नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट todayenginner.com पर । इस पोस्ट के माध्यम से में आपको पेट्रोल और डीजल इंजन के बीच मुख्य अंतर स्पष्ट करुंगा । इसे पढ़ने के बाद आपके सभी प्रोब्लम सॉल्व हो जाएंगे। Show
Table of Contents
Difference Between Petrol And Diesel Engineपेट्रोल इंजन ( PETROL ENGINE )डीजल इंजन ( DIESEL ENGINE )1. पेट्रोल ईंधन से चलता है।1. डीजल ईंधन से चलता है।2. फ्यूल कंजम्प्शन ज्यादा होती है।2. फ्यूल कंजम्प्शन कम होती है।3. इंजन वजन में हल्का होता है।3. इंजन का वजन भारी होता है।;4. इलैक्ट्रिकल सिस्टम को रेगूलर मेन्टिनेंस चाहिए क्योंकि इसे इग्नीशन सिस्टम चलाना होता है।4. इलेक्ट्रिकल सिस्टम में ज्यादा मेन्टिनेंस की जरूरत नहीं है।5. स्पार्क प्लग कुछ हजार कि.मी. बाद बदलने पड़ते हैं।5. इसमें स्पार्क प्लग नहीं लगते हैं।6. इंजन जल्दी ओवरहॉल करना पड़ता है।6. काफी कि.मी. चलने के बाद इंजन ओवरहॉल करना पड़ता है। ओवरहॉल के समय स्पेयर पार्टस् की कीमत काफी अधिक होती है।7. इंजन ओवरहॉल के समय स्पेयर पार्ट्स की कीमत कम होती है।7. ओवरहॉल के समय स्पेयर पार्टस् की कीमत काफी अधिक होती है।8. लो इंजन टॉर्क होने के कारण ट्रांसमिशन ज्यादा मजबूत नहीं बनानी पड़ती।8. इंजन टॉर्क ज्यादा होने के कारण गियर बॉक्स डिफ्रेंशियल ज्यादा मजबूत और बड़ी कैपसिटी के बनाने पड़ते हैं।9. इंजन ठण्डा होने पर या सर्दियों में भी जल्दी स्टार्ट हो जाता है।9. इंजन ठण्डा होने पर या सर्दियों में देर से स्टार्ट होता है। उसे हीटर प्लग की आवश्यकता पड़ती है।10. स्टाटिंग टॉर्क कम होने के कारण छोटी बैट्री की जरूरत पड़ती है।10. स्टाटिंग टॉर्क ज्यादा होने के कारण बड़ी बैट्री की आवश्यकता पड़ती है।11. पैट्रोल महँगा होने के कारण रनिंग कॉस्ट ज्यादा होती है।11. डीजल सस्ता होने के कारण रनिंग कॉस्ट कम होती ।12. इंजन के चलते समय वाईब्रेशन्स नहीं होती।12. इंजन के चलते समय काफी वाईब्रेशन होती है।13. चेसिस इतनी मजबूत नहीं होती क्योंकि इंजन आराम से चलता है और भार कम होता है।13. भार और वाईब्रेशन ज्यादा होने के कारण चेसिस मजबूत बनानी पड़ती हैं।14. पेट्रोल इंजन कम पोलूशन करते हैं।14. डीजल इंजन ज्यादा पोलूशन करते हैं।15. रेडियेटर आदि छोटे होते हैं।15. रेडियेटर काफी बड़े लगाने पड़ते हैं क्योंकि इंजन काफी गर्म चलता है।FAQ –Q: डीजल इंजन का आविष्कार किस इंजीनियर ने किया था? Ans: डीजल इंजन का आविष्कार जर्मन इंजीनीनियर डॉ. रूडोल्फ डीज़ल (Dr. Rudolf Diesel) ने किया था। Q: डीजल इंजन की बनावट पैट्रोल इंजन से किस प्रकार भिन्न हैं? Ans: डीज़ल इंजन की बनावट पैट्रोल इंजन की बनावट की तरह ही होती है, फर्क सिर्फ इतना है कि ये वजन में भारी होते हैं और फ्यूल की सप्लाई करने के लिए कार्बुरेटर की जगह पर इंजैक्शन पम्प और इंजैक्टर लगे रहते हैं। Q: डीजल इंजन में पेट्रोल डालने से क्या होगा? Ans: जब पेट्रोल को डीजल में मिलाया जाता है तो ये इसके लुब्रिकेशन के गुणों को कम कर देता है और जब आपस में एक पार्ट दूसरे पार्ट से मिलेंगे तो वो फ्यूल पंप को नुकसान पहुंचा सकता है । जिसकी वजह से दूसरे फ्यूल सिस्टम को भी हानि होगी । Q: पेट्रोल और डीजल में कौन ज्यादा माइलेज देता है? Ans: डीजल इंजन के वाहन पेट्रोल इंजन से ज्यादा माइलेज देती है । डीजल इंजन को स्पार्क प्लग की आवश्कता नही होती और इस प्रकार हाई कंप्रेशन होता है । यह पेट्रोल इंजन की तुलना में डीजल इंजन को अधिक इंजन का उपयोग करता है। दोस्तों ऑटोमोबाइल सेक्टर में इंजन की सबसे मुख्य भूमिका होती है इंजन से ही गाड़ी को पावर मिलती है। इंजन गाड़ी का धड़कन होता है तो इंजन में दो प्रकार के इंजन सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है पेट्रोल इंजन और डीजल डीजल इंजन। अगर आपके पास भी अपनी कोई गाड़ी है चाहे वह डीजल हो या पेट्रोल आपके मन में भी कभी ना कभी यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर पेट्रोल इंजन और डीजल इंजन में क्या अंतर होता है और क्या होगा अगर पेट्रोल इंजन में डीजल डाल दिया जाए और डीजल इंजन में पेट्रोल डाल दिया जाए तो क्या हमारी गाड़ी चलेगी और क्या इसके परिणाम हो सकते हैं। तो दोस्तों आज किस आर्टिकल में हम जानने वाले हैं पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में क्या अंतर होता है और क्या होगा अगर आप डीजल इंजन में पेट्रोल डाल दें और अगर पेट्रोल इंजन में डीजल डाल दे तो जानने के लिए इस आर्टिकल को लास्ट तक पूरा पढ़े आपको इस आर्टिकल में काफी इंफॉर्मेशन मिलने वाली है। इस पोस्ट के टॉपिक देखे show पेट्रोल इंजन पेट्रोल इंजन में यह प्रक्रिया 4 स्टेज में सबपूर्ण होती है? डीजल इंजन डीजल इंजन में भी यह प्रक्रिया पेट्रोल इंजन की तरह चार स्टेज में संपूर्ण होती है। पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में अंतर | difference Between petrol engine and diesel engine Share post Related पेट्रोल इंजनदोस्तों petrol इंजन का उपयोग ज्यादातर हल्के वाहन जैसे स्कूटर कार और मशीनों में किया जाता है। petrol इंजन इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन होता है petrol इंजन को स्पार्क इग्निशन इंजन भी कहा जाता है या गैसोलीन इंजन भी कहा जाता है। petrol इंजन का आविष्कार सन 1876 में यूरोप में किया गया था उस समय पेट्रोल इंजन में काफी ज्यादा खामियां थी लेकिन समय के साथ-साथ इसमें इंप्रूवमेंट होता गया आज के समय में काफी बदलाव हो चुके हैं। petrol इंजन में फ्यूल और ईयर को कंप्रेशन से पहले ही कार्बोरेटर की मदद से मिक्स करके स्पार्क प्लग की मदद से cylinder के अंदर ब्लास्ट कराया जाता है। पेट्रोल इंजन में यह प्रक्रिया 4 स्टेज में सबपूर्ण होती है?पहला स्टेज होता है suction stroke- इस स्ट्रोक में engine का इनलेट वाल्व ओपन होता है और exhaust value बंद रहता है और पिस्टन द्वारा fuel और ईयर के मिक्सर को सिलेंडर के अंदर खींचा जाता है। दूसरा स्टेज होता है कंप्रेशन स्ट्रोक – इसमें ईयर और फ्यूल के मिक्सर को crankshaft और Piston की मदद से कंप्रेस किया जाता है। तीसरा स्टेज होता है पावर stroke – दूसरे स्टेज में ईयर और फ्यूल के मिक्सर को कंप्रेस होने के बाद इसको स्पार्क plug की मदद से ब्लास्ट कराया जाता है इसमें हमारा पावर जनरेट होता है पिस्टन ऊपर से नीचे की ओर मूव होता है और पिस्टन connecting रोड की मदद से crankshaft से जुड़ा होता है जिससे crankshaft rotate होती है और हमारे इंजन को पावर मिलती है। चौथा स्टेज होता है एग्जॉस्ट stroke- इस स्टेज में जो गैस होती है उनको बाहर छोड़ा जाता है इसमें इनलेट वाल्व बंद रहता है और एग्जास्ट वाल्व ओपन हो जाता है और जो ब्लास्ट के बाद गैस बनती है जो धुआं होता है उसको बाहर छोड़ा जाता है पिस्टन नीचे से ऊपर की ओर मूव करता है जिससे धुआं cylinder से बाहर की ओर निकल जाता है। डीजल इंजनडीजल इंजन का उपयोग ज्यादातर ट्रक ,bus train और भारी वाहनों में किया जाता है। डीज़ल इंजन भी एक प्रकार का इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन होता है इसमें फ्यूल के रूप में डीजल का उपयोग किया जाता है। डीजल इंजन में पहले हवा को कंप्रेस किया जाता है उसके बाद डीजल को इंजेक्टर की मदद से cylinder के अंदर इंजेक्ट किया जाता है और उसके बाद इसमें स्वयं ब्लास्ट होता है जिससे इंजन में पावर मिलती है। डीजल इंजन का आविष्कार सबसे पहले 1893 में जर्मनी में किया गया था उस समय केवल डीजल इंजन का उपयोग train में किया जाता था। डीजल इंजन में भी यह प्रक्रिया पेट्रोल इंजन की तरह चार स्टेज में संपूर्ण होती है।पहला स्टेज होता है suction stroke- इस स्ट्रोक में Piston cylinder के अन्दर ऊपर से नीचे और मूव करता है इसमें inlet valve open होता है exhaust valve close रहता है cylinder के अंदर है air आने के बाद दूसरा स्टेज compression शुरू होता है। दूसरा स्टेज compression stroke- इसमें पिस्टन सिलेंडर के अंदर नीचे से ऊपर की ओर मूव करता है और इनलेट और एग्जॉस्ट दोनों वाल्व बंद रहते हैं जिससे इंजन सिलेंडर के अंदर एयर कंप्रेसर होती है एयर कंप्रेसर होने के कारण इसका तापमान और प्रेशर दोनों बढ़ जाता है इसके बाद शुरू होता है तीसरा स्टेज। तीसरा स्टेज होता है पावर stroke- दूसरे स्टेज में एयर कंप्रेसर होने के बाद power stroke के शुरू होते समय डीजल को इंजेक्टर के माध्यम से स्प्रे फॉर्म में cylinder के अंदर inject किया जाता है। हवा के हाई प्रेशर और हाई टेंपरेचर होने के कारण इसमें जैसे ही डीजल को इंजेक्ट किया जाता है या तुरंत ही ब्लास्ट हो जाता है और इसके बाद पिस्टन ऊपर से नीचे की ओर मोमेंट करता है पिस्टन कनेक्टिंग रोड की मदद से crankshaft से जुड़ा होता है जिसे crankshaft रोटेट होती है और इंजन को पावर मिलती है। चोथा स्टेज होता है exhaust stroke- इसमें इनलेट वाल्व बंद रहता है और exhaust value ओपन हो जाता है और ब्लास्ट होने के बाद जो धुआँ बनता है उसको बाहर की ओर निकाल देता है Piston नीचे से ऊपर की ओर मूव करता है जिससे धुँआ बाहर निकल जाता है। पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में अंतर | difference Between petrol engine and diesel engineदोस्तों के चलिए जानते हैं पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में मुख्यतः क्या क्या अंतर है?
अब दोस्तों में बात करते हैं क्या होगा अगर आपने गलती से डीजल इंजन में पेट्रोल डाल दिया और पेट्रोल इंजन में डीजल डाल दिया । दोस्तों अगर आप गलती से पेट्रोल इंजन में डीजल डाल देते हो और डीजल इंजन में पेट्रोल डाल देते हो तो इससे आपका इंजन डैमेज हो सकता है। फ्यूल टैंक के बाद सबसे पहले पार्ट होता है फ्यूल फिल्टर अगर आप डीजल की जगह पेट्रोल डाल दोगे या पेट्रोल की जगह डीजल डाल दोगे तो सबसे पहले फिर फिल्टर चौक हो जाएगा क्योंकि डीजल और पेट्रोल फ्यूल फिल्टर अलग अलग होता है। दूसरा अगर फ्यूल फिल्टर से पास हो जाता है तो इंजन स्टार्ट होने में दिक्कत करेगा और अगर स्टार्ट हो भी जाता है तो गाड़ी कुछ समय चलने के बाद झटके मारने स्टार्ट कर देगी और एक समय के बाद गाड़ी बंद हो जाएगी। निष्कर्ष – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने जाना की petrol इंजन और डीजल इंजन में अंतर क्या है। हमने काफी सरल शब्दो में समझाने की कोशिस की है उम्मीद है आपको यह आर्टिक्ल इन्फ्रोमैटिव लगा होगा अगर अभी भी आपके कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में टाइप कर सकते हो। डीजल और पेट्रोल इंजन में क्या फर्क है?पेट्रोल इंजन की तुलना में डीज़ल इंजन के रखरखाव में ज़्यादा ख़र्च आता है और ये महंगा व भारी भी होता है. 4. डीज़ल इंजन की तुलना में पेट्रोल इंजन वाले वाहनों में विस्फ़ोट का ख़तरा अधिक होता है, क्योंकि इसमें पेट्रोल और हवा दोनों कंप्रेस्ड रहती है. वहीं, डीज़ल इंजन में सिर्फ़ हवा ही कंप्रेस्ड रहती है.
डीजल और पेट्रोल इंजन में कौन सा बेहतर है?एक ही आकार के दो इंजिनों में पेट्रोल इंजिन डीजल से ज्यादा पावर देता है। इसका कारण है पेट्रोल का ज्वलन अधिक गति से हो पाता है। इसीलिए पेट्रोल इंजिन अधिक गति से चलते हुए ज्यादा पावर बना सकता है।
डीजल इंजन का दूसरा नाम क्या है?इस प्रकार यह यह स्पार्क-ज्वलन इंजनों से भिन्न है क्योंकि उनमें वायु और ईंधन के मिश्रण को प्रज्वलित करने के लिए स्पार्क-प्लग का उपयोग किया जाता है। इसे संपीडन-ज्वलन इंजन (compression-ignition engine) भी कहते हैं।
इंजन कितने प्रकार के होते हैं?इंजन कितने प्रकार के होते हैं? – मूल रूप से इंजन दो प्रकार के होते हैं, और ये इंजन बाहरी दहन इंजन और आंतरिक दहन इंजन दो तरह के होते हैं।
|