बेटे की मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत की पतोहू ने क्या किया? - bete kee mrtyu ke baad baalagobin bhagat kee patohoo ne kya kiya?

Solution : (क) भगत अपनी रोटी हुई पतोहू को उत्सव मनाने के लिए आज इसलिए कह रहे थे क्योकि उनका मानना था कि आज आत्मा परमात्मा से जा मिली है। इस संबंध में उनका दर्शन कबीर से प्रभावित था। <br> (ख) नवाब के थककर लेट जाने का कारण -नवाब साहब का खीरे को धोना-काटना, सूंघना व पेट भर गया, इस नाटकका कारण बताया। <br> (ग) लेखक के फदर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा क्योकि फादर मानवीय स्वभाव से युक्त सन्यासी जैसी छवि वाले थे, सन्यासी की भांति स्नेह, अपनत्य का भाव रखते थे। मानव कल्याण में जीवन समर्पण करते हुए भी वह सामान्य मनुष्यो की तरह संबंधो का निर्माण और निर्वाह करते थे। <br> (घ) मूर्ति के असली चश्मे के विषय में हालदार साहब की जिज्ञासा का पानवाले ने यह कहकर समाधान किया कि मास्टर मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल गया था। उस समाधान से हालदार साहब कि विचारधारा बनी कि देशभक्ति कि सच्ची भावना आज भी जीवित है, परन्तु उन्हें यही चिंता थी कि वर्तमान पीढ़ी कि घटती देशभक्ति और बढ़ते स्वार्थ के प्रति देश के भविष्य का क्या होगा ? <br> (ड) भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद पतोहू के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने उसे उसके भाई को सॉप दिया व पुन: उसका विवाह करने का आदेश दिया व उसके मना करने पर घर छोड़कर जाने की दलील दे डाली। उनके इस व्यवहार को हम पूर्ण रूप से उचित मानते है क्योकि पति की मृत्यु के बाद पुन: विवाह न करना व वैसी ही जिंदगी जीते रहना उचित नहीं है।

बेटे की मृत्यु के बाद भगत ने अपनी पतोहू को क्या आदेश दिया?

<br> (ड) भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद पतोहू के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने उसे उसके भाई को सॉप दिया व पुन: उसका विवाह करने का आदेश दिया व उसके मना करने पर घर छोड़कर जाने की दलील दे डाली।

बेटे के मृत्यु के पश्चात बालगोबिन भगत का आखिरी निर्णय क्या था?

✎... बालगोबिन भगत ने अपनी आखिरी दलील अपनी पतोहू को दी थी और कहा था, 'तू जा, नहीं तो मैं इस घर को छोड़कर चल दूंगा'।

बालगोबिन भगत अपने बेटे की मृत्यु के पश्चात् पतोहू की दूसरी शादी क्यों करवाना चाहते थे?

बालगोबिन भगत अपनी पुत्रवधू की शादी इसलिए करना चाहते थे, क्योंकि उनकी पुत्रवधू बेहद कम उम्र में ही विधवा हो गई थी। वह युवा थी, उसके सामने पूरा लंबा जीवन पड़ा था। उसकी आयु अपने वासनाओं को जबरदस्ती काबू में रखने की नहीं थी। मनुष्य का मन चंचल होता है और कभी भी भटक सकता है।

बेटे की मृत्यु पर बालगोबिन भगत की प्रतिक्रिया क्या थी * 1 Point?

भगत ने अपने बेटे के मरने पर शोक नहीं मनाया। उसके अनुसार उसके बेटे की आत्मा परमात्मा के पास चली गई है। आज एक विरहिनी अपने प्रेमी से मिलने गई है और उसके मिलन की खुशी में आनंद मनाना चाहिए न कि अफसोस। उन्होंने अपने बेटे के मृत शरीर को फूलों से सजाया था।