क्या कारण है कि बैंक कुछ गद्दारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते हैं? - kya kaaran hai ki baink kuchh gaddaaron ko karj dene ke lie taiyaar nahin hote hain?

क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?


बैंक निम्नलिखित कर्ज़दारो को निम्नलिखित कारणों से उधार देने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं:

(i) बैंकों को उचित दस्तावेज और ऋणाधार के रूप में ऋण के खिलाफ सुरक्षा की आवश्यकता है। कुछ व्यक्ति इन आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल होते हैं।

(ii) वो कर्ज़दार जिन्होंने पिछली ऋण का भुगतान नहीं किया है, हो सकता है कि बैंक उन्हें और अधिक उधार देने के लिए तैयार न हों।

(iii) बैंक उन उद्यमियों को उधार देने के लिए तैयार नहीं होंगे जो उच्च जोखिम वाले व्यापार में निवेश करने जा रहे हैं।

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भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?


भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के कामकाज की निगरानी करता है। उदाहरण के  लिए, हमने देखा की बैंक अपनी जमा का एक न्यूनतम नकद हिस्सा अपने पास रखते हैं।  आर.बी.आई. नज़र रखता हैं कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए हैं। आर.बी.आई. इस पर भी नज़र रखता हैं कि बैंक केवल लाभ अर्जित करने वाले व्यावसायियों और व्यापारियों को ही ऋण मुहैया नहीं करा रहे, बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्ज़दारों इत्यादि को भी ऋण दे रहे हैं । समय समय पर, बैंकों द्वारा आर.बी.आई.को यह जानकारी देनी पड़ती है कि वे कितना और किनको ऋण दे रहे हैं और उसकी ब्याज की दरें क्या है?

निम्नलिखित कारणों से भारतीय रिजर्व बैंक का अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नज़र रखना आवश्यक है: 
(i) भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। यह भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिये नीति निर्धारण का काम करता है।

(ii) यह लोगों की बैंक में जमा राशि की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।

(iii) यह पूरे देश में आर्थिक आंकड़ों के संग्रह में मदद करता है।

(iv) बैंकों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करके रिजर्व बैंक न केवल बैंकिंग और फिनांस को सही दिशा में ले जाता है बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को भी सुचारु ढंग से चलने में मदद करता है।

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10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?


10 रुपये के नोट पर निम्न पंक्ति लिखी होती है, “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।“ इस कथन के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर का दस्तखत होता है। यह कथन दर्शाता है कि रिजर्व बैंक ने उस करेंसी नोट पर एक मूल्य तय किया है जो देश के हर व्यक्ति और हर स्थान के लिये एक समान होता है।

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मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।


जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है, वह इसका विनिमय किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है। आवश्यकताओं का दोहरा सयोंग विनिमय प्रणाली की एक अनिवार्य विशेषता है। जहाँ मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुओं का विनिमय होता है। इसकी तुलना में ऐसी आर्थव्यवस्था जहाँ मुद्रा का प्रयोग होता है, मुद्रा महत्वपूर्ण मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करके आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की ज़रूरत का खत्म कर देती है।

उदहारण: जूता निर्माता के लिए ज़रूरी नहीं रह जाता की वो ऐसे किसान को ढूंढे, जो न केवल उसके जूते ख़रीदे बल्कि साथ-साथ उसको गेहूँ भी बेचे। उससे केवल अपने जूते के लिए खरीददार ढूँढ़ना हैं। एक बार उसने जूते, मुद्रा में बदल लिए तो वह बाज़ार में गेहूँ या अन्य कोई वस्तु खरीद सकता है।

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अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?


बैंक अपनी जमा राशि का केवल एक छोटा हिस्सा अपने पास नकद के रूप में रखते हैं। बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण की भारी मांग रहती है। बैंक जमा राशि का लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

इस तरह , बैंक जिनके पास अतिरिक्त राशि है (जमाकर्ता) एवं जिन्हें राशि की ज़रूरत है (कर्जदार) के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।

बैंक जमा पर जो ब्याज देते हैं उससे ज़्यादा ब्याज ऋण पर लेते हैं। कर्जदारों के लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत है।

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जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिये और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।


यह बिल्कुल सही हैं की उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए समस्याएँ हल करने की बजाए और समस्याएँ खड़ी कर सकता हैं।

(i) उधारकर्ता को मूलधन के साथ-साथ उधारदाताओं को ब्याज पर भी ब्याज का भुगतान करना था।

(ii) उधारकर्ता अदालती ऋण लेने वाले के खिलाफ अपने मूलधन और ब्याज को पुनः प्राप्त करने के लिए जा सकते हैं।

(iii) कभी-कभी, ऋणदाता बैंक या सहकारी सोसायटी या क्रेडिट की कोई अनौपचारिक एजेंसी के साथ गठित संपार्श्विक के रूप में सुरक्षा या परिसंपत्तियों को बेच सकता है।

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ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से बैंक कुछ कर्जदारों को उधार देने को तैयार नहीं हो सकते हैं?

Solution : कई बार बैंक कुछ कर्जदारों के को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते, इसके मुख्य कारण निम्नांकित हैं - ( क ) कुछ कर्जदार बैंकों को अपनी आए का प्रमाणपत्र देने में असमर्थ रहते हैं। ( ख ) कुछ लोग अपनी लौकर के विषय में बैंकों को ब्योरा उपलब्ध नहीं करा सकते

क्या कारण हैं कि बैंक कुछ उधारकर्ताओं को उधार देने को तैयार नहीं हो सकते हैं?

उत्तर : बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए इसलिए तैयार नहीं होते क्योंकि वे भरोसेमंद कर्जदार नहीं होते हैं अर्थात वे ऋण की शर्तों को पूरा नहीं कर पाते हैं। उनके ऋण अदायगी की क्षमता विश्वासनीय नहीं होती है तथा उनके पास गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति भी नहीं होती है जिसके कारण बैंक उन्हें ऋण देने से कतराते हैं

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है यह जरूरी क्यों है?

भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नज़र रखता है क्योंकि हर एक बैंक को अपने पास जमा पूँजी की एक न्यूनतम नकद अपने पास बना कर रखनी पड़ती है। भारतीय रिज़र्व बैंक नज़र रखता है कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए हैं।