लेखक: श्रेया खेमानी Show आम तौर पर हम सममिति यानी सिमैट्री (Symmetry) को आकार का एक गुण मानते हैं। लेकिन यह गणित में भी शामिल है। किसी भी सममित चीज़ को कुछ ऐसे बदला जा सकता है कि वह बदली अवस्था में भी सम का गुण न खोए। ये तरीके क्या हैं, कितने हैं और इनके ज़रिए सममित चीज़ों का विश्लेषण कैसे किया जा सकता है हम गणित की ग्रुप थियरी के ज़रिए समझ सकते हैं। भौतिकशास्त्र और रसायनशास्त्र में ही नहीं, सममिति का सामना हम अपनी आम ज़िन्दगी में भी करते हैं जैसे रूबिक क्यूब, गद्दी, उपरोक्त जैसे कई पैटर्न इत्यादि। इन सबके बारे में हमारी समझ बढ़ती है ऐसी गणितीय सोच से।1974 में एरनो रूबिक ने एक ऐसे खिलौने का आविष्कार किया जिसने आज तक लोगों को अपने सम्मोहन में बाँधकर रखा है। आपने भी शायद कभी-न-कभी इस रंगीन और जादुई खिलौने को देखा होगा जिसे हम आज रूबिक क्यूब के नाम से जानते हैं। आप में से कइयों ने शायद इस खिलौने की पहेली को हल करने की कशमकश में घण्टों बिताए होंगे। और कुछ लोगों को इसे हल करने में सफलता भी मिली होगी। पर यह भी हो सकता है कि आपको इसके बारे में कुछ भी न पता हो। ऐसे लोगों के लिए नीचे एक अनछुए रूबिक क्यूब का चित्र दिया गया है (चित्र-1)। क्यूब का हर एक तल नौ वर्गों से मिलकर बना हुआ है और चित्र में क्यूब की जो अवस्था दिखाई गई है उसमें हर एक तल पर जो वर्ग हैं, वे एक ही रंग के हैं। असल में ये वर्ग उन छोटे-छोटे क्यूब के ही तल हैं जिनसे मिलकर रूबिक क्यूब बना हुआ है। अगर क्यूब को हाथों में पकड़कर तलों को कुछ समय के लिए घुमाया जाए तो आप पाएँगे कि तलों के रंग मिल-जुल गए हैं और क्यूब को उसकी शुरुआती अनछुई स्थिति में पहुँचाने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है। क्यूब को उसकी अनछुई स्थिति में पहुँचाने की यह पहेली ही इस खेल की चुनौती है। कई बार लोग किसी खिलौने, संगीत की धुन या किसी डिज़ाइन के बारे में कहते हैं कि वह निहायत गणितीय है - “कितना गणितीय है यह”। इस बात को वे ऐसे लहज़े में कहते हैं कि मन करता है ‘गणितीय’ की जगह ‘सुन्दर’ शब्द रखा जा सकता है। या शायद ‘सुन्दर और रहस्यमय’ कहना बेहतर होगा। आपको क्या लगता है, ऐसा कहने वालों का क्या आशय होता है? आखिर एक रूबिक क्यूब में ऐसा क्या है जो उसे गणितीय बनाता है? इस मासूम-से लगने वाले खिलौने में ऐसा क्या मिला जिसके चलते गणितज्ञों ने इससे जुड़े गणितीय गुणों का विश्लेषण करते हुए कई शोधपत्र लिख डाले? यकीनन, इसके पीछे का कारण इतना साधारण तो हो नहीं सकता कि रूबिक क्यूब एक रेगुलर पोलिहेड्रन (नियमित बहुतल) है। एरनो रूबिक स्वयं भी एक गणितज्ञ नहीं थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हवाई-हमलों से बचने के लिए आश्रयालय बने बूडापेस्ट के एक अस्पताल में एक कवि और विमान-इंजीनियर के घर जन्मे रूबिक ने आर्किटेक्चर का अध्ययन किया और बाद में इंटीरियर डिज़ाइन पढ़ाने लगे। उन्हें शायद इस बात का अन्दाज़ा नहीं था कि उनका बनाया खिलौना कुछ ही सालों में इतना विख्यात हो जाएगा। 1982 का साल आते-आते रूबिक क्यूब घर-घर में पहुँचने लगा था और ऑॅक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी का हिस्सा बन चुका था। दुनियाभर में अब तक दस करोड़ से भी ज़्यादा रूबिक क्यूब बेचे जा चुके हैं।1 रूबिक क्यूब, गणित व सममिति सममिति के गुण-नियम तो हम कैसे इन वस्तुओं व छवियों की सममिति माप सकते हैं? क्योंकि हम चीज़ों या पैटर्न के आकार या संरचना पर विचार कर रहे हैं ना कि रंग जैसे गुणों पर, इसलिए ‘एक जैसे दिखने’ कहने की बजाय अन्य कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में सोचते हैं जिसमें वो छवि या पैटर्न उसी आयाम के स्थान में फिट हो जाए। सममिति मापने के लिए हम उन तमाम तरीकों की एक लिस्ट बनाते हैं जिनसे हम उस वस्तु को दोबारा से ऐसे व्यवस्थित कर सकें कि वो अपनी शुरुआती अवस्था के स्थान पर व आकार जैसी ही बनी रहे। जब हम रूबिक क्यूब की बात करते हैं, तो हम उसके छोटे-छोटे क्यूब के अलग-अलग संयोजनों को देख रहे होते हैं। क्यूब को कुछ इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह से घुमाने पर यह दोबारा उसी आकार में आ जाता है जिसमें यह पहले था। ऐसे में क्यूब के संयोजनों का अध्ययन करने का मतलब होगा उसकी सममिति का अध्ययन करना। आइए अब ज़रा रूबिक क्यूब को गौर से अवलोकन करते हुए एक ग्रुप की अनौपचारिक या स्थूल समझ बनाने की कोशिश करते हैं। * पूर्वनिर्धारित तरीकों (चाल/मूव्स/निर्देशों) की एक ऐसी सूची है जो कभी नहीं बदलती। * हर क्रिया उलटनीय यानी रिवर्सिबल है। * हर कार्रवाई के परिणाम का पहले से ही पता लगाया जा सकता है। * किसी भी क्रम में लागू किए गए बुनियादी कदमों की कुल कार्रवाई भी एक क्रिया है। रूबिक क्यूब का हल एक-दूसरे तरीके से हम यह कह सकते हैं हमें बुनियादी कदमों के सभी अनुक्रमों को देखना होगा और साथ ही यह भी कि उनके बीच के आपसी सम्बन्ध कैसे हैं। हमने पहले ही देखा कि रूबिक क्यूब से जुड़ी चालें या कार्रवाईयाँ मिलकर एक ग्रुप बनाती हैं। 6 बुनियादी कदमों से मिलकर बनी कार्रवाइयों की एक विस्तृत सूची के सदस्य ही इस ग्रुप के सदस्य होंगे। और जिस नक्शे की बात हम कर रहे हैं वो इन तमाम सम्भावित कार्रवाइयों से बने इसी ग्रुप का एक नक्शा होगा। रूबिक क्यूब पर कई किताबें व शोधपत्र हैं जो हमें यह जानकारी देते हैं। लेकिन, जैसा कि आप कल्पना भी कर सकते हैं कि ऐसा नक्शा असाधारण रूप से बड़ा होगा। और यह है भी। इस ग्रुप का आकार (यानी कि कार्रवाइयों की कुल संख्या) है 43252003274489856000 - एक इतनी बड़ी संख्या जिसे पढ़ना भी अपने आप में एक बड़ा काम है। साफ ज़ाहिर है कि रूबिक क्यूब के लिए इतना बड़ा नक्शा बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं और न ही इस लेख में हम यह कोशिश करेंगे। लेकिन हम एक सरल-सा उदाहरण लेकर उसके नक्शे से जुड़ी अवधारणाओं की समझ बनाने की कोशिश तो कर ही सकते हैं। दो सम्भावित उत्तर जो झट से हमारे दिमाग में आते हैं वो गद्दे को उसकी लम्बाई व चौड़ाई को सन्दर्भ मान कर पलटने से मिलते हैं। आसानी के लिए हम इन्हें खड़ी पलट ‘H’ (लम्बाई को सन्दर्भ मान कर दी गई पलट) व पड़ी पलट ‘V’ (चौड़ाई को सन्दर्भ मान कर दी गई पलट) कह लेते हैं (चित्र-6)। कोई चाहे तो गद्दे को 180 डिग्री से घड़ी के घूमने की दिशा में भी घुमा सकता है (चित्र-7) (चाहें तो इसे 180 डिग्री से घड़ी के घूमने की विपरीत दिशा में भी घुमाया जा सकता है, लेकिन यह 180 डिग्री से घड़ी की दिशा में घुमाने के समान ही होगा)। अब हमें इन चालों के संयोजनों को देखना होगा। गौर कीजिए कि लम्बाई को सन्दर्भ मान गद्दे को दो बार पलटने से हम पहली वाली स्थिति में ही पहुँच जाते हैं। इसी तरह चौड़ाई को सन्दर्भ मान गद्दे को दो बार पलटने से हम पहली वाली स्थिति में ही पहुँच जाते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं किHH=VV=N(जहाँ ग़् वो चाल हुई जिसमें कुछ भी नहीं किया गया)। तीरों की मदद से हमे इसे कुछ ऐसे दिखा सकते हैं जैसे चित्र-8। अगर हम एक खड़ी पलट के बाद एक पड़ी पलट का इस्तेमाल करें तो नतीजा वैसे होगा जैसे चित्र-9 में दर्शाया गया है। इसी तरह एक पड़ी पलट के बाद एक खड़ी पलट का नतीजा भी यही होगा। इसके अलावा, गद्दे को 180 डिग्री घुमाने का नतीजा भी यही होगा (चित्र-7 को देखिए)। तो हम कह सकते हैं कि HV=VH=R क्योंकि R, H और V के संयोजन से ही बना है, इसलिए इस पर अलग से ध्यान देना ज़रूरी नहीं। जिसका मतलब हुआ कि हमारा लेना-देना सिर्फ दो चालों से ही है - खड़ी पलट (H) और पड़ी पलट (V)। आगे बढ़ने से पहले आप यह सुनिश्चित कर लें कि ये दोनों चालें उन चार नियमों का पालन करती हैं जिन्हें हम पहले परिभाषित कर चुके हैं। ऐसा कर लेने के बाद इस ग्रुप से जुड़ा नक्शा बनाने के लिए ज़रूरत होगी कि चालों के सभी संयोजनों को देखें-परखें। ऐसा करने की प्रक्रिया में हम इस ग्रुप के तमाम सदस्यों को सूचीबद्ध कर लेंगे व साथ ही उनके आपसी सम्बन्धोंें की समझ भी बना सकेंगे। एक चित्र की मदद से हम इसे बढ़िया तरीके से दर्शा सकते हैं (चित्र-10)। आयत की सममितियों का ग्रुप चित्र-10 असल में आयत की समरूपताओं के समूह का पूरा नक्शा है! रूबिक क्यूब की ही तरह - अगर हमारे सामने यह पहेली हो कि आयत की किसी भी स्थिति से हमें उसे उसकी शुरुआती स्थिति में ले जाना हो तो यह नक्शा हमें वो रास्ता सुझा देगा जिसकी मदद से हम इस पहेली को हल कर सकते हैं।
क्या यह कुछ जाना-पहचाना-सा लग रहा है? प्रतीक चिन्ह R का इस्तेमाल दाईं हथेली को पलटने, L को बाईं हथेली को पलटने, RL को दोनों हथेलियों को पलटने व N को कुछ भी न करने, के लिए करते हुए एक सारणी बनाइए। अब इसकी तुलना आयत के लिए बनाई गई सारणी से कीजिए। आप देखेंगे कि यह आयत की सममितिओं के ग्रुप के पैटर्न का ही पालन करता है। क्या यह अपने आप में कमाल नहीं कि कैसे हमने दो एकदम अलग-अलग व असम्बन्धित स्थितियों में एक समान पैटर्न खोज निकाला? हाल ही में प्राथमिक स्कूल के पाठ्यक्रम में समरूपता की अवधारणा को जगह दी गई है। मेरा ऐसा मानना है कि अनिश्चित रूप से ही सही, पर हम सभी यह समझते हैं कि इसका गणित से कुछ लेना-देना तो है, लेकिन वास्तव में यह क्या बला है यह बात इतनी स्पष्ट नहीं थी। एक आयत की सममितियों के ग्रुप को देखने से आपको गणित और सममिति के बीच के रिश्ते को समझने में मदद मिली होगी। इस उदाहरण की
मदद से आपका परिचय उस ग्रुप को खोजने की तकनीक से भी कराया गया है जो किसी वस्तु की सममिति की व्याख्या करता हो। संक्षेप में आयत का उदाहरण चित्र-13 में दोहराया गया है। चित्र वस्तु की सममिति को एक ग्रुप के रूप में दर्शाता है। श्रेया खेमानी: गणित में स्नातकोत्तर और एकलव्य के गणित पाठ्यक्रम शोध व सामग्री विकास समूह से सम्बद्ध हैं। रायपुर, छत्तीसगढ़ में एक मज़दूर संगठन के स्कूल के साथ भी काम करती हैं। गणित शिक्षा-शिक्षण में उनकी रुचि गणित और राजनीति के इंटरसेक्शन को जाँच-समझने की इच्छा से उभरती है। उनसे This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.पर सम्पर्क कर सकते हैं। </p> <p style="text-align:justify"><strong>अँग्रेज़ी से अनुवाद: विवेक मेहता:</strong> आई.आई.टी., कानपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएच.डी. की है। इन दिनों स्वतंत्र रूप से लिखने व अनुवाद का काम करते हैं।<br>चित्र: स्टीवन स्ट्रोगेटज़ के लेख ‘ग्रुप थिंक’ और नाथन कार्टर की किताब ‘विज़ुअल ग्रुप थियरी’ से और इंटरनेट कीविभिन्न वेबसाइट से लिए गए हैं।</p> </div> </div> <div class="clear"></div> </div> </div> <div class="clear"></div> </div> </div> </div> <div class="clearfix"></div> <div class="clearfix"></div> <div id="container_base" class="module_block border_block"> <div class="wrapper960"> <div id="base1_modules" class="block_holder"></div> <div id="base2_modules" class="block_holder"><div id="wrapper_base-2" class="block_holder_margin"><div class="base-2 base-2a" style="width:20%"> <div class="module"> <div class="module_surround"> <div class="module_header"> <h3 class="mod_standard"><span>Eklavya </span></h3> </div> <div class="module_content"> <ul class="menu"> <li class="item-250 active"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/about-us">About us</a></li><li class="item-251"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/what-we-do">What we do</a></li><li class="item-252"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/past-work">Past work</a></li><li class="item-258"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/contact-eklavya">Contact us</a></li></ul> </div> </div> </div> </div><div class="base-2 base-2b" style="width:20%"> <div class="module"> <div class="module_surround"> <div class="module_header"> <h3 class="mod_standard"><span>Books </span></h3> </div> <div class="module_content"> <ul class="menu"> <li class="item-260"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/flip-books">Flip Books</a></li><li class="item-290"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/eklavya-books-pdf">Books in PDF</a></li><li class="item-300"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/book-reviews">Book Reviews</a></li></ul> </div> </div> </div> </div><div class="base-2 base-2c" style="width:20%"> <div class="module"> <div class="module_surround"> <div class="module_header"> <h3 class="mod_standard"><span>Magazine </span></h3> </div> <div class="module_content"> <ul class="menu"> <li class="item-187"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/magazine-activity/chakmak-magazine">Chakmak</a></li><li class="item-261 active"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/magazine-activity/sandarbh-magazines">Sandarbh</a></li><li class="item-262"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/magazine-activity/srote-magazine">Srote</a></li></ul> </div> </div> </div> </div><div class="base-2 base-2d" style="width:20%"> <div class="module"> <div class="module_surround"> <div class="module_header"> <h3 class="mod_standard"><span>Gallery </span></h3> </div> <div class="module_content"> <ul class="menu"> <li class="item-264"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/video-gallery">Video Gallery</a></li><li class="item-265"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/photos-communitymenu">Photo Gallery</a></li></ul> </div> </div> </div> </div><div class="base-2 base-2e" style="width:20%"> <div class="module"> <div class="module_surround"> <div class="module_header"> <h3 class="mod_standard"><span>More </span></h3> </div> <div class="module_content"> <ul class="menu"> <li class="item-266"><a href="http://chakmak-blog.blogspot.in/" target="_blank">Chakmak Blog</a></li><li class="item-267"><a target="_blank" href="https://www.eklavya.in/privacy-policy">Privacy policy</a></li></ul> </div> </div> </div> </div><div class="clear"></div></div></div> <footer> <div class="footermenu"> <ul class="menu"> <li class="item-572"><a target="_blank" href="https://www.facebook.com/pitara.eklavya"><img src="https://www.eklavya.in/images/facebook2.png" alt="FB social icon"></a></li><li class="item-573"><a target="_blank" href="https://www.youtube.com/eklavyafoundation"><img src="https://www.eklavya.in/images/youtube2.png" alt="You tube"></a></li><li class="item-574"><a target="_blank" href="http://www.flickr.com/photos/children-books-ngo"><img src="https://www.eklavya.in/images/flickr2.png" alt="Flickr"></a></li></ul> <div class="clear"></div> </div> <div class="copyright"> <p>Eklavya Foundation - 2019</p> </div> </footer> </div> </div> </body> </html></p></div></div></div></div></div></div></div></body></html> सममिति तत्व क्या है?जीवविज्ञान में सममिति (symmetry in biology) किसी जीव में समान रूप के अंगों की संतुलित उपस्थिति को कहते हैं, मसलन मनुष्यों में संतुलित व्यवस्था से एक बायाँ और उसी के जैसा एक दायाँ हाथ होता है। जीवविज्ञान में कई प्रकार की सममिति देखी जाती है और ऐतिहासिक रूप में इसका जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में काफ़ी महत्व रहा है।
सममिति के तत्व क्या हैं सममिति के तल का एक उदाहरण दें?सममिति के गुण-नियम
उदाहरण के तौर पर, ऐसा माना जाता है कि इन्सानी शरीर में द्विपक्षीय सममित होती है क्योंकि हमारा दायाँ भाग व बायाँ भाग लगभग एक जैसे होते हैं व जब हम एक आइने के सामने खड़े होते हैं तो हम और हमारा प्रतिबिम्ब लगभग एक समान ही होते हैं।
सममिति का मतलब क्या होता है?(Symmetry) का अर्थ है कि किसी पैटर्न का किसी बिन्दु या रेखा या तल के सापेक्ष हूबहू पुनरावृत्ति।
सममिति कितने प्रकार के होते हैं?आप अभी तक अनेक आकारों और उनकी सममितियों को देखते आ रहे हैं। अब तक आपने यह समझ लिया होगा कि कुछ आकारों में केवल रैखिक सममिति होती है, कुछ में केवल घूर्णन सममिति होती है तथा कुछ आकारों में रैखिक तथा घूर्णन दोनों प्रकार की सममितियाँ होती हैं ।
|