These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant & Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 24 मंत्रणा are prepared by our highly skilled subject experts. Bal
Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 24 पाठाधारित प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 24 तेरहवाँ वर्ष पूरा होते ही पांडव विराट की राजधानी को छोड़कर उपप्लव्य नामक नगर में रहने लगे। अब पांडव खुले रूप से रहने लगे। आगे का कार्यक्रम तय करने के लिए पांडवों ने अपने संबंधियों एवं मित्रों को बुलाने के लिए दूत भेजे। बलराम, सुभद्रा और अभिमन्यु सहित श्रीकृष्ण उपप्लव्य पहुँच गए। विराट राजा ने भी उन सभी का स्वागत किया। इंद्रसेन, काशीराज और वीर शैव्य भी अपनी-अपनी सेनाएँ लेकर वहाँ पहुँच गए। द्रुपद साथ शिखंडी, द्रौपदी का भाई धृष्टद्युम्न और द्रौपदी के पुत्र भी आ गए और कई राजा अपनी-अपनी सेना लेकर पांडवों की सहायता के लिए आ पहुंचे। वहाँ सबसे पहले अभिमन्य के साथ उत्तरा का विवाह किया गया। इसके बाद विराट राज सभा भवन में सभी आए हुए राजा अपनेअपने आसन पर बैठ गए। श्रीकृष्ण ने सभी के सामने पांडवों के अधिकारों की बात की। उन्होंने दुर्योधन को समझाने के लिए एक दूत भेजने का प्रस्ताव रखा। इस बात का सभी ने अनुमोदन किया। इस सुझाव पर बलराम का विचार था कि कृष्ण की सलाह बिलकुल उचित है। यदि शांतिपूर्ण ढंग से बिना युद्ध किए ही पांडव अपना अधिकार पा लें तो उससे न केवल पांडवों बल्कि दुर्योधन तथा सारी प्रजा की भलाई होगी। बलराम चौसर खेलने में युधिष्ठिर को दोषी मानते थे सात्यकि ने बलराम के इस बात का विरोध किया। उनका राय था कि राजा धृतराष्ट्र के पास किसी सुयोग्य दूत को भेजना चाहिए। श्रीकृष्ण ने बात को समाप्त करने के उद्देश्य से बोले कि हम पर कौरव-पांडवों दोनों का समान हक है। इसलिए यहाँ किसी का पक्ष लेने नहीं आए हैं। हमारे दृष्टि में दोनों समान हैं। हम लोग उत्तरा के विवाह में शामिल होने के लिए आए हैं। अब हम वापस चले जाएँगे, श्रीकृष्ण ने कहा- राजा द्रुपद सभी राजाओं में श्रेष्ठ, बुद्धि एवं आयु में भी बड़े हैं अतः आप ही दूत को समझा बुझाकर दुर्योधन के पास भेज दें। अगर दुर्योधन संधि के लिए तैयार न हो तो युद्ध की तैयारियां की जाएँ और हमें सूचित किया जाए। इतना कहने के बाद श्रीकृष्ण अपने सहयोगियों के साथ द्वारिका लौट गए। इधर युधिष्ठिर और दुर्योधन युद्ध की तैयारी करने लगे। श्रीकृष्ण के पास दुर्योधन और अर्जुन दोनों पहुँचे। श्रीकृष्ण उस समय आराम कर रहे थे। अंदर जाकर दुर्योधन श्रीकृष्ण के सिर के पास बैठ गए और अर्जुन उनके पैर के पास हाथ जोड़कर खड़े हो गए। श्रीकृष्ण की जब नींद खुली तो उन्होंने सबसे पहले अर्जुन को देखा। उनका कुशलक्षेम पूछा। बाद में जब घूमे तो उन्होंने दुर्योधन को देखा और उनका भी कुशल-मंगल पूछा। उसके बाद उन्होंने दोनों के आने का कारण पूछा। दुर्योधन पहले ही बोल उठा- हमारे पांडवों के बीच युद्ध होने वाला है। अतः मैं आपसे मदद माँगने आया हूँ। पहले मैं आया हूँ, इसलिए पहला हक मेरा है। श्रीकृष्ण बोले- राजन भले ही आप पहले आए हैं- लेकिन मैंने पहले अर्जुन को देखा है मेरे लिए तो दोनों समान हैं। अर्जुन आप से छोटा भी है अतः पहला हक उसी का है। श्रीकृष्ण ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि एक ओर मेरी सेना होगी, और दूसरी ओर मैं अकेला रहूँगा। युद्ध में मैं हथियार नहीं उठाऊँगा। अर्जुन आप जो चाहे पसंद कर लें। अर्जुन ने श्रीकृष्ण को चुन लिया। इस पर दुर्योधन खुश हुआ। भारी-भरकम सेना उसके हिस्से में आ गई। वह हस्तिनापुर लौट आया। कृष्ण के पूछने पर अर्जुन ने बताया- आप में वह शक्ति है कि जिससे आप अकेले ही इन तमाम राजाओं से लड़कर इन्हें कुचल सकते हैं। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बड़े प्रेम से विदा किया। इस प्रकार युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने और पार्थसारथी की पदवी हासिल की। मद्र देश के राजा शल्य नकुल-सहदेव की माँ माद्री के भाई थे। उन्होंने भी एक विशाल सेना एकत्रित की और पांडवों की सहायता के लिए चल पड़े। दुर्योधन ने रास्ते में इस सेना को अपनी तरफ़ मिलाने की कोशिश किया। रास्ते में शल्य का काफ़ी आदर सत्कार किया। इससे प्रभावित होकर वे पांडवों का साथ छोड़कर कौरवों की तरफ़ हो गए। युधिष्ठिर ने बताया कि दुर्योधन ने धोखा देकर अपनी ओर कर लिया। युधिष्ठिर के पूछने पर शल्य ने इतना अश्वासन दिया कि वह अर्जुन के प्राणों की रक्षा करेगा। शब्दार्थ: पृष्ठ संख्या-59- सम्माननीय
– आदरणीय, लाभप्रद – लाभदायक, राय – विचार, रीति – तरीका, हितैषी – भला चाहने वाला, विवश – लाचार, विलंब – देरी, दृढ़तापूर्वक – बलपूर्वक, हक – अधिकार। श्री कृष्ण की नींद खुली तो उन्होंने पहले सामने किसे देखा और क्यों?श्रीकृष्ण की जब नींद खुली तो उन्होंने सबसे पहले अर्जुन को देखा। उनका कुशलक्षेम पूछा।
शूरता में कौन अर्जुन व श्री कृष्ण की बराबरी कर सकता था?सूर्यपुत्र। शूरता में तुम कृष्ण और अर्जुन की बराबरी कर, सकते हो। तुम पांडवों में ज्येष्ठ हो। इस कारण तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम उनसे मित्रता कर लो।
दुर्योधन ने श्री कृष्ण की बातों का क्या उत्तर दिया?दुर्योधन की यह बात जानकर श्रीकृष्ण ने अपना विराट रूप प्रकट किया। उन्होंने दुर्योधन से कहा, 'हे मूर्ख दुर्योधन, तू मुझे अकेला मान रहा है इसलिए मेरा तिरस्कार कर रहा है। तू मुझे पकड़ना चाहता है यह तेरा अज्ञान है। अब मैं तुझे अपना वास्तविक स्वरूप दिखाता हूं।
तेरहवाँ वर्ष पूरा होने पर पांडव कहाँ पर रहने लगे थे?Question 109. तेरहवाँ वर्ष पूरा होने पर पांडव जाकर कहाँ रहने लगे? Answer: तेरहवाँ वर्ष पूरा होने के बाद पांडव विराट की राजधानी छोड़कर उपप्लव्य नगर में रहने लगे।
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