बाल श्रम के मुख्य कारण क्या है? - baal shram ke mukhy kaaran kya hai?

इस आर्टिकल में हम देश और दुनिया में करोडो बच्चो पर हो रहे अपराध पर बात करेंगे जिसे बाल श्रम या बाल मजदूरी कहते है। आर्टिकल में जानने की कोशिश करेंगे की बाल मजदूरी या बाल श्रम क्या होता है (What Is Child labour in Hindi) इसके प्रमुख कारण क्या है और इसको रोकने के लिए सरकार द्वारा क्या कानून बनाये गए है।

होटलों में बर्तन धोते नन्हें छोटू के नन्हे हाथों को देखकर, सुबह अखबार पहुंचाने वाले हाथों को देखकर या फिर चाय देने वाले वाले या पंचर की दुकान पर बैठे छोटू नाम के उस लड़के को देखकर आपके मन में भी कई बार प्रश्न उठा होगा कि कहाँ से आया छोटू क्यों वह अपने बचपन को साइकिल या चाय की दुकान पर बेच रहा है। भारत के हर शहर में ऐसे लाखों छोटू मिलेंगे और ये सब बाल श्रम की मजबूरी की कहानी का हिस्सा हैं। यह बच्चे परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर बचपन से मजदूरी करने लगते हैं जिसमें इनका बुरी तरह से शोषण किया जाता है। कलम पकड़ने वाले हाथ  जब पंचर बनाने वाले औजार या झाड़ू लगाने और भीख मांगने वाले हाथों में बदल जाते हैं तब कहा गया है।

‘फ़रिश्ते आ कर के जिस्म पर खुश्बू लगाते हैं, वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं’।

मुन्नवर राणा का यह शेर बाल मजदूरी की पूरी कहानी बयान कर  रहा है। बाल मजदूरी मतलब बच्चों से काम कराने के बदले उन्हें कुछ रुपये मजदूरी के तौर पर उनकी आजीविका चलाने के लिए दिए जाना है। दुनिया के कई देशों में बाल श्रम प्रतिबंधित है लेकिन इसके बाबजूद भारत समेत दुनिया के कई देशों में यह आज भी सामाजिक अभिशाप बना हुआ है।  आज हम बाल श्रमिकों के बारे में यहाँ बताएंगे कि ये कौन हैं क्यों ये बचपन से मजदूरी करते हैं, सरकार इनके लिए क्या कर रही है?

Table of Contents

  • बाल मजदूरी क्या है What Is Child labour in Hindi
  • बाल श्रम के कारण (causes of child labour in hindi)
  • बाल मजदूरी के दुष्परिणाम
  • बाल श्रम को रोकने के उपाय
  • बाल श्रम कानून क्या है What is Child labour law In Hindi
  • निष्कर्ष

बाल मजदूरी क्या है What Is Child labour in Hindi

साधारण शब्दों में कहा जाए तो बच्चों से पैसों के बदले कोई व्यवसायिक काम कराना बाल श्रम है। भारत में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार की मजदूरी या व्यवसायी कार्य में लगाना बाल मजदूरी या बाल श्रम के अंतर्गत आता है। भारतीय कानून में बाल मजदूरी कराना कानूनी अपराध है। दुनिया भर में बाल श्रम के लिए अलग अलग उम्र सीमा तय हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ 18 वर्ष से कम आयु के श्रमिकों को बाल श्रमिक मानता है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O) ने बाल श्रमिक 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को माना है। अमेरिका ने 12, इंग्लैंड और अन्य यूरोपीय देशों ने 13 वर्ष से कम आयु के बच्चों को बाल श्रमिक माना गया है। दुनिया भर में बाल श्रम ऐसी समाजिक समस्या बन चुकी है जो बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को बाधित करती है।

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बाल श्रम के कारण (causes of child labour in hindi)

बाल मजदूरी जैसी समस्या के लिए कई सामाजिक,राजनैतिक कारण उत्तरदायी हैं। इसके प्रमुख कारणों के बारे में हम बात करेंगे।

बच्चों का अनाथ होना– जिन बच्चों के माता-पिता जीवित नहीं होते ऐसे बच्चे मजबूरी में बचपन से ही काम करने लगते हैं। यह बाल श्रम का प्रमुख कारण है। इसके साथ ही जिन बच्चों के माता-पिता शिक्षित नहीं हैं वह बच्चे भी बाल मजदूरी करने लगते हैं ।

आर्थिक स्थिति– ऐसे परिवारों के बच्चे सबसे अधिक बाल मजदूरी करते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, ऐसे में जीवन की गुजर बसर के लिए कम उम्र में ही बच्चों को कमाने के लिए भेज दिया जाता है।

जनसंख्या वृद्धि -बालश्रम का मुख्य कारण जनसंख्या का लगातार बढ़ना है, बढ़ती जनसंख्या से गरीबी और अशिक्षा जैसी समस्याएं  अपने पांव पसार रही हैं। इसी वजह से बल श्रम भी बढ़ रहा है।

सस्ता श्रम और व्यापारियों का लालच– बाल मजदूरी के लिए छोटे दुकानदार पैसे बचाने के लिए छोटे बच्चों को मजदूरी के लिए रख लेते हैं, वयस्क की तुलना में उन्हें कम मजदूरी देनी पड़ती है। छोटे दुकानदार ऐसे बच्चों को काम और भी रख लेते हैं जिससे इस बालश्रम को बढ़ावा मिलता है।

कानून का पालन ना होना– दुनियाभर में बालमजदूरी के लिए कई सारे कानून बने हैं बाबजूद इसके हर जगह बच्चे दुकानों, स्टेशन, उद्योगों में काम करते दिखाई देते हैं। मतलब साफ है कि बालश्रम के खिलाफ बने कानूनों का सही से पालन नहीं हो रहा है।

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बाल मजदूरी के दुष्परिणाम

बचपन किसी भी व्यक्ति के जीवन का स्वर्णिम अध्याय होता है बाल श्रम इस अध्याय को अपनी लपटों से झुलसा देता है। बच्चों का बचपन बाल मजदूरी करने में नष्ट हो जाता है।इसी तरह के कई दुष्प्रभाव बच्चों के मजदूरी करने से उत्पन्न होते हैं।

शारिरिक शोषण– बाल मजदूरों को उनके मालिक शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित करते हैं, उन्हें मारते पीटते हैं। कई बार ऐसी प्रताड़नाओं से बच्चों की मौत भी हो जाती है।

कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याओं का जन्म बाल मजदूरी के कारण बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि मजदूरी कर रहे बच्चे को शरीर के हिसाब से पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। इसके साथ ही तंबाकू, कांच या इस  तरह के उद्योग में काम करने वाले बच्चों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।

अशिक्षा का बढ़ना बच्चों का भविष्य सीमित हो जाता है क्योंकि शुरू से मजदूरी करने के कारण बच्चे आगे नहीं बढ़ पाते हैं, वह शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

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बाल श्रम को रोकने के उपाय

बाल श्रम एक सामाजिक समस्या है इसे हम सब मिलकर ही सुलझा सकते हैं इसके लिए विभिन्न उपाय कारगर हैं

शिक्षा व्यवस्था शिक्षा का प्रचार ऐसा हो जिसमें गरीब बच्चे भी शिक्षा ले सकें, बच्चे पढ़ेंगे लिखेंगे तो यह सामाजिक समस्या धीरे धीरे जड़ से खत्म हो जाएगी।

जागरूकता – बाल श्रम कराने वाले दुकानदार और मालिकों की शिकायत करें, ऐसे लोगों से सामान न खरीदें, सामाजिक रूप से अभियान चला कर बाल श्रम के प्रति लोगों को जागरूक करके इस समस्या से निजात मिल सकती है।

गरीबी और बेरोजगारी को कम करके– गरीबी के कारण ही बच्चे इस दलदल में कदम रखते हैं, यदि गरीबी की समस्या हल हो जाये तो बाल श्रम की समस्या भी काफी हद तक कम हो जाएगी।

कानून द्वारा– बाल मजदूरी के लिए बनाए गए कानूनों का कड़े ढंग से पालन कराने और बाल मजदूरी कराने वालों को कड़ी सजा देकर ऐसे अपराधों को कम किया जा सकता है।

बाल श्रम कानून क्या है What is Child labour law In Hindi

भारत सहित दुनिया भर में बाल श्रम के लिए अलग अलग प्रकार के कानून हैं जिनका पालन सही ढंग से हो तो बाल श्रम की समस्या कम हो जाये। हम यहाँ भारत के बाल श्रम कानून के विषय में बात कर रहे हैं। भारत के संविधान में बाल मजदूरी को रोकने के लिए कई प्रावधानों पर बात की गई है।

  • इसके 15 वें अनुच्छेद में बच्चों के लिए अलग से अधिकार बनाने की बात भी की गई है। इसी तरह कई अन्य कानून भी बाल अधिकारों की बात करते हैं। इन्हीं में से एक है बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986
  • बाल श्रम निषेध नाम से 1986 में पारित हुए कानून को बाल श्रम कानून कहा जाता है। इसके अंतर्गत भारत में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम कराना दंडनीय अपराध है। इसमें 50 हजार रुपये तक का जुर्माना और दो साल की कैद का प्रावधान भी शामिल है।
  • 1986 के इस अधिनियम को 2016 में सरकार ने संशोधित कर दिया। अब बच्चों को परिवारिक व्यवसाय में सहायता करने की छूट दी गयी गयी है। फिल्म और नाटक में काम करने वाले बच्चों को भी इसके दायरे से बहार रखा गया है।
  • बच्चों को खनन, ज्वलनशील पदार्थ, ख़तरनाक प्रक्रिया वाले कामों को करने की इजाजत नहीं दी गयी है।
  • फ़िल्म और नाटक में भी 5 घण्टे से ज्यादा काम करने में प्रतिबन्ध है

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको बाल मजूरी के बारे मे विस्तार में बताया और उम्मीद करते है की आपको इसके बारे में अच्छी जानकारी मिली होगी। अगर यह आर्टिकल (What Child labour in Hindi)आपको अच्छा लगा होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने दोस्तों और सॉइल मीडिया में शेयर करे और इस के बारे में किसी तरह के सलाह और सवाल के लिए कँनेट करे हमारी टीम आपके सभी सवालों का जवाब देगी। आपका कमेंट हमारे आगे आने वाले आर्टिकल को और अधिक बेहतर बनाने में मदद करेगा।

बाल श्रम के क्या कारण होते हैं?

बाल मजदूरी और शोषण के अनेक कारण हैं जिनमें गरीबी, सामाजिक मापदंड, वयस्‍कों तथा किशोरों के लिए अच्‍छे कार्य करने के अवसरों की कमी, प्रवास और इमरजेंसी शामिल हैं। ये सब वज़हें सिर्फ कारण नहीं बल्कि भेदभाव से पैदा होने वाली सामाजिक असमानताओं के परिणाम हैं। बच्‍चों का काम स्‍कूल जाना है न कि मजदूरी करना।

3 बाल श्रमिक की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?

बाल श्रमिकों की समस्याएँ वे बुरी तरह अपंग हो जाते हैं, वे अच्छे रोजगार प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, वे अधिक वेतन तथा अधिक दक्षता प्राप्त नहीं कर पाते और इस प्रकार सामाजिक प्रगति की किसी भी आशा का गला घोंट दिया जाता है। 'बच्चे काम के मोर्चे पर' शीर्षक के अंतर्गत आई. एल. ओ.

4 बाल श्रमिक से आप क्या समझते हैं?

बाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक घटना है। भारतीय संविधान के अनुसार किसी उद्योग, कल-कारखाने या किसी कंपनी में मानसिक या शारीरिक श्रम करने वाले 5 - 14 वर्ष उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है।

बाल श्रम को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

कहा कि बाल श्रम रोकना केवल श्रम विभाग का ही कार्य नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज का दायित्व भी है। इसे सिर्फ जनजागरण और जागरूकता के जरिए ही रोका जा सकता है। उन्होंने इसके लिए स्कूली बच्चों के, श्रम विभाग, समाज कल्याण विभाग सहित इस कार्य में लगे एनजीओ को रैलियों और गोष्ठियों के जरिए जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।