भारत में पहली बार आक्रमण करने वाला कौन था? - bhaarat mein pahalee baar aakraman karane vaala kaun tha?

Who was the First to Invade India in Hindi

बहुतायत की भूमि भारत ने अपने समृद्ध इतिहास में समय-समय पर विभिन्न उभरती हुई शक्तियों द्वारा कई आक्रमण देखे हैं। इनमें से भारत पर पहले बड़े पैमाने के आक्रमण के लिए सिकंदर महान/अलेक्जेंडर द ग्रेट को जिम्मेदार ठहराया गया है।

अपने विशाल धन, सोने, हीरे, मसालों, पर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों, उपजाऊ भूमि और अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण भारत को प्राचीन समय से सोने की चिड़िया के रूप में जाना जाता है। नतीजतन यह हमेशा दुनिया भर में उभरती हुई ताकतों के निशाने पर बना रहा है। हालांकि उस समय में विदेशी सेना का सबसे बड़ा आक्रमण सिकंदर महान ने 327 ईसा पूर्व में किया था।

"सिकंदर महान/अलेक्जेंडर द ग्रेट" मैसेडोन, मैसिडोनिया में स्थित यूनानी का प्राचीन साम्राज्य, का राजा था। 356 ईसा पूर्व पेला में जन्मे सिकंदर/अलेक्जेंडर को शीर्षक "महान/ग्रेट" मिला क्योंकि वे एक ऐसे शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी सैन्य कमांडर थे जो अपने जीवन काल में लड़े सभी युद्धों में अपराजित रहे।

उन्हें अपने पिता राजा फिलिप से मैसेडोन का कट्टर साम्राज्य केवल बीस वर्ष की छोटी सी उम्र में विरासत में मिला और उसने बिना समय गवाएँ सीरिया, मिस्र और फारस समेत सभी पड़ोसी राज्यों पर विजय प्राप्त की। सेंट्रल एशिया, जिसे बैक्ट्रिया के रूप में जाना जाता है, के संपूर्ण क्षेत्र को जीतने के बाद उसने हिंदुकुश के पहाड़ों को पार किया और मास्गागा पहुंच कर इसे भी जीत लिया तथा अलेक्सेन्ड्रिया शहर की स्थापना की। वहां एक यूनानी सेना की टुकड़ी छोड़ने के तुरंत बाद उसने 326 ईसा पूर्व में अपनी मजबूत सेना के साथ भारत पर आक्रमण कर दिया।

दरअसल सिंधु नदी पार करने के बाद सिकंदर/अलेक्जेंडर समृद्ध शहर तक्षशिला पहुंचा जिस पर राजा अंभी शासन कर रहा था। राजा अंभी ने सिकंदर/अलेक्जेंडर के समक्ष आत्मसमर्पण किया और उसे बहुत सारे उपहारों के साथ सम्मानित किया और बदले में उन्होंने सिकंदर/अलेक्जेंडर की सेना को समर्थन दिया और इस तरह उन्होंने सभी पड़ोसी शासकों - चेनूब, अबिसारा और पोरस को धोखा दिया।

बाद में सिकंदर/अलेक्जेंडर को वर्तमान पंजाब में झेलम नदी के पास पौराव साम्राज्य के राजा पोरस का सामना करना पड़ा। शुरुआत में उसको झेलम नदी को उन सभी घोड़ों के साथ पार करना और दूसरी ओर खड़ी पोरस की सेना का सामना करना असंभव दिख रहा था लेकिन सिकंदर/अलेक्जेंडर जैसे एक सामरिक सेना कमांडर के लिए कुछ भी असंभव नहीं था। बहुत जल्द सिकंदर/अलेक्जेंडर ने एक सटीक योजना तैयार की और तूफ़ान की रात में उस नदी को पार कर दिया। राजा पोरस अपने क्षेत्र में सिकंदर/अलेक्जेंडर की सेना को देखकर बहुत आश्चर्यचकित था लेकिन फिर भी उसने आत्मसमर्पण नहीं किया बल्कि सिकंदर को लड़ाई में कड़ी टक्कर दी।

सिकंदर/अलेक्जेंडर राजा पोरस के राजसी व्यक्तित्व और उसकी बहादुरी से इतना अधिक प्रभावित हुआ कि उसने राजा पोरस के राज्य को जितने के बावजूद उसे वापिस दे दिया। इतना ही नहीं सिकंदर/अलेक्जेंडर ने वे छोटे पड़ोसी क्षेत्रों को भी पोरस राज्य में जोड़ दिया जो उसने पहले जीते थे।

वहां से फिर सिकंदर/अलेक्जेंडर आसन्न आदिवासी क्षेत्रों की तरफ बढ़ गया तथा 'ग्लेनसीज़' और 'काथोस' राज्यों को जीता और उन्हें पोरस साम्राज्य में जोड़ा। बाद में वह आगे बढ़कर मगध साम्राज्य की सीमा रेखा, ब्यास नदी के किनारे, तक पहुंच गया लेकिन मगध की अत्यंत शक्तिशाली सेना, जो उसका इंतज़ार कर रही थी, को देखने के बाद वह आगे बढ़ने का साहस नहीं कर सका। इसके अलावा उस समय तक उसके सैनिक भी, जो लगातार युद्ध लड़ रहे थे, बहुत थक गए थे। सैनिक अपनी मातृभूमि में वापस लौटने के लिए दृढ़ता से इच्छुक थे। नतीजतन सिकंदर/अलेक्जेंडर को वहां से वापस लौटना पड़ा हालांकि दुर्भाग्यवश 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन पहुंचने के बाद सिकंदर/अलेक्जेंडर की मृत्यु हो गई।

सिकंदर/अलेक्जेंडर का आक्रमण-एक ऐतिहासिक घटना (Alaxender’s Invasion, a Landmark Event)

सिकंदर/अलेक्जेंडर का आक्रमण भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में मशहूर हो गया क्योंकि इस आक्रमण ने भारत की सीमा रेखाओं और सिकंदर/अलेक्जेंडर के फारसी साम्राज्य को एक दूसरे के करीब ला दिया। सिकंदर/अलेक्जेंडर के आक्रमण के बाद भारत में लगभग सभी छोटे राज्य एक झंडे के तहत एकजुट हो गए थे हालांकि जल्द ही वे फिर से स्वतंत्र राज्य बन गए। 327 ईसा पूर्व में पोरस राज्य ने चेनुब और झेलम नदियों के बीच पूरे क्षेत्र को घेर लिया था।

हालांकि भारतीय संस्कृति भी अपनी संस्कृति पर ग्रीक प्रभाव या इसकी सैन्य तैयारी के कौशल से काफी हद तक अप्रभावित रही लेकिन अपने पड़ोसियों के साथ देश के राजनीतिक संबंध निश्चित रूप से इस आक्रमण के परिणामों से प्रभावित थे। सिकंदर/अलेक्जेंडर के अपने देश में वापस चले जाने के बाद पूरे देश के सभी राज्यों में एकीकरण की आवश्यकता महसूस की जाने लगी थी। नतीजतन भारत के उत्तरी राज्यों ने चंद्रगुप्त मौर्य के उभरते हुए सबसे शक्तिशाली साम्राज्य के तहत एकजुट होने की उनकी इच्छा को प्रदर्शित करना शुरू कर दिया था जो उन दिनों हर राज्य को जीतते जा रहे थे। बहुत जल्द चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत के अधिकांश राज्यों पर कब्जा कर लिया और उनका मौर्य साम्राज्य में विलय कर दिया।

सिकंदर/अलेक्जेंडर के आक्रमण द्वारा लाया गया एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन यह था कि संस्कृतियों का आदान-प्रदान भारत और यूनानियों के बीच शुरू हुआ। सिकंदर/अलेक्जेंडर ने यूरोप और भारत के बीच कई समुद्री और भूमि मार्गों की स्थापना की थी ताकि भारतीय और यूरोपीय सभ्यता को एक-दूसरे के करीब आने के लिए पर्याप्त अवसर मिले। इसके अलावा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में एक सांस्कृतिक परिवर्तन देखने को मिला था।

एक सैन्य कमांडर होने के अलावा सिकंदर/अलेक्जेंडर एक मजबूत प्रशासक भी था। भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बढ़ने से पहले उसने दुनिया के इस हिस्से में यूनानियों के स्थायी निपटान के बारे में पहले से ही सभी चीजों की योजना बनाई थी। उसने पहले योजना बनाई थी और फिर सिंधु घाटी में सामरिक स्थानों पर बड़ी संख्या में शहरों की स्थापना की थी सिर्फ अपने तहत सभी नियंत्रण के उन सभी क्षेत्रों से संपर्क बनाए रखने के इरादे से। उन्होंने अपने स्वयं की प्रशासनिक प्रणाली को भी साथ में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी योजना बनाकर पेश किया था।

यद्यपि भारत सिकंदर/अलेक्जेंडर की ग्रीक सभ्यता के पूर्ण नियंत्रण में नहीं आया था लेकिन इसकी सीमा की उत्तर-पश्चिमी ओर क्षेत्र के आसपास में बड़ी संख्या में ग्रीक कालोनियों की स्थापना देखी गई। उनमें से कई यूनानी कालोनियों तब तक स्थापित रही जब तक मौर्य राजवंश ने उन पर कब्ज़ा नहीं जमा लिया। हमारे पास पहले से ही पर्याप्त मौर्य साम्राज्य की सीमाओं के उत्तर-पश्चिमी भाग में कई यूनानियों या यवन और यूनानी शहरों के निपटान के बारे में पर्याप्त लिखित प्रमाण हैं।

इन सभी के बीच हमें यह याद रखना चाहिए कि भारत में सिकंदर/अलेक्जेंडर केवल छोटे राज्यों के साथ लड़ने में व्यस्त रहा। सिकंदर/अलेक्जेंडर के आक्रमण के समय वास्तविक निर्णायक शक्ति नंद साम्राज्य के हाथों में थी लेकिन सिकंदर/अलेक्जेंडर उसके साथ लड़ने के लिए आगे नहीं बढ़ सका था। बाद में चंद्रगुप्त मौर्य, जिन्होंने नंद साम्राज्य जीतने के बाद मौर्य साम्राज्य की स्थापना की, ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप से सभी यूनानियों को निकाल बाहर किया। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने समय के सबसे शक्तिशाली यूनानी शासक सेलुकस निकोटर को हराया और पूरे एशिया में जल्द ही शक्तिशाली व्यक्ति बन गया।

भारत के प्रथम आक्रमणकारी कौन थे?

भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम (अरबी) मुस्लिम शासक : मुहम्मद बिन कासिम (712 ई० में).

भारत पर आक्रमण करने वाला पहला विदेशी कौन था?

भारत पर प्रथम विदेशी आक्रमण ईरान के हखमनी वंश के राजाओं ने किया। हखमनी वंश का संस्थापक साइरस-2(कुरूष) थाभारत पर पहला विदेशी आक्रमण करने का असफल प्रयास 550 ईसा पूर्व में ईरान के सम्राट सायरस द्वारा किया गया । ईरान के राजा कुरूष(साइरस) के उत्तराधिकारी डेरियस प्रथम(दारा-1) ने 516 ई.

भारत पर पहला आक्रमण किसने और कब किया?

सिकन्दर ने ३२६ ईसापूर्व भारत पर आक्रमण किया था। परसिया पर अधिकार कर लेने के बाद सिकन्दर ने भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग (जो अब पाकिस्तान है) पर आक्रमण कर दिया। सिकंदर का युद्ध पोरस से हुआ था।

भारत पर सबसे पहला आक्रमण कब हुआ?

भारत पर पहला सफल आक्रमण 20 जून 712 ईस्वी में मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध प्रांत पर किया। इससे पहले 711 ईस्वी में उसने पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया था।