1. टीडीएस (TDS) क्या है? Show फ्लोराइड और आर्सेनिक जैसे नुकसानदायक रसायनों को छोड़ दिया जाए तो पीने के पानी में कुछ मात्रा में खनिज (TDS) रहने चाहिए लेकिन इनकी मात्रा जरूरत से अधिक न हो। 2. टीडीएस (TDS) के मानक क्या हैं ? बीआईएस मानक कहता है कि अधिकतम इच्छित टीडीएस (TDS) की मात्रा 500एमजी/लीटर और पानी के किसी बेहतर स्रोत के अभाव में अधिकतर अनुमन्य स्तर 2000एमजी/लीटर है। इसी तरह कठोरता यानि कैल्शियम कार्बोनेट (CaCo3) का अधिकतम इच्छित स्तर ३00एमजी/लीटर और अधिकतम अनुमन्य स्तर 600एमजी/लीटर है। डब्ल्यूएचओ मानक: बेहद कम टीडीएस (TDS) सघनता वाला पानी भी अपने फीके स्वाद की वजह से पीने लायक नहीं होता है। साथ ही यह अक्सर जलापूर्ति प्रणाली के लिये नुकसानदायक भी होता है। सन्दर्भ यूएस ईपीए मानक: बेहद कम टीडीएस (TDS): 3. मापन: 4. शुद्धिकरण रिवर्स ऑस्मोसिस आरओ के साथ एक परेशानी यह है कि इसके लिये काफी पानी की जरूरत होती है। यह गन्दे पानी को दो भागों में बाँटता है और घुले हुए ठोस पदार्थों को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फेंकता है। ऐसे में आरओ से पानी की दो धाराएँ निकलती हैं। एक ‘साफ’ पानी की जिसमें कम टीडीएस (TDS) और अन्य अशुद्धियाँ होती हैं। दूसरी गन्दे पानी की जो पहले से भी कहीं अधिक गन्दा होता है। आमतौर पर आरओ में डाले गए ३ लीटर पानी में एक लीटर साफ और दो लीटर गन्दा पानी बाहर निकलता है। वैसे आरओ से निकले गन्दे पानी का इस्तेमाल फर्श पर पोछा लगाने में किया जा सकता है। लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसा करते हैं। टीडीएस (TDS) की कमी से पानी का स्वाद और पीएस बदल जाता है। टीडीएस (TDS) बहुत कम कर देना भी अच्छा नहीं है। कुछ कम्पनियाँ एक मिश्रित मशीन बनाती हैं जिसमें आरओ के साथ-साथ यूएफ या यूवी के गुण भी होते हैं। पानी की भारी मात्रा से घुले ठोस पदार्थों को निकालने के लिये आरओ का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सूक्ष्म जीवाणुओं को मारने के लिये यूएफ या यूवी का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों प्रणालियों के मिश्रण से घुले ठोस पदार्थों का निम्न स्तर बनाए रखा जा सकता है। इन दोनों के अनुपात को नियंत्रित किया जा सकता है। आरओ की कीमत 10,000 से 15,000 रुपये के बीच होती है। आरओ दबाव के साथ काम करता है जिसे एक आन्तरिक पम्प से पैदा किया जाता है। ऐसे में आरओ के लिये बिजली की जरूरत होती है। अगर पानी में टीडीएस (TDS) का स्तर 1000 से अधिक हो तो पारम्परिक घरेलू आरओ उतने प्रभावी नहीं भी होते हैं। ऐसे में बारिश के पानी का संरक्षण यानी रेनवाटर हार्वेस्टिंग एक स्थायी विकल्प है। खासकर जहाँ पानी में टीडीएस (TDS) या कठोरता की मात्रा बहुत ज्यादा हो। बारिश के पानी में टीडीएस (TDS) केवल 10-50 मिग्रा/लीटर होता है। पानी को मृदु बनाने से उसके टीडीएस (TDS) नहीं कम होते। पानी को मृदु बनाने की प्रक्रिया में घुले हुए ठोस में सोडियम का स्थान कैल्शियम या मैग्नीशियम ले लेते हैं जिससे टीडीएस (TDS) की मात्रा में मामूली कमी होती है। इस विषय पर लोगों की टिप्पणियाँ 29 फरवरी, 2008| जगदीश्वर टीडीएस (TDS) में पीपीएम को जल सघनता से गुणा करने पर एमजी/लीटर में टीडीएस (TDS) निकाली जाती है। पीपीएम में टीडीएस (TDS) के सही निर्धारण में पानी के तापमान का भी ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि पानी में घुले पदार्थों की सघनता का तामपान से भी सम्बन्ध होता है। मीठे पानी पर काम करने वाले कार्यकर्ता टीडीएस (TDS) को एमजी/लीटर में व्यक्त करते हैं। वहीं समुद्री वैज्ञानिक टीडीएस (TDS) के बजाए खारेपन का इस्तेमाल करते हैं और उसे पीपीएम में व्यक्त करते हैं। चूंकि मीठे पानी की सघनता करीब 1 होती है ऐसे में उसे टीडीएस (TDS) या मिग्रा/लीटर में व्यक्त करने पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। जब तक टीडीएस (TDS) का स्तर 7,000 मिग्रा/लीटर तक हो तब तक सुधार की कोई जरूरत नहीं होती है क्योंकि यह प्रायोगिक गलती के दायरे में आता है। लेकिन अगर टीडीएस (TDS) इससे अधिक है तो निश्चित रूप से सुधार की जरूरत होती है। ऐसे में 1.028 सघनता वाले समुद्री पानी की 35,000 पीपीएम टीडीएस (TDS) का मान 35,980 मिग्रा/लीटर होगा। पीने के पानी की मानक तय करने वाली अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियों मसलन विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ), यूरोपियन यूनियन (ईयू) और अमरीका की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी (ईपीए) ने टीडीएस (TDS) के लिये कोई स्वास्थ्य आधारित दिशा-निर्देश तय नहीं किए हैं। शायद वे मानकर चलते हैं कि उच्च टीडीएस (TDS) वाला पानी पीने से मानव स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ता। दूसरी ओर स्वाद को ध्यान में रखते हुए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) और भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद (आईसीएमआर) जैसी एजेंसियों ने पीने के पानी के लिये 500 मिग्रा/लीटर की सीमा तय की है। किसी वैकल्पिक स्रोत के अभाव में बीआईएस मानक के अनुसार टीडीएस (TDS) की ऊपरी सीमा 2000 मिग्रा/लीटर है। जबकि आईसीएमआर के मुताबिक यह सीमा 3000 मिग्रा/लीटर है। हालांकि बहुत से लोगों को उच्च टीडीएस (TDS) वाला पानी खराब स्वाद वाला नहीं लगता है। यह बात बहुत कम टीडीएस (TDS) वाले पानी के साथ भी सही है। अत्यधिक खनिज वाला पानी पीने के आदी लोगों को 500 मिग्रा/लीटर टीडीएस (TDS) वाला पानी भी बेस्वाद लगता है। पानी के टीडीएस (TDS) से अधिक इसमें होने वाला बदलाव पेट की गड़बड़ियों का कारण बनता है। आम प्रयोग में ‘उच्च-टीडीएस (TDS) जल’ को ‘कठोर जल’ के समानर्थी के रूम में इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिक प्रयोग में उच्च टीडीएस (TDS) जल का मतलब उसमें घुले सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, कार्बोनेट, बाईकार्बोनेट, क्लोराइड, सल्फेट जैसे पदार्थों की घुली मात्रा से है। दूसरी ओर जल की कठोरता से मतलब कैल्शियम और मैग्नीशियम से है जिसे एमजी/लीटर सीएसीओ३ से व्यक्त किया जाता है। कठोरता की मात्रा के अनुसार अगर इसकी मात्रा 60 से कम होती है तो उसे मृदु जल कहा जाता है। 61 से 120 के बीच होने पर थोड़ा कठोर और 121 से 180 के बीच होने पर कठोर और 180 से अधिक होने पर बहुत कठोर कहा जाता है। ऐसे में कठोरता और उच्च टीडीएस (TDS) को समानार्थक के रूप में न इस्तेमाल करना ही बेहतर है ताकि भ्रम की स्थिति से बचा जा सके। उच्च टीडीएस (TDS) वाले पानी के मुकाबले बारिश के पानी या कम टीडीएस (TDS) वाले पानी में पौधे कहीं अच्छी तरह पनपते हैं। सिंचाई के लिये उच्च टीडीएस (TDS) वाले पानी को कम टीडीएस (TDS) वाले पानी में बदलना आर्थिक रूप से फायदेमन्द नहीं है। समुद्र वैज्ञानिकों की तरह कृषि वैज्ञानिक भी खारेपन को टीडीएस (TDS) के समानार्थक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। अगर सिंचाई के लिये केवल उच्च टीडीएस (TDS) वाला पानी उपलब्ध हो तो कठोर जल को मृदु जल के ऊपर प्राथमिकता देनी चाहिए। उच्च क्षारीयता और सोडियम, कैल्शियम के उच्च अनुपात वाले पानी से बचना चाहिए क्योंकि यह मिट्टी का पीएच बढ़ाने के साथ उपजाऊपन कम करता है। इससे पौधे के विकास पर असर पड़ता है। उच्च कैल्शियम वाला पानी पत्तियो पर नहीं छिड़कना चाहिए क्योंकि कैल्शियम कार्बोनेट पत्तियों के रन्ध्रों को बाधित कर देता है और पत्तियाँ नष्ट हो जाती हैं। अगर इस तरह के पानी से छिड़काव करना ही हो तो ड्रिपर के मुँह को नियमित रूप से साफ किया जाना चाहिए ताकि यह कैल्शियम कार्बोनेट से बाधित न हो। यही बात घरेलू पाइपलाइन और उपकरणों पर भी लागू होती है। औद्योगिक क्षेत्रों में टीडीएस (TDS) को लेकर अलग-अलग राय है। लेकिन कुछ उद्योग 1000 मिग्रा/लीटर टीडीएस (TDS) का इस्तेमाल करते हैं। सिंचाई के उलट बहुत से उद्योग मृदु जल के बजाए भारी जल को वरीयता देते हैं। हालांकि घरेलू या कृषि इस्तेमाल के लिये जल शोधन शायद ही कभी किया जाता हो। लेकिन बहुत सी औद्योगिक प्रक्रियाओं में आयन अदला-बदली के माध्यम से कठोर जल को मृदु जल में और रिवर्स ऑस्मोसिस के जरिए उच्च टीडीएस (TDS) को निम्न टीडीएस (TDS) वाले जल में बदला जाता है। डॉ.आर जगदीश्वर राव 28 फरवरी, 2008| पानी की शुद्धता कैसे मापी जाती है?पानी की शुद्धता को Total dissolved solids (TDS) में मापते हैं. एक रिपोर्ट में Bureau of Indian Standards के मुताबिक अगर एक लीटर पानी में TDS यानी Total Dissolved Solids की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम है तो ये पानी पीने योग्य है.
शुद्ध जल का नियमन में भारत का कौन सा स्थान है?हाल ही में 'संयुक्त राष्ट्र जल विकास कार्यक्रम' के अंतर्गत प्रकाशित 'ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट 2007-2008' ने कुल 177 देशों का सर्वे 'जल स्वच्छता मानकों' के आधार पर किया गया था। जिसमें भारत का स्थान 128 वां था जो कि भारत में पेयजल स्थिति की गंभीरता एवं भयावहता को दर्शाता है।
पानी की जांच कैसे की जाती है?एफटीके पानी की क्वालिटी जांचने के लिए एक तरह का कीट है. इस किट के जरिये पानी में मौजूद आर्सेनिक, हानिकारक बैक्टीरिया, रासायनिक अशुद्धियों, एलिमेंट, पार्टिकल्स आदि का पता लगाया जाता है. फील्ड टेस्ट किट्स (एफटीके) की मदद से पानी की शुद्धता की जांच आसानी से की जा सकती है.
पीने के लिए सुरक्षित पानी कौन सा है?शहरों में रहने वाले लोगों के लिए तो नल का पानी ही सबसे सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प है.
|