गाय का सींग टूट जाए तो क्या करें? - gaay ka seeng toot jae to kya karen?

  • गाय का सींग टूट जाए तो क्या करें? - gaay ka seeng toot jae to kya karen?

    गाय के साथ कभी नहीं करना चाहिए यह 6 काम

    गाय को राष्ट्रीय पशु बनाए जाने और इन्हें मौलिक अधिकार दिए जाने की बात हो रही है तो सवाल उठता है कि गाय जब भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है तब भी गाय के साथ लोग खराब व्यवहार कैसे कर लेते हैं। गाय दर-दर भटकती रहती है। भरपेट इन्हें चारा तक लोग नहीं देते हैं। गाय जब तक दूध देती रहती है तो उनकी सेवा होती है और जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है, लोग इन्हें उनकी किस्मत पर छोड़ देते हैं। सड़कों पर और गलियों में भटकने के लिए। ऐसे में गोवंशी जीवों को कोई डंडे से मारता है तो कोई उनके ऊपर पानी डाल देता है। कभी वाहनों से इन्हें ठोकर लग जाती है तो कभी बीमार होकर दम तोड़ देती है। ऐसे में जरूरत इस बात को जानने की भी है कि गाय को लेकर शास्त्रों में क्या कहा गया है। गाय के साथ आपको कैसा व्यवहार करना चाहिए।

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    ऐसा करने से पाप का भागी बनता है व्यक्ति

    गाय को कभी भी मारना-पीटना नहीं चाहिए। शास्त्रों में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गाय को मारने पीटने वाला माता को मारने पीटने वाले के समान पाप का भागी माना गया है। ऐसे लोगों को घोर नरक में वर्षों तक कष्ट भोगना पड़ता है। अगले जन्म पशु योनी में जन्म मिलता है। कथा है कि गौतम मुनि ने गलती से गाय को डंडा मार दिया था, जिससे गाय की मृत्यु हो गयी और इस पाप से मुक्ति के लिए इन्हें वर्षों तपस्या करनी पड़ी। श्रीकृष्ण ने बैल रूप में आए वृत्रासुर का वध कर दिया था, जिससे मुक्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण को संपूर्ण तीर्थों को एक कुंड में बुलाना पड़ा और इस कुंड में स्नान से वह पाप मुक्त हो पाए थे।

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    नरक भोगता है ऐसा व्यक्ति

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    दर-दर भटकता है ऐसा व्यक्ति

    आराम कर रही गाय को कष्ट देकर नहीं उठाना चाहिए। कहते हैं जिस स्थान पर गाय बैठती है वहां से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। गाय के बैठने की जगह को जो लोग नियमित साफ करते हैं, वह पूर्वजन्म में किए जाने-अनजाने पापों से मुक्त हो जाते हैं और गोलोक में स्थान पाते हैं। गाय को डंडा मारकर उठाने, पानी डालकर उठाने से मनुष्य पाप का भागी बनता है और अगले जन्म में उसे दर-दर भटकना पड़ता है।

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    ऐसे व्यक्ति को लगता है घोर पाप

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    महापाप का भागी बनता है ऐसा व्यक्ति

    शास्त्रों में कहा गया है कि गोवंश यानी गाय और बैल के पीठ पर नहीं बैठना चाहिए। इनके पीठ पर बैठने से महापाप लगता है। ऐसे लोगों को नरक की यातना भोगनी पड़ती है। एक मात्र महादेव के अंश के उत्पन्न नंदी ही गोवंशी हैं, जिस पर स्वयं महादेव और महादेवी सवारी करते हैं क्योंकि नंदी ने स्वयं अपनी इच्छा से महादेव की सवारी बनना स्वीकार किया था।

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    ऐसी गाय के दान से लगता है पाप

    शास्त्रों में गाय के दान को बहुत ही महत्व दिया गया है लेकिन ऐसी गाय का दान कभी नहीं करना चाहिए, जो बूढ़ी और बीमार हो। कठोपनिषद में नचिकेता की कथा भी इसी संदर्भ में है, जिसमें नचिकेता ने पिता द्वारा बूढ़ी गाय को दान करने पर आपत्ति जताई थी। दूध देने वाली और बछड़े सहित जो लोग गाय का दान करते हैं वह महान पुण्य को प्राप्त करके स्वर्ग में स्थान पाते हैं।

जानवरों में घाव की देखभाल एवं प्रबंधन

त्वचा, बलगम झिल्ली या ऊतक की सतह निरंतरता में टूट को घाव के रूप में परिभाषित किया गया है जोकि शारीरिक, रासायनिक या जैविक कारणों से हो सकता है। पालतू, साथी और उत्पादक पशुओं में घाव ज्यादातर समय एक कष्टप्रद बीमारी होती है। इसी तरह, पशुपालकों लिए भी घाव प्रवंधन दुविधापूर्ण होता है। इसके अलावा, अचानक कटने या किसी जानवर द्वारा काटे जाने पर  घाव से खून का बहना पशु मालिक के लिए घबराहट और निराशा का कारण बनता है, यह घाव पशुओं के चाटने, काटने अथवा खरोंच से और संक्रमित, जटिल हो जाते हैं। मक्खी और मैगट के घाव पर बैठने से इसका इलाज और चुनोतीपूर्ण हो जाता है। इसलीये अगर घाव के इलाज में कुछ दिन की देरी भी पशु के लिए घातक हो सकती है। वर्तमान लेख पशु मालिकों द्वारा घाव की प्राथमिक चिकित्सा, घाव के संभावित कारणों, रोकथाम, एवं प्रबंधन से अवगत कराने के उद्देश्य से लिखा गया है।

जानवरों में चोटें और घाव के संभावित कारण।

घरेलू पशुओं में घाव के सामान्य कारण मुख्यतः जानवरों का आपस में झगड़ना, सींग मारना, कांटेदार तार से कटने (घोड़ों ध्मवेशियों में), आंतरिक सतहों पर घर्षण और त्वचा की रगड़ के कारण, गलत तरीके से दूध दोहते समय थनों में चोट, आवारा कुत्तों द्वारा गाय, भेंसो, बकरियों और घोड़ों को काटना अथवा अन्य कई कारण होते हैं। साथ ही, सड़कों पर तेज चलते वाहनों द्वारा दुर्घटना एवं चोट एक मुख्य कारण है।

जानवरों में घाव प्रबंधन में मुख्य भ्रांतियाँ

कुछ पशुपालकों गलतफहमी है कि घाव पर गोबर, मिट्टी या राख लगाने से घाव भर जाता है जबकि गोबर मिट्टी में लाखों जीवाणु होते है जो घाव को और खराब करते हैं। कुछ लोगों की यह गलतफहमी होती है कि फिनाइल और कीटनाशक डालने से घाव में कीड़े मर जाते हैं जबकि यह गलत है, इससे घाव और खराब होता है साथही विषेले पदार्थ और शरीर में पहुच जाते है। इससे बेहतर तारफिन तेल, मिट्टी का तेल या मेगेट मारने वाली दवाएं उपयोग करनी चाहिए। कुछ पशु मालिकों को लगता हैकि कुत्तों अथवा जानवरों के स्वयं अपने घाव चाटने से ठीक हो जाते है जबकि यह सिर्फ गलतफहमी ही है।

घाव की देखभाल एवं प्रबंधन

सामान्यतः साधरण घाव स्वतः प्राकृतिक तरह से 14 दिनों में ठीक हो जाते हैं। जबकि त्वचा के बड़े घाव भरने में अधिक समय लगता है। इसीलिए, घाव भरना शुरु होने के लिए सही देखवाल रखना बहुत जरूरी होता है। घाव रेशेदार संयोजी ऊतक और कणिकायन ऊतक के प्रसार से भरता है। सबसे पहली एवं महत्वपूर्ण बात घाव को संक्रमित होने से बचाना है। इस प्रक्रिया के दोरान शरीर उत्तेजकों को खत्म अथवा हटाने की कोशिश करता है और प्रभावित हिस्से को सामान्य स्तिथि में लाता है। कोई भी घाव जिसे 6 घंटे हो गए हो उसे संक्रमित घाव कहा जाता है।

घाव भरते समय उस जगह खुजली होती है जिससे जानवर उसे स्वयं विकृत कर लेता है। पालतु जानवरों मैं यह प्राय रूप से देखने को मिलता है। वह सिर्फ घाव को काटते हि नहीं बल्कि अपने पंजो से खरोंचते भी हैं। एलिजाबेथ कॉलर के उपयोग से इस समस्या से बचा जा सकता है। जबभी किसी पशु को चोट लगती है, सबसे पहले जरूरी हैकि खून का बहना रोकना चाहिए तत्पश्चात पशु चिकित्सक को दिखाया जाए। खून को साफ कपड़े या पट्टी से दवाकर अथवा कसकर बांधने से रोका जा सकता है। फिरभी अगर खून नहीं रुकता तो, बंधे हुए हिस्से पर बर्फ या टिंचर बेन्जोइन लगाने से लाभ होता है। अधिक खून बहने से शरीर में खून की कमी हो जाती है। जब पेट पर घाव की वजह से अंतड़ी बाहर आ जाए तो, उस बाहर निकले हुए हिस्से को साफ कपड़ेध्पट्टी से ढककर नार्मल सेलाइन से भिगोते रहने से बचा सकते है फिर पशुचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

घाव में मवाद का पड़ना बुरा लक्षण होता है। ऐसे मामलों में, घाव की जगह को एंटीसेप्टिक से अच्छी तरह धोकर मवाद बनाने वाली झिल्ली को नष्ट कर देना चाहिए। फोड़े की गुहा 10ः पोविडोन आयोडीन या अक्रिफ्लाविन (1ः2000) घोल से रगड़कर सफाई करने से और साथ में पशुचिकित्सक द्वारा दिए एंटीबायोटिक्स और दर्दनिवारक की सहायता से मवाद वाले संक्रमण को कम किया जा सकता है।

हल्दी अथवा एलो वेरा का पारंपरिक इस्तेमाल सदियों से घाव में किया जाता है। नए उपलभ्द सडन रोकने वाली दवाएं जेसेकि क्लोर्हेक्सिडीन, पोविडोन आयोडीन यहाँ तक कि कैलेंडुला (होम्योपैथिक दवा) घाव भरने मेंबहुत प्रभावी हैं। पोटैशियम पेरमेंगनेट (1ः1000) घोल को भी बड़े घावों को धोने के लिए उपयोग किया जाता है। मुख्य इरादा घाव को संक्रमण से बचाना होता है। घाव को साफ रखना थोडा मुश्किल होता है पर जब घाव को साफ रखा जाता है तो घाव प्रभावी तरीके से ठीक होता है। युकलिप्टुस और तारफिन का तेल बहुत अच्छा मगेटनाशक घटक होता है जोकि मगेट मारने में उपयोगी होता है। नीम और करंजा का तेल अति उत्कृष्ट मक्खी विकर्षक है जिसको घाव पर मक्खियों के बैठने को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में बहुत विविध प्रकार के उत्पाद समेत हर्बल फुहारें और मल्लम भी उपलभ्द हैं जिनका उपयोग भी घाव और चोटों में लाभप्रद है।

कुत्ते काटे घावः इसका आमतौर पर सामना किया जाता है और जानवरों में यह सबसे अवांछित चोट होती है। जेसे ही किसी पालतु जानवर या मवेशी को कुत्ता काटता है जितनी शीघ्र हो सके घाव को सेव्लोन या साबुन से अच्छी तरह हाथों में दस्ताने पहनकर धोना चाहिए तत्पश्चात पशुचिकित्सक को सम्पर्क करना चाहिए। अपने पालतु पशु को सालाना वैक्सीन लगवानी चाहिए जिससे रेबीज बीमारी का बचाव होता है।

घाव के दोरान टिटनेस का खतराः भेड़, बकरी अथवा घोड़ों में टिटनेस का खतरा अधिक होता है। टिटनेस एक जूनोटिक बीमारी है। इस बीमारी के विषाणु मुख्यतः मिट्टी, गोबर में ही पाए जाते हैं। इसीलिए इन जानवरों को चोट, घाव अथवा ऑपरेशन होने पर पशुचिकित्सक परामर्श पर टिटनेस की वैक्सीन लगाना जरुरी होता है।

डॉ. आस्था चैरसिया, डॉ. बी.पी शुक्ला, डॉ. रेशमा जैन, डॉ. अतुल सिंह परिहार

पशु शल्यचिकित्सा एवं क्षःरश्मि विज्ञान विभाग

पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, महू

नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.)

गाय का सींग टूट जाए तो क्या लगाना चाहिए?

बछड़ों/बच्छियों को सींग रहित करने का सही समय व लाभ

गाय की चोट का इलाज कैसे करें?

पशुओं में चोट का घाव इस दौरान अगर बर्फ या ठण्डे पानी से सिकाई की जाए तो वह घाव नहीं बन पाता। पुराने घाव पर गर्म पानी से सिकाई अधिक फायदेमंद होती है। खुली हुई चोट यदि साधारण हो तो उसे साफ करके कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए। अगर खून बह रहा हो तो टिंक्चर बैंजोइन लगाना फायदेमंद है।

गाय के शरीर में घाव हो तो कैसे ठीक करें?

घाव को गर्म पानी से साफ किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि पानी त्वचा के अंदर नहीं जाना चाहिए। घाव साफ करने के लिए साफ रुई का इस्तेमाल करें। सामान्य घाव नारियल तेल से ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा डॉक्टर की बताई क्रीम लगाएं।

गाय के सींग क्यों काटे जाते हैं?

सींग वाले पशु आपसी लड़ाई में एक दूसरे को हानि पहुंचा सकते हैं इसलिए सींग का काटना लाभकारक है। सींग विहीन पशुओं को काबू करना सींग वाले पशुओं की अपेक्षा आसान होता है। सींग विहीन पशुओं का परीक्षण और उपचार आसान होता है। सींग विहीन पशु नांद या बर्तनों को सींग वाले पशुओं की तुलना में कम नुकसान पहुंचाते हैं