इसे सुनेंरोकेंप्रकृति हमे सिर्फ और सिर्फ देना सिखाती है । बिना किसी स्वार्थ के सिर्फ बाँटना सिखाती है। वो सभी चीजें जो कभी हमारी भूख मिटाती है कभी सुकून देती है या यूँ कहें सभी कुछ देती है जो हमारे लिए सर्वोत्तम है। पर हम क्या देते हैं बदले में विचारणीय है।। Show
प्रकृति और प्रकृति में क्या अंतर है? इसे सुनेंरोकेंप्रकृति, व्यापकतम अर्थ में, प्राकृतिक, भौतिक या पदार्थिक जगत या ब्रह्माण्ड हैं। “प्रकृति” का सन्दर्भ भौतिक जगत के दृग्विषय से हो सकता है और सामन्यतः जीवन से भी हो सकता हैं। यद्यपि मानव प्रकृति का हिस्सा है, मानवी क्रिया को प्रायः अन्य प्राकृतिक दृग्विषय से अलग श्रेणी के रूप में समझा जाता है। प्रकृति फूल पत्ते पेड़ चिड़िया हमें क्या क्या सिखाती है? इसे सुनेंरोकेंAnswer: ० प्रकृति (चिड़ियाँ) हमें सुबह सूरज से पहले उठने की सीख देती हैं। ० फूल हमें हमेशा दूसरो को खुशबू देनी की सीख देती है। ० पेड़ हमें हमेशा कठिन परिक्षम करने की और दूसरे की हमेशा साहयता करने की सीख देती है। पढ़ना: शुगर पेशेंट को जामुन कब खाना चाहिए? प्रकृति में दिखाई देने वाली आपकी मनपसंद चीजें क्या क्या है?प्रकृति में दिखाई देने वाली आपकी मनपसंद चीजों क्या क्या है
पहाड़ से हमें क्या सीख मिलती है? इसे सुनेंरोकेंAnswer: पर्वत मनुष्य को शिक्षा देता है कि वह भी महान बने और पर्वत सी ऊँचाई प्राप्त करें। पंक्ति: “सागर कहता है लहराकर..” सागर से हमें क्या सीख मिलती है? भावार्थः- प्रस्तुत पंक्ति से हमें यश सीख मिलती है कि हमारे मन और विचारों में गहराई होनी चाहिए। नदी और सूर्य को देखकर हमें क्या शिक्षा मिलती है? इसे सुनेंरोकेंइनके अंदर छिपे तमाम गुण हमें तमाम रोगों की औषधि तो देते ही हैं, साथ ही हमें प्राणवायु भी इन्हीं से मिलती है। एक तरह से देखा जाए तो यह मानव के नि:स्वार्थ पालनहार हैं। इसके साथ ही यह प्रकृति का श्रृंगार भी करते हैं। परमात्मा और मनुष्य की प्रकृति में क्या अंतर है?इसे सुनेंरोकेंपरमात्मा शुद्ध परम ज्ञान है, उसकी ज्ञान और क्रिया शक्ति के कारण उसकी प्रकृति द्वारा कार्य होते हैं परन्तु उसका उस क्रिया और फल से कोई सम्बन्ध नहीं होता जैसे सूर्य का बिम्ब जल में पड़ता है परन्तु पानी से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता। इसी प्रकार परमात्मा अथवा आत्मा का देहस्थ होने पर शरीर से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। पढ़ना: किसका मत है कि जैसा प्रधानाचार्य होगा वैसा विद्यालय होगा? मनुष्य को प्रकृति से क्या शिक्षाएं ग्रहण करनी चाहिए? इसे सुनेंरोकेंमनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं। इतना ही नहीं, मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा गुरु नहीं है। आज तक मनुष्य ने जो कुछ हासिल किया वह सब प्रकृति से सीखकर ही किया है। इसे सुनेंरोकेंप्रेमचंद ने इसीलिए उन दोनों को नादान दोस्त कहा है। यह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर रहे हैं, वह सही है या नहीं। केशव ने चिथड़े टोकरी और दाना पानी कहाँ रखे थे?इसे सुनेंरोकेंAnswer: उत्तर). केशव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मँगाकर कार्निस पर पर इसलिए रखे थे जिससे कि वे चिड़िया को तथा अंडों को और जयादा आराम से रख सकें दोनों की हिफाजत कर सकें। चिड़ा और चिड़िया को बैठा देखकर बच्चों की किसकी सुध नहीं रहती थी? इसे सुनेंरोकेंकेशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़िया को यहाँ आते-जाते देखा करते। सवेरे दोनों आँखें मलते कार्निस के सामने पहँच जाते और चिडा और चिडिया दोनों को वहाँ बैठा पाते। उनको देखने में दोनों बच्चों को न मालूम क्या मज़ा मिलता, दूध और जलेबी की सुध भी न रहती थी। पढ़ना: मुलेठी को चेहरे पर लगाने से क्या होता है? नादान दोस्त का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरोकेंक्योंकि जब उन्होंने अंडों को ज़मीन पर टूटा हुआ देखा तो माँ के बताने पर कि अंडे छूने से खराब हो जाते हैं, उन्हें अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। हम उन्हें गलत नहीं ठहरा सकते। इसलिए तो लेखक ने इसका नाम नादान दोस्त रखा है जो इस तथ्य को साबित करता है। नादान दोस्त में नादान क्या है?इसे सुनेंरोकेंऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे? एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी 2021-22 Page 9 नादान दोस्त 21 ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा, “मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। अंडों के बारे में कैसे और श्यामा के मन में किस तरह के सवाल उठते थे?प्रेमचंद
पढ़ना: कीबोर्ड के बटन को क्या कहते है? नादान दोस्त के लेखक कौन है? इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 3. प्रेमचंद जी ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। इसे सुनेंरोकेंयह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर रहे हैं, वह सही है या नहीं। केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के लिए जो भी किया था यदि वे अपने माता-पिता से एक बार पूछ लेते, तो शायद वे उन बच्चों को अपने सामने देख पाते। केशव ने रोनी सूरत क्यों बना ली? इसे सुनेंरोकेंकेशव ने रोनी सूरत क्यों बना ली? Answer: क्योंकि अंडे टूट जाने पर अपनी माँ का डर था। श्यामा ने केशव से क्या पूछा?इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि – ‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा। ‘ के जवाब में श्यामा ने बताया कि केशव ने अंडों को छेडा था अम्माँ जी। क्योंकि उसे लगा केशव ने ही शायद अंडों को इस तरह रख दिया कि वह नीचे गिर पड़े। इसकी उसे सजा मिलनी चाहिए। पढ़ना: अच्छा अतिथि कौन होता है? केशव ने टोकरी का सुराग कैसे बंद किया?इसे सुनेंरोकेंमित्र केशव ने टोकरी के सुराख में थोड़ा-सा कागज़ ठूँस कर उसे बंद कर दिया। केशव ने टोकरी का सुराग कैसे बंद किया *? इसे सुनेंरोकेंAnswer: केशव ने झुंझलाकर कहा—तू टोकरी तो ला, मै उसका सुराख बन्द करने की कोई हिकमत निकालूंगा। श्यामा दौड़कर टोकरी उठा लायी। केशव ने उसके सुराख में थोड़ा –सा कागज ठूँस दिया और तब टोकरी को एक टहनी से टिकाकर बोला—देख ऐसे ही घोंसले पर उसकी आड़ दूंगा। इसे सुनेंरोकें’नादान दोस्त’ प्रेमचंद जी की एक बाल कहानी है ,जिसमें उन्होंने केशव और उसकी बहन श्यामा की मासूमियत,नादानी और पक्षियों के प्रति उनकी उत्सुकता का वर्णन किया है. केशव और उसकी बहन श्यामा चिड़िया के अंशों को सहेजना चाहते थे लेकिन बाल सुलभ लापरवाही की कारण अंडे फूट जाते हैं जिस कारण केशव और श्यामा बहुत दुखी होते हैं . चिड़िया हमें क्या सिखाती है?Detailed Solution. चिड़िया हमें प्रेम प्रीति की रीति सिखलाती है।
चिड़िया हमें क्या संदेश देती है?चिड़िया के माध्यम से हमें सीख मिलती है कि हमें थोड़े में ही संतोष करना चाहिए। इस कविता में अकेले रहकर भी उमंग से जीने का संदेश दिया गया है। इसके साथ ही कवि हमें बताते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमें साहस नहीं खोना चाहिए।
चिड़िया की बच्ची की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?Answer: इस कहानी के माध्यम से हमें अपनी आजादी का पता चलता है। हमें किसी भी लालच में फंसकर अपनी आजादी नहीं खोनी चाहिए। धन दौलत कभी वास्तविक खुशी नहीं दे सकता, मां के स्नेह एवं आत्मीयता को किसी वस्तु से तोला नहीं जा सकता।
इस कविता से हमें क्या सीख मिलती है?यह कविता पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सभी प्राणियों को एक समान मानना चाहिए। जन्म को आधार मानकर किसी को अछूत कहना निन्दनीय अपराध हैं। किसी को निम्न जाति का मानकर मंदिर में प्रवेश न करने देना, मारपीट करना सरासर गलत है। मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए।
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