हम पंछी उन्मुक्त गगन के क्या अर्थ है? - ham panchhee unmukt gagan ke kya arth hai?

सन्दर्भ : शिवमंगल सिंह सुमन की इस कविता में पंछी हम मनुष्यों से यह प्रार्थना कर रहे हैं की वो उन्मुक्त (खुले) गगन (आकाश) में रहने वाले प्राणी हैं, उनको पिंजरे में ना कैद किया जाए । (ध्यान दें : इस सन्दर्भ में पक्षी पिंजरे में कैद है। )

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Context : In this poem by Shiv Mangal Singh Suman , birds is requesting humans to not to trap them in cages and to let them remain free.

हम पंछी उन्मुक्त गगन के क्या अर्थ है? - ham panchhee unmukt gagan ke kya arth hai?

हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाऍंगे।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : हम खुले (उन्मुक्त) आसमान (गगन) में उड़ने वाले पक्षी (पंछी) है , हम पिंजरे के अंदर बंद होकर (पिंजरबद्ध) नहीं गा पाएंगे। सोने की सलाखों (कनक तीलियों) से टकराकर हमारे नरम (पुलकित) पंख टूट जाएँगे।
Meaning / Explanation in English : We the birds of free sky will not be able to sing in cage. Our feathers will break by bumping into golden rods of cage.

हम बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे-प्‍यासे,कहीं भली है कटुक निबोरीकनक-कटोरी की मैदा से,

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : हम (पंछी) बहता हुआ जल पीने वाले प्राणी हैं। हम भूखे प्यासे मर जायेंगे। कड़वी निंबोरी (नीम के पेड़ का फल) सोने की कटोरी (कनक कटोरी) में मिलने वाले भोजन (मैदा) से अच्छी (भली) है।
Meaning / Explanation in English : We drink the flowing water, we will die in cage because eating a bitter fruit on tree is much better than eating flour in cage.

स्‍वर्ण-श्रृंखला के बंधन मेंअपनी गति, उड़ान सब भूले,बस सपनों में देख रहे हैंतरू की फुनगी पर के झूले।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : सोने की जंजीरों (स्वर्ण-श्रृंखला) में बंधे होने को वजह से हम अपनी रफ़्तार (गति) और उड़ने की कला (उड़ान) भूल चुके हैं। पेड़ (तरु) की टहनियों (फुनगी) और पंखों (पर) के झूलों को हम सिर्फ सपनों में ही देख पा रहे हैं।
Meaning / Explanation in English : Because of trap in golden cage, we have forgotten our speed and flight. Now sitting on edges of branches of trees and swings of our wings are remaining in dream only.

ऐसे थे अरमान कि उड़तेनील गगन की सीमा पाने,लाल किरण-सी चोंचखोलचुगते तारक-अनार के दाने।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : हमारी इच्छा यह थी कि हम नीले आसमान की सीमा (क्षितिज) तक उड़ते। अपनी लाल किरण जैसी चोंच खोलकर हम तारे (तारक) जैसे बिखरे हुए अनार के दाने खाते (चुगते) ।
Meaning / Explanation in English : We always wished to fly and reach the sky. We need pomegranate seeds using our red ray like beak.

होती सीमाहीन क्षितिज सेइन पंखों की होड़ा-होड़ी,या तो क्षितिज मिलन बन जाताया तनती साँसों की डोरी।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : सीमाहीन (जिसकी कोई सीमा नहीं है) क्षितिज (जहाँ धरती और आसमान मिलते हैं) तक पहुँचने की हमारे पंखों में (विभिन्न पक्षियों के) प्रतियोगिता होती। या तो हम क्षितिज तक पहुंच जाते या हमारी साँस फूल जाती (तनती साँसों को डोरी) ।
Meaning / Explanation in English : We race to meet and defeat the horizon. Either we get it or we become breathless.

नीड़ न दो, चाहे टहनी काआश्रय छिन्‍न-भिन्‍न कर डालो,लेकिन पंख दिए हैं, तोआकुल उड़ान में विघ्‍न न डालो।

हिंदी में अर्थ / व्याख्या  : भले ही हमें पेड़ की टहनियों पर घोसलों (नीड़) में न रहने दो और हमारे रहने के स्थान (आश्रय) भी नष्ट (छिन्न - भिन्न) कर डालो। पर हमें पंख दिए है (भगवान ने) तो हमारी बैचैन (आकुल) उड़ान में रुकावट (विघ्न) ना डालो।
Meaning / Explanation in English : If you wish , you many not allow us to live in nests on trees. But if we are given feathers, please don't disturb us in our curious flights.

- शिवमंगल सिंह सुमन (Shiv Mangal Singh Suman)

शिवमंगल सिंह सुमन जी के बारे में और अधिक जानने के लिए विकिपीडिआ देखें।
Please see Wikipedia to know more about poet Shiv Mangal Singh Suman.

प्रश्न - उत्तर NCERT कक्षा 7 (Question and Answer NCERT Class 7)

प्रश्न : हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?

उत्तर : हर तरह की सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद इसलिए नहीं रहना चाहते क्योंकि पिंजरे में सुविधाएँ होने के बावजूद वो बंधन में हैं , वो उड़ नहीं सकते , वो उन पंखों का इस्तेमाल नहीं कर सकते जो उनको उड़ने के लिए मिले हैं। वो अपनी मर्जी से कोई भी कार्य नहीं कर सकते जो एक आजाद पंछी कर सकता है, उड़ सकता है, पेड़ के फल खा सकता है, टहनियों पर बैठ सकता है क्योंकि पिंजरा उनका प्राकृतिक वास नहीं है।

प्रश्न ; पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं ?

उत्तर : पक्षी उन्मुक्त रहकर बहता जल पीना चाहते हैं , पेड़ के फल खाना चाहते हैं , पेड़ों की टहनियों पर बैठना चाहते हैं , अपने पंखों की झूलों पर झूलना चाहते हैं , सीमाहीन क्षितिज को छूना चाहते हैं , अनार के दाने खाना चाहते हैं।

प्रश्न : भाव स्पष्ट कीजिए -" या तो क्षितिज मिलन बन जाता, या तनती साँसों की डोरी।"

उत्तर : पक्षी कहना चाहते हैं की जब वो क्षितिज को छूने की दौड़ लगाते तो या तो वो क्षितिज को प्राप्त कर लेते या थक जाते ,अर्थात बहुत दूर दूर तक सफलता पूर्वक उड़ते और थक कर हांफने लगते पर हर हाल में आनंदित होते।

कक्षा 7 के बच्चों (Class 7th Students) , यदि आपको किसी विशेष प्रश्न (Question) के उत्तर देने में कठिनाई हो रही है तो कृपया मुझे कमेंट में लिखें या पर ईमेल करें। मुझे आपकी सहायता करने में अत्यंत खुशी होगी।

शायद आपको यह प्रविष्टियाँ भी अच्छी लगें :

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हम पक्षी उन्मुक्त गगन के का क्या अर्थ है?

हम पंछी उन्मुक्त गगन के का भावार्थ हम पंछी उन्मुक्त गगन के भावार्थ - पिंजरे में बंद पंछियों का कहना है कि हम खुले आकाश में विचरण करने वाले पक्षी हैं। हम पिंजरे में बंद होकर नहीं रह सकते सोने के पिंजरे की सलाखों से टकरा-टकराकर हमारे कोमल पंख टूट जाएंगे।

हम पक्षी उन्मुक्त गगन के कविता का संदेश क्या है?

'हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता के माध्यम से कवि हमें क्या सन्देश देना चाहता है? Solution : इस कविता के माध्यम से कवि हमें संदेश देना चाहता है कि हमें परतंत्रता किसी भी कीमत पर पसन्द नहीं है । यदि किसी कारण परतंत्रता की बेड़ियाँ पड़ भी जाएँ तो हमें स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु निरन्तर प्रयास करना चाहिए।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में किसका वर्णन किया गया है?

कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता का जीवन में क्या महत्त्व होता है यह समझाने का प्रयास किया है। कविता में पक्षी कहते हैं कि हम खुले आसमान में घूमने वाले प्राणी हैं, हमें पिंजरे में बंद कर देने पर हम अपने सुरीले गीत नहीं गा पाएँगे।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता से हमें क्या सीख मिलती है?

Answer. Answer: हमें पक्षियों को पिंजरे में बंद करके नहीं रखना चाहिए।