Co2 को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है तो क्या उत्पाद बनता है? - cho2 ko choone ke paanee mein pravaahit kiya jaata hai to kya utpaad banata hai?

श्वसन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड की भूमिका

उद्देश्य

हमारा उद्देश्य प्रयोगात्मक  रूप से यह दिखाना है कि कार्बन डाइऑक्साइड श्वसन के दौरान बाहर निकलती है।

सिद्धांत

श्वसन एक जैव रासायनिक प्रक्रिया है। श्वसन के दौरान ग्लूकोज जैसे सरल कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा मुक्त करने के लिए टूट जाते हैं।  सजीव प्राणियों- मनुष्य, पौधों और जंतुओं की हरेक कोशिका श्वसन करती है।

पौधों में श्वसन का अध्ययन अंकुरित हो रहे भीगे बीजों में किया जा सकता है। श्वसन के दौरान ये कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) मुक्त करते हैं। बीजों को हवाबंद शंक्वाकार फ्लास्क में रखा जाता है। पोटेशियम हाइड्राक्साइड (KOH) साल्यूशन युक्त एक छोटा सा टेस्ट ट्यूब फ्लास्क में रखा जाता है। पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड बीजों द्वारा छोड़ा जाने वाला कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर लेता है और फलस्वरूप फ्लास्क में आंशिक वैक्यूम बन जाता है। इससे डिलीवरी ट्यूब में पानी का स्तर बढ़ जाता है।

मानुष्यों में श्वसन का अध्ययन चूने के पानी से किया जा सकता है। चूने का पानी श्वसन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड से प्रतिक्रिया करता हैं जिससे कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) बनता है। यह चूने का पानी दूधिया बना देता है। ताजा तैयार किया गया चूने का पानी बॉयलिंग ट्यूब में लिया जाता है और दो ग्लास ट्यूब के साथ एक कॉर्क, कॉर्क में डाल दिया जाता है। ग्लास ट्यूब का एक सिरा चूने के पानी में डुबो दिया जाता है और इस ग्लास ट्यूब से होकर पूरी ताकत से हवा फूंकी जाती है। बाहर छोड़ी गई सांस की हवा के बुलबुले धीरे-धीरे चूने के पानी को दूधिया बना देते हैं। इससे पता चलता है कि मानव श्वसन में कार्बन डाइऑक्साइड बनती है।

श्वसन

श्वसन वह प्रक्रिया है जिसमें ग्लूकोज जैसे सरल कार्बोहाइड्रेट सरल पदार्थों में टूट जाते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड और ऊर्जा मुक्त करते हैं। श्वसन के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा होती है। श्वसन दो प्रकार के होते हैं- वायवीय (एरोबिक) और अवायवीय (ऐनारोबिक) ।

वायवीय (एरोबिक) श्वसन

वायवीय (एरोबिक)  का अर्थ है 'हवा के साथ'। इस प्रकार के श्वसन के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है, इसलिए इसे वायवीय (एरोबिक) श्वसन कहा जाता है। वायवीय (एरोबिक) श्वसन के दौरान कार्बोहाइड्रेट का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है।ऑक्सीजन ग्लूकोज को ऊर्जा मुक्त करने के लिए तोड़ देती है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड और पानी इस प्रतिक्रिया का गौण उत्पाद होते हैं । इस मुक्त ऊर्जा का इस्तेमाल एडीनोसाइन ट्राईफास्फेसट (एटीपी) नामक ऊर्जा का विशेष अणु बनाने में होता है। एटीपी वहां होता है जहां शरीर द्वारा बाद में इस्तेमाल के लिए ऊर्जा भंडारित होती है । वायवीय (एरोबिक) श्वसन पौधों के साथ ही जंतुओं में भी होता है। यह माइटोकॉन्ड्रिया में होता है।

वायवीय (एरोबिक) श्वसन के लिए शब्द समीकरण (वर्ड इक्वेशन) है:

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रासायनिक समीकरण है:

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अवायवीय (ऐनारोबिक) श्वसन

अवायवीय (ऐनारोबिक) का मतलब ‘बिना हवा के’ होता है। कभी-कभी जंतुओं और पौधों के चारों ओर साँस लेने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होती है, लेकिन उन्हें तब भी जीवित रहने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है,इसलिए उस ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए जिसकी उन्हें जरूरत होती है वे ऑक्सीजन के अभाव में श्वसन करते हैं। जब श्वसन ऑक्सीजन के अभाव में होता है तो, भोजन का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है और बहुत कम ऊर्जा मुक्त होती है। हालांकि, कार्बन डाइऑक्साइड तब भी बनती है। इसे अवायवीय (ऐनारोबिक) श्वसन कहा जाता है और यह प्रक्रिया कोशिका द्रव्य (साइटोप्लाज्म) में संपन्न  होती है।

पौधों में अवायवीय (ऐनारोबिक) श्वसन के लिए शब्द समीकरण(वर्ड इक्वेशन)  है:

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रासायनिक समीकरण है:

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जंतुओं में अवायवीय (ऐनारोबिक) श्वसन के लिए शब्द समीकरण (वर्ड इक्वेशन)  है:

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श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक

श्वसन की दर को प्रभावित करने वाले कुछ कारक यहां दिए जा रहे हैं।

  1. तापमान: बहुत ज्यादा तापमान पर, श्वसन की दर समय के साथ कम हो जाती है और बहुत ही कम तापमान पर श्वसन की दर नगण्य हो जाती है। श्वसन के लिए आदर्श तापमान  20 - 30oC है।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता: कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता में वृद्धि और आक्सीैजन के अभाव में एरोबिक श्वसन की दर प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है।
  3. प्रकाश: प्रकाश जीव का तापमान बढ़ाकर श्वसन को नियंत्रित करता है।
  4. पानी: श्वसन करने वाले जीव में पानी की मात्रा में वृद्धि के साथ श्वसन की दर बढ़ जाती है।

सीखने के परिणाम

  1. छात्र श्वसन, वायवीय(एरोबिक)  और अवायवीय (एनोरोबिक) श्वसन और एटीपी शब्‍द समझते हैं।
  2. छात्र दो प्रकार के श्वसन कों समझते हैं।
  3. छात्र श्वसन की दर को प्रभावित करने वाले कारकों को समझते हैं।
  4. छात्र एनीमेशन और सिमुलेशन के माध्यम से गुजरकर वास्तविक प्रयोगशाला में बेहतर प्रयोग करते हैं ।

Co2 को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है तो क्या उत्पाद बनता है? - cho2 ko choone ke paanee mein pravaahit kiya jaata hai to kya utpaad banata hai?

Co2 को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है तो क्या उत्पाद बनता है? - cho2 ko choone ke paanee mein pravaahit kiya jaata hai to kya utpaad banata hai?

जब co2 को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है तो क्या उत्पादन बनता है?

जब कार्बन डाइऑक्साइड गैस को चूने के पानी में या उसके ऊपर से गुजारा जाता है, तो यह कैल्शियम कार्बोनेट के बनने के कारण दूधिया हो जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड चूने के पानी (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड का एक विलयन, Ca(OH)2 के साथ अभिक्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट, CaCO3 का एक श्वेत अवक्षेप (दूधिया दिखाई देता है) बनाता है।

अगर चूने के पानी में अत्यधिक मात्रा में co2 प्रवाहित की जाए तो क्या प्रभाव पड़ेगा?

आप देखेंगे कि अभिक्रिया में पुनः हाइड्रोजन बनता है।

चूने के पानी में co2 गैस को प्रवाहित करने पर क्या होता है?

चूने के पानी में CO(2) को प्रवाहित करने से क्या होता है ? UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Solution : चुने का पानी दूधिया हो जाता है तथा `CaCO_(3)` तथा `H_(2)O` बनता है ।

चूने में पानी मिलाने पर कौन सी गैस निकलती है?

चूना खडिया इत्यादि कैल्सियम कार्बोनेट होते है । इनमें पानी मिलाने से कार्बनडाइऑक्साइड गैस निकलती है तथा कैल्सियम डाई हाइड्रॉक्साइड बनता है ।