‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता हैं। जूझ का साधारण अर्थ है जूझना अथवा संघर्ष करना। यह उपन्यास अपने नाम की सार्थकता को सिद्ध करता है। उपन्यास का कथानायक भी जीवनभर स्वयं से और अपनी परिस्थितियों से जूझता रहता है। यह शीर्षक कथानायक के संघर्षशील वृत्ति का परिचय देता है। हमारे कथानायक में संघर्ष की भावना है। वह संघर्ष करने के लिए मजबूर है लेकिन उसका यह संघर्ष ही उसे एक दिन पढ़ा-लिखा इंसान बना देता है। इस संघर्ष में भी उसने आत्मविश्वास बनाए रखा है। यद्यपि परिस्थितियाँ उसके विरुद्ध होती हैं तथापि वह अपने आत्मविश्वास के बल इस प्रकार की परिस्थितियों से जूझने में सफल हो जाता है। वास्तव में कथानक की संघर्षशीलता ही उसकी चारित्रिक विशेषता है। उपन्यास के शीर्षक से यही केंद्रीय विशेषता उजागर होती है। जूझ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक?जूझ. का अर्थ है - संघर्ष। इसमें <br> कथानायक आनंद ने पाठशाला जाने के लिए संघर्ष किया। <br> आनंदा के पिता ने उसे स्कूल जाने से मना कर दिया। लेकिन पढ़ने की तीव्र इच्छा ने उसे जीवन का एक <br> उद्देश्य दे दिया।
जूझ शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताएं क्या यह शीर्षक उचित?पहले वह तुकबंदी करता है परन्तु अभ्यास करने पर वह स्वयं एक अच्छा कवि बन जाता है। आरंभ में सौंदलगेकर उसकी प्रतिभा को निखारने में उसकी सहायता करते हैं। वह नायक को उस समय के कवियों के बारे में बताते हैं। जिससे लेखक के मन में कवियों के प्रति संदेह समाप्त हो जाता है और उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।
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