कोरोना प्रतिबंधों की वजह से दो साल के अंतराल के बाद इस बार दुनिया भर के मुस्लिम हज के लिए सऊदी अरब पहुंचे हैं. Show कोरोना की वजह से बीते दो साल 2020 और 2021 में हाजियों की संख्या सीमित कर दी गई थी. इस बार तमाम एहतियातों के साथ सात जुलाई से सऊदी अरब में हज तीर्थयात्रा शुरू हो गई. सऊदी सरकार के लिए हज न केवल उसकी इस्लामिक दुनिया में उसकी अहमियत को दर्शाता है बल्कि इससे अरबों डॉलर की कमाई भी होती है. इस साल हाजियों की संख्या बढ़ाकर 10 लाख तय की गई है. हालांकि, कोरोना महामारी से पहले 2019 में दुनिया भर के 25 लाख मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब गए थे. 2030 तक सऊदी अरब ने हर साल हज के लिए 67 लाख लोगों को बुलाने का लक्ष्य रखा है. वहीं, उमराह के लिए साल 2030 तक तीन करोड़ लोगों को बुलाने का लक्ष्य है. उमराह के लिए लोग पूरे साल आते रहते हैं जबकि हज के लिए तय समय होता है. हज करने वालों की संख्या हज और उमराह मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में 58,745 लोग हज पर आए थे. बीते दस सालों में सबसे अधिक संख्या में हाजी 2012 में हज करने पहुंचे थे. इस दौरान 31 लाख से अधिक लोग मक्का पहुंचे थे. भारत और पाकिस्तान जैसे एशियाई देशों से सबसे अधिक 1,126,633 लोग हज पर गए थे. अफ्रीकी देशों से 187,814, यूरोप से 67,054 और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया से 26,892 लोगों ने हज यात्रा की. हज के दौरान खर्च मक्का चैंबर ऑफ कॉमर्स के आंकड़ों के मुताबिक, हज के लिए प्रति व्यक्ति औसतन 5,000 डॉलर से 6,500 डॉलर तक कुल खर्च होता है. अनुमान के मुताबिक, इस राशि का 75 से 80 फीसदी हिस्सा आवास, भोजन, गिफ्ट, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन पर खर्च किया जाता है. मक्का चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, हाजी मक्का और मदीना की दस दिनों की यात्रा के दौरान औसतन 700 से 1,000 डॉलर तक खर्च करते हैं. सबसे अधिक खर्च करने वालों में मिस्र और इराक के लोग हैं. इसके बाद बड़ी संख्या अल्जीरिया और तुर्की के हाजियों की है. हालांकि, हज के लिए सभी हाजियों का दस दिन रुकना जरूरी नहीं है. हज से सऊदी को कमाई कई दशकों से हज सीजन सऊदी सरकार के लिए अरबों डॉलर का मुनाफा लेकर आता है. इस दौरान सऊदी के कई उद्योग धंधों को अच्छी कमाई करने का मौका मिल जाता है. सऊदी एयरलाइंस, होटल, रेस्तरां, शॉपिंग मॉल्स और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर सहित कई उद्योगों को इससे फायदा होता है. साल 2019 में हज से सऊदी सरकार सरकार को 12 अरब डॉलर से अधिक की कमाई हुई. इसमें से हज से आठ अरब डॉलर और उमराह से चार अरब डॉलर की कमाई हुई. यह कमाई सऊदी अरब की जीडीपी का सात प्रतिशत है और गैर-पेट्रोलियम जीडीपी का 20 फीसदी है. इस साल सऊदी अरब को हज से 30 अरब डॉलर की कमाई होने का अनुमान लगाया गया था. हज के लिए मौजूदा समय में सरकार ने स्थानीय परिवहन और इन्फ्रास्ट्रक्चर में 51.2 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे एक लाख से अधिक रोजगारों के सृजन की उम्मीद जताई जा रही है. मास्टरकार्ड के लेटेस्ट ग्लोबल डेस्टिनेशन सिटीज इंडेक्स के मुताबिक, 2018 में मक्का में सबसे ज्यादा टूरिस्ट पहुंचे थे, जिससे सऊदी को 20 अरब डॉलर की कमाई हुई थी. तेल के बाद हज से कमाई पर सरकार की रणनीति पिछले कई दशकों से तेल से सऊदी सरकार अरबों खरबों डॉलर की कमाई कर रहा है लेकिन हर साल हाजियों की संख्या बढ़ने से सरकार अब हज से खजाना भरने की रणनीति पर काम कर रहा है. साल 2015 में सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज के सत्ता संभालने के बाद ही सऊदी सरकार ने 21 अरब डॉलर की एक परियोजना शुरू की थी. इस परियोजना का मकसद मक्का में ग्रैंड मस्जिद का विस्तार करना था ताकि वहां तीन लाख और अतिरिक्त हाजियों के हज करने की व्यवस्था की जा सके. यही वह दौर था, जब उस समय डिप्टी क्राउन प्रिंस रहे मोहम्मद बिन सलमान ने समझ लिया था कि हज की कमाई से अर्थव्यवस्था में जान फूंकी जा सकती है. यही वजह है कि सऊदी सरकार के विजन 2030 में हज को खास तवज्जो दी गई है. सऊदी अरब दुनिया भर में तेल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. दुनिया भर में सबसे ज्यादा मुनाफा करने वाली तेल कंपनी सऊदी अरामको सऊदी अरब में ही है. लेकिन सऊदी को तेल के मामले में कई देशों से भविष्य में टक्कर मिलने की भी चिंता है पर हज के मामले में ऐसा नहीं है. हज यात्रा पर सऊदी अरब का एकाधिकार (Monopoly) है क्योंकि मुस्लिमों के दो पवित्र तीर्थस्थल मक्का और मदीना सऊदी में ही हैं. इस्लाम की मान्यता के अनुसार, हर मुस्लिम को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज तीर्थयात्रा जरूर करने की बात कही गई है. ऐसे में हज सऊदी अरब के लिए कमाई का एक स्थायी स्रोत है. अल अवामा की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने इस साल हज यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों पर टैक्स बढ़ा दिया है. कुछ देश सऊदी सरकार पर मुनाफा कमाने के लिए मनमाने ढंग से टैक्स बढ़ाने का भी आरोप लगा रहे हैं. सऊदी सरकार के इस कदम के विरोध के सुर ट्यूनीशिया से सुनने को मिल रहे हैं. ट्यूनीशिया के इमामों के संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हज का बहिष्कार कर बचा पैसा गरीबों की भलाई करने का आह्वान किया है. इस्लाम में हज यात्रा बेहद जरूरी मानी गई है. इसे इस्लाम के पांच स्तंभों कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना (दान देना) में से एक माना गया है. आर्थिक रूप से संपन्न मुस्लिमों के लिए अपने जीवन में एक बार हज पर जाना जरूरी समझा जाता है. कोरोना महामारी में पाबंदी के बाद सऊदी सरकार ने इस साल विदेशी लोगों को हज यात्रा की परमिशन दी है. दुनियाभर से हज यात्री सऊदी पहुंचने शुरू हो गए हैं. भारत से भी फ्लाइट्स उड़ने लगी हैं. दिल्ली से आज पहला जत्था रवाना हो गया है, लखनऊ से भी पहली फ्लाइट आज ही जा रही है. इस साल भारत से कुल 79 हजार 237 हज यात्री जा रहे हैं और इनमें 50 फीसदी संख्या महिलाओं की है. इस बार हज यात्रा पिछली बार की तुलना में महंगी है. हज यात्रा पर कितना खर्च केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी रविवार को दिल्ली स्टेट हज कमेटी द्वारा बनाए गए कैम्पों में पहुंचे. हज कमेटी के चेयरमैन मुख्तार अहमद के साथ नकवी ने हज यात्रा पर जाने वाले लोगों का हाल जाना. इस दौरान नकवी और मुख्तार अहमद ने जहां हज यात्रिओं को शुभकामनाएं दीं, वहीं नकवी ने हज यात्रा के खर्च पर भी बात की. यहां नकवी ने महिला हज यात्रियों से विशेषकर मुलाकात की और बताया कि इस बार हज यात्रा पर 50 फीसदी महिलाएं जा रही हैं. मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हज यात्रा की सब्सिडी के नाम पर दशकों से राजनीतिक छल किया जा रहा था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है. नकवी ने कहा कि हज यात्रा को मोदी सरकार में बहुत ही ट्रांसपेरेंट बनाया गया है और सब्सिडी खत्म होने के बावजूद यात्रियों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं पड़ रहा है. हालांकि, यात्रा पर ज्यादा खर्च आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बार सऊदी अरब सरकार ने कुछ टैक्स बढ़ाए हैं, फिर भी हमने कोशिश की है कि हज यात्रा कम से कम रेट में कराई जाए. बता दें कि केंद्र सरकार ने 2018 में हज सब्सिडी खत्म कर दी थी. आखिरी बार 2019 में भारत से हज यात्री गए थे. उस वक्त अजीजिया कैटेगरी के लिए 2.36 लाख रुपये और ग्रीन कैटेगरी के लिए एक यात्री को 2.82 लाख रुपये तक खर्च करने पड़े थे. लेकिन 2022 की मौजूदा यात्रा के लिए भारतीयों को 3.35 लाख से लेकर 4.07 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. ये रेट उन यात्रियों के लिए हैं जो सरकार की तरफ से भेजे जा रहे हैं. जबकि प्राइवेट ऑपरेटर्स की बात की जाए तो एक हज यात्री को 6 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. क्यों बढ़ गए हज यात्रा के रेट? कोरोना ने पूरी दुनिया के सामने आर्थिक चुनौती पेश की हैं. सऊदी पर भी इसका असर पड़ा है, जिसके चलते वहां भी कई किस्म के नए बदलाव किए गए हैं. सऊदी में होटल्स पर टैक्स बढ़ाया गया है, साथ ही अब वहां वैट भी लगाया जाने लगा है जो करीब 15 फीसदी है. इसके अलावा फ्लाइट टिकट रेट भी पहले की तुलना में काफी महंगे हुए हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वीजा के रेट भी 2019 की तुलना में चार गुना तक बढ़ गए हैं. इन तमाम कारणों के चलते भी इस बार हज यात्रा पर ज्यादा खर्च आ रहा है. दिल्ली से 20 फ्लाइट्स सऊदी अरब सरकार ने इस साल भारत के लिए 79,237 हज यात्रियों का कोटा तय किया है. इनमें से 56,601 सीटें हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCOI) के लिए हैं, जबकि बाकी 22,636 सीटें प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के लिए हैं. हज कमेटी ऑफ इंडिया राज्यों के हिसाब से ये तय करती है कि कहां से कितने हज यात्री जा सकते हैं. अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोच्चि, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और श्रीनगर ऐसे 10 प्वाइंट हैं, जहां से हज यात्रियों के लिए फ्लाइट्स रवाना होती हैं. दिल्ली से कुल 20 फ्लाइट्स रवाना होंगी, जिनमें 8,256 यात्रियों का जाना प्रस्तावित है. दिल्ली से पहली फ्लाइन सोमवार (6 जून) को रवाना हो रही है. बता दें कि दिल्ली से सिर्फ इसी राज्य के हज यात्री नहीं जाते हैं, बल्कि उत्तर भारत के 9 राज्यों के लोग यहां से यात्रा पर रवाना होते हैं. इनमें यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल है. इन राज्यों से हज यात्री दिल्ली आते हैं, जहां स्टेट हज कमेटी उनके रहने-खान का प्रबंध करती है. यूपी से इस साल 7500 हज यात्री जा रहे हैं. हज करने के लिए कितना खर्चा आता है?हज कमेटी ऑफ इंडिया ने शहरों को ध्यान में रखकर जो फीस तय की है, इस हिसाब से दिल्ली से जाने वाले यात्रियों को 3 लाख 88 हजार रुपये, लखनऊ से जाने वाले यात्री को 3 लाख 90 हजार रुपये, मुंबई से जाने वाले को 3 लाख 76 हजार रुपये तो वहीं गुवाहाटी से जाने वाले यात्रियों को 4 लाख 39 हजार रुपये का खर्च उठाना पड़ रहा है.
हज 2022 का खर्च कितना है?इस बार 3.35 लाख से 4.07 लाख रुपए खर्च आने की संभावना है। हजा यात्रा के लिए बनाए गए एक फॉर्म पर अधिकतम पांच लोगों के नाम भरे जा सकेंगे। हज यात्री की उम्र 10 जुलाई 2022 से पहले 65 वर्ष से अधिक नहीं हो, पासपोर्ट 31 जनवरी 2022 के पहले जारी किया हो और कम से कम 31 दिसंबर 2022 तक मान्य हो। आवेदन की फीस 300 रुपए होगी।
हज करने में कितने दिन लगते हैं?हर साल दुनियाभर के मुस्लिम सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए पहुंचते हैं. हज में पांच दिन लगते हैं और ये ईद उल अज़हा या बकरीद के साथ पूरी होती है.
मक्का मदीना का खर्चा कितना है?मक्का चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, हाजी मक्का और मदीना की दस दिनों की यात्रा के दौरान औसतन 700 से 1,000 डॉलर तक खर्च करते हैं.
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