आज के लेख में हम लोग लघु एवं कुटीर उद्योग के बारे में अध्ययन करेंगे। हम लोग जानेंगे कि उद्योग किसे कहते हैं? उद्योग किसे कहते हैं? लघु एवं कुटीर उद्योग क्या है? लघु एवं कुटीर उद्योग के महत्व एवं विशेषताएं कौन-कौन से हैं।
उद्योग किसे कहते हैं?
किसी वस्तु का बड़े पैमाने पर निर्माण करने की प्रक्रिया को उद्योग कहते हैं।
उद्योग कितने प्रकार के होते हैं?
उद्योग को को तीन भागों में बांटा गया है:-
1. कुटीर उद्योग
2. लघु उद्योग
3. वृहत उद्योग
लघु एवं कुटीर उद्योग क्या है? (For CTET, REET, UPTET, MPTET, HTET & Other State TET Exams)
कुटीर उद्योग किसे कहते हैं?
वैसा उद्योग जिस का संचालन एक स्वतंत्र कारीगर द्वारा उसकी व्यक्तिगत पूंजी से बहुत छोटे से पैमाने पर किया जाता हो उसे कुटीर उद्योग कहते हैं।
- कुटीर उद्योग में अगरबत्ती निर्माण, मिट्टी के बर्तन बनाना, मसाला बनाना, फर्नीचर बनाना, नमकीन बनाना इत्यादि जैसे सामानों का उत्पादन किया जाता है।
- इस उद्योग में कुशल कारीगर अपने हाथों से वस्तुओं का निर्माण करता है।
- कुटीर उद्योग के घर पर चलाए जाने वाला उद्योग है।
- इस उद्योग में कारीगर खुद का मेहनत करते हैं। कुटीर उद्योग में मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- कुटीर उद्योग में एक व्यक्ति या घर के अन्य व्यक्ति मिलकर वस्तुओं का निर्माण करते हैं।
लघु उद्योग किसे कहते हैं?
वैसा उद्योग जिसमें विनिर्माण, उत्पादन एवं सेवाएं छोटे पैमाने पर किया जाता है उसे लघु उद्योग कहते हैं।
- लघु उद्योग के निर्माण करने की लागत एक करोड़ से अधिक नहीं होती है।
- इस उद्योग में अगरबत्ती बनाना, मोमबत्ती बनाना, साबुन तेल का निर्माण, कपड़े का निर्माण इत्यादि किया जाता है।
- लघु उद्योग में व्यक्ति के साथ-साथ मशीनों का भी उपयोग किया जाता है।
- Laghu उद्योग कुटीर उद्योग के तुलना में थोड़ा सा बड़ा उद्योग होता है।
लघु एवं कुटीर उद्योग के महत्व एवं विशेषताएं
- लघु एवं कुटीर उद्योग से लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
- इससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होती है।
- इस प्रकार के उद्योग से लोग आत्मनिर्भर बनते हैं।
- अत्यधिक वस्तुओं के निर्माण होने से देश आत्मनिर्भर बनता है।
- लघु एवं कुटीर उद्योग से निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है।
- लघु एवं कुटीर उद्योग से बेरोजगारी जैसी समस्याएं लगभग खत्म हो जाती है।
आज के लेख में हमलोगों ने लघु एवं कुटीर उद्योग के बारे में अध्ययन किया। हमलोगों ने जाना कि उद्योग किसे कहते हैं? उद्योग किसे कहते हैं? लघु एवं कुटीर उद्योग क्या है? लघु एवं कुटीर उद्योग के महत्व एवं विशेषताएं कौन-कौन से हैं।
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विषयसूची
भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु एवं कुटीर उद्योगों का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंभारत में लघु उद्योगों का योगदान कुल राष्ट्रीय उत्पादन में 10%, कुल औद्योगिक उत्पादन में 39%, रोजगार में 32% व देश के निर्यात में 35% है। लघु उद्योगों के महत्त्व के कारण ही इन्हें औद्योगिक नीतियों में मुख्य स्थान दिया गया है। लघु उद्योगों के लिए 590 वस्तुओं का उत्पादन सुरक्षित है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु और कुटीर उद्योगों का क्या महत्व है उनके कार्यों में सुधार के उपाय सुझाएं?
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कुटीर तथा लघु उद्योग से क्या अभिप्राय है भारत के आर्थिक विकास में इन उघोगो के महत्व की व्याख्या कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय आर्थिक विकास में लघु एवं कुटीर पैमाने के उद्योगों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लघु उद्योगों में आघुनिक ढंग से उत्पादन कार्य होता है। सवेतन श्रमिकों की प्रधानता रहती है तथा पूंजी निवेश भी होता है। कतिपय कुटीर उद्योग ऐसे भी है, जो उत्कृष्ट कलात्मकता के कारण निर्यात भी करते है।
कुटीर एवं लघु उद्योग क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकुटीर उद्योग सामूहिक रूप से उन उद्योगों को कहते हैं जिनमें उत्पाद एवं सेवाओं का सृजन अपने घर में ही किया जाता है न कि किसी कारखाने में। कुटीर उद्योगों में कुशल कारीगरों द्वारा कम पूंजी एवं अधिक कुशलता से अपने हाथों के माध्यम से अपने घरों में वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
उद्योग एवं लघु कुटीर उद्योगों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है विस्तार से लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंआय त पर कम वनर्थरत :- बड़े उधयोग स्थागपत करने के गलए ,मशीनों ,कच्चे माल के गलए गवदेशों पर गनभिर रहना पड़ता है। कुटीर एवं लघु उद्योग घरेलू उपलब्धता के आधार पर ही कम करते है । इस प्रकार इन उद्योगों में आयात पर गनभिरता कम रहती है। स्थानीय प्रगतभा तथा स्थानीय साधनों का उगचत उपयोग हो जाता है।
भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों की समस्या क्या है?
इसे सुनेंरोकेंजबकि लघु एवं कुटीर उद्योग का तकनीकी परंपरावादी होता है। इस पर इसका परिणाम यह होता है कि प्रति इकाई लागत वृहत उद्योग का कम हो जाता है क्योंकि उसकी उत्पादन क्षमता अधिक होती है जबकि उसके तुलना में लघु उद्योग की उत्पादन क्षमता कम होती है लघु उद्योग का उत्पादन वृहत उद्योग के सामने पीछे रह जाता है।
किसी राष्ट्र के विकास को मापने के लिए कौन से आर्थिक सूचक काम में लिए जाते हैं?
इसे सुनेंरोकेंआर. जी लिप्से का मानना है कि देश के विकास की मात्रा को मापने के अनेक सम्भव उपाय हैं, जैसे प्रति व्यक्ति आय, अप्रयुक्त साधनों की प्रतिशतता, प्रति व्यक्ति पूंजी, प्रति व्यक्ति बचत और सामाजिक पूंजी की राशि ।
कुटीर उद्योग बेरोजगारी दूर करने में सहायक है कैसे?
इसे सुनेंरोकेंरोजगार की प्राप्ति:- कुटीर उद्योग रोजगार के अवसर प्रदान करके बेरोजगारी की समस्या को हल करने में सहायक होते हैं। 3. देश का संतुलित विकास:- जिन क्षेत्रों में बड़े उद्योग धंधे स्थापित नहीं किए जा सकते। तो उन क्षेत्र में कम पूँजी के द्वारा कुटीर उद्योगों का विकास करके देश का विकास किया जा सकता है।