गोपियों ने श्री कृष्ण की बांसुरी क्यों छिपा ली थी? - gopiyon ne shree krshn kee baansuree kyon chhipa lee thee?

गोपियां श्रीकृष्ण की बांसुरी इसलिए छुपा लेती है, क्योंकि वह श्रीकृष्ण का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराना चाहती हैं, वह श्रीकृष्ण को रिझाना चाहती हैं। लेकिन श्रीकृष्ण हैं कि अपनी बांसुरी बजाने में ही मगन रहते हैं, गोपियों को ओर ध्यान नही देते। इसलिए वह श्रीकृष्ण की बांसुरी छुपा देती है ताकि श्रीकृष्ण अपनी बांसुरी को भूलक उनसे बातें करें। हो सकता है श्रीकृष्ण बांसुरी के विषय में उनसे पूछें। इससे उन्हें श्रीकृष्ण से बात करने का अवसर प्राप्त होगा, उनसे नोकझोंक होगी। इसीलिए गोपियां श्रीकृष्ण को रिझाने के लिए उनकी बांसुरी छुपा देती हैं।

पाठ के बारे में….

इस पाठ में कवि बिहारी के नीतिगत और श्रंगारपरक दोहे दिए गए हैं। कवि बिहारी श्रृंगारपरक दोहों की रचना के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक श्रृंगारपरक दोहों की रचना की थी।। इसके अलावा उन्होंने लोक ज्ञान,  शास्त्र ज्ञान पर आधारित नीति के दोहे भी रचे हैं, जिनके माध्यम से उन्होंने नीति संबंधी बातें कहीं हैं। प्रस्तुत दोहे उनके नीति वचनों पर आधारित दोहों और श्रंगारपरक दोहों का मिश्रण है।कवि ‘बिहारी’ सोलहवी-सत्रहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जिनका जन्म सन् 1595 में ग्वालियर में हुआ था। उनके गुरु आचार्य केशवदास थे। वह रसिक स्वभाव के कवि थे, इसलिये उन्होंने अनेक श्रंगार युक्त पदों की रचना की है। उनके दोहों में ब्रजभाषा और बुंदेलखंडी भाषा का प्रभाव देखने को मिलता है।
उनके द्वारा रचित ग्रंथ एकमात्र ग्रंथ का नाम ‘बिहारी सतसई’ है, जिसमें 700 दोहों का संकलन है। उनका निधन सन् 1663 में हुआ।

संदर्भ पाठ :

बिहारी,  बिहारी के दोहे (कक्षा – 10, पाठ – 3, स्पर्श)

हमारे अन्य प्रश्न उत्तर :

सच्चे मन में राम बसते हैं−दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।

बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहि है सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’ – स्पष्ट कीजिए।

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ढोल मृदंग, झांझ, मंजीरा, ढप, नगाड़ा, पखावज और एकतारा में सबसे प्रिय बांस निर्मित बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। इसे वंसी, वेणु, वंशिका और मुरली भी कहते हैं। बांसुरी से निकलने वाला स्वर मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। जिस घर में बांसुरी रखी होती है वहां के लोगों में परस्पर तो बना रहता है साथ ही सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। आओ जानते हैं कि श्रीकृष्ण कब पहली बार बांसुरी बजाई और कब बजना छोड़ दिया और फिर अंतिम बार कब बजाई।


1. धनवा नाम का एक बंसी बेचने वाला श्रीकृष्ण को बांसुरी देता है तो वे उस पर पहली बार मधुर धुन छोड़ते हैं जिससे वह बंसी बेचने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। उसी समय से श्रीकृष्ण बांसुरी बजने वाले बन जाते हैं। उनकी बांसुरी की धुन पर गोपिकाएं और पूरा गोकुल बेसुध हो जाता था। श्रीकृष्ण ने पहली ही बार ऐसी बांसुरी बजाई की सभी को ऐसा लगा जैसे यह बजाना कई जन्मों से सीख रखा है।

2. 11 वर्ष की अवस्था में श्रीकृष्ण मथुरा चले गए थे और वहां उन्होंने कंस का वध कर दिया जिसके चलते मगध और भारत का सबसे शक्तिशाली सम्राट उनकी जान का दुश्मन बन गया, क्योंकि कंस उसका दामाद था। श्रीकृष्ण जब राधा और गोपियों को छोड़कर जा रहे थे तब उस रात महारास हुआ और उसमें उन्होंने ऐसी बांसुरी बजाई थी कि सभी गोपिकाएं बेसुध हो गई थी। कहते हैं कि इसके बाद श्रीकृष्ण ने राधा को वह बांसुरी भेंट कर दी थी और राधा ने भी निशानी के तौर पर उन्हें अपने आंगन में गिरा मोर पंख उनके सिर पर बांध दिया था।

3. मथुरा जाने के बाद राधा और कृष्ण का कभी मिलन नहीं हुआ। हां, उधव श्रीकृष्‍ण का संदेश जरूर ले गए थे। कहते हैं कि इसके बाद राधा और श्रीकृष्ण की अंतिम मुलाकात द्वारिका में हुई थी। सारे कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद राधा आखिरी बार अपने प्रियतम कृष्ण से मिलने गईं। जब वे द्वारका पहुंचीं तो उन्होंने कृष्ण के महल और उनकी 8 पत्नियों को देखा। जब कृष्ण ने राधा को देखा तो वे बहुत प्रसन्न हुए। तब राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में एक देविका के पद पर नियुक्त कर दिया।

कहते हैं कि वहीं पर राधा महल से जुड़े कार्य देखती थीं और मौका मिलते ही वे कृष्ण के दर्शन कर लेती थीं। एक दिन उदास होकर राधा ने महल से दूर जाना तय किया। कहते हैं कि राधा एक जंगल के गांव में में रहने लगीं। धीरे-धीरे समय बीता और राधा बिलकुल अकेली और कमजोर हो गईं। उस वक्त उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की याद सताने लगी। आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए। भगवान श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि वे उनसे कुछ मांग लें, लेकिन राधा ने मना कर दिया। कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने कहा कि वे आखिरी बार उन्हें बांसुरी बजाते देखना और सुनना चाहती हैं। श्रीकृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बजाने लगे। श्रीकृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई। बांसुरी की धुन सुनते-सुनते एक दिन राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया।

ढोल मृदंग, झांझ, मंजीरा, ढप, नगाड़ा, पखावज और एकतारा में सबसे प्रिय बांस निर्मित बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। इसे वंसी, वेणु, वंशिका और मुरली भी कहते हैं। बांसुरी से निकलने वाला स्वर मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। जिस घर में बांसुरी रखी होती है वहां के लोगों में परस्पर तो बना रहता है साथ ही सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। श्रीमद्भागवत पुराण में में श्रीकृष्‍ण की बांसुरी से जुड़ी कई कथाएं मिलती हैं। आओ श्रीकृष्णी की बांसुरी और उसकी धुन के 10 रहस्य।


1. धनवा नाम का एक बंसी बेचने वाला श्रीकृष्ण को बांसुरी देता है तो वे उस पर पहली बार मधुर धुन छोड़ते हैं जिससे वह बंसी बेचने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। उसी समय से श्रीकृष्ण बांसुरी बजने वाले बन जाते हैं।

2. उनकी बांसुरी की धुन पर गोपिकाएं और पूरा गोकुल बेसुध हो जाता था।

3. श्रीकृष्ण ने पहली ही बार ऐसी बांसुरी बजाई की सभी को ऐसा लगा जैसे यह बजाना कई जन्मों से सीख रखा है।

4. ऐसा भी कहा जाता है कि जब भगवान शिवजी बालकृष्ण को देखने आए तो उन्होंने ऋषि दधीचि की हड्डी को घिसकर एक सुंदर एवं मनोहर बांसुरी का निर्माण किया। जब शिव जी भगवान श्री कृष्ण से मिलने गोकुल पहुंचे तो उन्होंने श्री कृष्ण को भेट स्वरूप वह बंसी प्रदान की। उन्हें आशीर्वाद दिया तभी से भगवान श्री कृष्ण उस बांसुरी को अपने पास रखते हैं।

5. श्रीकृष्ण जब राधा और गोपियों को छोड़कर जा रहे थे तब उस रात महारास हुआ और उसमें उन्होंने ऐसी बांसुरी बजाई थी कि सभी गोपिकाएं बेसुध हो गई थी। कहते हैं कि इसके बाद श्रीकृष्ण ने राधा को वह बांसुरी भेंट कर दी थी और राधा ने भी निशानी के तौर पर उन्हें अपने आंगन में गिरा मोर पंख उनके सिर पर बांध दिया था।

6. बांसुरी के संबंध में एक धार्मिक मान्यता है कि जब बांसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है तो बुरी आत्माएं दूर हो जाती हैं और जब इसे बजाया जाता है तो घरों में शुभ चुंबकीय प्रवाह का प्रवेश होता है।

7. श्रीकृष्ण की बांसुरी सुनकर गायें लौट आती थींं।

8. राधा कुंड क्षेत्र श्रीकृष्ण से पूर्व राक्षस अरिष्टासुर की नगरी अरीध वन थी। अरिष्टासुर से ब्रजवासी खासे तंग आ चुके थे। इस कारण श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया था। वध करने के बाद राधाजी ने बताया कि आपने गौवंश के रूप में उसका वध किया है अत: आपको गौवंश हत्या का पाप लगेगा। यह सुनकर श्रीकृष्‍ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। इस पर राधाजी ने भी बगल में अपने कंगन से एक दूसरा कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। श्रीकृष्ण के खोदे गए कुंड को श्‍याम कुंड और राधाजी के कुंड को राधा कुंड कहते हैं।

9. एक बार गोपियों ने श्रीकृष्‍ण की बांसुरी से पूछा कि आखिर पिछले जन्म में तुमने ऐसा कौन-सा पुण्य कार्य किया था, जो तुम हमारे मुरली मनोहकर के गुलाब की पंखुडी जैसे होंठों पर स्पर्श करती रहती हो? ये सुनकर बांसुरी ने मुस्कुराकर कहा 'मैंने उनके समीप आने के लिए जन्मों तक इंजतार किया। त्रेतायुग में जब भगवान राम वनवास काट रहे थे, तो उस वक्त मेरी भेंट उनसे हुई थी। उनके आसपास बहुत से मनमोहक पुष्प और फल थे। उन पौधों की तुलना में मुझमें कोई विशेष गुण नहीं था। पंरतु भगवन ने मुझे दूसरे पौधों की तरह ही महत्व दिया। उनके कोमल चरणों का स्पर्श पाकर मुझे प्रेम का अनुभव होता था। उन्होंने मेरी कठोरता की भी कोई परवाह नहीं की। जीवन में पहली बार मुझे किसी ने इतने प्रेम से स्वीकार किया था। यही कारण है कि मैंने आजीवन उनके साथ रहने की कामना की। पंरतु उस काल में वो अपनी मर्यादा से बंधे हुए थे, इसलिए उन्होंने मुझे द्वापर युग में अपने साथ रखने का वचन दिया। इस प्रकार श्रीराम ने अपना वचन निभाते हुए श्रीकृष्ण रूप में मुझे अपने निकट रखा।

10. आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए। भगवान श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि वे उनसे कुछ मांग लें, लेकिन राधा ने मना कर दिया। कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने कहा कि वे आखिरी बार उन्हें बांसुरी बजाते देखना और सुनना चाहती हैं। श्रीकृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बजाने लगे। श्रीकृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई। बांसुरी की धुन सुनते-सुनते एक दिन राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया।

गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा?

गोपियाँ उनसे बातें करना चाहती हैं। वे कृष्ण को रिझाना चाहती हैं। उनका ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए मुरली छिपा देती हैं।

कृष्ण भगवान ने बांसुरी क्यों तोड़ी थी?

कृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है, बावजूद वे राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर सके. कृष्ण ने प्रेम के प्रतीकात्मक अंत के रूप में बांसुरी तोड़कर झाड़ी में फेंक दी. उसके बाद से श्री कृष्ण ने जीवन भर बांसुरी या कोई अन्य वादक यंत्र नहीं बजाया.

श्री कृष्ण की बांसुरी की क्या विशेषता थी?

कृष्ण जी और उनकी बांसुरी के बीच क्या संबंध है? धनवा नाम का एक बंसी बेचने वाला श्रीकृष्ण को बांसुरी देता है तो वे उस पर पहली बार मधुर धुन छोड़ते हैं जिससे वह बंसी बेचने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। उसी समय से श्रीकृष्ण बांसुरी बजने वाले बन जाते हैं। उनकी बांसुरी की धुन पर गोपिकाएं और पूरा गोकुल बेसुध हो जाता था।