Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि Textbook Exercise Questions and Answers. RBSE Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि RBSE Class 10 Hindi साना-साना हाथ जोड़ि Textbook Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. इसकी घाटियों में ताश के घरों की तरह पेड़-पौधों के बीच छोटे-छोटे घर होते हैं। यहाँ हिमालय का सौन्दर्य पल-पल परिवर्तित होता जान पड़ता है। यहाँ के लोग बहुत ही मेहनती होते हैं इसीलिए इसे मेहनतकश बादशाहों का नगर कहा जाता है। यहाँ की स्त्रियाँ भी कठोर परिश्रमी होती हैं। वे अपनी पीठ पर बँधी डोकों (बडी टोकरी) में कई बार अपने बच्चे को भी साथ रखती हैं। यहाँ की स्त्रियाँ चटक रंग के कपड़े पहनना पसन्द करती हैं। उनका परिधान 'बोकू' है। यहाँ के लोग अधिकतर बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, जो किसी 'बुद्धिस्ट' की मृत्यु होने पर उसकी आत्मा की शान्ति के लिए पहाड़ी रास्तों पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएँ बाँधते हैं और रंगीन पताकाएँ किसी शुभ अवसर पर यहाँ फहरायी जाती हैं। प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. उस समय उसे कंचनजंघा के दर्शन तो नहीं हुए, लेकिन उस समय उसे उतने फूल दिखाई पड़े कि उसे लगा कि वह मानो फूलों के बाग में आई है। इसके साथ ही उसे लगता है कि छोटी-छोटी पहाड़ियाँ विशाल पर्वतों में बदलने लगती हैं। घाटियाँ गहराती-गहराती पाताल नापने लगती हैं। नदियाँ चौड़ी होने लगती हैं और चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी नजर आती है। हिमालय से दूध की धार की तरह झर-झर.गिरते जल-प्रपात की जलधाराएँ पत्थरों के बीच बलखाती-सी निकलती हुई प्रतीत होती हैं जो मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। हिमालय कहीं हरियाली के कारण हरे रंग की चादर ओढ़े हुए प्रतीत होता है, कहीं पीलापन लिए नजर आता है तो कहीं प्लास्टर उखाड़ी दीवार की तरह पथरीला नजर आता है। प्रश्न 8. प्रश्न 9. 1. वहाँ सड़क बनाने के लिए पत्थरों पर बैठकर पत्थर तोड़ती औरतों का दृश्य भीतर तक झकझोर गया। उनके हाथों में कुदाल और हथौड़े थे। उनमें से कइयों की पीठ पर एक बड़ी टोकरी में बच्चे बँधे हुए थे। नदी, फूलों, वादियों और झरनों के ऐसे स्वर्गिक सौन्दर्य के बीच भूख, मौत, दीनता और जिजीविषा के बीच जंग जारी है। 2. सात-आठ वर्ष की उम्र के ढेर सारे बच्चे तीन-साढ़े तीन किलोमीटर की पहाड़ी चढ़कर स्कूल जाते और वहाँ से लौटते बच्चे। ये पहाड़ी बच्चे पढ़ाई के अलावा माँ के साथ मवेशी चराते हैं, पानी भरते हैं और लकड़ियों के गट्ठर ढोते हैं। 3. सूरज ढलने के समय कुछ पहाड़ी औरतें गायों को चराकर लौट रही थीं। उनके सिर पर एकत्र की गई लकड़ियों के भारी-भरकम गट्ठर थे। इसके साथ ही खींचा-चाय के हरे-भरे बागानों में कई युवतियाँ बोकु पहनकर चाय की पत्तियाँ तोड़ रही थीं। प्रश्न 10. उस जानकारी काल में सैलानियों को बड़ा वाहन छोड़कर जीप जैसे छोटे वाहन का भी सहारा लेना पड़ता है। प्रायः जीप जैसे वाहनों के चालक जितेन नार्गे की भाँति ड्राइवर-कम-गाइड होते हैं। इसके अतिरिक्त उनके ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करने वाले होटलकर्मी तथा पर्यटन स्थल पर छोटी-छोटी अन्य सुविधाएँ जैसे बर्फ पर चलने के लिए लम्बे-लम्बे बूटं व अन्य जरूरी सामान, किराये पर देने वाले दुकानदार, हस्तशिल्प व कलाकृतियाँ बेचने वाले, फोटोग्राफर और वहाँ के स्थानीय निवासियों व जन-जीवन का भी महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। प्रश्न 11. लेखिका का यह कथन उन पहाडी श्रमिक महिलाओं को लक्ष्य करके कहा गया है जो अपनी पीठ पर डोको बाँध कर अपने बच्चों को संभालती हुई कठिन परिश्रम करती हैं। इन श्रम-साध्य महिलाओं को देखकर लेखिका को लगता है कि ये श्रम-सुन्दरियाँ वेस्ट एट रिपेईंग हैं। अर्थात् ये कितना कम लेकर समाज को कितना अधिक लौटाती हैं। वास्तव में, यह बात सत्य है कि हमारी ग्रामीण महिलाएँ घर का काम करती हैं, बच्चों की देखभाल करती हैं और कठिन मेहनत करके कृषि-पशुपालन भी करती हैं। इस दृष्टि से वे बहुत कम लेकर समाज को बहुत अधिक लौटाती हैं। यही बात हमारे देश की आम जनता पर भी लागू होती है, जो कठिन परिश्रम करके देश की प्रगति में अपना योगदान देती हैं और उसे बदले में कम मजदूरी या लाभ मिलता है उनके प्रति सकारात्मक आत्मीय भावना भी नहीं होती। लेकिन उनका श्रम देश की प्रगति में सहायक होता है। प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. RBSE Class 10 Hindi साना-साना हाथ जोड़ि Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. साना-साना हाथ जोड़ि Summary in Hindi मधु कांकरिया का जन्म सन् 1957 में कोलकाता में हुआ। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-'पुत्ताखोर' (उपन्यास); 'सलाम आखिरी', 'खुले गगन के लाल सितारे', 'बीतते हुए', 'अन्त में ईशु' कहानी संग्रह। उन्होंने कई यात्रा-वृत्तान्त भी लिखे हैं। 'साना साना हाथ जोडि _____' यात्रा-वृत्तान्त में पूर्वोत्तर भारत के सिक्किम राज्य की राजधानी गंतोक और उसके आगे हिमालय की यात्रा का वर्णन है। इसमें हिमालयी घाटियों की प्राकृतिक शोभा और हिमालय के विराट व भव्य रूप का बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है। इस यात्रा-वृत्तान्त का सार इस प्रकार है 1. प्राकृतिक सौन्दर्य हनतकश लोगों का शहर-रात्रि में गंतोक शहर को देखकर लेखिका को ऐसा लगा कि मानो आसमान उलटा पड़ा हो और तारे बिखर कर टिमटिमा रहे हों। यह मेहनतकश बादशाहों का शहर था, जिसका सब कुछ सुन्दर था-सुबह-शाम, रात। एक प्रार्थना लेखिका के होंठों को छूने लगी, जो उसने एक नेपाली युवती से सीखी थी - साना-साना हाथ जोडि ______ छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हूँ कि मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो। 2. कंचनजंघा की जगह फलों के बाग-प्रातः आँख खलते ही लेखिका बाल्कनी की ओर भागी. क्योंकि लोगों ने उसे बतलाया था कि मौसम के साफ होने पर बाल्कनी से हिमालय की तीसरी सबसे बड़ी चोटी कंचनजंघा दिखाई देती है। उस समय आसमान बादलों से ढका होने के कारण लेखिका को कंचनजंघा तो नहीं दिखी, पर रंग-बिरंगे इतने सारे फूल दिखाई पड़े कि उसे लगा कि मानो वह फूलों के बाग में आ गई हो। 3. मंत्र लिखी सफेद पताकाएँ-जब लेखिका बर्फ देखने की चाह में यूमथांग के राह पर आगे बढ़ रही थी तभी उसे रास्ते में मन्त्र लिखी हुई सफेद पताकाएँ देखने को मिलीं। सफेद पताकाएँ वहाँ बुद्धिष्ट की मृत्यु हो जाने पर उसकी आत्मा की शान्ति के लिए लगायी जाती हैं और रंगीन पताकाएँ किसी नये काम के शुरू होने पर लगाई जाती हैं। 4. घूमता धर्मचक्र-'कवी-लोंग स्टॉक' नामक स्थान पर पहुँचने पर जितेन ने बताया कि यहाँ 'गाइड' फिल्म की शूटिंग हुई थी और एक कुटिया में घूमते धर्मचक्र के बारे में बताया कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को लगा कि हमारे देश में इतनी वैज्ञानिक प्रगति हो जाने के बाद भी लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अन्धविश्वास, पाप-पुण्य की धारणाएँ एक जैसी हैं। 5. हिमालय का परिदृश्य-लेखिका की जीप जैसे-जैसे ऊँचाई पर चढ़ने लगी, बाजार और बस्तियाँ पीछे छूटने ली। हिमालय के परिदृश्य सामने आने लगे। सारे परिदृश्य को देखने के लिए लेखिका ने खिड़की से सिर बाहर निकालकर कभी आसमान छूते पर्वत शिखरों को तो कभी झरनों को देखा। मन्त्रमुग्ध-सी मनमोहक दृश्यों का अवलोकन करती हुई वह आगे बढ़ी तो उसने पत्थर तोड़ती हुई औरतों को देखा। उन्हें देखकर लेखिका को पलामु और गुमला के जंगल याद आए जहाँ आदिवासी युवतियाँ पीठ पर बच्चे को बाँधकर वन-वन डोलती पत्तों की तलाश करती हैं। जीप फिर से ऊँचाइयाँ चढ़ने लगी। हेयरपिन बेंट से पहले एक पड़ाव पर ढेर सारे पहाड़ी बच्चे स्कूल से लौटते हुए देखे। चाय के बागानों में चाय की पत्तियाँ तोड़ती हुई नवयुवतियों को देखा। जीप चलने लायक संकरे रास्तों को देखा। इसके साथ ही सघन हरियाली के बीच डूबते सूरज की स्वर्णिम आभा को देखा। 6. लायुग में पड़ाव-रात का पड़ाव लायुंग में था। लेखिका तिस्ता नदी के किनारे एक लकड़ी के घर में ठहरी थी। वहाँ का प्राकृतिक वातावरण दर्शनीय था। सर्वत्र शान्ति व्याप्त थी। रात में जितेन ने गाने की तेज ध्वनि पर नाचना शुरू किया तो सभी ठहरे हुए सैलानी मस्ती की धुन में आ गये। लायुंग समुद्र तट से चौदह हजार फीट की ऊँचाई परं है। लेखिका को यहाँ बर्फ देखने को नहीं मिली। एक सिक्किमी युवक ने बताया कि पाँच सौ फीट ऊपर 'कटाओ' में बर्फ मिल सकती है। कटाओ हिन्दुस्तान का स्विट्जरलैंड है। कटाओ में बर्फ देख कर लेखिका मानो झम उठी। 7. फौजी छावनियाँ-कटाओ से कुछ आगे बढ़ने पर फौजी छावनियाँ दिखाई पड़ी। वहाँ से चीन की सीमा थोड़ी दूर ही है। वहाँ पर फौजियों ने लेखिका को बताया कि यहाँ कड़ाके की सर्दी पड़ती है और जनवरी में पैट्रोल को छोड़कर यहाँ हर चीज जम जाती है। 8. खोज-यात्रा-यह यात्रा लेखिका के लिए जैसे एक खोज-यात्रा थी। उसने उस यात्रा में जहाँ माओवाद आदि के बारे में जाना, वहीं एक सिक्किमी नवयुवती से यह सुना कि. मैं इण्डियन हूँ। लेखिका को उसका कथन बहुत अच्छा लगा। इसके साथ यह भी जाना कि पहाड़ी कुत्ते सिर्फ चाँदनी रात में भौंकते हैं। जितेन नार्गे से गुरु नानक के फुट-प्रिन्ट के बारे में जाना। गुरु नानक की थाली से छिटक कर थोड़े चावल गिरे थे। वहाँ चावल की खेती होती है। यूमथांग पहले टूरिस्ट स्पॉट नहीं था। कप्तान शेखर दत्ता के दिमाग में आया कि इसे टूरिस्ट स्पॉट बनाया जा सकता है। लेखिका यह सब सुनकर मन ही मन कह रही थी_____"हाँ रास्ते अभी बन रहे हैं। नए-नए स्थानों की खोज अभी जारी है। मनुष्य की इसी असमाप्त खोज का नाम सौन्दर्य है। |