भगंदर की सर्जरी कैसे होती है? - bhagandar kee sarjaree kaise hotee hai?

भगंदर की सर्जरी कैसे होती है? - bhagandar kee sarjaree kaise hotee hai?

By: Inextlive | Updated Date: Fri, 04 Dec 2020 17:46:01 (IST)

fistula operation is possible by painless sloft surgery and lift technique in Ranchi, Jharkhand.

RANCHI: fistula operation by painless sloft surgery : फिस्टुला (दो मुंह वाला फोड़ा)का आपरेशन करने से पहले डॉक्टर्स भी डरते थे। लेकिन, अब ऐसी बात नहीं है। स्लाफ्ट टेक्निक से फिस्टुला का कारगर ऑपरेशन संभव है। इससे बिना चीरफाड़ के समस्या का समाधान संभव है। ये बातें जबलपुर से आए डॉ डीयू पाठक ने कहीं। शनिवार को वह रिम्स आडिटोरियम में दो दिवसीय कान्फ्रेंस में पहले दिन बोल रहे थे। एसोसिएशन आफ कोलोन रेक्टल सर्जंस आफ इंडिया के इस्ट जोन की ओर से मौके पर बड़ी आंत और मल द्वार के आसपास होने वाली बीमारियों को लेकर वर्कशाप भी हुआ। इस दौरान हास्पिटल के सर्जरी ओटी में छह लाइव आपरेशन किए गए।

क्या है स्लाफ्ट तकनीक

डॉ डीयू पाठक ने बताया कि फिस्टुला के ऑपरेशन के लिए उन्होंने नई तकनीक स्लाफ्ट एडॉप्ट की। यह आपरेशन की एक नई तकनीक है। इसके तहत बिना चीरफाड़ के मरीज को फिस्टुला की बीमारी से छुटकारा दिलाया जा सकता है। इसमें मोशन के रास्ते के बगल में एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद फिस्टुला के एक एंड की सिलाई कर दी जाती है, ताकि इंफेक्शन और दोबारा बीमारी होने की टेंशन ख्रत्म हो जाए। इसके बाद बाहर का जख्म धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।

विदेशी सर्जस ने भी माना लोहा

स्लाफ्ट एक ऐसी टेक्निक है, जिसका लोहा विदेशों में भी सर्जस मान रहे हैं। डॉ। पाठक ने लाइव आपरेशन से डॉक्टर्स को बताया कि कैसे स्लाफ्ट टेक्निक से मरीजों को बिना चीरफाड़ के फिस्टुला की समस्या से छुटकारा दिलाई जा सकती है। डॉ। पाठक की टेक्निक से रोम, बर्सीलोना, हानजाउ, मेलबर्न और अमेरिका में डॉक्टर्स को प्रेजेंटेशन दिया है। वहीं इंडिया में भी ख्9 जगहों पर उन्होंने डॉक्टरों को इस टेक्निक से अवगत कराया।

अलग-अलग टेक्निक से छह आपरेशन

सर्जरी ओटी में शुक्रवार को छह अलग-अलग मरीजों का अलग-अलग टेक्निक से आपरेशन किया गया। इसमें फिस्टुला के दो मरीजों का आपरेशन स्लाफ्ट और लिफ्ट टेक्निक से किया गया। वहीं, पाइल्स का आपरेशन बुश और एमआइपीएच टेक्निक से किया गया। इसके अलावा एक पेशेंट की कोलोनोस्कोपी की गई और उसके इंटरनल समस्या की डिटेल देखकर उसका इलाज भी किया गया। वहीं एक अन्य मरीज की प्रोलॉड्स का आपरेशन स्टेपलर टेक्निक से डॉक्टरों ने किया।

मरीज का बेहतर इलाज संभव

कोलो रेक्टल एक्सपर्ट नई तकनीकों का प्रदर्शन भी करेंगे। इससे बीमारियों के इलाज में मरीजों को परेशानी नहीं के बराबर होगी। इसके अलावा फिसर, पाइल्स के अलावा कई अन्य बीमारियों पर भी डॉक्टरों ने मंथन किया। चीफ गेस्ट के रूप में मुंबई के डॉ। शेखर सुरादकर ने कहा कि फिस्टुला को लेकर डॉक्टरों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। टेक्निक से मरीज का बेहतर इलाज किया जा सकता है। इसके साथ ही मरीज को बार-बार आपरेशन कराने की नौबत नहीं आती है। मौके पर एसोसिएशन के पैट्रन रिम्स डायरेक्टर डॉ। बीएल शेरवाल, आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ। सतीश मिढा, ठाणे के डॉ। प्रवीण गोरे, पुणे से डॉ। प्रदीप शर्मा, जबलपुर से डॉ। बीयू पाठक समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।

फिस्टुला के लक्षण

-फिस्टुला होने से पहले मोशन के रास्ते में फुंसी का होना

-ठीक होने की बजाय फुंसी का लाल हो जाना और बढ़ते जाना

-ब्लीडिंग के कारण उठने-बैठने में परेशानी

-कमर के पास दर्द, खुजली की समस्या और गुर्दा में जलन

फिस्टुला के कारण

-गुर्दा मार्ग की अच्छे से सफाई नहीं करना

-अधिक समय तक ठंडे, गीली या कठोर जगह पर बैठना

-नाखून से खुरच देने के कारण समस्या होना

-गुर्दा में ज्यादा फुंसी होने के कारण

जरूरी बात: किसी को भी हो सकती है भगंदर की समस्या, जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: निलेश कुमार Updated Fri, 24 Jun 2022 03:55 PM IST

फिस्टुला यानी कि भगंदर की समस्या काफी दर्दकारक स्थिति है। मलाशय में संक्रमण के कारण यह समस्या होती है। अगर इसपर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह एक मामूली फोड़े से बढ़कर भयंकर दर्द देने वाली समस्या हो सकती है। महिलाओं की तुलना में पुरुष इससे अधिक प्रभावित होते हैं। वैसे तो यह उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जानी जाती है हालांकि वयस्कों में भी इस तरह की दिक्कत रिपोर्ट की जाती रही है। फिस्टुला की समस्या अत्यधिक असुविधा पैदा कर सकती है और यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो इसके कारण गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं।

कुछ लोगों में बैक्टीरिया संक्रमण के कारण भगंदर की दिक्कत होती है जिसके परिणामस्वरूप सेप्सिस भी हो सकता है। इस तरह की समस्या से बचे रहने के लिए सभी लोगों को फाइबर युक्त आहार के सेवन की सलाह दी जाती है। जिन लोगों को भगंदर की समस्या होती है उन्हें इसके उपचार में सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है। आइए इस दर्दनाक समस्या के बारे में विस्तार से समझते हैं।

फिस्टुला में सबसे आम होता है- एनल फिस्टुला यानी भगंदर। यह छोटी नली की तरह होता है, जो आंत के अंतिम हिस्से को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। गुदा नली में पस जमा होने के कारण कई बार ऑपरेशन की जरुरत पड़ जाती है। 
भगंदर के लक्षण: 

  • गुदा में बार-बार फोड़े होना
  • गुदा के आसपास दर्द और सूजन 
  • शौच करने में दर्द
  • मलद्वार से रक्तस्नाव
  • बुखार लगना, ठंड लगना और थकान होना
  • कब्ज होना, मल नहीं हो पाना
  • गुदा के पास से बदबूदार और खून वाली पस निकलना 
  • बार-बार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन

बचाव कैसे करें?

अगर कभी आपको गुदा द्वार के पास फुंसी, फोड़ा वगैरह हो चुका है तो भगंदर से बचने के लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए।

  • कब्ज या सूखे मल की स्थिति में पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें।
  • तरल पदार्थ/पेय का ज्यादा सेवन करें। शराब और कैफीन पीने से बचें।
  • शौच को रोकें नहीं। बहुत जरुरी हो तो भी ज्यादा देर तक न रोकें। 
  • पाचन तंत्र फिट रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
  • शौच करने में पर्याप्त समय लें। न बहुत हड़बड़ी करें और न ही बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहें। 
  • मल द्वार को साफ और सूखा रखें। शौच के बाद अच्छे से सफाई करें। 

फिस्टुला का परीक्षण
कुछ फिस्टुला का पता लगाना आसान होता है और कुछ का कठिन। कभी-कभी यह खुद ठीक हो जाता है तो कभी-कभी ठीक होने के बाद फिर से हो जाता है।

  • इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर मलद्वार से रिसाव और रक्तस्त्राव के लक्षणों की जांच करते हैं।
  • इसका पता लगाने के लिए कोलोनोस्कोपी  की भी जरुरत पड़ सकती है।
  • इसमें आपके गुदा में एक कैमरे वाली ट्यूब डाली जाती है, गुदा और मलाशय का भीतरी हिस्सा देखा जाता है। 

इलाज

  • भगंदर के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। डॉक्टर भगंदर की नली की त्वचा और आसपास की मांसपेशियों में एक चीरा लगाते हैं और फिर पस निकाला जाता है।
  • स्थिति ज्यादा बिगड़ी हुई हो तो डॉक्टर भगंदर के छेद में एक ट्यूब डालते हैं, जो कि सेटन संक्रमित तरल पदार्थ को सोखने का काम करती है। इसमें डेढ़ महीने या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है। 

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

भगंदर के ऑपरेशन में कितना पैसा लगता है?

भारत में भगंदर के ऑपरेशन की औसत लागत लगभग 35 से 1 लाख रुपये है।

क्या सर्जरी के बाद फिस्टुला दोबारा हो सकता है?

इस सर्जरी में आम तौर पर टांके नहीं लगाये जाते हैं और जख्म को धीरे-धीरे और प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है। इस उपचार विधि में दर्द होता है और उपचार के असफल होने की संभावना रहती है। अंदर के मार्ग और बगल के टांके आम तौर पर हट जाते हैं जिससे दोबारा फिस्टुला हो सकता है।

भगन्दर का ऑपरेशन कैसे किया जाता है?

भगंदर (फिस्टुला) के ऑपरेशन अब और आसान हो गया है। ऑपरेशन की सफलता दर में भी इजाफा हुआ है। गुजरे कुछ वर्षों में इलाज की तीन नई तकनीक विकसित हुई है। इसमें लिफ्ट (लाइगेशन ऑफ इन्ट्रस्फिट्रक फिस्टुल ट्रेक) व वॉफ्ट (वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट) शामिल हैं।

ऑपरेशन के बाद कितने दिन ठीक होता है?

ऑपरेशन के कुछ साइड इफेक्ट आपको अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही बेहतर होने लगेंगे, मगर पूरी तरह ठीक होने में छह से आठ हफ्तों का समय लग सकता है।