ईदगाह कहानी के कहानीकार कौन हैं उनकी रचनाओं की विशेषता क्या है? - eedagaah kahaanee ke kahaaneekaar kaun hain unakee rachanaon kee visheshata kya hai?

ईदगाह के लेखक/कहानीकार/रचयिता

ईदगाह (Eedagaah) के लेखक/कहानीकार/रचयिता (Lekhak/Kahanikar/Rachayitha) "मुंशी प्रेमचंद" (Munshi Premchand) हैं।

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Eedagaah (Lekhak/Kahanikar/Rachayitha)

नीचे दी गई तालिका में ईदगाह के लेखक/कहानीकार/रचयिता को लेखक/कहानीकार तथा कहानी के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। ईदगाह के लेखक/कहानीकार/रचयिता की सूची निम्न है:-

रचना/कहानीलेखक/कहानीकार/रचयिता
ईदगाह मुंशी प्रेमचंद
Eedagaah Munshi Premchand

ईदगाह किस विधा की रचना है?

ईदगाह (Eedagaah) की विधा का प्रकार "कहानी" (Kahani) है।

आशा है कि आप "ईदगाह नामक कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको ईदगाह के लेखक/कहानीकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

ईदगाह मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित गद्य रूप में एक कहानी है। इस लेख में आप मुंशी प्रेमचंद का संक्षिप्त जीवन परिचय, पाठ का सार तथा परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का अध्ययन कर सकेंगे।

ईदगाह कहानी बाल मनोविज्ञान पर आधारित है , जिसमें एक बालक के इर्द-गिर्द पूरी घटना घूमती है। वह बालक अंत में बूढ़ी (दादी) स्त्री को भी अपने बालपन से बालक बना देता है।

इस कहानी में मुंशी प्रेमचंद ने हामिद नाम के बालक के माध्यम से बाल मनोविज्ञान का सूक्ष्मता से लेख लिखा है। यह कहानी अंत तक रोचक और कौतूहल उत्पन्न करता है।

ईदगाह कहानी के कहानीकार कौन हैं उनकी रचनाओं की विशेषता क्या है? - eedagaah kahaanee ke kahaaneekaar kaun hain unakee rachanaon kee visheshata kya hai?
Idgah summary and question answer in Hindi

ईदगाह ( जीवन परिचय, पाठ का सार, एवं महत्वपूर्ण प्रश्न )

यह कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गयी है। सबसे पहले हम पढ़ेंगे उनका जीवन परिचय।

लेखक का जीवन परिचय

विधा – कहानी

कहानीकार – प्रेमचंद

जीवन परिचय – जन्म सन 1880 में वाराणसी जिले के लमही ग्राम में जन्म हुआ। मूल नाम धनपतराय था।  प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई थी।  असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। उर्दू में वह नवाबराय के नाम से लेखन कार्य किया करते थे।

सन् 1915 में पहली कहानी सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई। उन्होंने मुंबई टॉकीज में भी कहानी लेखन का कार्य किया था , किंतु वहां उन्हें वातावरण अनुकूल नहीं लगा। इसलिए वह कार्य छोड़ कर वापस अपने घर लौट आए थे। उनकी मृत्यु सन 1936 में हुई थी।

मुख्य रचनाएं –

  • कहानी संग्रह – मानसरोवर( आठ भाग ) , गुप्त धन (दो भाग )
  • उपन्यास-  निर्मला ,  सेवासदन , प्रेमाश्रम , रंगभूमि , कर्मभूमि , गबन , गोदान
  • नाटक –  कर्बला , संग्राम , प्रेम की वेदी
  • निबंध संग्रह –  विविध प्रसंग (तीन खंडों में)  कुछ विचार
  • संपादन कार्य –  माधुरी ,  हंस , मर्यादा ,  जागरण

साहित्यिक विशेषताएं –

प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में जनसाधारण की वेदना तथा सामाजिक कुरीतियों का मार्मिक चित्रण किया है। उनकी कहानियां भारत की संस्कृति एवं ग्रामीण जीवन के विविध रंगों से सराबोर है।

भाषा शैली –

इनकी भाषा शैली सजीव मुहावरेदार तथा बोलचाल के निकट तत्सम और उर्दू शब्दों का सुंदर प्रयोग किया गया है।

शैली –

भावपूर्ण , वर्णनात्मक तथा संवादात्मक शैली का प्रयोग इन्होंने किया है।

ईदगाह पाठ परिचय – Idgah chapter introduction

प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी ईदगाह भावनात्मक एवं बाल मनोविज्ञान पर आधारित है। कहानी का मुख्य पात्र हामिद है जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। हामिद के चरित्र के माध्यम से अभावग्रस्त जीवन के कारण बच्चे का समय से पहले समझदार होना और इच्छाओं का दमन करना दर्शाया गया है।

किस प्रकार हामिद परिस्थितियों से समझौता करना सीख जाता है। इस कहानी के माध्यम से उसको प्रकट किया गया है।

पाठ का सार / स्मरणीय बिंदु

ईद के अवसर पर गांव में ईदगाह जाने की तैयारियां हो रही है। सभी लोग कामकाज निपटा कर ईद के मेले में जाने की जल्दी में है। बच्चे सबसे ज्यादा खुश हैं , उन्हें गृहस्थी की चिंताओं से कोई मतलब नहीं। उन्हें तो यह भी नहीं मालूम कि उनके अब्बाजान ईद के लिए पैसों का इंतजाम करने चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे हैं। और यदि चौधरी पैसे उधार देने से मना कर दे तो वह ईद का त्यौहार नहीं मना पाएंगे। उनका यह ईद की खुशी के अवसर पर मुहर्रम जैसे मातम में बदल जाएगा। बच्चों को तो बस ईदगाह जाने की जल्दी है।

हामिद चार-पांच साल का दुबला पतला लड़का है। वह अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। उसके माता-पिता गत वर्ष गुजर चुके हैं। परंतु उसे बताया गया है कि उसके अब्बाजान रुपए कमाने गए हैं। उसकी अम्मी जान अल्लाह मियां के घर से उसके लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई है।  इसलिए हामिद आशावान है और प्रसन्न है।

अमीना स्वयं सवैयों (मीठा पकवान) के इंतजाम के लिए घर पर रहकर हामिद को तीन पैसे देकर मेले में भेज देती है।

हामिद के साथ उसके दोस्त मोहसीन , महमूद , नूरे और सम्मी भी है।

गांव के बच्चे मेले की ओर चले हामिद भी साथ में था। रास्ते में बड़ी-बड़ी इमारतें , फलदार वृक्ष आए बच्चे कल्पनाशील होने के नाते तरह-तरह की कल्पनाएं तथा उन चीजों पर टीका-टिप्पणी करते आगे बढ़ते जा रहे थे। रास्ते में पुलिस लाइन आने पर एक ने कहा यहां सिपाही कवायद करते हैं।  मोहसीन का कहना था कि यही पुलिस वाले चोरी भी करवाते हैं। हामिद को सुनकर आश्चर्य होता है। इस प्रकार बालकों में पुलिस के प्रति अलग अलग विचारधारा थी।

उनके भीतर की भाईचारे की भावना उनको आपस में जोड़े रखती है। धर्म आपस में लोगों को जोड़ता है तोड़ता नहीं। धर्म के नाम पर तोड़ने वाले धर्म के रहस्य को समझते ही नहीं कोई भी धर्म मनुष्य मनुष्य के बीच भेद नहीं करता।

ईदगाह में नमाज के पश्चात हामिद के दोस्त चरखी ऊपर झूलते हैं परंतु हमें दूर खड़ा रहता है। खिलौनों की दुकान से महमूद सिपाही , नूरे वकील , मोहसीन भिस्ती तथा सम्मी धोबिन खरीदता है। हामिद खिलौनों की निंदा करता है , परंतु साथ ही ललचाए निगाहों से उन्हें देखता भी है। सभी मित्र मिठाईयां खरीदते हैं और हामिद को चिढ़ा – चिढ़ा कर खाते हैं।

मेले के अंत में लोहे की दुकान पर चिमटा देखकर हामिद को अपनी दादी अमीना का ख्याल आता है। दुकानदार से मोलभाव करके वह चिमटा खरीद लेता है। हामिद के तर्कों के कारण उसके सभी दोस्त उसके चिमटे से प्रभावित हो जाते हैं। घर पहुंचकर दोस्तों के खिलौने किसी न किसी प्रकार टूट जाते हैं मगर उसका चिमटा कभी नहीं टूटता।

हामिद के घर पहुंचते ही दादी अमीना उसे गोद में बिठाकर प्यार करने लगती है।

अचानक हाथ में चिमटा देखकर चौंक गई। पूछने पर वह बताता है कि उसने मेले से तीन पैसे का चिमटा खरीदा है। दादी उसकी नासमझी पर क्रोधित होते हुए पूछती है कि पूरे मेले में उसे कोई और चीज खरीदने को नहीं मिली। हामिद अपराधी भाव से बताता है कि दादी की उंगलियां तवे से जल जाती थी , इसलिए उसके लिए चिमटा खरीदा। यह सुनकर बुढ़िया का क्रोध तुरंत इसने में बदल गया।

दादी अमीना , हामिद के त्याग उसका सुने उसके विवेक को देखकर हैरान रह गई। सुबह से बच्चा भूखा दूसरों को मिठाई खाते देख कैसे अपने मन को मनाया होगा।  मेले में भी इसे अपनी बूढ़ी दादी की याद बनी रही , यह सब सोचकर अमीना का मन गदगद हो गया।

दादी अमीना एक बालिका के समान रोने लगी , वह दामन फैलाकर हामिद को दुआएं देती जा रही थी , तथा आंसुओं की बड़ी-बड़ी बूंदे गिराती जा रही थी। परंतु हामिद इस रहस्य को समझने के लिए बहुत छोटा था कि दादी उसके त्याग का अनुभव कर भाव विभोर हो गई। हामिद यह नहीं समझ पा रहा था कि वह तो दादी के लिए चिमटा लाया है फिर दादी रो क्यों रही है ?

ईदगाह सप्रसंग व्याख्या ( Idgah chapter saprasang vyakhya )

व्याख्या हेतु अनुच्छेद हामिद खिलौनों की निंदा करता है –

मिट्टी ही के तो हैं…………… विशेषकर जब अभी नया शौक है। 

पाठ का नाम – ईदगाह

लेखक का नाम – प्रेमचंद

प्रसंग – 

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने ईद के अवसर पर सर्वत्र छाई खुशी का वर्णन किया है। इस गद्यांश में हामिद के माध्यम से बाल सुलभ इच्छाओं व चिताओं का सुंदर व सजीव वर्णन किया गया है।

व्याख्या –

हामिद के पास कुल तीन पैसे हैं , जिन्हें वह खिलौने और मिठाइयों पर खर्च नहीं कर पाता। जबकि उसके साथी रंग-बिरंगे व सुंदर खिलौने खरीदते हैं।  ऐसे में हामिद अपने को समझाने के लिए खिलौनों की निंदा करता है कि , मिट्टी के हैं और वह जमीन पर गिरते ही टूट जाएंगे। खिलौनों को ललचाए नजरों से देखता रहा और कुछ देर के लिए उन्हें हाथ में लेकर देखना चाहता है।

उसके हाथ अनायास ही खिलौनों की तरफ बढ़ते हैं , परंतु साथ ही भी उसकी तरह बच्चे ही हैं और उन्होंने खिलौने अभी-अभी लिए हैं। अतः वे अभी त्यागी नहीं हो सकते हैं , उनका खिलौनों से खेलने का शौक अभी नया-नया है।

विशेष –

  • बाल मनोविज्ञान का बहुत ही सुंदर व हृदय ग्राही चित्रण है।
  • मुहावरों के प्रयोग से भाषा में सजीवता आ गई है।
  • मिश्रित शब्दावली
  • भाषा खड़ी बोली, हिंदी है तथा शैली सरल सहज व प्रवाहमई है।

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ईदगाह महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1 – हामिद की किन्हीं तीन चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जिसने उसे कहानी का नायक बना दिया है।

उत्तर – ईदगाह कहानी में हामिद ही एकमात्र ऐसा पात्र है जो पाठकों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। उसके जिन गुणों ने उसे कहानी का नायक बना दिया है वह इस प्रकार है।

  1. हामिद एक तर्कशील बालक है , वह अपने तर्कों से सभी साथियों को पराजित कर देता है।
  2. हामिद एक समझदार बालक है। वह व्यर्थ की चीजों मैं अपने पैसे नहीं बर्बाद करता।
  3. स्वयं पर नियंत्रण रखने की क्षमता भी उसमें है।
  4. हामिद दादी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है , तभी तो वह मेले में अपने कुछ न खरीदकर दादी के लिए चिमटा खरीद कर लाता है।

प्रश्न 2 – हामिद ने चिमटे की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए क्या-क्या तर्क दिए ?

उत्तर – हामिद ने चिमटा की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए –

  1. चिमटा बड़े काम की चीज है , रोटियां तवे से उतार लो। चूल्हे में से दूसरे चूल्हे को आग  पकड़ा दो।
  2. खिलौने तो थोड़ी देर में टूट जाते हैं , जबकि चिमटे का कुछ नहीं बिगड़ता।
  3. चिमटे को देखकर अम्मा खुश हो जाएगी वह मुझे दुआएं देंगी।
  4. चिमटा एक खिलौना भी है , इसे कंधे पर रख लो तो बंदूक हो जाती है। हाथ में रख लो तो फकीरों का चिमटा , इसे मंजीरे का काम भी किया जा सकता है।
  5. चिमटे का कोई बाल बांका नहीं कर सकता। चिमटा खिलौने का खिलौना और खिलौनों में बादशाह यह रुस्तम ए हिंद सिद्ध हुआ।

प्रश्न 3 – ईदगाह कहानी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए। क्या इस कहानी का कोई अन्य शीर्षक हो सकता था ?

उत्तर – ईदगाह कहानी का शीर्षक सर्वथा उचित है। इस कहानी की प्रमुख घटनाएं ईदगाह के इर्द-गिर्द घटित होती है। ईदगाह कहानी का केंद्र स्थल है , कहानी के प्रारंभ में वही जाने की तैयारी होती दर्शाई गई है। ईदगाह की नमाज पढ़ी जाती है एकता व भातृत्व का दृश्य वही दिखाई देता है।  वही मेला लगता है , जहां की चहल-पहल है।

यह शीर्षक कहानी के प्रमुख स्थल के आधार पर है। हामिद का लक्ष्य भी ईदगाह जाने का होता है। वहां कहानी का अधिक समय व्यतीत होता है।  अतः यह शीर्षक कहानी के प्रमुख स्थल के आधार पर है यहां कहानी का शीर्षक सार्थक होता है। अन्य शीर्षक हो सकते थे हामिद का चिमटाईद का उपहार , बालिका बनी दादी। 

प्रश्न अभ्यास – Idgah Question answers

सप्रसंग व्याख्या करने हेतु महत्वपूर्ण अनुच्छेद

  1. इस्लाम की निगाह ………………………. लड़ी में पिरोए हुए हैं।
  2. बुढ़िया का क्रोध ………………………. रहस्य क्या समझता।
  3. रमजान के पूरे तीस रोजे ………………….. तैयारी हो रही थी।
  4. रोजे बड़े-बूढ़ों के लिए ………………….सारी ईद मुहर्रम हो जाए।
  5. अभागिन अमीना ……………….चितवन उसका विध्वंस कर देगी।

ईदगाह प्रश्न अभ्यास

  1. ईदगाह कहानी के आधार पर प्रेमचंद के माध्यम से तत्कालीन ग्रामीण जीवन की छवि प्रस्तुत कीजिए।
  2. छोटे बच्चों की बातचीत में युगीन परिस्थितियां किस प्रकार झलकती है। उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  3. दादी ने हामिद को अकेले मेले में क्यों भेजा ?
  4. पुलिस कर्मियों के बारे में हामिद और मित्रों की क्या धारणा थी ?
  5. हामिद के मित्रों ने मेले से क्या-क्या खरीदा ?
  6. हामिद के हाथ में चिमटा देखकर दादी क्यों क्रोधित हो गई।
  7. बच्चों ने चौधरी के पास जिन्नात होने की बात क्यों कही ?
  8. दादी का क्रोध प्रेम में क्यों बदल गया ?
  9. ‘ हामिद इसका रहस्य क्या समझता ‘ यहां मुंशी प्रेमचंद किस रहस्य की ओर संकेत कर रहे हैं ?
  10. हामिद की किन्ही तीन चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जिन्होंने उसे कहानी का नायक बना दिया।
  11. बुढ़िया अमीना बालिका अमीना कैसे बन गई ?
  12. ईदगाह कहानी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  13. हामिद ने चिमटा की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए क्या-क्या तर्क दिए ?

आशय स्पष्ट कीजिए

  1. उसके अंदर प्रकाश है , बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए। हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।
  2. उन्हें क्या खबर की चौधरी आज आंखें बदल ले तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।
  3. मानव मातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए हैं।

1 ईदगाह कहानी के कहानीकार कौन हैं उनकी रचनाओं की विशेषता क्या है ?`?

इसी ईदगाह के मैदान में लगने वाले मेले में प्रेमचंद को उनकी ईदगाह कहानी का किरदार 'हामिद' मिला था, जो खिलौनों के बजाए अपनी दादी के लिए ईदी में मिले पैसे से लोहे का चिमटा खरीदता है। 31 जुलाई 1880 को लमही बनारस से मात्र चार किलोमीटर दूर जन्मे धनपत राय उर्फ प्रेमचंद का कहानीकार-रचनाकार के रूप में जन्म गोरखपुर में ही हुआ।

ईदगाह कहानी के कहानीकार कौन है उनके बारे में लिखिए?

प्रेमचंदईदगाह / लेखकnull

ईदगाह कहानी की क्या विशेषता है?

इसमें मानवीय संवेदना और जीवनगत मूल्यों के तथ्यों को जोड़ा गया है। ईदगाह कहानी मुसलमानों के पवित्र त्यौहार ईद पर आधारित है जो की शीर्षक से स्पष्ट है। पवित्र माह रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आने पर मुसलमान परिवारों में विशेषकर बच्चों में त्यौहार का उत्साह बहुत अधिक प्रभावशाली दिखाई देता है।

ईदगाह कहानी का प्रमुख नायक कौन है और क्यों?

रोज ईद का नाम रटते थे. आज वह आ गई. अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते. इन्हें गृहस्थी की चिंताओं से क्या प्रयोजन.