गाय चरती है इसका इंग्लिश क्या होगा? - gaay charatee hai isaka inglish kya hoga?

इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले जवाब दिया गया: कुत्ते घास क्यों खाता है? जब कुत्ते का पेट खराब हो जाता है तब ही वो दूब घास खाता है जिससे कि उसको उल्टी/वमन हो जाये। जब उल्टी हो जायेगी तो उसका पेट सम्भवता ठीक हो जायेगा। यदि पेट न ठीक हुआ तो वह फिर घास खाकर उल्टी करेगा और कुछ ही समय मेँ ठीक हो जायेगा।

क्या गाय घास चरती है?

इसे सुनेंरोकेंगाय को तो दुनिया भर में कहीं की भी हो, खाती तो घास या चारा ही है। लेकिन आपके और हमारे मन में बैठी गाय को लेकर ये धारणा अब हमें शायद मिटा देनी चाहिए। ऐसा हम इसलिए बोल रहें हैं क्योंकि डेली मेल में छपी खबर के अनुसार अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाली गाय जिसका नाम मिल्कशेक है वो गाय के शरीर में कुत्ते जैसी है।

पढ़ना:   लालच को कैसे दूर करें?

गाय घास खाती है इसका इंग्लिश क्या होगा?

उन्होंने कहा कि लोगों को खाती है।…Translation of «गाय घास खाती है» in English language: «*** eats grass»

गाय:The cowघास:Grassखाती:Eatsहै:Is

गाय चरती है उसका इंग्लिश क्या होगा?

इसे सुनेंरोकेंगाय का हिंदी से अंग्रेजी में सही अनुवाद क्या है? आप अमेरिकी व्यक्ति की यरह बोलिए। हमने यह वीडियो चैनल इस लिए बनाया है ताकि सही तरीके से हिंदी में अनुवाद कर सकें।

इसे सुनेंरोकेंकुत्ते का घास खाना काफी आम है, लेकिन वेट्स कहते हैं कि यह पाइका का संकेत हो सकता है। यह एक विकार है जहां पालतू जानवरों को पोषण की कमी के कारण गैर-खाद्य चीजें खाने का आग्रह मिलता है।

क्या कुत्ते घास खाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकुत्तों को अपने आहार में रौगेज की आवश्यकता होती है और घास फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। रौगे की कमी कुत्ते की भोजन को पचाने और मल पास करने की क्षमता को प्रभावित करती है, इसलिए घास वास्तव में उनके शारीरिक कार्यों को अधिक सुचारू रूप से चलाने में मदद कर सकती है।

पढ़ना:   राष्ट्र गान कब गाया गया सार्वजानिक मंच पर *?

कुत्ते काट क्यों खाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंचीन में कुत्ते का मांस खाने की प्राचीन परंपरा रही है. दक्षिण कोरिया और दूसरे एशियाई देशों के लोग भी कुत्ते का मांस खाते हैं. जो कुत्ते का मांस खाने के पक्ष में हैं उनका कहना है कि विदेशी उनके तौर-तरीक़ों में दखल देने वाले कौन होते हैं. कुछ चीनी ये तर्क भी देते हैं कि गर्म महीनों में कुत्ते का मांस खाना लाभकारी होता है.

९८% और मैं इस आंकड़ों को दोहराता हूँ - ९८% जानवरों का ९८% दुरुपयोग और हत्या मांस, दूध और अंडे के उद्योगों द्वारा होता है. यहीं पर सबसे ज्यादा अनिष्ट हो रहा है. अमेरिका मैं जन्म से मृत्यु तक. प्रत्येक मांस खाने वाला लगभग ३००० भूमि पर रहनेवाले जानवरों और हजारों समुद्री जीवों का भक्षण करता है. ये अमेरिकेन कृषि विभाग के आंकडें हैं. और उन्हें लगता है कि बहुत से लोग जानवरों को इसलिए खाते हैं, क्योंकि हम सभी से कहा गया है कि मनुष्य प्राकृतिक रूप से मांसाहारी होते हैं, हम मांसाहारी हैं और हमें मांस खाना चाहिए. क्या आप जानते हैं कि शारीरिक बनावट के अनुसार मानव शरीर १०० प्रतिशत शाकाहारी है? पोधों को खाने वाले! हमारी आंतों की लंबाई हमारे धड से लगभग ७ से १३ गुना ज्यादा है धरती पर रहने वाले सभी शाकाहारी जीवों के आंतें इसी प्रकार होती हैं. वे बहुत लम्बी होती हैं. लेकिन असली मांसभक्षण करने वालों की आंतें, लकड़बग्धा, भालू बाघ और शेर, उनके धड से केवल ३ से ६ गुना लम्बी होती हैं. उनकी अंतड़ियाँ छोटी होती हैं ताकि सड़ता हुआ मांस जल्दी से शरीर के बहार जा सके. पशु प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल, वसा, ट्रांस फैटी एसिड संतृप्त, यही वजह है कि यह असंभव है. मैं फिर से, कहता हूँ असंभव होगा, की किसी प्राकृतिक मांसभक्षी की धमनियों में रूकावट आये. प्राकृतिक मांसभक्षी के साथ ऐसा नहीं होता. जो मनुष्य मांस, पनीर, दूध और अंडे खाते हैं उनका नंबर एक हत्यारा क्या है? धमनियों में रूकावट आने से होने वाला हृदय रोग! अठेरोस्क्लेरोसिस. मानव और अन्य शाकाहारी, हम अपने पसीने के माध्यम से अपने शरीर को ठंडा करते हैं हम कुत्तों, बिल्लियों और शेर की तरह गर्मी लगने पर हांफते नहीं हैं. मनुष्य के शरीर पर पंजे नहीं होते हैं, पंजे मांस खाने वाले जीवों की ख़ास पहचान हैं हमारी लार मैं कार्बोहाइड्रेट को पचाने वाले तत्त्व होते हैं, ये शाकाहारी होने की पहचान है. इसका अर्थ है की हमें फल और सब्जियों का प्रयोग अधिक करना चाहिए. हमारे दांत, चौड़े, छोटे और कुंद होते हैं अन्य शाकाहारियों के दांतों की तरह और जो पैने दांत हमारे मुख में हैं उनका क्या? अधिकतर शाकाहारी जानवरों के पास चार ऐसे दांत होते है incisors और molars ये दांत सेब जेसे फल खाने में हमारी मदद करते है. हमारा निचला जबड़ा खाने को पीसने और चबाने के लिए एक और से दूसरी तरफ जाता हैं इस तरह से ..... हम अपने खाने को पीसते हैं और चबाते हैं जो लोग अपने भोजन तो पीसते और चबाते हैं, आप सभी ये करते हैं. तो आप शाकाहारी हैं. मांसाहारी और सर्वाहारी के जबड़े सिर्फ ऊपर और नीचे जा सकते हैं, वो खाने को चीर फाड़ कर निगल लेते हैं चबाना, पीसना या जबड़े को एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाना उन्हें नहीं आता और मैं एक निष्पक्ष आदमी हूँ. अगर आप सचमुच ये मानते हैं की मनुष्य मांसाहारी जीव है तो तो मैं आपके सामने दो चुनौतियाँ प्रस्तुत करता हूँ आप बाहर जा कर एक गिलहरी ढूँढिये जब गिलहरी आपको दिख जाये तो नंगे पाँव दौडिए उसका पीछा कर के, झपट कर अपने मूंह में रख लीजिये कोई उपकरण, कोई हथियार नहीं, किसी पिंजरे के बिना किसी को बेईमानी करने या नकली मांसाहारी होने की इज़ाज़त नहीं है और उस गिलहरी की अपने मूंह में हत्या करने के बाद उसका भोजन करिए आंख, नाक, चेहरे, पैर की उंगलियों, पूंछ, फर, गुदा, आंतरिक अंगों, रक्त, और दिमाग. आप इन सब को खायेंगे बगैर पकाए अगर लोगों को वाकई मांस भक्षक होना है मैं देखना चाहता हूँ लोग हड्डी से कच्चे मांस को खाते हैं , और हड्डियों के सिवाय कुछ भी नहीं छोड़ते प्रतिदिन यही खाते हैं और चुनौती नंबर दो, एक दो साल के बच्चे को पालने मैं दाल दें पालने में एक खरगोश और एक सेब रख दें अगर बच्चा खरगोश को खाता है और सेब के साथ खेलता है, तो मुझे फ़ौरन खबर करें क्योंकि मैं वापस आकर इस कमरे में मौजूद लोगों को गाड़ियाँ खरीद कर दूंगा बेन्ज़ेस और बीमर, चमड़े की इंटीरियर, वास्तव में, अगली बार मैं सबके सामने एक स्टेक सैंडविच खाऊँगा अतिरिक्त पनीर के साथ आइसक्रीम और गोमांस भी खाऊँगा गोमांस को आइसक्रीम में डुबो कर खाऊँगा किन्तु मैं शायद ही इन वादों को पूरा कर सकूं, इसलिए नहीं की मैं अपने वचन का पक्का नहीं हूँ. क्योंकि ये चीज़ें होंगी ही नहीं, क्योंकि मनुष्य के पास ..... शून्य मांसाहारी प्रवृत्ति होती है . शून्य मांसभक्षी प्रवृत्ति है, जब हम पैदा होते हैं और हमारा विकास होता है हम सब जन्म से वीगन होते हैं. हम मांस, पनीर, दूध और अंडे का स्वाद सीख जाते हैं क्योंकि बचपन में हमें इन्हें खाने पर मजबूर किया जाता है. अब मैं आपको एक प्राक्रतिक और सामान्य कार्य करने को कहता हूँ. पृथ्वी पर जो उगता है उसे ही खाइए. हर विटामिन, खनिज और पोषक तत्व. प्रोटीन, कैल्शियम, पोटाशियम, लौह, सभी बी विटामिन इसमें मौजूद हैं, आप के पास एक मूल स्रोत है, और यह जानवर नहीं है. आप जानते हैं कि लोग जानवरों को खाते हैं, जानवर उनसे पहले धरती से खाते हैं. गाय घास और मिटटी खाती है उसके बाद लोग गाय को खाते हैं. हम गाय को चारा खिलते हैं. हमारा अधिकतर गेंहूं और अन्य अनाज, और भी काफी अनाज हम सूअर, कलहंस और मुर्गियों को खिलाते हैं. इन खनिजों को दूसरों के शरीर में उंडेलना बंद करो! ये तर्कहीन है. इन खाने की चीज़ों को खुद खाओ, जैसे फल, अनाज, सब्जियां. ये चीज़ें न तो आपका नुक्सान करती हैं और न ही किसी बीमारी की वजह बनती है, और सबसे महत्वपूर्ण बात है की इसमें किसी और का भी नुक्सान नहीं होता है! लेकिन जब हम किसी उड़ने, चलने या तैरने वाले जीव को खाते हैं, तो ये अप्राकृतिक है. बीमारियाँ कहाँ से आती हैं? ब्रोकोली? पालक, गोभी, गाजर में से? प्याज, संतरा, केले, नाशपतियों से? और आप एक बीमारी के बारे में यदि सोच रहे हैं ई. कोलाई, साल्मोनेला जो वनस्पतियों में पाया जाता है.... तो हमें याद रखना चाहिए की इसका एकमात्र स्रोत - मल है, मनुष्य या जानवरों का मल! पालक तो नहीं हगता है! गोभी भी नहीं हगती है! मूंगफली भी नहीं हगती है! तो ई. कोलाई, साल्मोनेला संदूषण के लिए वनस्पतियों को दोष देना बंद करो. इसके लिए मांसभक्षी समाज दोषी है! क्यों? क्योंकि मांस खाने वाले समाज को अरबों जानवरों की आवश्यकता है, इसलिए उनके खाने के लिए अनगिनत पशूओं को पाला जाता है. ये याद रहे की इस बात का भगवान् या प्राकृतिक विकास से कोई सम्बन्ध नहीं है? ये सिर्फ व्यापार है! ये है smithfield, conagra, perdue, टायसन, mcdonalds, बर्गर किंग, वेन्डी केएफसी, इत्यादि इसलिए कॉलेज में पशु कृषि के बारे में पढाया जाता है. जब हम अरबों धरती पर रहने वाले जानवरों का उत्पादन करते हैं, तो उनका हज़ारों अरबों टन गोबर होता है. ये हमारे जलमार्गों और खेतों में पहुँच जाता है, ये लोग हमारे वनस्पतियों पर मलयुक्त गन्दा पानी डालते हैं. हमारी अधिकतर बीमारियाँ जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, कई तरह के कैंसर आँतों का कैंसर, छाती का कैंसर, बच्चादानी का कैंसर, prostate cancer, गुर्दे की बीमारी, मधुमेह, ओस्टोपोरोसिस, उच्च रक्तचाप, मोटापा इनके होने की चार वजह हैं मैं जानता हूँ की इनके और भी कारण हो सकते हैं और भी कारणों से बीमारियाँ होती हैं धूम्रपान, मदिरा सेवन, चिंता, प्रदुषण, अधिक मीठा ये सब भी बीमारी पैदा करते हैं, लेकिन बीमारी के चार मुख्य कारण हैं मांस, पनीर, दूध और अंडे. कोलेस्ट्रॉल. संतृप्त वसा (saturated fat).