भारत संसाधन एवं उपयोग क्लास 10th - bhaarat sansaadhan evan upayog klaas 10th

दोस्तों  मैट्रिक परीक्षा 2023 का तैयारी करना चाहते है तो यहाँ पर (Social Science) सामाजिक विज्ञान का क्वेश्चन आंसर दिया गया है जिसमें भूगोल (Geography) का भारत संसाधन एवं उपयोग का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर ( Bharat Sansadhan Evam Upyog Subjective Question Answer ) दिया गया है तथा सामाजिक विज्ञान का मॉडल पेपर ( Social Science Model Paper 2023 ) भी दिया गया है और आपको सोशल साइंस का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर भारत संसाधन एवं उपयोग ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर ( Bharat Sansadhan Evam Upyog Objective Question Answer) आपको इस वेबसाइट पर आसानी से मिल जाएगा।

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1. संसाधन के विकास में ‘सतत विकास’ की अवधारणा की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर ⇒ प्रकृति ने मानव को उपहार में संसाधन भेंट किया है जिसका मानव अंधा-धुन्ध उपयोग करना प्रारंभ कर दिया जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण समस्या उत्पन्न हो गया है। आधुनिक युग में संसाधन का केन्द्रीकरण हो गया जिसके परिणामस्वरूप मानव दो भागों में विभाजित हो गया प्रथम उच्च वर्ग जिसके पास संसाधनों की कमी नहीं है और द्वितीय निम्नवर्ग जिसके पास किसी भी तरह के संसाधन नहीं है। उच्च वर्ग जिसके पास संसाधन अत्यधिक है वे संसाधन का उपयोग इतना अधिक करते हैं कि अनेक तरह की समस्या उत्पन्न हो रहे हैं। जैसे- भूमंडलीय तापन, ओजोन क्षय, जल, मृदा और वायु प्रदुषण आदि । उपर्युक्त परिस्थितियों को दूर करने के लिए आवश्यकता इस बात की है कि संसाधन का विकास एक समान हो उसका उपयोग उतना अधिक न करें . कि पर्यावरण असंतुलित हो या उतना कम भी न करें कि आर्थिक विकास रूक जाए।

2. स्वामित्व के आधार पर संसाधन के विविध स्वरूपों का वर्णन कीजिए ।

उत्तर ⇒ स्वामित्व के आधार पर संसाधन के चार प्रकार होते हैं –

(i). व्यक्तिगत संसाधन- ऐसे संसाधन किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होता है। जिसके बदले में वह व्यक्ति सरकार को लगान भी चुकाते हैं, जैसे खेती की जमीन, घर, बाग-बगीचा, तालाब आदि ऐसे संसाधन हैं जिसपर व्यक्ति निजी स्वामित्व रखता है।

(ii) सामुदायिक संसाधन- ऐसे संसाधन किसी खास समुदाय के अधीन है होता है जिसका लाभ विशेष समुदाय के लोगों के लिए सुलभ होता है, जैसे चरागाह, श्मशान घाट, मंदिर, मस्जिद, सामुदायिक भवन, तालाब आदि।

(iii) राष्ट्रीय संसाधन- कानूनी तौर पर देश या राष्ट्र के अंतर्गत सभी उपलब्ध. संसाधन राष्ट्रीय हैं। सरकार को यह वैधानिक हक है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों का अधिग्रहण आम जनता के हित में कर सकती है। सरकार को अधिग्रहित संसाधन का मुआवजा देना पड़ता है।

(iv) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन- ऐसे संसाधनों का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्था करती है। तट रेखा से 200 किमी० की दूरी को छोड़कर खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का आधिपत्य नहीं होता है। ऐसे संसाधनों का उपयोग सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति से किसी राष्ट्र द्वारा किया जा सकता है।

3. संसाधन नियोजन की क्या आवश्यकता है ?

उत्तर ⇒ संसाधन नियोजन की आवश्यकता निम्न हैं-
(i).अधिकतर संसाधनों की आपूर्ति सीमित होती है।
(ii). अधिकतर संसाधनों का वितरण देश भर में असमान होता है।
(iii). संसाधनों का अत्यधिक विदोहन पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा देता है।
(iv).संसाधनों का न्युन उपयोग देश की अर्थव्यवस्था को अविकसित करता है।
(v).मानवीय संसाधनों को नियोजित करने की आवश्यकता है क्योंकि तभी हमारे प्राकृतिक संसाधन विकसित हो

भारत : संसाधन एवं उपयोग लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर

4. संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखें ।

उत्तर ⇒ किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास में संसाधन का महत्वपूर्ण स्थान रहता है। संसाधन का उपयोग जितना अधिक होगा देश का विकास उतना ही तीव्र गति से बढ़ेगा, किन्तु जब संसाधन का उपयोग अधिक करेंगे तो हमारा पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा। इसलिए संसाधन का उपयोग तो करें लेकिन पर्यावरण को देखते हुए और भविष्य में भी कुछ बचे रहे यही सोचकर उपयोग करें।

5. संसाधन निर्माण में तकनीक की क्या भूमिका है, स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒  यदि वैज्ञानिक और तकनीक का विकास नहीं हो पाता तो हम संसाधन का उपयोग नहीं कर पाते जैसे कृषि क्षेत्र में यदि तकनीक का विकास नहीं हो पाता तो इतनी अनाज की पैदावार नहीं हो पाता और मानव भूख से मर जाते। इसी तरह सभी क्षेत्रों में तकनीक के आधार पर ही किसी सामान्य धातु या अधातु से उत्तम प्रकार की वस्तुओं का निर्माण हो पाता है।


भारत संसाधन एवं उपयोग के (क). प्राकृतिक संसाधन Subjective Question Answer

1. जलोढ़ मृदा के विस्तार वाले राज्यों के नाम बतायें। इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें लगायी जा सकती हैं ?

उत्तर ⇒ जलोढ़ मृदा उत्तर भारत के मैदानी भागों में पूर्णतः फैली हुई है। इसके अतिरिक्त राजस्थान, गुजरात में भी संकरी भागों में यह मृदा पायी जाती है। इस मृदा में गन्ना, चावल, गेंहूँ, मक्का तथा दलहन जैसी फसलें उगाई जाती है।

2. समोच्च कृषि से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान पर जो कृषि योग्य भूमि रहता है उसका जुताई कर उसपर फसल पैदावार करने कि प्रक्रिया को समोच्च कृषि कहा जाता है।

3. पवन अपरदन करने वाले क्षेत्रों में कृषि की कौन सी पद्धति उपयोगी मानी जाती हैं ?

उत्तर ⇒ पवन अपरदन करने वाले क्षेत्रों में पट्टिका कृषि कर फसल उगाया जा सकता है ।

4.. भारत के किन भागों में नदी डेल्टा का विकास हुआ है ? यहाँ की मृदा की क्या विशेषता है।

उत्तर ⇒  पूर्वी तटीय मैदान स्थित महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों द्वारा डेल्टा का निर्माण हुआ है। इस मृदा में पोटाश, फास्फोरस और चूना जैसे तत्वों की प्रधानता रहती है जिसके परिणामस्वरूप गन्ना, चावल, गेहूँ, मक्का, दलहन जैसी फसलों के लिए उपयक्त मानी जाती हैं।

5. फसल चक्रण मृदा संरक्षण में किस प्रकार सहायक है ?

उत्तर ⇒  गेंहूँ, कपास, मक्का, आलू आदि के लगातार उगाने से मृदा में हास उत्पन्न होता है। इसे तिलहन-दलहन पौधे की खेती द्वारा पूनः प्राप्त किया जा सकता है। इससे नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है।

class 10th geography subjective question paper 2023

1. जलाक्रांतता कैसे उपस्थिति होता है? मृदा अपरदन में इसकी क्या भूमिका है ?

उत्तर ⇒  जब अधिक वर्षा होता है तब जल अपने ढलान के द्वारा निचली भूमि पर पहुंचती है जिसे जलाक्रांतता कहा जाता है। मिट्टी का अपरदन मुख्यतः जल से होता है। इसके अनेक रूप निम्नलिखित हैं-

(i). परतदार क्षरण :जब कम ढाल पर तेज वर्षा होती है तब वर्षा जल मिट्टी के उर्वर परत और वनस्पतियाँ को बहा कर ले जाती है।

(ii). खुरदरा क्षरण :परतदार क्षरण के बाद बची मिट्टी का उपरी भाग मलायम या कमजोर हो जाता है। तथा इसके बाद जो वर्षा होती है तो वहाँ के मिट्टी को आसानी से बहा कर दूसरे जगह ले जाती है।।

(iii). अवनलिका क्षरण :जब बहुत तेज वर्षा होती है तब मिट्टी पर नालीदार कटाव शुरू होता है और उसी नाली से मिट्टी का उर्वरा तथा जल दूसरे जगह बह कर चली जाती है तत्पश्चात मिट्टी बंजर बन जाती है। चंबल की घाटी इसी प्रकार बने हैं।

(iv). अवमूल्यन : लंबे समय तक खेत को परती छोड़ देने के बाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति जल के साथ बह जाती है और खेत में फसल पैदावार की क्षमता शून्य हो जाता है।

(v). सागर तटों पर कटाव :समुद्री लहरों और ज्वार भाटा के समय तटीय भूमि के साथ नदीमुखों के पास दूर-दूर तक नदिघाटियों में मिट्टी कटती रहती है। उपर्युक्त कारणों से मिट्टी का अपरदन होता रहता है जिसके परिणामस्वरूप जमीन की उर्वराशक्ति कम हो जाती है और वह बंजर हो जाता है।

2. मृदा संरक्षण पर एक निबंध लिखिए।

उत्तर ⇒  मिट्टी के कटाव तथा मिट्टी के उर्वरता कमी को रोकने की प्रक्रिया को मृदा संरक्षण कहा जाता है। भारत सरकार ने 1953 में केंद्रीय संरक्षण बोर्ड का गठन किया। जिसका उद्देश्य पूरे देश में मृदा संरक्षण की योजनाएँ बनाना है। मृदा संरक्षण कि कुछ योजनाएँ तैयार किये गए हैं जो निम्नलिखित हैं –

(i). भूमि के उपयोग और भूमि की उत्पादन शक्ति का समुचित बंटवारा करना।
(ii).मिट्टी के तत्वों जैसे नाइट्रोजन, पेट्रोलियम, कैल्श्यिम, फॉस्फोरस आदि की कमी को रासायनिक उर्वरक डाल कर नियंत्रण में लाना।
(iii).फसल चक्र अपनाना जिससे मिट्टी का एक ही तत्व बार-बार शोषण नहीं होती। फसल चक्र से मिट्टी में जैव पदार्थ और नाइट्रोजन की आपूर्ति होती रहती है।
(iv).भूमि को परती छोड़ना हो तो उसमें आवरण फसलें लगाई जाएँ ताकि मिट्टी को जैव पदार्थ की प्राप्ति हो सके।
(v).खेत से जल निकासी का समुचित प्रबंध करना।
(vi).मरूस्थलीय क्षेत्रों में सुचारू रूप से सिंचाई की व्यवस्था करना।
(vii).सूर्य की तेज रोशनी और भारी वर्षा से मिट्टी की रक्षा करने के लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाना। उपर्युक्त कुछ तरीके हैं जिसके परिणामस्वरूप हम मृदा संरक्षण कर सकते हैं।

Bharat Sansadhan Evam Upyog Subjective question answer 2023

3. भारत में अत्यधिक पशुधन होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान लगभग नगण्य है। स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ इसका कारण है कि देश में कृषि क्षेत्र बढ़ाने के चलते चारागाहों की कमी हो गई है। पहले सवारी के लिए लोग जानवरों का उपयोग करते थे किन्तु आज मोटर गाड़ी इसका स्थान ले लिया है। पहले कृषि कार्य में हल चलाने के लिए बैल का प्रयोग होता था किन्तु आज उसका स्थान ट्रेक्टर ले लिया है। यही कारण है कि आज लोग बैल नहीं पालते हैं। आज केवल गाय और भैंस को पशुधन माना जाता है। यदि गाय बाछा देती है या भैंस पाड़ा देती है तो उसका पालना लोग बोझ के समान समझता है। मात्र छोटे किसान ही बैल या भैंसा को पालता है। अतः हम कह सकते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का योगदान नगण्य है, किन्तु समाप्त नहीं है।

4. भूमि द्वार को रोकने के लिए पाँच प्रमुख सुझाव दें।

उत्तर ⇒  भूमि क्षेत्र में ह्रास के कई कारण हैं, जिसे रोकने के लिए पाँच प्रमुख उपाय हैं –

(i). पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर खेती करना।
(ii).मरूस्थल के सीमावर्ती क्षेत्र में झाड़ियों को लगाना।
(iii). पशुचाल एवं वन कटाव पर प्रतिबंध लगाना।
(iv).काटे गए वन के स्थान पर पुर्नःवनीकरण करना।
(v). मैदानी क्षेत्रों में बेकार पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण करना।

5. काली मृदा की कोई चार विशेषताएँ लिखें।

उत्तर ⇒ 
(i).काली मृदा का निर्माण अत्यंत महीन मृत्रिका से होता है।
(ii).यह मदा कैल्श्यिम कार्बोनेट, मैंगनीशियम, पोटाश तथा चूने जैसे पौष्टिक तत्वों से परिपूर्ण होती है।
(iii).इसमें फास्फोरस की मात्रा कम होती है।
(iv).इसमें अधिक समय तक नमी धारण करने की क्षमता होती है।
(v).शुष्क मौसम में इस मृदा में गहरी दरारें पड़ जाती हैं, जिससे इनमें अच्छी तरह वायु मिश्रण हो जाता है।
(vi).गीली होने पर यह मृदा चिपचिपि हो जाती है और इसको जोतना मुश्किल हो जाता है। इसलिए इसकी जुताई मानसून प्रारंभ होने की पहली बौछार से ही शुरू कर दी जाती है।
(vii). इसे काली कपासी मृदा कहते हैं तथा रेगुर भी कहते हैं।
(viii).इसमें कपास एवं गन्ना की खेती की जाती है।


भारत संसाधन एवं उपयोग के (ख). जल संसाधन Subjective Question Answer

1. बहुउद्देशीय परियोजना से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ एक ही परियोजना को पूर्ण कर उससे अनेक उद्देश्यों की पूर्ति किया जाए तो उसे बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता है। जैसे- बाढ़ नियंत्रण, मृदा अपरदन पर रोक, पेय जल तथा सिंचाई के लिए जल की आपूर्ति आदि किसी एक योजना से प्राप्त हो।

2. जल संसाधन के क्या उपयोग हैं ? लिखें ।

उत्तर ⇒जल संसाधन के अनेक उपयोग हैं। जैसे- पीने के लिए, शौच के लिए, नहरों के लिए, भोजन पकाने के लिए, कपड़ा धोने के लिए, सिंचाई के लिए आदि। भोजन के बिना लोग एक हफता जीवित रह सकता है किन्तु पानी के बिना एक से दो दिन। इसलिए कहा गया है कि जल ही जीवन है।

3. अन्तर्राज्यीय जल विवाद के क्या कारण है ?

उत्तर ⇒जब अन्तर्राज्यीय में नदी के द्वारा जल पहुँचता है तो वह चाहता है कि इस नदी पर बाँध बनाकर बहुउद्देशीय लाभ प्राप्त किया जाय किन्तु वही नदी का जल अन्य राज्यों में जाता है इसे भूला दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप जल के लिए आपस में मतभेद हो जाता है।

4. जल संकट क्या है ?

उत्तर ⇒ जितना हमें जल की आवश्यकता है यदि उतना जल हमे प्राप्त नहीं होता है तो इसे जल संकट कहा जाता है। आधुनिक युग में सभी जगह जल संकट उत्पन्न हो गया है। चाहे वो दिल्ली, मुंबई जैसे महानगर या ग्रामीण क्षेत्रों में जब वर्षा नहीं हो पाती तब हैण्ड पम्प से पानी नहीं निकलता, कम गहरा कुंआ, नदी, नाला आदि सूख जाता है।

कक्षा 10 भारत : संसाधन एवं उपयोग का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर

5. भारत की नदियों के प्रदूषण का वर्णन करें।

उत्तर ⇒भारत की नदियों का प्रदूषण आम बात हो गई है। महानगरों में कल कारखाना का अपशिष्ट पदार्थ नदी में पहंचता है, यहाँ तक कि मल-मूत्र भी नदियाँ में ही गिरा दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा के समय रासायनिक उर्वरक खेत से नदी में पहुंचता है। इस तरह यहाँ की नदियाँ प्रदूषण का शिकार हो रही है।

6. वर्षा जलसंग्रहण क्या है? किन्हीं दो राज्यों का नाम बताएँ जहाँ जल संरक्षण के लिए इसका प्रयोग होता है।

उत्तर ⇒यह वर्षा के जल को कुओं, बंधिकाओं, तथा धीरे-धीरे रिसने वाले गढ्ढों में एकत्र करके भूमिगत जल में वृद्धि करने की तकनीक है। राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु में इनका प्रयोग किया जाता है।

7. जल दुर्लभता क्या है ? जल दुर्लभता के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒माँग की तुलना में जल की कमी को जल दुर्लभता कहा जाता है। उत्तरदायी कारक –

(i).अति शोषण
(ii).अनुचित प्रबंधन
(iii).औद्योगिकरण तथा शहरीकरण
(iv).समाज के विभिन्न वर्गों में जल का असमान वितरण

1. जल संरक्षण से क्या समझते हैं? जल संरक्षण के उपाय बतायें। –

उत्तर ⇒ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर भविष्य के लिए भी जल को शुद्ध रूप में रखने कि प्रक्रिया को जल संरक्षण कहलाता है।

जल संरक्षण के उपाय निम्नलिखित हैं –
(i). भूमिगत जल की पुनर्पूर्ति : इसके अर्न्तगत ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाए, रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बंद कर जैविक तथा कम्पोस्ट का प्रयोग, गाँवों में अधिक गहरी कुआं खोदवाना, शहरी क्षेत्रों में छतों पर वर्षा जल को संग्रहित कर नल के द्वारा उस जल को जमीन के अन्दर भेजना आदि आता है।

(ii). जल संरक्षण का प्रबंध : किसी ऐसा स्थान जहाँ जल एकत्र हो रहा हो या वहाँ से प्रवाहित हो रहा हो, उस जल से कृषि कार्य, वानिकी, आदि उपयोग में लाया जाए तो इसे जल संरक्षण कहा जाता है।

(iii). तकनीकी विकास : एक ऐसा उपकरण का विकास जिससे जल की खपत कम हो तथा लाभ अधिक हो, जैसे- ड्रिप सिंचाई, लिफ्ट सिंचाई आदि। इन प्रक्रियाओं को अपनाने से जल का अभाव कम महसूस होगा।

(iv). वर्षा जल का संग्रहण तथा उसका पुनः चक्रणः  वर्षा का जल का उपयोग हम कई प्रकारों से कर सकते हैं। जैसे खेतों को सिंचाई करने, जानवरों को धोने, कपड़े धोने आदि शहरों में भी छत पर वर्षा जल को संग्रहण कर नल के द्वारा भूमि में उसे भेजना तब भौम जल का स्तर ऊपर आ जाएगा।

भारत : संसाधन एवं उपयोग ka Subjective question answer class 10 2023

2. वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है ? इसकी संग्रहण व पुनः चक्रण की विधियों का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒मानव जीवन में जल का महत्वपूर्ण योगदान है और जल में वर्षा जल का स्थान प्रथम आता है। भूमि के अन्दर से या पहाड़ पर से जो बर्फ नीचे आता है उसकी पूर्ति भी वर्षा के द्वारा ही होता है। वर्षा जल का संग्रहण तथा पुनः चक्रण : प्राचीन भारत से ही वर्षा जल का संग्रह का कार्य चल रहा है। किन्तु आधुनिक युग में लोग इस ओर विशेष ध्यान नहीं दे पा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप जल संकट उत्पन्न हो रही है। प्राचीन काल में लोग गुल या कूल से अपनी कृषि काय तथा अन्य प्रकार के जलापूर्ति किया करते थे। आज भा राजस्थान में लोग छत पर वर्षा के पानी का संग्रहन कर अपने उपयोग में लाते हैं। जहाँ-जहाँ अर्द्धशुष्क राज्य हैं वहाँ वहाँ वर्षा के पानी को छत पर गड्ढा खोदकर सुरक्षित रखा जाता है। और अपनी आवश्यकता को पुरा करता है। इस तरह वर्षा जल का अपना अलग महत्व है।

3. बहुद्देशीय परियोजनाएँ जलीय जीवों को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ? समझाएँ।

उत्तर ⇒पिछले कुछ वर्षों में बहुद्देशीय परियोजनाएँ और बड़े बाँध कई कारणों से पुनः निरीक्षण और विरोध के विषम बन गए

(i).नदियों पर बाँध बनाने और उनका बहाव नियंत्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव अवरूद्ध हो जाता है, जिसके कारण तलछट बहाव कम हो जाता है और अत्यधिक तलछट जलाशय की तली में जमा होता रहता है, जिससे नदी का तल अधिक चट्टानी हो जाता है और नदी जलीय जीव-आवासों में भोजन की कमी हो जाती है।

(ii).बाँध नदियों को टुकड़ों में बाँट देते हैं जिससे विशेषकर अण्डे देने की ऋतु में जलीय जीवों का नदियों में स्थानांतरण अवरूद्ध हो जाता है।

(iii).बाढ़ के मैदान में बनाए जाने वाले जलाश्यों द्वारा वहाँ मौजूद वनस्पति और मिटियाँ जल में डूब जाती हैं और कालांतर में अपघटित हो जाती हैं।

(iv).सिंचाई ने अनेक क्षेत्रों में फसलों का प्रारूप भी परिवर्तित कर दिया है। अब किसान जल गहन कृषि तथा वाणिज्यिक कृषि को अपना रहे हैं। इससे मृदाओं के लवणीकरण जैसे गंभीर पारिस्थितिकिय परिणाम हो रहे हैं।


भारत संसाधन एवं उपयोग के (ग). वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Subjective Question Answer

(ग). वन एवं वन्य प्राणी संसाधन

1. वन्य-जीवों के हास के चार प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर ⇒ वन्य-जीव के हास के चार प्रमुख कारक हैं –
(i). वन्य प्रदेश के कटने के कारण लगातार छोटे होते जाने से वन्य जीवों का आवास छोटा होना।
(ii).वन्य जीवों का लगातार शिकार
(iii). कृषि में अनेक रसायनों ने भी कई वन्य प्राणीयों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न कर दिया।
(iv).प्रदूषण के कारण भी वन एवं वन्यप्राणी का ह्रास हुआ है।

2. वन विनाश के मुख्य कारकों को लिखिये।

उत्तर ⇒  मानव जाति द्वारा वन-संपदा की अंधाधुंध कटाई, पालतू पशुओं द्वारा अनियंत्रित चारण एवं विविध तरीकों से वन-सम्पदा का दोहन वन-विनाश के मुख्य कारक हैं। प्रशासनिक एवं व्यापारिक उद्देश्यों से रेल मार्गों व सड़कों के विकास ने भी वन सम्पदा को क्षति पहुँचाई है। इसके अतिरिक्त तेजी से जारी खनन कार्य एवं कृषिगत भूमि का विकास भी वनों के विनाश के कारक हैं।

3. बिहार में वन सम्पदा की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए ।

उत्तर ⇒ बिहार के विभाजन के बाद यहाँ की वन-सम्पदा काफी दयनीय स्थिति में आ गयी है। केवल 6764.14 हेक्टेयर पर अब वन बच गए हैं; जो बिहार की कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का सिर्फ 7.1 प्रतिशत है। बिहार के 38 में से 17 जिलों में वन प्रदेश तो समाप्त हो गए हैं। पश्चिम चंपारण, मुंगेर, बांका, जमुई, नवादा, नालंदा, गया, रोहतास, कैमुर और औरंगाबाद में वनों की स्थिति कुछ अच्छी है। शेष में वन के नाम पर झार-झुरमुट बच गए हैं ।

class 10th भारत : संसाधन एवं उपयोग ka Subjective question answer 2023

4. वन के पर्यावरणीय महत्त्व का वर्णन कीजिए ।

उत्तर ⇒  वन प्रकृति का अनुपम उपहार है, जिसके आँचल में मानव आदिकाल से पोषित होता रहा है। वन जलवायु का अवशोषण कर बाढ़ के खतरे को रोकती है तो दूसरी तरफ अच्छी वर्षा भी कराती है। यह वन्य प्राणियों को भी आश्रय प्रदान करती है तथा वन्य-प्राणियों के साथ ही मानव को भी अनेक आवश्यक जीवनदायिनी वस्तुएँ देती हैं। जीव मंडल में जीवों और जलवायु को संतुलित स्थिति प्रदान ‘कर संतुलित पारिस्थतिकी तंत्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान देता है।

5. दस लुप्त होने वाले पशु-पक्षियों का नाम लिखिए।

उत्तर ⇒  दस लुप्त होने वाले पशु-पक्षियों के नाम हैं- कृष्णा सार, भेड़िया, गिद्ध, गिर सिंह, धूसर बगुला, पर्वतीय बटेर, लाल पाण्डा, भारतीय कुरंग, सारंग, श्वेत सारस।

6. कैंसर रोग के उपचार में वन का क्या योगदान है ?

उत्तर ⇒  हिमालयन यव जो चीड़ के प्रकार का एक सदाबहार वृक्ष है, की पत्तियों, टहनियों, छालों और जड़ों से टैक्सोल (Taxol) नामक रसायन प्राप्त होता है। इस टैकसोल रसायन से निर्मित दवा कैंसर रोग के उपचार के लिए प्रयुक्त होता है। अतएव कैंसर रोग के उपचार में वन का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

7. वन और वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोगी रीति रिवाजों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर ⇒ भारतीय परम्परा का वन और वन्य जीवों के साथ अभिन्न संबंध रहा है। पौराणिक ग्रंथों, कर्मकाण्डों में वनों और प्राणियों को काफी महत्त्व दिया गया है। धार्मिक अनुष्ठानों में लगभग एक सौ पौधों की प्रजातियों का प्रयोग हमारे रीति-रिवाजों में वनों की महत्ता को ही बताता है। सम्राट अशोक ने वन्य जीव-जन्तओं के शिकार पर रोक लगा दिया था। बाबर और जहाँगीर के आलेखों में भी प्रकृति संरक्षण का उल्लेख मिलता है, मुगल चित्रकला में वन एवं वन्य प्राणीयों से प्रेम का सम्प्रेषण मिलता है।

सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 भारत : संसाधन एवं उपयोग सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर 2023

8. वन्य जीवों के ह्रास में प्रदूषण जनित समस्याओं पर अपना विचार स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर ⇒  बढ़ते प्रदूषण ने भी वन्य-जीवों के ह्रास में अपनी भूमिका निभायी है। पराबैगनी किरणें, अम्लवर्षा और हरित गृह प्रभाव (Green House effect) द्वारा वन्य जीवों एवं वनों को नुकसान पहुँचाया है। इसके अलावे वायु जल एवं मृदा प्रदूषण ने भी वन व वन्य जीवों के जीवन चक्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। जीवन चक्र को पूरा किए बगैर नए पौधे या जन्तु का जन्म नहीं हो सकता है। अतएव बाह्य स्थान उपलब्ध रहने पर भी वन्य जीवों की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है।

9. चिपको आन्दोलन क्या है ?

उत्तर ⇒ 1970-80 के दशक में उत्तर प्रदेश के टेहरी गढ़वाल पर्वतीय जिले में सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में जनजातियों द्वारा यह आन्दोलन हुआ था। यहाँ की स्थानीय जनजातियाँ ठेकेदारों को हरे-भरे पौधे को काटते देख उसे बचाने के लिए पेड़ से चिपक जाते थे या उसे घेर लेते थे। इसी को चिपको आन्दोलन का नाम दिया गया। यह आन्दोलन काफी चर्चित आन्दोलन रहा और बाद में कई देशों ने इसे स्वीकार भी किया।

10. भारत के दो प्रमुख जैवमंडल क्षेत्र का नाम, क्षेत्रफल एवं राज्य का नाम बताएँ।

उत्तर ⇒  भारत के दो प्रमुख जैवमंडल निम्नलिखित हैं –

जैवमंडल  क्षेत्रफल राज्य
नन्दा देवी 2236.74 वर्ग. km उत्तराखण्ड
सुन्दर वन 9630 वर्ग km पश्चिम बंगाल

भारत : संसाधन एवं उपयोग सब्जेक्टिव क्वेश्चन

1. जैव विविधता क्या है? यह मानव के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ? विस्तार से लिखिए।

उत्तर ⇒  किसी इकाई क्षेत्र में उपस्थित एक सामुदायिक जातियों की संख्या एवं जातियों के अन्तर्गत आनुवांशिक परिवर्तनशीलता की मात्रा उस क्षेत्र के समुदाय की जैव विविधता (Biodiversity) कहलाती है। उदाहरण स्वरूप किसी जैविक उद्यानों में जहाँ एक ओर छोटे-छोटे औषधीय व पुष्पी पादप होते हैं, वहीं दूसरी ओर बड़े-बड़े वृक्षों के वन भी होते हैं। इनमें सिंह, बाघ, गैंडा, मगर जैसे विशाल वन्यजीव भी होते हैं तो दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की पक्षियाँ, सर्प जैसे विशाल वन्य जीव भी होते हैं। अतएव ये जैविक उद्यान जैव विविधता के प्रतिनिधि होते हैं। जैव विविधता मानव के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह नई फसलों, औषधियों का एक शक्तिशाली स्रोत है। बढ़ती मानवीय आबादी के पेट भरने व स्वस्थ रखने में इन फसलों व औषधियों का उपयोग स्वतः सिद्ध है। इसी प्रकार पेट्रोलियम के रूप में जैव विविधता संपत्ति का एक शक्तिपुंज है। इससे मानवीय विकास की गति प्रदान की जा सकती है। इसका ह्रास जीवों के विकास की क्षमता को अवरूद्ध कर देगा। पर्यावरणीय परिवर्तनों का सामना करने के लिए भी जैव विविधता एक आवश्यक शर्त के रूप में कार्य करता है। यह वर्तमान की सभी जातियों की आनुवांशिक विविधताओं को संरक्षित करने के लिए भी आवश्यक है।

2. वन एवं वन्य जीवों के महत्व को विस्तार से वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒ वन एवं वन्य जीव न केवल प्राकृतिक संसाधन है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र निर्माण के ये प्रमुख घटक है। मानव का इससे अटुट संबंध है। मानव जीवन की तीन आधारभूत आवश्यकताएँ हैं- भोजन, वस्त्र और आवास इनमें प्रारंभिक आवश्यकता खाद्य ऊर्जा के प्रारंभिक स्रोत वनस्पतियाँ ही हैं। पुनः निर्माण के लिए आवश्यक कच्चा माल-कपास आदि के स्रोत भी ये वनस्पतियाँ ही हैं। सभ्यता के विकास के साथ ही मानव निवास के लिए आवश्यक आवास के लिए लकड़ियाँ की आपूर्ती के स्रोत भी ये वन ही हैं। इसके अतिरिक्त वन से नाना आवश्यकताओं इंधन की लकड़ी, औषधी आदि भी प्राप्त होती है। भयानक रोग कैंसर की दवा टैक्सोल के लिए आवश्यक हिमालयन यव नामक पौधे भी वन से ही प्राप्त किए जाते हैं। इतना ही नहीं वन जलवायु का सच्चा मानक भी है। वन अपने आसपास के क्षेत्रों में वर्षा करवाकर कृषि को उन्नत बनाता है। यह बाढ़ के खतरे को भी कम करता है। वन वन्य जीवों का भी आश्रय स्थल है। ये वन्यजीव जैव-चक्र को संतुलित तो बनाते ही हैं, साथ ही अनेक मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ती को भी सुलभ बनाते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रकृति का अनुपम उपहार वन एवं वन्यजीव मानव के लिए काफी महत्वपूर्ण संसाधन हैं।

3. वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण कीजिए. और सभी वर्गों का वर्णन विस्तार से कीजिए।

उत्तर ⇒  वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों को पाँच वर्गों में विभाजित किया जाता है-

(i). अत्यन्त सघन वन :ऐसे वन के कुल भौगोलिक क्षेत्रों में वृक्षों का घनत्व 70 प्रतिशत से अधिक होता है। भारत में ऐसे वनों का विस्तार असम और सिक्किम को छोड़कर सम्पूर्ण पूर्वोत्तर राज्यों में है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1.66 प्रतिशत भाग पर यह वन फैला हुआ है।

(ii). सघन वन : ऐसे वनों में वृक्षों का घनत्व 40 से 70 प्रतिशत तक पाया जाता है। हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र एवं उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में इस प्रकार के वनों का विस्तार है। कुल भौगोलिक क्षेत्र के 3 प्रतिशत भाग पर यह वन फैला हुआ है।

(iii). खुले वन :इन वनों में वृक्षों का घनत्व 10 से 40 प्रतिशत तक पाया जाता है। कर्नाटक,तमिलनाडु, केरल, आन्ध्रप्रदेश, उड़ीसा के कुछ जिलों और असम के 16 आदिवासी जिलों में ऐसे वनों का विस्तार है।कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 7. 12 प्रतिशत क्षेत्र पर खुले वन का विस्तार है।

(iv). झाड़िया एवं अन्य वन :ऐसे वनों में वृक्षों का घनत्व 10 प्रतिशत से नीचे होता है। राजस्थान के मरूस्थल क्षेत्र एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्र में इस प्रकार के वन पाये जाते हैं। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8.68 प्रतिशत क्षेत्र इस तरह के वनों का है।

(v). मैंग्रोव्स वन :भारत के समुद्र तटीय राज्यों में इस प्रकार के वनों का फैलाव है। इसमें आधा क्षेत्र पश्चिम बंगाल के सुन्दरवन में है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 0. 14 प्रतिशत भाग ही मैंग्रेव्स वन के अन्तर्गत आते हैं।

भारत : संसाधन एवं उपयोग सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर class 10

4. विस्तारपूर्वक बतायें कि मानव-क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृ तिक वनस्पति और प्राणीजगत के ह्रास के कारक हैं।

उत्तर ⇒  विकास के इस दौर में मानव प्रकृति के अमूल्य योगदान को भूल गए हैं। मानव ने स्वार्थ के वशीभूत होकर प्रकृति का चीरहरण ही करना शुरू कर दिया है। विकास एक आवश्यक पहलू है, किन्तु संतुलित विकास द्वारा ही स्थायी विकास की कल्पना की जा सकती है। मानव ने विकास के नाम पर सड़कों, रेलमार्गे, शहरों का निर्माण करना शुरू किया। इसके लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई है। फलतः वनों का नाश तो हुआ ही; वन्य प्राणियों का आश्रय स्थल भी छिनने लगा। आवास हेतु इमारती लकड़ियों की आवश्यकता ने भी वनों का ह्रास करवा दिया। पुनः कृषि में अत्यधिक उपज के लिए अत्यधिक सिंचाई रासायनिक खाद व रसायनों का प्रयोग किया गया। इसके कारण एक ओर भूमि निम्नीकरण से वनों को क्षति पहुँची, तो दूसरी तरफ रसायनों के द्वारा जलों के दूषित होने से कई प्रजातिगत के अस्तित्व पर ही खतरा उत्पन्न हो गए। प्रगति के नाम पर कल-कारखानों की स्थापना हुई। इससे भी वन कटे। पुनः इन कल-कारखानों के धुओं ने जहाँ वातावरण को दूषित किया वहीं अम्लीय वर्षा जैसे अनेक प्रदूषणजनित परिणामों को जन्म दिया। साथ ही इनके कचरों से अनेक जलस्रोत दूषित हो गए जिससे अनेक जलीय जीवों के अस्तित्व पर संकट के बादल छाने लगे।

5. . भारतीय जैवमंडल क्षेत्रों की चर्चा विस्तार से कीजिए।

उत्तर ⇒  जैव विविधता को बनाए रखने के लिए इसका संरक्षण आवश्यक हो गया है। भारत में इसके लिए यूनेस्को (UNESCO) की सहायता से 14 जैव मंडल की स्थापना की गई, जो निम्नलिखित हैं-

S.N जैव मंडल रिजर्व क्षेत्र का नाम                  स्थिति ( प्रान्त )
 1. नीलगिरि वायनाद, नगरहोल, बांदीपुर, मुदुमलाई, निलम्बूर, सायलेण्ट वैली और सिरूवली पहाड़ियाँ (तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक)
 2. नन्दा देवी चमौली, पिथौरगढ़ और अल्मोड़ा जिलों का भाग (उत्तराखंड)
 3. नोकरेक गारो पहाड़ियों का भाग (मेघालय)
 4. मानस कोकराझार, बोगाइ गाँव, बरपेटा, नलबाड़ी कामरूप व दारंग जिलों के हिस्से (असोम)
 5. सुन्दर वन गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र के डेल्टा और इसका भाग (पश्चिमी बंगाल)
 6. मन्नार की खाड़ी भारत और श्रीलंका के बीच स्थित मन्नार की खाड़ी का भारतीय हिस्सा (तमिलनाडु)
 7. ग्रेट निकोबार अंडमान निकोबार के सुदूर दक्षिणी द्वीप (अंडमान निकोबार द्वीप समूह)
 8.  सिमिलीपाल मयूरभंज जिले के भाग (उड़ीसा)
 9. डिबु साईकोबा डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिले के भाग (असोम)
10. दिहाँग – देबांग अरूणाचल प्रदेश में सियांग और देबांग जिलों के भाग
11`. कंचनजंगा उत्तर और पश्चिम सिक्किम के भाग
12. पंचमढ़ी बेतूल, होशंगाबाद और छिदंबाड़ा जिलों के भाग (मध्य प्रदेश)
13.  अगस्थ्यमलाई केरल में अगस्थ्यमलाई पहाड़ियाँ
14. अचानकमार-अमरकंटक मध्य प्रदेश में अनुपुर और दिन दौरी जिलों के भाग और छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के भाग राष्ट्र के स्वस्थ्य जैव-मंडल एवं जैविक उद्योग के लिए समृद्ध जैव-विविधता अनिवार्य है।

भारत संसाधन एवं उपयोग के (घ). खनिज संसाधन Subjective Question Answer

1. लौह अयस्क के प्रकारों के नाम लिखिए।

उत्तर ⇒  लौह अयस्क के तीन प्रकार हैं –
(i).हेमाटाइट
(ii). मैग्नेटाइट
(iii). लिमोनाइट

2. लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर ⇒  लौह उत्पादक प्रमुख राज्य हैं- कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गोवा, झारखंड इत्यादि।

3. धात्विक खनिजों के दो प्रमुख पहचान क्या है ?

उत्तर ⇒  धात्विक खनिजों के दो प्रमुख पहचान निम्न हैं –

(i).इसे गलाने पर धातु की प्राप्ति होती है।
(ii).इसे पीटकर तार बनाए जा सकते हैं।

4. झारखंड के मुख्य लौह उत्पादक जिले के नाम लिखिए।

उत्तर ⇒ झारखंड के लौह उत्पादक जिलों के नाम निम्नलिखित हैं- सिंहभूम, पलामू, धनबाद, हजारीबाग, संथाल परगना और राँची।

5. खनिज क्या है ?

उत्तर ⇒ खनिज धात्विक एवं अधात्विक पदार्थों का संयोग है, जिसमें रासायनिक एवं भौतिक विशिष्टताएँ निहित होती हैं। ये निश्चित रासायनिक संयोजन एवं विशिष्ट आंतरिक परमाणविक संरचना वाले गुणों से युक्त होते हैं।

6. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ खनिज सभ्यता-संस्कृति के आधार-स्तम्भ होते हैं, इनके बिना उद्योगों के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। चट्टानों के निर्माण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 2000 से भी अधिक खनिजों मेंकेवल 30 खनिज का ही आर्थिक दृष्टि से विशिष्ट महत्त्व है।

7. अभ्रक का उपयोग क्या है ?

उत्तर ⇒ अभ्रक विद्युतरोधी खनिज है, जिस कारण इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के निर्माण में सर्वाधिक प्रयुक्त होता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग अबीर-गुलाल बनाने, आयुर्वेदिक दवा निर्माण में भी होता है।

8. . चुना-पत्थर की क्या उपयोगिता है ?

उत्तर ⇒  चुना-पत्थर आधुनिक युग में एक महत्त्वपूर्ण खनिज है। इसका सर्वाधिक उपयोग सिमेंट उद्योग में होता है। इसका उपयोग रंग-रोगन सामाग्री निर्माण, रसायन एवं उर्वरक निर्माण में होता है। कागज एवं चीनी उद्योगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

9. मैंगनीज़ के उपयोग पर प्रकाश डालिए।

उत्तर ⇒  मैंगनीज का उपयोग इस्पात निर्माण सहित अनेक मिश्र धातु निर्माण में किया जाता है। इसके अतिरिक्त सुखा-सेल बनाने में, फोटोग्राफी में, चमड़ा एवं माचिस उद्योग सहित रंग-रोगन को तैयार करने में यह उपयोगी है।

Class 10th Social science model paper and question bank 2023

10. अल्यूमिनियम के उपयोग का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒  अल्यूमिनियम एक उपयोगी खनिज है, जिसका उपयोग वायुयान निर्माण, विद्युत उपकरण निर्माण, साज-सज्जा के सामानों के निर्माण, बर्तन निर्माण, सफेद रंग निर्माण सहित रासायनिक वस्तुओं के निर्माण में होता है।

11. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  खनिज अनवीकरणीय संसाधन है, जिसके निर्माण में लाखों वर्ष लग जाते हैं। अतः इसके भंडार को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया संरक्षण कहलाता है। जो सतत् पोषणीय स्तर को ध्यान में रखकर विवेकपूर्ण उपयोग की अवधारणाा को बढ़ावा देता है। संरक्षण के उद्देश्य से निर्मित कार्यक्रम या कार्य-रूप-रेखा प्रबंधन कहलाते हैं। बिना प्रबंधन के संरक्षण की अपेक्षा संभव नहीं है।

1. भारत का खनिज पेटियों का नाम लिखकर किन्हीं दो का वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒  भारत का अधिकांश खनिज निम्नलिखित चार पट्टियों में मिलती है—
(a) उत्तरी पूर्वी पठार (b) दक्षिणी-पश्चिमी पठार
(c) उत्तर-पश्चिम प्रदेश (d) हिमालय 

(a) उत्तरी-पूर्वी पठार –यह देश की सबसे धनी खनिज पेटी है जिसमें छोटानागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार, छत्तीसगढ़ का पठार तथा पूर्वी भारत का पठार अवस्थित है । इस पेटी में लौह-अयस्क मैंगनीज, अभ्रक बॉक्साइड, चूना-पत्थर, डोलोमाइट, ताँबा, थोरियम, यूरेनियम, क्रोमियम, फॉस्फेट के विशाल भंडार हैं।

(b) दक्षिणी-पश्चिमी पठार – यह पेटी कर्नाटक के पठार एवं निकटवर्ती तमिलनाडू के पठार पर फैला हुआ है यहाँ लौह अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट आदि भारी मात्रा में पाए जाते हैं। देश की सभी तीनों सोने की खाने इसी पेटी में मौजद हैं।

भारत : संसाधन एवं उपयोग का महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन

2. खनिज कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण परिचय दीजिए।

उत्तर ⇒ सामान्यतः खनिजों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।

(i). धात्विक खनिज :ऐसे खनिजों में धातु मौजूद रहते हैं। जैसे- लौह अयस्क, ताँबा, निकेल इत्यादि । लौह धातु की उपस्थिति के आधार पर धात्विक खनिज को भी दो उप-विभागों में विभाजित किया जा सकता है

(a) लौहयुक्त धात्विक खनिज : ऐसे खनिज में लोहांश अधिक होते हैं। जैसे- लौह अयस्क, मैंगनीज, निकेल, टंगस्टन आदि।

(b) अलौहयुक्त धात्विक खनिज : ऐसे खनिजों में लोहे के अंश न्यूनतम होते हैं। जैसे- सोना, चाँदी, बॉक्साइट, टिन, ताँबा आदि।

(ii). अधात्विक खनिज : ऐसे खनिजों में धातु नहीं होते हैं। जैसे- चूना-पत्थर, डोलोमाइट, अभ्रक, जिप्सम इत्यादि। जीवाश्म की उपस्थिति के कारण अधात्विक खनिजों को भी दो उपविभागों में विभाजित किया जा सकता है।

(a) कार्बनिक खनिज :ऐसे खनिज का निर्माण भूगर्भ में प्राणी एवं पादप के दबने से होते हैं। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, चूनापत्थर आदि।

(b) अकार्बनिक खनिज : ऐसे खनिजों में जीवाश्म की मात्रा नहीं होती है। जैसे- अभ्रक, ग्रेफाइट इत्यादि।

3. लौह-अयस्क का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को लिखिये।

उत्तर ⇒ लौह-अयस्क में उपलब्ध लोहांश की मात्रा को ध्यान में रखकर तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। . मैग्नेटाइट : इस लौह-अयस्क में लोहांश की मात्रा 60% मैग्नेटाइट होती है। घिसने पर रंग दिखता है। अतः इसे काला अयस्क भी कहा जाता है। भारत में इसके 540 मिलियन टन भंडार उपलब्ध हैं। हेमाटाइट : इसमें लोहांश 68% पाया जाता है। इससे लकीर खींचने पर लाल उगता है, जिस कारण इसे लाल अयस्क कहा जाता है। भारत में इसका भंडारण 12317 मिलियन टन है। लिमोनाइट : यह सबसे घटिया किस्म का लौह-अयस्क है, जिसमें लोहांश मात्र 40 प्रतिशत से भी कम होता है। यह पीला अयस्क के नाम से जाना जाता है।

4. धात्विक एवं अधात्विक खनिजों में क्या अंतर हैं? तलना कीजिए।

उत्तर ⇒  धात्विक खनिज एवं अधात्विक खनिज में अंतर :

S.N धात्विक खनिज अधात्विक खनिज
(i). धात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त होती है। अधात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त नहीं हो सकता।
(ii). ये कठोर एवं चमकीले होते हैं। इनकी अपनी चमक नहीं होती है।
(iii). ये प्रायः आग्नेय चट्टानों में मिलते हैं। ये प्रायः परतदार चट्टानों में मिलते हैं
(iv). इन्हें पीटकर तार बनाया जा सकता है। इन्हें पीटकर तार नहीं बनाया जा सकता है।

BSEB Class 10th सामाजिक विज्ञान ( इतिहास) भारत : संसाधन एवं उपयोग Subjective Question 2023

5. अभ्रक की उपयोगिता और वितरण पर प्रकाश डालें।

उत्तर ⇒ अभ्रक की उपयोगिता : अभ्रक एक विद्युतरोधी अधात्विक खनिज है। विद्युतरोधी होने के कारण इस खनिज का सर्वाधिक उपयोग विद्युत उपकरण के निर्माण में किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग साज-सज्जा सामग्रियाँ, रंग-रोगन की वस्तुओं के निर्माण में भी होता है। अभ्रक का वितरण : भारत में अभ्रक की तीन पेटियाँ हैं जो बिहार, झारखंड, आन्ध्र प्रदेश तथा राजस्थान राज्यों में विस्तृत हैं। बिहार एवं झारखण्ड में उत्तम कोटि के अभ्रक ‘रूबी अभ्रक’ का उत्पादन होता है। बिहार में गया, मुंगेर एवं भागलपुर जिलान्तर्गत इसके उत्पादन होते हैं। वहीं झारखंड में हजारीबाग, धनबाद, पलामू, राँची एवं सिंहभूम जिलों में अभ्रक की खानें हैं। बिहार एवं झारखंड में भारत के 80 प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश के नेल्लूर जिला, राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर आदि जिलों में अभ्रक के उत्खनन होते हैं।

6. भारत में लौह अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालिये।

उत्तर ⇒ भारत में लौह-अयस्क का वितरण कमोवेश सभी राज्यों में है। भारत के कुल लौह-अयस्क का 96 प्रतिशत पाँच राज्यों (कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गोवा एवं झारखंड) में पाया जाता है। शेष भंडार तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों में पाये जाते हैं। कर्नाटक अकेले देश का 25 प्रतिशत लोहा पैदा करता है। बेल्लारी, हास्पेट, गुंटुर आदि उत्खनन क्षेत्र हैं। छत्तीसगढ़ देश का दूसरा उत्पादक राज्य है जहाँ बैलाडिला, डल्ली, राजहरा प्रमुख उत्पादन क्षेत्र हैं। उड़ीसा का स्थान तीसरा है, यहाँ गुरूमहिसानी, बादाम पहाड़ी, किरीबुरू प्रमुख लौह उत्खनन क्षेत्र हैं। गोवा का स्थान चौथा है। जहाँ देश का 16 प्रतिशत लौह प्राप्त होता है। झारखण्ड का स्थान पाँचवाँ है, यहाँ सिंहभूम, पलामू, धनबाद, हजारीबाग संथाल परगना तथा राँची प्रमुख लौह उत्पादक जिले हैं, भारत में 1950-51 में 42 लाख टन लोहा का उत्पादन हुआ था किन्तु बढ़ती माँग के कारण यह 2004-5 में 1427.1 लाख टन हो गया है। अतः हम कह सकते हैं कि इसके औद्योगिक उत्पादन में तीव्रतम वृद्धि हुई है।

7. मैंगनीज अथवा बॉक्साइट की उपयोगिता तथा देश में इनके वितरण का वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒ मैंगनीज
यह एक महत्त्वपूर्ण खनिज है जो लोहा तथा इस्पात निर्माण में प्रयोग किया जाता है और यह एक आधारभूत कच्चा माल है जो मिश्रित धातु के बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, रंग तथा बैट्री में किया जाता है । मैंगनीज देश में मुख्यतः उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, इसके अलावे छत्तीसगढ़, गुजरात में मिलता है।

(i) उड़ीसा – देश के उत्पादन में प्रथम स्थान है यहाँ मैंगनीज क्योंझर, कालाहाड़ी, बोलनगिरि, देकानाग, संदरगढ़, गंग्य जिलों में मिलता है।
(ii) महाराष्ट्र – देश में मैंगनीज उत्पादन में दूसरा स्थान है यहाँ मुख्य रूप से नागपुर एवं भंडारा जिलों में है। रत्नागिरी में सर्वोत्तम किस्म का मैंगनीज उत्पादन होता है।
(iii) मध्यप्रदेश – देश का तीसरा बड़ा उत्पादक राज्य है। बालाघाट, छींदवाड़ा जिलों में मुख्य रूप से उत्पादन होता है।
(iv) कर्नाटक – यहाँ में बेल्लारी, चित्रदुर्ग, धारवाड़, संदूर और सिमोगा जिलों में।

बॉक्साइट
बॉक्साइट का उपयोग ऐलुमिनियम धातु, वायुयान निर्माण, विद्युत उपकरण, बर्तन, घरेलू समान, रासायनिक वस्तुएँ आदि बनाए जाते हैं। यह एल्युमिनियम का ऑक्साइड है यह एक अलौह धातु है।
वितरण-बॉक्साइट भारत में अनेक क्षेत्रों में मिलता है लेकिन मुख्य रूप से उड़ीसा, गुजरात, झारखण्ड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, एवं उत्तरप्रदेश में पाए जाते हैं।
(i) उड़ीसा –देश का लगभग 55.29% बॉक्साइट का भंडार उड़ीसा राज्य में है। उड़ीसा के उत्पादन देश में प्रथम है यहाँ कालाहाड़ी, सबलपुर, रायगढ़, कोरापुर, नीलगिरी, सुंदरगढ़ जिलों में मुख्य रूप से हैं।
(ii) गुजरात – देश का दूसरा उत्पादक राज्य है यहाँ खेड़ा, जामनगर, जूनागढ़, कच्छू, अमरैली भावनगर, सूरत आदि जिलों में मिलता है।
(iii) झारखण्ड  – यहाँ मुख्य रूप से लोहरदग्गा, नेतरहाट, पठार (पलामू)।
(iv) महाराष्ट्र – कोलावा, सतारा, कोल्हापुर रत्नगिरि आदि जिलों में बॉक्साइट मिलता है।
(v) छत्तीसगढ़ – यहाँ बॉक्साइट अमरकण्टक पठार, रायगढ़, विलासपुर जिलों में मुख्य रूप से मिलते हैं।
(vi) अन्य राज्य – कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तरप्रदेश में भी पाये जाते हैं।

8. खनिजों के संरक्षण के उपाय सुझाइए।

उत्तर ⇒ खनिज क्षयशील एवं अनवीकरणीय संसाधन हैं। इनके भंडार सीमित हैं और पुनर्निर्माण भी असंभव है। खनिज आधुनिक औद्योगिक जगत् के आधार हैं। औद्योगिक विकास के क्रम में खनिजों का अत्यधिक दोहन एवं उपयोग उनके अस्तित्व को संकटग्रस्त कर दिया है। अतः खनिजों का संरक्षण एवं प्रबंधन अनिवार्य हैं।

खनिजों का संरक्षण तीन बातों पर निर्भर हैं –
(i). खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण
(ii).उनका विवेकपूर्ण उपयोग जिससे खनिज का बचत किया जा सके।
(iii).कच्चे माल के रूप में इनके विकल्पों की खोज उपर्युक्त बातों पर अमल करके हम खनिज के संकटग्रस्त अस्तित्व की रक्षा कर सकते हैं।


भारत संसाधन एवं उपयोग के (ड.) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन Subjective Question Answer

(ड़). शक्ति ( उर्जा ) संसाधन 

1. पेट्रोलियम से किन-किन वस्तुओं का निर्माण होता है ?

उत्तर ⇒पेट्रोलियम से गैसोलीन, डीजल, किरासन तेल, पेट्रोल, स्नेहक (ग्रीस), कृत्रिम रेशा, कीटनाशी दवाइयाँ, प्लास्टिक, साबुन इत्यादि वस्तुओं का निर्माण होता है।

2. सागर सम्राट क्या है ?

उत्तर ⇒ सागर सम्राट मुम्बई हाई पेट्रोलियम उत्खनन क्षेत्र में कार्यरत एक जलयान है, जो समुद्री क्षेत्र में जल के भीतर तेल-कूप की खुदायी का कार्य करता है।

3. कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।

उत्तर ⇒भूगर्भिक दृष्टि से कोयला को दो समूहों में बाँटा गया है –
(i) गोडवाना समूह,
(ii) टशियरी समूह
जबकि कार्बन की मात्रा के आधारं पर कोयला को चार भागों में बाँटा गया है-

(i) ऐंथ्रासाइट, (ii) बिटुमिनस, (iii) लिग्नाइट, (iv) पीट

4.. गोण्डवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम लिखिए।

उत्तर ⇒ गोण्डवाना समूह के कोयला क्षेत्रों का विस्तार चार समूहों में किया गया है-

(i) दामोदर घाटी, (ii) सोन घाटी, (ii) महानदी घाटी, (iv) वर्धा गोदावरी घाटी

5. पारम्परिक एवं गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के तीन-तीन उदाहरण लिखिए।

उत्तर ⇒पारम्परिक ऊर्जा स्रोत- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस। गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोत- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा।

6. झारखण्ड राज्य के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम अंकित कीजिए।

उत्तर ⇒ झारखण्ड राज्य के प्रमुख कोयला क्षेत्र निम्न हैं-

(i). झरिया
(ii).बोकारो
(iii). गिरीडीह
(iv). कर्णपुरा
(v). रामगढ़

7. नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देशीय क्यों कहा जाता है।

उत्तर ⇒नदी घाटी परियोजनाओं का विकास विविध उद्देश्यों के लिए किये जाते हैं। जैसे- जल विद्युत उत्पादन, सिंचाई की आपूर्ती, जल कृषि, मत्स्य पालन, पेय जलापूर्ती, परिवहन के साधन का विकास, पर्यटन केन्द्र का विकास इत्यादि। अतः एक साथ इतनी सारी उद्देश्यों की पूर्ती करने हेतु इसे बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता है।

भारत : संसाधन एवं उपयोग class 10th question answer in hindi

8. किन्हीं चार तेल शोधक कारखाने का स्थान निर्दिष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒भारत में स्थित चार तेल शोधक कारखाने का स्थान निम्न है-
(i) डिगबोई
(ii) तारापुर
(iii) बरौनी
(iv) हल्दिया

9. जल विद्युत उत्पादन के कौन-कौन से मुख्य कारक हैं ?

उत्तर ⇒ जल विद्युत उत्पादन के मुख्य कारक हैं –

(i) सतत् वाहिनी प्रचुर जल राशियाँ
(ii) नदी मार्ग में तीव्र ढॉल
(iii) जल का तीव्र वेग
(iv) प्राकृतिक जल-प्रपात
(v)परिवहन के साधन
(vi)प्राविधिक ज्ञान
(vii) पर्याप्त पूँजी निवेश
(viii) सघन-औद्योगिक-वाणिज्यिक-आबाद क्षेत्र
(ix) अन्य ऊर्जा स्रोतों का अभाव

10. परमाण-शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होता है ?

उत्तर ⇒परमाण-शक्ति प्रदान करने वाले.खनिजों के नाम हैं इल्मेनाइट, वैनेडियम, एंटीमनी, ग्रेफाइट, यूरेनियम, मोनाजाइट।

11. मोनाजाइट भारत में कहाँ-कहाँ उपलब्ध हैं ?

उत्तर ⇒ मोनाजाइट केरल में प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, उड़ीसा आदि राज्यों के तटीय क्षेत्रों में इसका उत्खनन हो रहा है।

12. निम्नलिखित नदी घाटी परियोजनाएँ किन-किन राज्यों में अवस्थित हैं- हिराकुंड, तुंगभद्रा एवं रिहन्द ।

उत्तर ⇒ परियोजना राज्य ।
i. हिराकुंड उड़ीसा
ii. तुंगभद्रा आन्ध्र प्रदेश
ii. रिहन्द उत्तर प्रदेश

13. ताप शक्ति क्यों समाप्य संसाधन है ?

उत्तर ⇒ ताप शक्ति का स्रोत कोयला है। कोयला का निर्माण लंबी अवधि में जटिल प्रक्रिया द्वारा होता है, जिसमें लाखों करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। किन्तु जब इसका अंधाधुंध उपयोग होता है, तब इनका भंडार समाप्त हो जाता है। अतः ताप शक्ति समाप्य संसाधन है।

सामाजिक विज्ञान का मॉडल पेपर 2023

14. भारत में किन-किन क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं ?

उत्तर ⇒पवन ऊर्जा के विकास हेतु निम्न राज्यों में अनुकुल परिस्थितियाँ हैं –
(i) राजस्थान
(ii) गुजरात
(iii) महाराष्ट्र
(iv) कर्नाटक
(v) तमिलनाडु

15. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है ?

उत्तर ⇒सौर किरणों को फोटो वोल्टाइक सेलों में संचित कर इन किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित कर सौर-ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है, जिससे हीटर, कुलर्स, पंखे, लाइट, टेलीविजन जैसे उपकरण चलाये जा सकते हैं।

उत्तर ⇒ 1. भारत में खनिज तेल के वितरण का वर्णन कीजिए।

भारत में मुख्यतः पाँच तेल उत्पादक क्षेत्र है—
(i) उत्तरी-पूर्वी प्रदेश – देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। ऊपरी असम घाटी, अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड में मिलते हैं इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उत्पादक असम में दिग्बोई, डिग्बोई, नहरकटिया, मोरान, रूद्रसागर है। अरूणाचल प्रदेश, निगरू, नागालैंड के बोरहोला तेल क्षेत्र ।
(ii) गुजरात क्षेत्र –खम्भात बेसिन, अंकलेश्वर कलोला, नवगांव, कोशाम्बा ।
(iii) मुंबई हाई – मुंबई तट से 176 km.दूर उत्तर-पश्चिम अरब सागर में ।
(iv) पूर्वी तट प्रदेश –कृष्णा, गोदावरी, कावेरी नदियों की श्रेणियों में ।
(v) बारमेर श्रेणी –मंगला क्षेत्र ।

2. कोयले का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒ (i).भारत में कोयला सबसे अधिक पाए जाने वाला जैविक ईंधन है। यह देश की ऊर्जा आवश्यकता को सबसे अधिक पूरा करता है। यह ऊर्जा-उत्पादन तथा घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
(ii). कोयले का निर्माण लाखों वर्ष पहले हुआ था। कोयला कई रूपों में पाया जाता है। यह इस बात पर निर्भर है कि कोयला कितनी गहराई पर दाब तथा तापमान पर दबा हुआ है। पेड़-पौधे के अपशिष्ट जो दलदल में दबे हुए थे, को पीट कहते हैं। इसमें कम कार्बन होता है तथा कम ताप क्षमता होती है।
कोयले के प्रकार—
(i) लिग्नाइट—यह निम्न कोटि का भूरा कोयला होता है । इसके भंडार नेवेली (तमिलनाडु) में पाए जाते हैं। इसका उपयोग विद्युत बनाने में किया जाता है।

(ii) बिटुमिनस—कोयला जो अधिक गहराई पर दबा हुआ है बिटुमिनस कोयला है । यह वाणिज्यिक कार्यों के लिए अधिक लोकप्रिय है। यह मध्यम कोटि का कोयला है।

(iii) एन्थासाइट—यह उच्च कोटि का कठोर कोयला है।

(iv) भारत में कोयले के पृष्ठभूमि—कोयला भारत में दो भू-गर्भिक श्रेणियों में पाया जाता है—गोंडवाना जो 200 मिलियन वर्ष पुराने हैं तथा टरशरी जो 55 मिलियन वर्ष पुराने हैं। गोंडवाना कोयला के प्रमुख भंडार दामोदर घाटी, पश्चिम बंगाल (रानीगंज) में स्थित हैं। झारखंड झरिया, बोकारो आदि महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं। गोदावरी-महानदी सोन और वर्धा घाटी में भी पाया जाता है।

(v) टरशरी कोयला—यह मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैण्ड में पाया जाता है। कोयला भारी पदार्थ है, परन्तु जलने में वजन कम हो जाता है और राख में बदल जाता है। इसलिए भारी उद्योग में ताप विद्युत बनाने में प्रयोग किया जाता है।

3. जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकूल भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों की विवेचना कीजिए।

उत्तर ⇒ जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकूल

भौगोलिक कारक :
(i). प्रचूर जल राशि
(ii). नदी मार्ग में ढाल का होना
(iii). जल का तीव्रतम वेग
(iv). प्राकृतिक जल प्रपात इत्यादि
आर्थिक कारक :
(i). सघन औद्योगिक आबाद क्षेत्र
(ii).बाजार
(iii).पर्याप्त पूँजी निवेश
(iv) परिवहन के साधन
(v).प्राविधिक ज्ञान
(vi) अन्य ऊर्जा स्रोतों का अभाव

4. गोंडवाना काल के कोयले का भारत में वितरण पर प्रकाश डालिए।

उत्तर ⇒ भारत में गोंडवाना युग के प्रमुख क्षेत्र झरिया (झारखंड) तथा रानीगंज (बंगाल) में स्थित है।  भारत में उत्पादित संपूर्णै कोयले का ७० प्रतिशत केवल झरिया और रानीगंज से प्राप्त होता है। तृतीय कल्प के कोयले, लिग्नाइट और बिटूमिनश आदि के निक्षेप असम, कशमीर, राजस्थान, तमिलनाडू और गुजरात राज्यों में है।

5. भारत में पारम्परिक शक्ति के विभिन्न स्रोतों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर ⇒ भारत में पारम्परिक शक्ति के विभिन्न स्रोत इस प्रकार हैं:

(i). कोयला : यह ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रचलित स्रोत है। जनवरी 2008 तक कोयले का अनुमानित भंडार 26454 करोड़ टन आँका गया था। यहाँ दो तरह के कोयला का निक्षेप किया जाता है। जिसमें 96% गोंडवाना समूह के तथा शेष 4% टर्शियरी काल के कोयले पाये जाते हैं।

(ii).पेट्रोलियम : यह शक्ति स्रोत के साथ-साथ अनेक उद्योगों के लिए कच्चा माल भी उपलब्ध कराते हैं। यह गैसोलीन, डीजल, किरोसीन तेल, स्नेहक, रंग-रोगन, कृ त्रिम रेशा. प्लास्टिक, साबन आदि के निर्माण में प्रयक्त होता है। भारत में पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस का कुल भंडार 17 अरब टन है।

(iii).प्राकृतिक गैस : एक अनुमान के अनुसार भारत में 700 अरब घन मीटर प्राकृतिक गैस संचित है। 1984 ई० में गैस प्राधिकरण की स्थापना की गई है, जो प्राकृतिक गैसों के परिवहन, वितरण एवं विपणन की व्यवस्था करता है।

(iv).जल विद्युत :भारत में जल विद्युत की पर्याप्त परिस्थितियाँ उपलब्ध है। यहाँ नदियों का जाल बिछा हुआ है। भारत का पहला जल विद्युत संयत्र 1897 ई० में दार्जलिंग में लगा।

(v).ताप शक्ति : भारत में जीवाश्म ईंधन के सहारे तापीय संयंत्र आज भी संचालित है। 2004 ई० में ताप विद्युत उत्पादन 784921 मेगावाट था।

(vi). परमाणु शक्ति :उच्च अणुभार वाले परमाणु के विखंडन के पश्चात ऊर्जा का पुंज उत्सर्जित होता है। इसमें इल्मेनाइट, वैनेडियम, एंटीमनी, ग्रेफाइट, यूरेनियम, मोनोजाइट जैसे आण्विक खनिज प्रयुक्त होते

6. शक्ति संसाधन का वर्गीकरण विभिन्न आधारों के अनुसार सोदाहरण स्पष्ट कीजिये।

उत्तर ⇒ शक्ति संसाधनों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार निम्न हैं –

(क) उपलब्धतं के आधार पर
(i). सतत् शक्ति साधन :ऐसे साधन अपरिमित होते हैं जिनका क्षय संभव नहीं है। जैसे- भूताप, पवन ऊर्जा, जल विद्युत, सौर ऊर्जा आदि।

(ii). समापनीय शक्ति साधन : ऐसे साधन के उपयोग होने के पश्चात् उनका पुनर्पूर्ति संभव नहीं होता है। जैसे कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस इत्यादि

(ख) उपयोगिता के आधार पर
(i). प्राथमिक ऊर्जा साधन : ऐसे ऊर्जा साधनों से सीधे प्राप्त होते हैं। जैसे- कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, नाभिकीय साधन आदि।

(ii). द्वितीयक ऊर्जा साधन :ये प्राथमिक ऊर्जा स्रोत से प्राप्त होते हैं। जैसे- विद्युत। ।

(ग) स्रोत की स्थिति के आधार पर
(i). क्षयशील शक्ति साधन : इसका एक बार उपयोग होने के बाद पुनर्पूर्ति नहीं की जा सकती है। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि।

(ii). अक्षयशील शक्ति साधन : ऐसे साधन के उपयोग के बाद भी पुनर्पूर्ति होती रहती है। जैसे- पवन, सौर किरण इत्यादि।

(घ). संरचनात्मक गुणों के आधार पर
(i). जैविक साधन :मानव एवं पशु मलमूत्र तथा वनस्पति अपशिष्टों को संयंत्र में डालकर ऊर्जा की प्राप्ति की जाती है। जैसे- गोबर गैस

(ii). अजैविक साधन :इन्हें अनुकूल परिस्थितियों के आधार पर ऊर्जा संसाधान बनाया जा सकता है। जैसे- जल शक्ति साधन, पवन ऊर्जा इत्यादि ।

7. भारत के किन्हीं चार परमाणु विद्युत गृह का उल्लेख कीजिए तथा उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर ⇒भारत के चार परमाणु विद्युत गृह निम्नलिखित हैं –
(i). तारापुर परमाणु विद्युत गृह : यह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है। यहाँ जल उबालने वाली दो परमाणु भट्टियाँ हैं। प्रत्येक की क्षमता 200 मेगावाट से भी अधिक है।

(ii). राणा प्रताप सागर परमाणु विद्युत गृह : यह राजस्थान स्थित कोटा में है। इसे चंबल नदी से जल प्राप्त होता है। इसकी उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट है। इसका निर्माण कनाडा के सहयोग से हुआ है।

(iii). कलपक्कम परमाणु विद्युत गृह :स्वदेश निर्मित इस परमाण विद्यत गह की स्थापना तमिलनाड में की गई है। यहाँ 335 मेगावाट के दो रिएक्टर 1983 एवं 1985 ई० से ही कार्य कर रहे हैं। –

(iv). नरौरा परमाणु विद्युत गृह :यह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के समीप स्थित है। यहाँ भी 235 मेगावाट के दो रिएक्टर

8. शक्ति (ऊर्जा) संसाधनों के संरक्षण हेतु कौन-कौन कदम उठाये जा सकते हैं ? आप उसमें कैसे मदद पहुंचा सकते हैं ?

उत्तर ⇒ शक्ति संसाधनों के संरक्षण हेतु निम्नलिखित कदम उठाये जा सकते हैं –

(i). ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययीता :ऊर्जा का उचित एवं आदर्शतम उपयोग होने से ऊर्जा का दुरूपयोग नहीं होता।

(ii). ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की खोज :ऊर्जा संकट का समाधान नवीन ऊर्जा स्रोतों में निहित होते हैं। इसके लिए सुदूर-संवेदी संचार प्रणाली का भी अनुप्रयोग हो रहा है।

(iii) ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों की खोज :ऊर्जा के जो संसाधन समाप्त होने वाले हैं, उनकी पुनर्पर्ति संभव नहीं है, ऐसे संसाधनों के संरक्षित करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त ऐसे संसाधनों जो नाशवान नहीं है का प्रयोग अधिक से अधिक किए जाएँ। जैसे- जल विद्युत, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा इत्यादि । ये सभी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी कहलाते हैं।

(iv). अंतर्राष्ट्रीय सहयोग :ऊर्जा संकट वैश्विक समस्या है, जिससे विश्व के देशों को आपसी मतभेद भूलकर सहयोग एवं समाधान करना चाहिए। आज U.N.O, OPEC, WTO,G-8 जैसे देश इस क्षेत्र में सराहनीय भूमिका अदा कर रहे हैं।

9. संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखें – भाखड़ा नंगल परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना, कोसी परियोजना, हीराकुंड परियोजना, रिहन्द परियोजना और तुंगभद्रा परियोजना ।

उत्तर ⇒  (i). भाखड़ा नंगल परियोजना— सतलज नदी पर हिमालय प्रदेश में विश्व के सर्वोच्च बाँधों में एक है। भाखड़ा बाँध की ऊँचाई 225 मीटर है। यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है जहाँ चार शक्ति गृह एक भाखड़ा में दो गंगुवात में और एक स्थापित होकर 7 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न कर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उतराखण्ड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान तथा जम्मू-कश्मीर राज्यों में कृषि एवं उद्योगों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।

(ii). दामोदर घाटी परियोजना— यह परियोजना दामोदर नदी के भयंकर बाढ से झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल को बचाने के साथ-साथ तिलैया, मैथन, कोनार और पंचेत पहाड़ी में बाँध बनाकर 1300 मेगावाट जल विद्युत उत्पन्न करने में सहायक है। इसका लाभ बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल को प्राप्त है।

(iii). कोसी परियोजना—उत्तर बिहार का अभिशाप कोशी नदी पर हनुमान नगर (नेपाल) में बाँध बनाकर 20000 किलोवाट बिजली उत्पन्न किया जा रहा है जिसकी आधी बिजली नेपाल को तथा शेष बिहार को प्राप्त होती है।

(iv). रिहन्द परियोजना— सोन की सहायक नदी रिहन्द पर उत्तर प्रदेश में 934 मीटर लम्बा बाँध और कृत्रिम झील ‘गोविन्द वल्लभ पंत सागर’ का निर्माण कर बिजली उत्पादित की जाती है । इस योजना से 30 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न करने की क्षमता है। यहाँ के बिजली का उपयोग रेणुकूट के एल्युमिनियम उद्योग, चुर्क के सीमेंट उद्योग, मध्य भारत के रेल मार्गों को विद्युतीकरण तथा हजारों नलकूपों के लिए किए जाते हैं।

(v). हीराकुण्ड परियोजना—महानदी पर उड़ीसा में विश्व का सबसे लम्बा बाँध (4801 मीटर) बनाकर 2.7 लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न होता है। इससे उड़ीसा एवं आस-पास के क्षेत्र के कृषि एवं उद्योग में उपयोग किया जाता है।

(vi). चंबल घाटी परियोजना— चंबल नदी पर राजस्थान में तीन बाँध गाँधी सागर, राणाप्रताप सागर और कोटा में तीन शक्ति गृह की स्थापना कर 2 लाख मेगावाट बिजली उत्पन्न किया जा रहा है। इससे राजस्थान एवं मध्य प्रदेश को लाभ मिलता है।

(vii). तुंगभद्रा परियोजना—यह कृष्णा नदी की सहायक नदी तुंगभद्रा पर आन्ध्र प्रदेश में अवस्थित दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी-घाटी परियोजना है, जो कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश के सहयोग से तैयार हुआ है। इसकी बिजली उत्पादन क्षमता 1 लाख किलोवाट है जो सिंचाई के साथ-साथ छोटे-बड़े उद्योगों को बिजली आपूर्ति करता है।


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2. बाढ़ और सूखा
3. भूकंप एवं सुनामी
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5. आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था
6. आपदा और सह-अस्तित्व

भारत संसाधन एवं उपयोग क्या है?

संसाधनों का महत्त्व इस बात से है कि इनकी प्राप्ति के लिए मनुष्य कठिन-से-कठिन परिश्रम करता है| साहसिक यात्राएँ करता है| फिर अपनी बुद्धि| प्रतिभा| क्षमता| तकनीकी ज्ञान और कुशलताओं का प्रयोग करके उनके उपयोग की योजना बनाता है| उन्हें उपयोग में लाकर अपना आर्थिक विकास करता है। इसलिए मनुष्य के लिए संसाधन बहुत आवश्यक है।

भारत संसाधन क्या है?

संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है।

संसाधन कक्षा 10 से आप क्या समझते हैं?

Solution : प्रत्येक वस्तु जिसका उपयोग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है, वह संसाधन है।

अक्षयशील संसाधन कौन कौन से हैं?

सूर्य प्रकाश, पवन, वायु आदि अक्षयशील संसाधन हैं।