गुरुवार के बाद क्या आ रहा है? - guruvaar ke baad kya aa raha hai?

गुरूवार का यह व्रत विध्या-बुद्धि प्रदाता तथा उत्तम स्थान पद प्रदायक, धन सम्पदा की स्थिरता हेतु एवं दाम्पत्य सौख्य​, सन्तति सुख, यशव्रुद्धि सूचक भी है।

गुरु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए और गुरु फलदायक हो इसके लिए गुरूवार का यह व्रत विध्या-बुद्धि प्रदाता तथा उत्तम स्थान पद प्रदायक, धन सम्पदा की स्थिरता हेतु एवं दाम्पत्य सौख्य​, सन्तति सुख, यशव्रुद्धि सूचक भी है। गुरुवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से प्रारंभ करे। गुरुवार के दिन प्रात: स्नान आदि करके पीले रंग का वश्त्र धारण करे एवं मस्तक पर केसर या हल्दी का तिलक करे। इस दिन केले के पेड़ के दर्शन करे एवं हल्दी-सरसो मिश्रित जल प्रदान करे. तथा "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम" इस बिज मंत्र का यथाशक्ति जाप करे। भोजन में चने की दाल , हलवा, केशरिया चावल आदि पदार्थ बनाये। भोजन से पूर्व भोजन का कुछ भाग गाय या विध्यार्थी को देकर भोजन करे। अंतिम गुरुवार को हवन क्रिया के पश्चात बालक-विद्यार्थी को उपरोक्त पदार्थ सहित भोजन कराकर दक्षिणा स्वरूप पीले वस्त्र, चने की दाल , पीला चन्दन गट्टा आदि प्रदान करे

गुरुवार वह मूल दिन है जो ज्ञान सत्ता के लिये होता है, माता भगवती के लिए होता है। गुरु का तो अपना कुछ अस्तित्व होता ही नहीं है, उसे तो प्रकृति सत्ता हमारे कल्याण के लिए अपना प्रतिनिधि स्वरूप भेजती है।

गुरुवार का व्रत रखने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है । गुरुवार व्रत रखने से घर में सुख-शांति व सम्पन्नता आती है। गुरुवार व्रत रखने से जीवन में अरोग्यता प्राप्त होती है। गुरुवार का व्रत रखने से आध्यात्मिक जीवन में पूर्णता प्राप्त होती है। गुरुवार का व्रत रखने से जीवन की इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। गुरुवार व्रत रखने वाले व्यक्ति को शत्रुओं का भय नहीं रहता, शत्रु बलवान होने पर भी अहित नहीं कर पाता।

गुरुवार का व्रत रखने से इंद्रियां संयमित होने लगती हैं, विषय, विकारों व अवगुणों से मुक्ति मिलती है। कुंवारी कन्याएं यदि गुरुवार का व्रत रखती हैं तो उन्हें उनकी इच्छानुसार जीवन साथी की प्राप्ति होती है।

गुरुवार व्रत रखने वाले व्यक्ति पर जादू-टोनों या भूत-प्रेत का प्रभाव नहीं पड़ता। जीवन पर्यंत गुरुवार का व्रत रखने वाला मृत्यु के बाद नरकीय जीवन प्राप्त नहीं करता, उसे स्वर्गीय जीवन की प्राप्ति होती है। गुरुवार व्रत पूर्ण नियमपूर्वक रखने वाले व्यक्ति के इतने संस्कार जग्रत हो जाते हैं कि वह जरूरत पडऩे पर दूसरे व्यक्ति की शारीरिक तकलीफों को अपने हाथ के स्पर्श द्वारा काफी कुछ ठीक कर सकता है।

इसके अलावा गुरुवार व्रत से दूर होते हैं वैवाहिक दोष और मिलती है आर्थिक समृद्धि। धार्मिक दृष्टि से गुरु यानि बृहस्पति देवगुरु हैं। वह ज्ञान के देवता भी माने जाते हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार गुरु को व्यक्ति की किस्मत या भाग्य का निर्णायक भी माना गया है। गुरु को शुभ,सौम्य ग्रह माना जाता है।स्त्री-पुरुष दोनों के सुखद वैवाहिक जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गुरु पुरुष तत्व का कारक है। इसलिए विशेषकर स्त्री के वैवाहिक विषयों में आ रही बाधाओं व पुरुषो को आ रही आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए और गुरु की प्रसन्नता के लिए भी यह व्रत लोक परंपराओं में बहुत प्रचलित है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव वाले लोग विनम्र,प्रेमी और शांत व्यक्तित्व के धनी होते हैं। जिस माह के शुक्लपक्ष के दिन अनुराधा नक्षत्र और गुरुवार का संयोग बनें। उस दिन से गुरुवार का व्रत प्रारंभ करना चाहिए।

देवगुरु बृहस्पति की प्रतिमा को किसी पात्र में रखकर पीले वस्त्र,पीले फूल,चमेली के फूलों और अक्षत आदि से पूजन करें। यज्ञोपवितधारी पुरुष गुरु की पूजा-अर्चना के समय जनेऊ अवश्य धारण करें। पंचोपचार पूजा करें,भोग में पीली वस्तुओं या फलों को अर्पित करें। गुरु बृहस्पति से शुभ फल की प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर उस दिन यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए या भोजन सामग्री दान देनी चाहिए। भोजन में चने से बने पदार्थ अवश्य हो। पीले रंग की वस्तु विशेषकर वस्त्र व धार्मिक पुस्तक अवश्य दान देना चाहिए। स्वर्णदान विशेष शुभ है जो शीघ्र फल देने वाला होता है। ब्रह्मभोज के बाद ही व्रती को भोजन करना चाहिए। ऐसे सात गुरुवार को अखंडित व्रत करना चाहिए। इससे गुरु ग्रह के कुण्डली में बने बुरे योग और दोष की शांति होती है और ग्रह बाधा नष्ट होती है। श्रेष्ठ वर-वधू प्राप्त होने के प्रबल संभावनाएं जगती हैं।

इस व्रत को करने से समस्त इच्छएं पूर्ण होती है और वृहस्पति महाराज प्रसन्न होते है। धन,विघा, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख तथा शांति रहती है। इसलिए यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और अतिफलदायक है। इस व्रत में केले का पूजन ही करें। कथा और पूजन के समय मन,कर्म और वचन से शुद्घ होकर मनोकामना पूर्ति के लिये वृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिए। दिन में एक समय ही भोजन करें। भोजन चने की दाल आदि का करें, नमक न खाएं,पीले वस्त्र धारण करें,पीले चंदन से पूजन करें। पूजन के बाद भगवान वृहस्पति की कथा सुननी चाहिए।

किस राशि वाले क्या करें क्या ना करें

मेष-स्थानान्तरण व परिवर्तन की दिशा में किया जा रहा प्रयास सफल होगा।

क्या करें-गणेश अराधना से लाभ होगा।

क्या ना करें-वाणी पर नियंत्रण न खोएं।

वृष-धन,सम्मान,यश,कीर्ति में वृद्धि होगी।

क्या करें-सफ़ेद वस्तु दान करें।

क्या ना करें-पार्टनर से झगड़ा या विवाद न बढ़ाएं।

मिथुन-शिक्षा प्रतियोगिता के क्षेत्र में सफलता मिलेगी।

क्या करें-माता और गुरु की सेवा से कल्याण होगा। क्या ना करें-निर्णय लेने में जल्दबाजी ना करें।

कर्क-जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य मिलेगा। क्या करें-काले कुत्ते को इमरती दें।

क्या ना करें-बड़े वादे ना करें।

सिंह-पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। संबंधों में मधुरता आएगी।

क्या करें-आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। हनुमान की अराधना करें।

क्या ना करें-किसी का दिल ना दुखाएं।

कन्या-मकान,सम्पत्ति व वाहन प्राप्ति की दिशा में किया जा रहा प्रयास सफल होगा।

क्या करें-महामृतुन्जय मंत्र का जाप करें।

क्या ना करें-झूठ ना बोलें।

तुला-राजनैतिक महत्वकांक्षा की पूर्ति होगी। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।

क्या करें-बड़े व गंभीर निर्णय सोच विचार व सलाह से करें।

क्या ना करें-निवेश से बचें।

वृश्चिक-परिवार में पिता और कार्यक्षेत्र में उच्चाधिकारी का सहयोग मिलेगा।

क्या करें-बजरंग बाण का पाठ करें।

क्या ना करें-यात्रा ना करें।

धनु-यात्रा देशाटन की स्थिति सुखद व लाभप्रद होगी।

क्या करें-विषम परिस्थति में धैर्य रखें।

क्या ना करें-क्रोध न करें।

मकर-स्वास्थ्य ख़राब होगा विशेषकर उदर विकार या नेत्र विकार की संभावना है।

क्या करें-नीलकंठ स्तोत्र का पाठ लाभकारी है।

क्या ना करें-मानसिक थकान,उदासीनता न आने दें।

कुम्भ-अहंकार बढ़ेगा जो कि आपके पक्ष में नहीं है। क्या करें-गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें।

क्या ना करें-परिश्रम से पीछे ना हटें।

मीन-भाग्य का बल आज आपके साथ है। भाग्यवश कुछ ऐसा होगा जिसका आपको लाभ मिलेगा।

क्या करें-गाय की सेवा करें।

मान्यता है कि पौष महीना मेें सूर्य को अ‌र्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है

Edited By: Preeti jha

बृहस्पतिवार के बाद क्या आता है?

इसे बृहस्पतिवार, वीरवार या बीफ़े भी कहा जाता है। यह बुधवार के बाद और शुक्रवार से पहले आता है। मुसलमान इसे जुमेरात कहते हैं क्योंकि यह जुम्मा (शुक्रवार) से एक दिन पहले आता है।

गुरुवार के बाद कौन सा दिन होता है?

प्रत्येक दिन का एक नाम होता है, जैसे - सोमवार, मंगलवार इत्यादि। एक दिन यदि मंगलवार हुआ तो अगला दिन बुधवार होगा और तीसरा दिन गुरुवार। सातवां दिन सोमवार होगा और सप्ताह पूर्ण हो जाएगा। उसके बाद अगला दिन फिर मंगलवार होगा और उसका अगला फिर से बुधवार और इसी तरह चलता रहेगा।

गुरुवार के दिन धन प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए?

इसके लिए गुरुवार के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर सूर्य को जल अर्पित करें और भगवान विष्णु का पूजन करें. साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए. इस दिन भूलकर भी न किसी को उधार दें और न ही किसी से उधार लें.

गुरुवार का व्रत कितने दिनों तक करना चाहिए?

भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए लगातार 16 गुरुवार का व्रत रखना चाहिए और 17वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए । मासिक धर्म की वजह से महिलाएं व्रत नहीं रख सकती है। इसके अलावा गुरुवार का व्रत 1,3,5,7 और 9 साल या फिर आजीवन भी रख सकते हैं।