हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आपस में मिलते क्यों नहीं? - hind mahaasaagar aur prashaant mahaasaagar aapas mein milate kyon nahin?

सोशल मीडिया पर एक वीडियो इन दिनों खूब शेयर किया जा रहा है जिसमें दावा किया जाता है कि ये शानदार दृश्य उस समय का है जिसमें अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर एक दूसरे से मिलते हैं. वीडियो में दिख रहा है कि रेखा के एक तरफ पानी बिलकुल नीला है जबकि दूसरी तरफ पानी थोड़ा गंदा है.  कहा ये जा रहा है कि  “ये मिलते जरुर हैं लेकिन आपस में घुलते नहीं हैं.”

ये वीडियो सोशल मीडिया पर फेसबुक पेज “PROUD TO BE AN INDIAN”   पर उसी दावे का साथ दिखा. ज्यादातर लोग इसे प्रकृति का चमत्कार मान बैठते हैं, लेकिन इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वार रुम (AFWA) की पड़ताल में दावा झूठा निकला. ये प्रशांत और अटलांटिक महासागर के मिलने की जगह नहीं बल्कि कनाडा के वैंकुवर द्वीप के नजदीक प्रशांत महासागर में जॉर्जिया की जलसंधि पर मिलने वाली एक नदी है.

पिछले दिनों फेसबुक पेज “PROUD TO BE AN INDIAN” द्वारा पोस्ट की गए इस वीडियो को करीब 500 से ज्यादा यूजर्स ने शेयर किया है. ऐसे कई और फेसबुक पेज हैं जिन्होंने पहले भी इस वीडियो को शेयर किया है. 

हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आपस में मिलते क्यों नहीं? - hind mahaasaagar aur prashaant mahaasaagar aapas mein milate kyon nahin?

फेसबुक के अलावा सोशल मीडिया की कई साइट्स पर हजारों लोगों ने इस वीडियो को देखा और शेयर किया है. हमने पाया कि पिछले साल दुनिया भर में मशहूर न्यूज एजेंसी एएफपी ने भी इस वीडियो को चेक किया और एक स्टोरी की और पाया कि वीडियो में किया गया दावा गलत है.

एएफपी ने उस महिला को ढूंढ निकाला जिसने ये वीडियो शूट किया था. अमेरिकी टूरिस्ट मार्यन स्टीव पियरसन ने ये वीडियो 2 जुलाई 2015 को शूट किया था. उन्होंने यूट्यूब पर ये वीडियो  इस शीर्षक के साथ पोस्ट किया था “ जब महासागर से मिलती है नदी ( फ्रेजर नदी का पानी जॉर्जिया की जलसंधि में मिलती है).” यूट्यूब का ये वीडियो 1.27 मिनट का है और अबतक इसी 2 लाख 81 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं.

पियरसन ने अपने यूट्यूब पोस्ट पर साफ लिखा है कि असली वीडियो पर उनका कॉपीराइट है. उन्होंने लोगों को चेतावनी भी दी है कि लोग “ वीडियो के बारे में गलत जानकारी न फैलाएं.”

पियरसन के मुताबिक ये वीडियो “नानइमो, वैंकुवर द्वीप (ड्यूक प्वॉइंट से वैंकुवर (ताहवासेन) कनाडा जाने वाली नौका यात्रा के दौरान शूट की गई. फ्रेजर नदी प्रशांत महासागर में जॉर्जिया जलसंधि में जाकर मिलती है. फ्रेजर नदी के मिलन का ये अनोखा नजारा वैंकुवर के नजदीक देखा जा सकता है और इसे देखने दुनिया भर से टूरिस्ट यहां आते हैं.

विक्टोरिया विश्वविद्यालय के एक स्टडी “ ओशियन नेटवर्क्स कनाडा” के मुताबिक जब फ्रेजर नदी का ताजा पानी वैंकुवर के नजदीक महासागर से मिलता है तो ताजा पानी और समुद्री खारे पानी के बीच एक कवच बन जाता है. समुद्र विज्ञानियों के मुताबिक “ ये जॉर्जिया की जलसंधि को शो पीस का रूप देती है.”

स्टडी के मुताबिक नदी और महासागर का पानी आपस में मिलता जरुर है लेकिन “ ये गर्मियों के शुरुआती दिनों में होता है जब फ्रेजर नदी का पानी अपेक्षाकृत मटमैला होता है और उसमें अशुद्धियां घुली होती हैं, इसलिए महासागर के पानी और नदी के बीच में साफ अंतर किया जा सकता है. क्योंकि सागर का पानी हल्का भूरे रंग का होता है. 

इसलिए इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने पाया कि ये वीडियो पूरी तरह गलत है. ये स्थान प्रशांत और अटलांटिक महासागर के मिलने की जगह नहीं है. 

हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आपस में मिलते क्यों नहीं? - hind mahaasaagar aur prashaant mahaasaagar aapas mein milate kyon nahin?

दावा

ये स्थान अटलांटिक और प्रशांत महासागर का मिलन बिंदु है. ये आपस में मिलते जरुर हैं लेकिन आपस में घुलते नहीं हैं.

निष्कर्ष

ये दो समुंदरों का मिलन नहीं बल्कि नदी और समुद्र का मेल है.

झूठ बोले कौआ काटे

जितने कौवे उतनी बड़ी झूठ

  • कौआ: आधा सच
  • कौवे: ज्यादातर झूठ
  • कौवे: पूरी तरह गलत

हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आपस में मिलते क्यों नहीं? - hind mahaasaagar aur prashaant mahaasaagar aapas mein milate kyon nahin?

आमतौर पर पानी का कोई रंग तो नहीं होता लेकिन अगर उसको दूर से देखेंगे तो ये नीला नजर आता है. चाहे समुद्र हो या नदी -आमतौर पर पानी का रंग नीला ही दिखेगा लेकिन कुछ जगहों पर ये रंग हरा भी दीखता है. दुनिया के बड़े दो महासागरों के रंगों की बात कुछ ऐसी ही है. अटलांटिक यानि प्रशांत महासागर रंग का नजर आता है तो हिंद महासागर नीला दिखता है. वजह क्या है.

दुनिया में तीन प्रमुख महासागर हैं-  अंध महासागर यानि अटलांटिक, प्रशांत महासागर यानि पैसिफिक और हिंद महासागर यानि इंडियन ओशियन. कुछ लोग आर्कटिक और अंटार्कटिक सागरों को भी महासागरों की श्रेणी में रखते है लेकिन वास्तव में आर्कटिक सागर प्रशांत का ही एक हिस्सा और अंटार्कटिक दूसरे समुद्रों के दक्षिणी भागों से मिलकर बना है.

अंध यानि अटलांटिक महासागर दुनिया का सबसे बड़ा महासागर है. वहीं मध्यसागर यूरोप और अफ्रीका को अमेरिका से अलग करता है. ये देखने में पिचके हुए गिलास की तरह लगता है. अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के उभरे हुए हिस्सों के कारण कुछ जगहों पर इसकी चौड़ाई कम दिखती है, वैसे ये क्षेत्रफल के लिहाज से प्रशांत से आधा ही है.

हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आपस में मिलते क्यों नहीं? - hind mahaasaagar aur prashaant mahaasaagar aapas mein milate kyon nahin?

ये अटलांटिक महासागर यहां हिंद महासागर से मिल रहा है, दोनों के रंग एकदम अलग हैं और ये साफ नजर आ रहा है.

रंगों से आसानी से पहचान में आते हैं दोनों महासागर
हिंद महासागर और अटलांटिक को उनके रंगों के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है. उनके नील और हरे रंग साफतौर पर अलग अलग दिखाई देते हैं. यहां तक कि जब ये दोनों महासागर आपस में मिलते हैं तो भी इनके पानी के रंग अलग अलग ही दीखते हैं.

हिन्द महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा समुद्र है. पृथ्वी की सतह पर मौजूद पानी का लगभग 20फीसदी भाग इसमें है. उत्तर में यह भारतीय उपमहाद्वीप से, पश्चिम में पूर्व अफ्रीका; पूर्व में हिन्दचीन, सुंदा द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया से घिरा है. विश्व में केवल यही एक महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम यानी, हिन्दुस्तान (भारत) के नाम पर है. प्राचीन भारतीय ग्रंथो में इसे “रत्नाकर” कहा गया है.

दोनों महासागरों का रंग ही उनकी खासियत है. इसी वजह से हिंद महासागर नीले रंग का नजर आता है तो अंधमहासागर हरे रंग का.

हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आपस में मिलते क्यों नहीं? - hind mahaasaagar aur prashaant mahaasaagar aapas mein milate kyon nahin?

जहां अटलांटिक सी मिलता पैसिफिक यानि प्रशांत महासागर से. यहां भी पानी के रंगों का अंतर साफ पता चलता है.

ये प्रकाश के रंगों के परावर्तन से होता है
दरअसल इनके इन रंगों की वजह सूर्य के इनके ऊपर पड़ने वाले प्रकाश में छिपा है. दरअसल सूर्य का प्रकाश जब इनके पानी पर पड़ता है तो उसमें मौजूद जो सात रंगों में जो रंग इसके पानी पर सबसे ज्यादा छितराते हैं ये सागर उसी रंग का नजर आता है.

ये हम सबको मालूम है कि प्रकाश का रंग आमतौर पर कुछ नहीं होता लेकिन जब ये रंगों में टूटता है तो इंद्रधनुष सामने आता है यानि इस प्रकाश में सात रंग छिपे होते हैं. इन सात रंगों में जो रंग पानी पर पड़ने के बाद सबसे ज्यादा परावर्तित होता है, वही इन सागरों का रंग बन जाता है. लेकिन ऐसा होता कैसे है.

वैसे आमतौर पर पानी का रंग नीला ही दिखता है
ये इस पर भी तय करता है कि पानी में क्या क्या पदार्थ घुले हुए हैं. सामान्य तौर पर सभी समुद्रों और नदियों के पानी पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो पानी पर नीला रंग सबसे ज्यादा छितराता है और परावर्तित होता है. इसलिए आमतौर पर उनके रंग नीले दीखते हैं.

ये वजह भी अटलांटिक के हरे होने की
अंध यानि अटलांटिक महासागर के बारे में और एक तथ्य है. इसकी तलहटी में हरे पौधों की बहुतायत है. इन पौधों के नष्ट होने से एक पीले रंग का पदार्थ इस सागर के पानी में घुलता रहता है. जब सूर्य का प्रकाश इस समुद्र के पानी पर पड़ता है तो उसमें उपस्थिति नीले और पीले दोनों ही रंग परावर्तित हो जाते हैं. नीले और पीले रंग का मिश्रण हमारी आंखों को हरे दिखते हैं.

यही वजह है कि अटलांटिक सी का रंग हरा दिखाई देता है. पीले रंग के पदार्थ मध्यसागर में मौजूद नहीं हैं इसलिए उसके पानी पर केवल नीला रंग ही छितराता है. और हमें नीला नजर आने लगता है. इन दोनों रंगों के कारण कोई भी पहली ही नजर में बता देगा कि ये अंध महासागर है और ये हिंद महासागर.

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Tags: Indian Ocean, Sea, Tricolor

FIRST PUBLISHED : June 08, 2022, 15:29 IST