पर आ जाते है। तथा जलधारा के साथ निष्क्रिय रूप में बहते हुए मादा पुष्प तक पहुचते है। जो लम्बे डठल पर लगे रहते है। कीटपरागण (entomophily)[Greek Entomon-insect Philein- to love ) सल्विया में कीट परागणसल्विया
में लीवर क्रियाविधि (lever mechanism) द्वारा कीट परागण होता है। इसका पुष्प द्विओष्ठीय (Bilabiate) होता है। इनमें पुंकेसर दो पालियो में विभक्त होता है। ऊपरी पाली जननक्षम (fertile) तथा निचली पाली बंध्य (sterile) होती है। जब कीट नेक्टर के लिए पुष्प के अंदर प्रवेश करता है। तो बंध्य पाली पर दबाव पड़ता है। जिससे जननक्षम पाली से परागकण कीट के पीठ झड़ जाते है। कृत्रिम परागण तथा विपूंसन (Artifical Pollination and Emasculation)किसी चयनित पादप से परागकण प्राप्त करके इच्छानुसार किसी वर्तिकाग्र तक पहुँचाना कृत्रिम परागण कहलाता है। तथा कृत्रिम परागण करने के लिए स्वपरागण को रोकने हेतु चिमटी की सहायता से पुंकेसर को हटाना विपूंसन कहलाता है। इन्हें भी पढ़ें
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