गूँगे कहानी के लेखक कौन हैं गूँगे कहानी को पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न? - goonge kahaanee ke lekhak kaun hain goonge kahaanee ko padhakar aapake man mein kaun se bhaav utpann?

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Question

'गूँगे' कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों?

Solution

गूँगे' कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं। मेरे अनुसार वह सहानुभूति का पात्र नहीं है, वह सम्मान का पात्र है। यदि उसे सही लोग मिलते तथा सही दिशा-निर्देश मिलता, तो वह हमारी तरह जीवन जी पाता। उसके जीवन में व्याप्त लोगों का व्यवहार उसे सहानुभूति का पात्र बना देता है। गूँगे की लड़ाई लोगों से नहीं अपितु उस समाज है, जो उसे समानता का अधिकार नहीं देते हैं। उसकी कमी उसे सहानुभूति का पात्र बना देती है। उसके साथ कहानी में जो-जो होता है, उसे पढ़कर मन में सहानुभूति फूट पड़ती है।

गूँगे कहानी के लेखक कौन हैं गूंगे कहानी को पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं?

गूँगे' कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं। मेरे अनुसार वह सहानुभूति का पात्र नहीं है, वह सम्मान का पात्र है। यदि उसे सही लोग मिलते तथा सही दिशा-निर्देश मिलता, तो वह हमारी तरह जीवन जी पाता।

गूंगे कहानी पढ़कर आपके मन में कैसे भाव उत्पन्न हुए और क्यों?

उत्तर: गूंगे कहानी पढ़कर हमारे मन में आत्मनिर्भर, स्वाभिमान और अपनत्व का भाव उत्पन्न होता है। क्योंकि गूंगा लड़का अपनी कमजोरी को अपनी लाचारी नहीं मानता है। वह अपना पेट अपनी मेहनत से भरता है।

गूंगे शीर्षक में गूंगे को किसका प्रतीक बताया है?

यदि बसंता गूंगा होता तो चमेली का व्यवहार उसके प्रति वैसा नहीं होता जैसा व्यवहार गूंगे के प्रति था। ऐसा इसलिए क्योंकि बसंता उसका पुत्र है तथा गूंगा कोई पराया बच्चा जिसे चमेली जानती तक नहीं थी। यही कारण है कि चमेली ने बहुत बार गूंगे को डांट फटकार भी लगाई थीं।

गूंगी को किसका प्रतीक बताया गया है?

Answer : गूँगे' कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं। मेरे अनुसार वह सहानुभूति का पात्र नहीं है, वह सम्मान का पात्र है। यदि उसे सही लोग मिलते तथा सही दिशा-निर्देश मिलता, तो वह हमारी तरह जीवन जी पाता। उसके जीवन में व्याप्त लोगों का व्यवहार उसे सहानुभूति का पात्र बना देता है।